मित्रों!रविकर जी अभी अवकाश पर हैं! इसलिए शुक्रवार के चर्चा मंच में मेरी पसन्द के कुछ लिंक देखिए!डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक" |
अज्ञान तिमिरआकंठ डूबे हुये हो क्यों, अज्ञान तिमिर गहराता है। ये तेरा ये मेरा क्यों , दिन ढलता जाता है… सादर ब्लॉगस्ते! पर Shobhana Sanstha |
छोटी बहर की छोटी ग़ज़लनिगाहों में भर ले, मुझे प्यार कर ले,खिलौना बनाकर, मजा उम्रभर ले… दास्ताँने - दिल (ये दुनिया है दिलवालों की) पर अरुन शर्मा 'अनन्त' |
औरतों के जिस्म पर सब मर्द बने हैं..मर्दों की जहाँ बात हो, नामर्द खड़े हैं…रवि कुमारमेरी धरोहर पर yashoda agrawal |
जा रामप्यारी जल्दी जाकर इसका कैट-स्केन करवा !ताऊ डाट इन पर ताऊ रामपुरिया |
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MY BIG GUIDE पर Abhimanyu Bhardwaj
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दरवाजे पर हुई आवाज से सुलोचना बाहर आई , एक लड़का था २५ साल का छोटी सी गठरी लिए हुए , "मम्मी जी, सूट के कपडे है ले लीजिये , कम दाम में…
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सूचना - केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड 10 वीं का परीक्षा परिणाम आज घोषित हो गया है अपना परिणाम जानने के लिए नीचे क्लिक करें ...
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- *बूंदा - बांदी* गुनगुनाते भँवरों को दोष मत देना, ये तो रंगत खिलती कली के गाते हैं, बाग में कली कोई जो खिल जाए
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बदल बदल के भी दुनिया को हम बदलते क्या - नवीन - मुहतरम बानी मनचन्दा की साहब ज़मीन ‘क़दम ज़मीं पे न थे राह हम बदलते क्या’ पर एक कोशिश।बदल बदल के भी दुनिया को हम बदलते क्या…?
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ये जहर मेरे लहू में उतर गया कैसे..... -उदासी की आठवीं किस्त * * * * 'मैं होश में था...... तो उस पे मर गया कैसे...?
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आँखें भी दिख रही हमें दो की जगह चार - चाँद अजनबी क्या दिल को भा गया है यार धड़कन-ए-दिल कहने लगी हो रहा हो प्यार आँखों में अपनी थे सजे जो सपने हजारों सपने सभी वो होने लगे चाँद पे निसार...
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Old Age Home – वृद्धाश्रम - अभी कुछ दिन पूर्व अग्रवाल समाज के एक कार्यक्रम में नीमच जाने का अवसर मिला। युवाओं की स्वयंसेवी संस्था ने सुविधा युक्त वृद्धाश्रम का निर्माण कराया था…
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क्या दूँ आज तुम्हें ..
समझ में नहीं आ रहा क्या दूँ तुम्हे आज मैं
कैसे बनाऊं इस दिन को खास मैं ...
बैठ कर सोंचा तो कुछ समझ न आया
कोई खुबसूरत सा तोहफा नज़र न आया ...
Pratibha Verma पर Pratibha Verma
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बच्चे तो कच्ची मिट्टी हैंबच्चे तो कच्ची मिट्टी हैं, जैसे चाहो ढल जायेंगे. जो राह दिखाओगे उनको, उन राहों पे बढ़ जायेंगे.. बच्चों का कोना पर Kailash Sharma |
जिन्दगी तुझसे क्या सवाल - क्या शिकायत करूँ...फूल चाहे तो फूल ही मिले फूलों में, काँटों की शिकायत तुझसे क्यूँ करूँ... नयी उड़ान पर उपासना सियाग |
बादल तू जल्दी आना रेकाले काले बादल बताओ तुम कहाँ है तुम्हारा देश? कहाँ से तुम आये ,जा रहे हो कहाँ जहां होगा नया नया परिवेश। दूर देश से आये हो तुम थक कर हो गये हो चूर चूर… ? मेरे विचार मेरी अनुभूति पर कालीपद प्रसाद |
ओ पलाश !*सुनो सुनो ओ! पलाश, प्रसन्न देख तुम को बन में, जागी इच्छा मेरे भी मन में… सहज साहित्य पर सहज साहित्य |
जो सहि दुःख पर छिद्र दुरावा ...लघु कथा,,,,डा श्याम गुप्त.... - * ....कर्म की बाती,ज्ञान का घृत हो,प्रीति के दीप जलाओ..
