मित्रों!
आदरणीय ग़ाफ़िल जी के यहाँ बिजली चली गयी है इसलिए सोमवार के चर्चामंच को सजाने का दायित्व मुझ पर ही है। प्रस्तुत कर रहा हूँ अपनी पसंद के कुछ लिंक…
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इक सैलाब ला! बहे दुनिया -ग़ाफ़िल |
"आलिंगन उपहार"जो दिल से उपजे वही, होता सच्चा प्यार। मिलन नहीं है वासना, आलिंगन उपहार।… |
आओ खेलें खेलVoice of Silent Majorityआओ सब मिलकरखेलें एक अनोखा खेल तुम भी लूटो हम भी लूटेंज नतंत्र की रेल… |
वैलेंटाइन्स डे स्पेशल—कुछ टिप्समधुर गुंजन जो चाहे तुम्हें तुम भी चाहो उसे धोखा न देना| … |
अफज़ल गुरु तो गए अब सरकार की बारी हैकबीरा खडा़ बाज़ार मेंHanging overdue ,no pat for govt from aam admi अफज़ल गुरु तो गए अब सरकार की बारी है . आठ साल की देरी से दी गई है यह फांसी ,सरकार इस एवज अपनी पीठ न थपथपाए .सरकार को इसके लिए कोई शाबाशी मिलने नहीं जा रही है… |
मधु सिंह : मर्दों की नज़रो से बचना सखी तुमBenakab* * * * * (विवाह गीत) * * * * मर्दों की नज़रो से बचना सखी तुम * * * * * * सखी रखना जरा तुम ध्यान , चुनर उड़ने न पाए * * झोके हवा के बड़े तेज , दुपट्टा गिरने न पाए * * * * मर्दों की नज़रों से बचना सखी,… |
" कल हो न हो..........."दिनांक २१.१२.१२ को दुनिया खत्म हो जायेगी | कोई पिंड हमारी धरती से टकराएगा और हम खंड खंड हो बिखर जायेंगे | ऐसी भविष्यवाणी की गई है | कहते हैं 'माया कलेंडर' में २१.१२.१२ के बाद की तिथि ही अंकित नहीं है… | छलका-छलका हो ज़ाम साकीमाथे पर आई,वक्त की लकीरों कोपढ---जीना है बाकी-- साल-दर-साल,बढती झुर्रियों में जिंदगी की इबारत को,पढना है,बाकी अब तक,जीते रहे’बहाने’ जीने के लिये अब, मकसद के रात-दिन,जीना है बाकी अक्सर,कहते हैं लोग---- |
कुल्हड़ की चाय!विचार*कुल्हड़ की चाय!* ** *मेहरबान! क़दरदान!!* *कोलकाता ! जहां ..* *बारीश की नम फुहार… | शीर्षकहीनउन्नयन (UNNAYANA)आदरणीय ,गुरु-शिक्षकों ,स्नेही स्वजनों ,मित्रों ! आपके स्नेहाशीष के संबल ,उद्दात आत्मबल व अनुकम्पा की पूंजी ले 6 वें अन्तराष्ट्रीय हिंदी सम्मलेन, संयुक्त अरब अमीरात ,में मेरी दो पुस्तकों ' *उदय -शिखर*' व '* **प्रीतम* ' का शहर दुबई में विमोचन.. |
बाल-दुनिया लड्डू-बर्फी की शादी - जिस दिन होना थी लड्डू की, बर्फीजी से शादी, बर्फी बहुत कुरूप किसी ने, झूठी बात उड़ा दी| गुस्से के मारे लड्डूजी, जोरों से चिल्लाये….. | उर्मि चक्रवर्ती
हो गयी शाम किसीके इंतज़ार में,
ढल गयी रात उसीके इंतज़ार में,
फिर हुआ सवेरा उसके इंतज़ार में,
इंतज़ार ही मुकद्दर बन गयी इंतज़ार में !
| दसवां ख़त .......Valentine special..........
आज शाम से ही कुछ कमी सी लग रही है.......तुम हो मेरे साथ फिर भी एक दुरी सी लग रही है...........कभी-कभी तुम ख्यालो में तो होते हो.. पर बहुत सारे सवालो के साथ जिनका जवाब मैं खुद से ही पूछती हूँ.... और कोई जवाब न मिलने पर......खुद ही उदास हो जाती हूँ....
