1.जागे आर्यावर्त, गर्त में जाय दुश्मनी-
|
2."वासन्ती परिधान" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')उच्चारण
वासन्ती परिधान ओढ़कर,
सूरज ने भी रंग दिखाया।
मुझको यह आभास होगया-
अब बसन्त का मौसम आया।। |
4प्रकृति के अनमोल नज़ारे
(१)
प्रकृति के अनमोल नजारे
लगते बहुत प्यारे
आँखोंमें बस गए
रंग जीवन में भर गए | |
559. मधु सिंह : बूढी दादी के आँचल परयह कैसा अभिशाप लिखा है अपने ही घर कोने में यह कैसा बनबास लिखा है |
अरुन शर्मा "अनंत"
9मैं जिन्दगी का साथ निभाता चला गया !
पी.सी.गोदियाल "परचेत"
सारी गलियां बंद हैं, सब कातिक में खेत |
काशी के भैरव विवश, गायब शिव-अनिकेत | गायब शिव-अनिकेत, चलो बैठकी जमायें | रविकर ना परचेत, दिखें हैं दायें-बाएं | जय बाबा की बोल, ढारता पारी पारी | करके बोतल ख़त्म, कहूँगा आइ'म सॉरी || |
आशा जोगळेकर
25नया सीख के आ, ना कहना कुछ नहीं बचा !
बहुत से मदारी
ताजिंदगी एक ही बंदर से काम चलाते हैं इसी लिये जमाने की |
काव्यान्जलि
टिप्पणी नही करेगें अब बिना लिये वगैर, हम दाद नही देगें , कुछ खाए पिए वगैर! टिप्पणी विहीन रचना को श्रीहीन समझिए, त्यौहार मुहर्रम का हो , जैसे ताजिऐ बगैर! |
कार्टून :- आज चिनार में आग लगी है
काजल कुमार Kajal Kumar
अच्छे लिनक्स लिए चर्चा ...... आभार
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा!
जवाब देंहटाएंआज सभी लिंको को देखूँगा!
कल घर पर नहीं था!
आभार!
बहुत ही सुन्दर चर्चा..
जवाब देंहटाएंज्ञानवर्धक और पठनीय लिंकों से सजी सुन्दर चर्चा ,आभार !!
जवाब देंहटाएंजबरदस्त ! आभार रविकर जी !
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार रविकर भाई सभी सूत्र बेहतरीन लिए हैं सुंदर चर्चा मेरी कहानी को भी शामिल करने के लिए दिल से आभार
जवाब देंहटाएंधन्यवाद रविकर जी चर्चामंच में "दो बहने जापानी गेइशा और भारतीय मुजरेवाली" को शामिल करने लिए
जवाब देंहटाएंआपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति आज शुक्रवार के चर्चा मंच पर ।।
जवाब देंहटाएंवाह !
पहले कल होता था
आज आज है
बहुत खूब है
राज है
उसी समय
पर्दा फाश है !
आभार !
आदरणीय रविकर सर प्रणाम, बहुत सुन्दरता एवं सहजता से सजा है चर्चा मंच, वसंत का सुन्दर रूप दिख रहा है, मेरी रचना को स्थान दिया आपके ह्रदय से आभारी हूँ. इस शानदार चर्चा हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें. सादर
जवाब देंहटाएंइस शानदार चर्चा लिए हार्दिक बधाई,,,,,रविकर जी,,,,
जवाब देंहटाएंचर्चामंच में मेरी रचना को स्थान देने के लिए बहुत२ शुक्रिया,,,
बढ़िया सजा चर्चा मंच |
जवाब देंहटाएंमेरी रचना शामिल करने के लिए आभार |
आशा
मनमन्दिर में धार लो. प्रेमदिवस का सार।
जवाब देंहटाएंजो जीवनभर निभ सके, वो होता है प्यार।७।
बसंत के संग मदनोत्सव के रंग .वेलेंटाइन डे की अप्रतिम पोस्ट .
2.
"वासन्ती परिधान" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
Virendra Kumar SharmaFebruary 8, 2013 at 12:29 AM
जवाब देंहटाएंबहुत मौजू पोस्ट फतवा कला के खिलाफ हो ही क्यों .जुम्मे की नमाज़ हो या रोक बैंड के स्वर संगीत के सुरों का ही खेल है .अलबता इंडियन और वेस्टर्न म्यूजिकल स्केल्स में नोट्स थोड़े से जुदा ज़रूर
हैं .कैसा मज़हब है संगीत से डरता है .
स्वागत है प्रिय अरुण |
जवाब देंहटाएंअरुण शर्मा जी का स्वागत है।
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा मंच
आदरणीय श्री शास्त्री सर मैं ह्रदय के अन्तः स्थल से आभार व्यक्त करता हूँ. इस मंच पर खुद को देखना ही बेहद सुखद होता है, इस मंच से मेरा लगाव शुरुआत से ही रहा है, जो भी थोड़ी बहुत ख्याति प्राप्ति हुई है यहीं से हुई है, यहीं से मुझे मेरे दो प्रिय गुरु मिलें आदरणीय गुरुदेव श्री रविकर सर एवं आदरणीय गुरुदेव श्री अरुण कुमार निगम सर. मेरी लालसा थी की कभी मैं भी चर्चा लगाऊं, एक बार आदरणीय गुरुदेव श्री रविकर सर नें मुझे आमंत्रण भी भेजा था परन्तु कुछ कारणवश आ नहीं सका. आखिर आज वो शुभ घड़ी आ ही गई मुझे यह सुनहरा मौका मिल ही गया. आदरणीय रविकर सर, ग़ाफिल सर, दिलबाग सर, आदरणीया राजेश कुमारी जी, आदरणीया वंदना जी एवं भ्राताश्री प्रदीप जी बीच खुद को पाना परम आनंद जैसा है. आदरणीय श्री शास्त्री सर को पुनः कोटि-कोटि प्रणाम एवं धन्यवाद....
जवाब देंहटाएंधन्यवाद गुरुदेव श्री रविकर सर एवं आदरणीया वंदना जी.
जवाब देंहटाएंसुस्वागतम अरुण जी.... सुन्दर लिंक संयोजन!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर तरीके बंधा है आज का चर्चा मंच,उत्कृष्ट कोटि के लिंकों के साथ मेरी रचना को भी शामिल करने के लिए सादर आभार। चर्चा मंच से जुड़ने के लिए अरुण कुमार जी का हम हार्दिक अभिनन्दन करते है।
जवाब देंहटाएंरविकर जी नमस्कार
जवाब देंहटाएंआप रवि हैऔर कवि भी हैं यह विल्कुल सच है और आपके आज के लिंक्स से भी यह बात साबित होती है कि रवि औऱ कवि समाज या प्रकृति से अन्धेरा ही दूर करते हैं सो आज के लिंक एसे हैं कि समाज में जो इन्हैं पढ़ेगा उसे ज्ञान की ज्योति मिल ही जाएगी
धन्यबाद मेरे लिंक को भी शामिल करने के लिए आपका आभार
बहुत उम्दा लिंक्स.
जवाब देंहटाएंशुक्रिया.