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" गुलमोहर का, “रूप” सबको भा रहा" हो गया मौसम गरम. सूरज अनल बरसा रहा। गुलमोहर के पादपों का रूप सबको भा रहा।। दर्द-औ-ग़म अपना छुपा, हँसते रहो हर हाल में…
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धोनी रे मोनी रे तू समझे न इशारे -जिसे सब धोनी की चुप्पी माने बैठे हैं दरअसल, उसके लिए जिम्मेदार उनकी आस्तीन में छिपा कोई सांप भी हो सकता है जिसका उन्हें भी इल्म न हो…
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- मज़ा घास हो जो हरी कोमल,घूमने में है मज़ा गुलाबी हो गाल या लब ,चूमने ने है मज़ा फलों वाली डाल हो तो , लूमने में है मज़ा और नशा हो प्यार का ...
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कौटुम्बिक व्यभिचार क्यूँ बढ़ रहा है ? - वैसे तो यह साल बलात्कार के नाम रहा और मीडिया वालों ने तो सारे हिन्दुस्तान में हो रहे अलग अलग किस्म के बलात्कारों को सामने लाने की कोशिश…
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'पहला पड़ाव..' - ... "राजधानी की यात्रा.. पहला पड़ाव हमारे प्रेम का.. याद है न..?? कल फिर से जा रही हूँ.. स्मृतियों को मिटाने.. चिपकी हैं जाने कबसे.. मीलों दौड़ती सडकों ...
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मानसिक विलास -एक मित्र महोदय से कहा कि इस नगर में कोई ऐसा स्थान बतायें जहाँ चार पाँच घंटे शान्तिपूर्वक मिल सकें, पूर्ण निश्चिन्तता में। मित्र महोदय संशय से देखने लगते ...
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"लीची होती बहुत रसीली" हरी**, **लाल और पीली-पीली!*** *लीची होती बहुत रसीली!!*** * गायब बाजारों से केले।*** *सजे हुए लीची के ठेले…
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अग़ज़ल - 58 - हमें भी उम्मीद का एक आशियां बनाने दो कांटो भरी बेल पर कोई फूल खिलाने दो । क्या हुआ गर बिखेर दिए हैं तिनके किस्मत ने दूर जा चुकें हैं जो , उनको पास बुलाना...
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सट्टा, आतंक, रेप, करप्शन... - व्यंग : कस्मे, वादे, प्यार, वफा सब... सट्टा, आतंक, रेप, करप्शन, रुके कभी हैं रुकेंगे क्या... कितना भी लिखलो चिल्लालो, दिखेंगे नारे, नारों का क्या. ...
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ओ मेरेकुछ आईने बार बार टूटा करते हैं कितना जोड़ने की कोशिश करो .....शायद रह जाता है कोई बाल बीच में दरार बनकर .......और ठेसों का क्या है वो तो फूलों से भी लग जाया करती हैं ......और मेरे पास तो आह का फूल ही है… ज़िन्दगी…एक खामोश सफ़र पर vandana gupta |
आस्था या अंध-भक्तिमुझे नहीं लगता कि कोई भी धार्मिक व्यक्ति कभी भी किसी बाबा या तांत्रिक के चक्कर में पड़ कर अपनी इज्ज़त-आबरू या पैसा बर्बाद कर सकता है... हाँ अंध-भक्त हमेशा ऐसा ही करते हैं….. प्रेमरस.कॉम पर Shah Nawaz |
सब तुम्हारे कारण हुआ पापा... सब तुम्हारे कारण हुआ पापा............ "किस्सा-कहानी" पर बहुत दिनों के बाद एक कहानी पोस्ट की है मित्रो. अगर समय हो, और मन भी हो तो पढ लीजियेगा . मुझे बहुत खुशी होगी . आपको भी शायद कहानी अच्छी लगे… अपनी बात...पर वन्दना अवस्थी दुबे |
कार्टून :- अब तो नक्सवाद ख़त्म हो के रहेगा...Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून |
अन्त में.. "जिन्दादिली का प्रमाण दो"जिन्दा हो गर, तो जिन्दादिली का प्रमाण दो। मुर्दों की तरह, बुज-दिली के मत निशान दो.. |