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अंतर्जाल डॉट इन वेबसाइट बनवाने जा रहे हैं? रखें इन बातों का ख्याल - मैं एक फ्रीलांस वेब डिजाइनर – डेवेलपर हूं और वेबसाइट के निर्माण के सिलसिले मेरा देश विदेश के बहुत से लोगों से में संपर्क होता रहता है। | ज्ञान दर्पण : बदहाल लोकतंत्र : जिम्मेदार कौन ? - देश में लोकतंत्र की बदहाली पर चर्चा चलते ही इसकी बदहाली को लेकर लोकतंत्र के चार में से तीन स्तंभों… | Tech Prevue Blogger Templates Switch: Default, Mobile and Dynamic Views - If you are using Blogger platform to run your blog then there is an opportunity to show your blog in 9 themes. |
पाखी की दुनिया संगम-तट पर अपूर्वा का कुम्भ - * *संगम-तट पर अपूर्वा खूब मस्ती कर रही हैं। देखिये इनकी शरारतें, जो कि तस्वीरों में कैद हो गई हैं। कुम्भ पर्व के दौरान इस मौनी अमावस्या पर… | बस्तर समाचार मुख्यमंत्री का गोद लिया गाँव हुआ आवारा - *मरोड़ा* - *हमेशा घोटालो में घिरे रहने वाला कोयलीबेडा बिकासखंड घोतालेबजो के चंगुल से खुद को छुड़ाने में असफल ही रह गया… | रूप-अरूप टैडी डे...... - जब भी याद तेरी आई गले इसे लगाया.... जो कह न पाई तुझसे सब कुछ इसे बताया... जब तन्हा-उदास हुई हर वक्त इसे साथ पाया... इस भरी दुनियां में यही तो है मेरा... |
सोने पे सुहागा लहसुन को गरीबों का 'मकरध्वज' कहा जाता है -Hindi Bloggers Forum International (HBFI): लहसुन को गरीबों का 'मकरध्वज' कहा जाता है लहसुन के सेवन से रक्त में थक्का बनने की प्रवृत्ति बेहद कम हो जाती है, ... | अरुण कुमार निगम (हिंदी कवितायेँ) तीन कुण्डलिया छंद – - ** (1) मतलब का मतलब कभी , मत लब से तू बोल तलब छुपी इसमें बुरी , बल तम इसके खोल बल तम इसके खोल , …. | जुगाली महाकुंभ से कम नहीं है बंगलुरु का हवाई जहाजों का कुंभ - प्रयाग में गंगा के तट पर लगे आस्था के महाकुंभ और दिल्ली में ज्ञान कुंभ ' राष्ट्रीय पुस्तक मेले' के साथ साथ देश की सिलिकान सिटी बंगलुरु में भी एक… |
गीत ग़ज़ल औ गीतिका एक ग़ज़ल : बदली हुई है आप की - बदली हुई है आप की जो चाल-ढाल है लगता है क्यों हर बात में ही गोल-माल है ? उनकी नज़र में ’वोट’ से ज़्यादा नहीं था मैं उतना ही मेरी मौत का उनको मलाल है ... | काव्य का संसार नाक - नाक जब तक साँसों का स्पंदन है, धड़कन है जब तक दिल में धड़कन है ,तब तक जीवन है द्वार सांस का ,जिससे साँसे , आती जाती सबसे उठा अंग चेह... | Sudhinama वसंतागमन - हर वसंत पर जब नवयौवना धरा इठला कर कोमल दूर्वादल से अपने अंग-अंग में पीली सरसों का उबटन लगा अपनी धानी चूनर को हवा में लहराती है…. |
आयुर्वेदिक औषधियों के लिए ( WEIGHT CALCULATION )मापन प्रणाली !!शंखनादप्राय: देखा जाता है कि आयुर्वेद में औषधि या नुस्खे बताते समय औषधि के जो माप बताए जाते हैं वो जल्दी से कोई समझ नहीं पाता है क्योंकि आयुर्वेद में औषधियों के माप हैं वो पुराने समय से चले आ रहें हैं और आज माप अंग्रेजी मापन प्रणाली पर आधारित है इसलिए जरुरी है कि किसी भी औषधि का प्रयोग करने से पहले उसका परिमाण भली प्रकार ज्ञात हो ! इसी को ध्यान में रखते हुए में आज आपके सामने पुराने मापन प्रणाली और नयी मापन प्रणाली में परिवर्तित करके बता रहा हूँ !… |
सुकूं बांकपन को तरसेगा...............................??????????मेरी धरोहरएक निवेदनः कोई सामान घर में एक कागज में पेक करके लाया गया वह कागज मेरी नजर में आया, उसी कागज में ये ग़ज़ल छपी हुई थी, पर श़ाय़र का नाम नहीं था. आप सभी से ग़ुज़ारिश है यदि किसी को इस ग़ज़ल के श़ाय़र का नाम मालूम हो तो मुझे बताएं ताकि मैं श़ाय़र का नाम लिख सकूं...शुक्रिया...यशोदा जबान सुकूं को, सुकूं बांकपन को तरसेगा, सुकूंकदा मेरी तर्ज़-ऐ-सुकूं को तरसेगा…. |
अफसर-गुरु जब भी बने, गाजी बाबा शिष्य-"लिंक-लिक्खाड़"चॉकलेट डे...... रश्मि शर्मा रूप-अरूप चाक समय का चल रहा, किन्तु आलसी लेट | लसा-लसी का वक्त है, मिस कर जाता डेट | मिस कर जाता डेट, भेंट मिस से नहिं होती | कंधे से आखेट, रखे सिर रोती - धोती | बाकी हैं दिन पाँच, घूमती बेगम मयका | मन मयूर ले नाच, घूमता चाक समय का||… |
सॉफ्ट स्टेट हम नहीं सुप्रीम कोर्ट है ?कबीरा खडा़ बाज़ार मेंसॉफ्ट स्टेट हम नहीं सुप्रीम कोर्ट है ? सॉफ्ट स्टेट हम नहीं सुप्रीम कोर्ट है ? अफज़ल गुरु को अगस्त 2005 में सुप्रीम कोर्ट ने मौत की सजा सुनाई थी .इस पर अमल करते करते सरकार को तकरीबन आठ साल लग गए .सरकार अब कहती है हम सोर्फ़ स्टेट नहीं हैं.. |
नैतिकता का पाठ !ज्ञानवाणीबोलो बच्चों , आज की कहानी से क्या सबक सीखा ? डस्टर से ब्लैकबोर्ड साफ़ करते मास्टरजी ने कक्षा में बच्चों की और मुख करते हुए पूछा . उत्साहित मोहन ने हाथ खड़ा कर कहा , सर मैं बताऊँ . हाँ हाँ , बताओ मोहन ...उसका उत्साह बढ़ाते हुए सोहनलाल जी ने पूरी कक्षा को चुप कर सुनने का आदेश दिया . | आखिरी जवाब का एहसास.....जो मेरा मन कहेकितने ही सवालों के कितने ही मोड़ों और रास्तों से गुज़र कर आखिरी जवाब जब पाता है खुद को किसी किताब के पन्नों पर छपा हुआ या मूंह से निकले शब्दों के साथ घुल जाता है हवा में - तब तीखी धूप में लहराती खुद की काली परछाई.. |
राम कृष्ण और परमात्मा में अंतर क्या है ?searchoftruth सत्यकीखोजपरRAJEEV KULSHRESTHA - 9 घंटे पहलेजय जय श्री गुरुदेव । बहुत सारी शंकाओं का समाधान के लिये धन्यवाद । गुरुदेव ! कृपया कर बतायें । देव । गन्धर्व । काल पुरुष । विष्णुजी । शंकरजी । रामजी । कृष्णजी । और परमात्मा में अंतर क्या है ? एवं कृष्णजी और रामजी की कलाओं से तात्पर्य क्या है ? समझाईये । Mukesh Sharma " क्या राम और कृष्ण ने भी गुरु दीक्षा ली थी " पर एक टिप्पणी । ******** स्वांत सुखाय - और लोगों ( सन्तों ) की मैं नहीं जानता ।… | vo firag dilmere manदोस्तों मेरी खुली कविता आप के नाम वो फिराग दिल, इन्सान को हंसाने की सोचता, उसे पथ भ्रष्ट होने से रोकता। मगर इन्सान बाज नही आता, पथ भ्रष्ट अक्सर हो ही जाता। सुख की खोज में पाता दुःख, क्योकि रहता उससे विमुख, जिसने बक्शा सबकुछ दिया, उसके लिए हमने क्या किया। किया छल कपट धोखा बैर द्वेष, फिर और क्या बचा है अब शेष। हरगिज ऐसे सुख नही मिलता, सूखे तालाब में कमल न खिलता। इसे भक्ति रूपी जल भर झील बनाओ, जब इस में श्रदा के कमल खिले अनेक,.. |
सखी तू मत हो उदास
हल्दू हल्दू बसंत का मौसम शीतल हवा कभी गर्म है मौसम रक्तिम रक्तिम फूले प्लास सखी तू क्यों है उदास? सज़ल नेत्र क्यों खड़ी हुई है ? दुखियारी सी बनी हुई है क्यों छोड़ रही गहरी श्वास सखी तू क्यों भई उदास? केश तुम्हारे खुले हुए हैं बादल जैसे मचल रहे हैं बसंत मे सावन कि आस सखी तू क्यों है उदास?
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अंदाज़ से
अँधेरा घना रात गहरी बरसती बूंदे सर्द हवाए सुगनी सोयी थी चौखट पर झोपड़ी की इंतज़ार में किसनू सो गया हाथ सेक कर उसकी देह से खुद को पाकर नजर -अंदाज़ सा सुगनी लगा रही हैं मलहम अपनी पीठ और कंधे पर अंदाज़ से ....................नीलिमा thank you so much
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क्षमा विष्णु शर्मा संशोधन 1 पंचतंत्र के लिये
** *कल की दावत में * *बस लोमडी़ दिखी * *थाली के साथ पर नजर नहीं * *आया कहीं बगुला * *अपनी सुराही के साथ * *विष्णु शर्मा * *तुम्हारा पञ्चतन्त्र * *इस जमाने में * *पता नहीं क्यों * *थोड़ा सा कहीं पर * *कतरा रहा है * *पैंतरे दिखा दिखा के * *नये नये छेदों से * *पता नहीं कहाँ से * *कहाँ घुस जा रहा है * *कुछ दिनों से क्योंकि * *लोमडी़ और बगुला * *साथ नजर आ रहे हैं…
नमस्ते!
आज के लिए केवल इतना ही काफी है…!
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सादर धन्यवाद
जवाब देंहटाएंएक अनाम शायर की रचना ने यहाँ स्थान पाया
आभार रूप भैय्या,,आभार चर्चा मंच
सादर
बहुआयामी चर्चा में बहुत कुछ है आज पढ़ने के लिए आभार |
जवाब देंहटाएंआशा
बहुत अच्छे सूत्र मिले...मेरी रचना ने भी स्थान पाया सजी हुई चर्चामंच पर...आभार !!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर सूत्र संकलन..
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएंबेहतरीन लिंक्स के बीच अपना लिखा देखना उत्साहित करता है !
बहुत कुछ छूटा हुआ पढने को मिला .
बहुत आभार !
बहुत सुन्दर सूत्र संकलन!इस अंक में मुझे स्थान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंहमारी ब्लॉग पोस्ट शामिल करने के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद सर!
जवाब देंहटाएंसादर
उम्दा चर्चा -
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें-आदरणीय ||
आदरणीय शास्त्रीजी आपने आज बहुत सुन्दर चर्चा प्रस्तुत की है !
जवाब देंहटाएंखूबसूरत अंदाज में सजी चर्चा में ऊल्लूक को भी शामिल करने का आभार !
जवाब देंहटाएंहमारी ब्लॉग पोस्ट शामिल करने के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद ....सुंदर चर्चा लगी है आज
जवाब देंहटाएंआभारी हूँ शास्त्री जी इतने सुन्दर, सुसज्जित मंच पर आपने मेरी रचना 'वसंतागमन' को भी स्थान दिया ! सभी सूत्र बहुत ही आकर्षक हैं ! सधन्यवाद !
जवाब देंहटाएंबढ़िया लिनक्स की चर्चा
जवाब देंहटाएंबहुत ही बेहतरीन सुन्दर सूत्र संयोजन,सादर आभार आपका।
जवाब देंहटाएंबढिया चर्चा
जवाब देंहटाएंअच्छे लिंक्स
अगर यहाँ 1-2 रचना पर समीक्षा/गुण-दोष की विवेचना भी हो जाती तो अच्छा रहता कि रचनाकार अपनी आने वाली रचनाओं में सुधार करता
जवाब देंहटाएंसुझाव है
सादर
आनन्द.पाठक
बहुत अच्छे सूत्रों से सजी चर्चा .सुन्दर प्रयास .मेरी पोस्ट को यह सम्मान देने हेतु आभार अफ़सोस ''शालिनी''को ये खत्म न ये हो पाते हैं . आप भी जाने संवैधानिक मर्यादाओं का पालन करें कैग
जवाब देंहटाएंडॉ. रूपचन्द्र
जवाब देंहटाएंशास्त्री मयंक जी चर्चा आप क्योँ नही लगायेँगे ! मेरे ख्याल से अनंत जी आपके जितना कतई जानकार नही हिँदी ब्लाँगिँग की दुनिया से फिर क्योँ .....
चर्चामंच की लोकपियता तो मुझे घटती नजर आ रही हैँ सुधार की आँवश्यकता हैँ
बढिया चर्चा
जवाब देंहटाएंऊर्जा और भावनाओं से भरा संकलन ...बहुत सुन्दर संग्रह ...
जवाब देंहटाएंमेरी ब्लॉग पोस्ट को सम्मान देने हेतु आभार बेहतरीन लिंक्स
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएंआप शालिनी जी कांग्रेस के उन संविधानिक पदों पर आसीन लोगों की भाषा बोल रहीं हैं जिनमें से एक मंत्री जब
क़ानून मंत्री थे तो कह रहे थे मेरे इलाके में आके बोलो ये भाषा तब आपको देखूंगा
.दूसरे कहते थे देश की सर्वोच्च सत्ता एवं शौर्य के प्रतीक सेना प्रमुख को -उनकी औकात ही क्या है वह एक
सरकारी कर्म चारी हैं .इनकी इसी बद्ज़ुबानी से खुश होकर इनमें से एक को क़ानून से
विदेश दूसरे को प्रवक्ता पद से सूचना प्रसारण मंत्री का पद दे दिया गया .आज आप भी यही कह रहीं हैं विनोद
राय एक सरकारी सेवक हैं .
कोंग्रेस और उसके समर्थक यह कौन सी परम्परा का सूत्रपात कर रहें हैं .कल दिग्विजय सिंह जी कह रहे थे विनोद राय एकाउंटेंट हैं
एकाउंटेंट ही रहें प्रधान मंत्री बनने की कोशिश न करें .
माननीय शालिनी जी विनोद राय जिस पद पर हैं उसमें अभी आंच और गरिमा बकाया है .इस देश का आम आदमी अब सिर्फ
न्यायपालिका और ,प्रतिरक्षा सेवाओं के लोगों को ,चंद संविधानिक पदों
पर तैनात विनोद राय जैसे लोगों को ही सम्मान की नजर से देखता है शेष तो कोयले से भी काले सिद्ध हुए हैं जनता की निगाह में .वह
प्रधान मंत्री बनके अपना अवमूल्यन क्यों करवाएंगे .प्रधान मंत्री
पद की गरिमा को कोंग्रेस के हाईकमान
प्रबंध ने जिस प्रकार गरिमा हीन किया है अगर उन्हें
उनकी
ही भाषा में ज़वाब दे के ये पूछा जाए ये जो जीवित पुतले नुमा आदमी दिखता है यह कौन है ?ये जो टेढ़े मुंह वाला (वक्र मुखी )मंत्री है
यह है कौन .स्वामी राम देव जी के लिए यह कहना कौन राम देव
क्या कोंग्रेसियों को ही शोभा देता है? तब कोंग्रेस को और उसके कथित बुद्धि वर्ग को कैसा लगेगा जब चीज़ें लौट के उसी की भाषा में
उसके पास आयेंगी .
भारत के नियंत्रक महालेखा परीक्षक के अभी इतने बुरे दिन नहीं आयें हैं कि दिग्विजय सिंह जी और आप उन्हें संविधानिक मर्यादा
सिखलाएँ .वह बेहतर जानते हैं तभी वहां हैं .सरकार को जो भी
आईना दिखाता है सरकार उसी से वैर भाव पाल लेती है .आदरनीय टी एन शेषन भी सरकार की आँख की किरकिरी बन गए थे .फूटी
आँख नहीं
सुहाते थे किसी को .अब विनोद राय जी को क्रमिक तौर पे
निशाने पे लिया जा रहा है .कौन सी परम्परा का निर्माण कर रही है कोंग्रेस ?
कौन से विभीषण की बात कर रहीं हैं आप वह जो पूर्व छात्र के रूप में माई -बाप अंग्रेजों के कसीदे काढ के आया था इंग्लैण्ड जाके
."आपके हम रिनी हैं
.आप हमारे यहाँ निर्माण कर गए बहुत कुछ .हमारी आज़ादी ज्ञान और वैभव सब आपका दिया हुआ है .हम आपके शुक्रगुजार हैं ."
शालिनीजी संविधान की तकनीकी धाराएं समझने समझाने से कोई प्रज्ञा वान नहीं हो जाता है .राष्ट्र हित प्रज्ञा और ज्ञान व्यक्ति के
अर्जित गुण हैं .प्रधान मंत्री या कोई और भी मंत्री बन जाना और बात है .ईश्वर किसी ने देखा नहीं है लेकिन वह है ज़रूर इसे कोई
नकार नहीं सकता .भक्ति और राष्ट्र भक्ति से व्यक्ति उसके थोड़ा नज़दीक ज़रूर पहुँच जाता है .
अंग्रेजों के ज़माने में लेफ्टिए उनकी मुखबिरी करते थे .सोशल मीडिया में कोंग्रेस की आज क्या छवि है कमसे कम इतनी इत्त्ल्ला तो
चापलूसों को हाई कमान तक पहुंचानी चाहिए .और ये तमाम वक्र मुखी भले मेडिकल सर्टिफिकेट लेके ये साबित कर दें तकनीकी तौर
पर कि वह वक्र मुखी नहीं हैं लेकिन एक बार आईना ज़रूर देख लें .सच पता चल जाएगा .
विनोद राय जी ने तो सिर्फ विमर्श के लिए एक विषय ही रखा था .
क्षेपक :
ये जीवित पुतले नुमा आदमी कौन है ?प्रधानमंत्री है?इसकी आज कितनी इज्ज़त है इस बात का सबूत यह है अफज़ल गूर (गूर कहतें हैं कश्मीरी भाषा में ग्वाले को ,अंग्रेजी अखबारों ने इसे बिगाड़ के गुरु कर दिया )को फांसी दे दी गई कोई पत्रकार इस चुप्पे मुंह की प्रतिक्रिया तक लेने नहीं पहुंचा .
और अफज़ल गूर ,गुरु होगा दिग्विजय सिंह जी का जो ऐसे लोगों के लिए "जी "और "साहब "संबोधनकर्ता के रूप में जाने जातें हैं
एक टिपण्णी ब्लॉग पोस्ट :
http://shalinikaushik2.blogspot.in/2013/02/blog-post_9.html#comment-form
संवैधानिक मर्यादाओं का पालन करें कैग
संवैधानिक मर्यादाओं का पालन करें कैग
! कौशल !
क्या बात है सर जी .बहुत खूब कहा है .
जवाब देंहटाएंअश्कबारी का शौक़ है ज़्यादा,
तो इक सैलाब ला! बहे दुनिया।।
इक सैलाब ला! बहे दुनिया -ग़ाफ़िल
उर्दू शायरी की तरह लुत्फ़ पैदा किया है आपने इन कुंडलियों में शब्दों को आगे पीछे समायोजित करके .आनंद वर्षं हुआ छंदों से ,व्यंग्यार्थ और रूपकात्मक तत्वों से .
जवाब देंहटाएंSUNDAY, FEBRUARY 10, 2013
तीन कुण्डलिया छंद –
(1)
मतलब का मतलब कभी , मत लब से तू बोल
तलब छुपी इसमें बुरी , बल तम इसके खोल
बल तम इसके खोल , बलम जी इसमें है बम
इसके तल में स्वार्थ , बसा करता है हरदम
रिश्ते - नाते ‘अरुण’ , तोड़ देता है जब- तब
मत लब से तू बोल, कभी मतलब का मतलब ||
(2)
मत की कीमत जानिये, मत किस्मत का मूल
मत बहुमत के फेर में , मत को करें फिजूल
मत को करें फिजूल, दिखाएँ हिम्मत लाला
मत के पीछे भाग , रहा है हर मतवाला
सुख निर्मल नवनीत,अरुण सुख मत की मटकी
मत किस्मत का मूल ,जानिये कीमत मत की ||
(3)
शामत मत बुलवाइये , मतवाली है शाम
मतलब -वतलब छोड़िये, भजिये राधेश्याम
भजिये राधेश्याम , राम का नाम सुमरिये
बैतरणी के पार , सुमत चढ़ि नाव उतरिये
जीवन है संग्राम , हारना अरुण न हिम्मत
मतलब करता नाश,इसी से आती शामत ||
अरुण कुमार निगम
आदित्य नगर, दुर्ग (छत्तीसगढ़)
विजय नगर, जबलपुर (मध्य प्रदेश)
Posted by अरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com) at 12:28 PM
जवाब देंहटाएंअमीर खुसरो साहब का असर है गजल पर मजा आ गया .
सुकूं बांकपन को तरसेगा...............................??????????
मेरी धरोहर
अंत में चर्चा कार के चयन पे कुछ न कहा जाए तो चर्चा कार के साथ ज्यादती होगी .शुक्रिया न किया जाए कबीरा खडा बाज़ार में ,की दो पोस्ट शामिल करने के लिए तो एहसानफरामोशी होगी .बेहतरीन चयन ,समन्वयन .
जवाब देंहटाएंकार्टून को भी सम्मिलित करने के लिए आपका आभार
जवाब देंहटाएंबहुत ज्ञान वर्धक बहु -उपयोगी प्रस्तुति लहसुन के गुण धर्मों का बखान करती हुई .कृपया -platelet के लिए प्लेट्लट या बिम्बाणु शब्द का इस्तेमाल करें बिमबागुओं के स्थान पे .
जवाब देंहटाएंतश्तरी के आकार की बहुत छोटी सी रक्त कोशिका (a very small blood cell ,shaped like a disc)प्लेटलट कहलाती है .इससे रक्त गाढा हो जाता है और कभी कभार कट लगने पर ,किसी अंग के कट जाने पर खून का बहना रुक जाता है .
सोने पे सुहागा
लहसुन को गरीबों का 'मकरध्वज' कहा जाता है -Hindi Bloggers Forum International (HBFI): लहसुन को गरीबों का 'मकरध्वज' कहा जाता है लहसुन के सेवन से रक्त में थक्का बनने की प्रवृत्ति बेहद कम हो जाती है, ...
जो दिल से उपजे वही, होता सच्चा प्यार।
जवाब देंहटाएंमिलन नहीं है वासना, आलिंगन उपहार।१।
सुन्दर प्रस्तुति प्रेम दिवस पर -एक बिम्ब यह भी दिनकर जी के शब्दों में (उर्वशी ):
रूप की आराधना का मार्ग आलिंगन नहीं तो और क्या है ,
स्नेह का सौन्दर्य को उपहार रस चुम्बन नहीं तो और क्या है ?
"आलिंगन उपहार"
व्यंग्य विनोद प्रेम रस संसिक्त प्रेम दिवस प्रणय गौरव गाथा .शुक्रिया आपकी टिपण्णी का .
जवाब देंहटाएंमधु सिंह : मर्दों की नज़रो से बचना सखी तुम
Benakab
* * * * * (विवाह गीत) * * * * मर्दों की नज़रो से बचना सखी तुम * * * * * * सखी रखना जरा तुम ध्यान , चुनर उड़ने न पाए * * झोके हवा के बड़े तेज , दुपट्टा गिरने न पाए * * * * मर्दों की नज़रों से बचना सखी,…
अच्छे लिंक से सजी चर्चा कल सब पढ़ूँगी हार्दिक बधाई सुंदर चर्चा हेतु
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंखूबसूरत लिंक्स का मधुमासी गुलदस्ता......
जवाब देंहटाएंखूबसूरत लिंक्स का मधुमासी गुलदस्ता......
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुतिकरण
जवाब देंहटाएंआकर्षक सार्थक लिंक्स