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शनिवार, मई 11, 2013

क्योंकि मैं स्त्री थी

शनिवार की चर्चा में आपका स्वागत है 



नाज़ुक रिश्ता या यादों का सफ़र या जीवन 




कौन बच पाया है 




अब है हमारी बारी 



तो हो जाये 



तो करिये लाइकू :)



क्या याद है 


एक माँ का अचानक खो जाना

कुछ कमी तो छोडेगा 


जब ज़ख्म कुछ रिसते हैं 

शायद हलचल कोई मच जाये 



और सुबह होते ही अपने तालाब में जा छुपती हूँ 



आसान नहीं मुश्किलों से पार पाना 


क्योंकि मैं स्त्री थी 




एक बटा दो दो बटे चार 
छोटी छोटी बातों में
 बँट गया संसार



ज़ुबाँ पे दर्द भरी दास्ताँ चली आयी



सनम को लिखने को कहा होता तो अफ़साना बना देती



बच के रहना रे बाबा



जहाँ घुटने पेट में ही मुडते हैं 



खा ले बेटा रेलगाडी 



गरीबी को नहीं गरीब को ही मिटायें 



तुम भी तुम्हारा अक्स भी 


अब और क्या कहूँ 


कुछ तो है 


क्या पता 


फिर भी तरसे नैन अभागे 




ज़िन्दगी ना जिसकी बदलती है 



शायद अब असर हो जाये 


 आज तो है बस कागज़ी शेर


कितने कर्ज़ उतारूँ माँ..... ? »
मुमकिन कहाँ एक भी कर्ज़ उतारना 


वक्त ने किया क्या हसीं सितम

शुभकामनायें 


कुछ तेरा कुछ मेरा नया ज़माना होगा 

गुलाबों की तरह ज़ेहन में 


किस्मत से कौन कब है जीता 


किसी ख्वाब की ताबीर सी है 



कुछ रिश्ते .....होते हैं बहुत खूबसूरत...........!!...

जिसने जोडना सीखा हो वो कभी हार नही मानता


आगे देखिए..."मयंक का कोना"
(1)
मेरे अल्फाज़ अब तुम मुझसे यूँ दग़ा न करो..
मां जानता हूँ चन्द महोनों से,
मैंने कागज़ पर नहीं उतारा तुमको....
(2)
ग़ाफ़िल की अमानत
आज
चला गया सहसा
अपने पार्श्व अवस्थित कमरे में
जो
मेरी जी से भी प्यारी राजदुलारी का है
जिसे
मैंने कल ही तो बिदा किया है....

(3)
रेलमंत्री पवन कुमार बंसल और कानून मंत्री अश्वनी कुमार का इस्तीफा लेने में यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी के पसीने छूट गए। सियासी गलियारे में चर्चा है कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह आज पूरे रंग में थे और इस्तीफे के बारे में 7 आरसीआर यानि प्रधानमंत्री आवास पहुंची सोनिया गांधी को मनमोहन सिंह ने धीरे-धीरे ही सही लेकिन खूब खरी-खरी सुनाई...
सामाग्री : -  पाँच  गिलास शर्बत के लिए गर्मियों मे कुछ ठंडा हो जाए । बेल की तासीर भी ठंडी होती है और ये पौष्टिक भी होता है बनाने मे भी बेहद आसान है। 
(5)
*फरमाबरदार बनूँ औलाद या शौहर वफादार , 
औरत की नज़र में हर मर्द है बेकार . 
करता अदा हर फ़र्ज़ हूँ मक़बूलियत के साथ ,
 माँ की करूँ सेवा टहल ,बेगम को दे पगार ...
(6)
कुछ तो बक रे !
मेरा फोटो
ओ बकरे ! इस पर तू भी कुछ तो बक रे ! मियाँ आओ - तनिक मिमयाओ । कौन सा फूंका मन्त्र ? कौन सा किया तंत्र ? गर्दन पर छुरी चली या छुरी पर गर्दन रखी ? हलाल हुए या मालामाल हुए ? क्या नज़र उतारी ? पटरी पर आई क्या रेलगाड़ी ? रिश्तों के निकले कच्चे धागे क्या बल हार गया बला के आगे ? बकरे ! कुछ तो बक रे !...
(7)
आँगन में हर सिंगार .

हमारे आँगन में दरवाज़े के पास निश्छल खड़े तुम सबको तकते हो अपना साम्राज्य स्थापित किये हो सालों से..तुम ही हर आगंतुक का स्वागत करते हो ..... भोर होते ही झूमती हैं नन्ही रचनाएं जो तुम्हारी शाखा से विमुख हो धरा को चूमती हैं ..... अभिमान से धरा को ढक सबके कदम चूमती हैं अरे हाँ तुम ही हो ना मेरे आँगन के हर सिंगार ...
एक प्रयास मेरा भी पर अरुणा

आज के लिये इतना ही ………फिर मिलते हैं तब तक के लिये शुभविदा

20 टिप्‍पणियां:

  1. बढ़िया लिंक्स दी हैं वन्दना जी |आपकी पसंद बहुत अच्छी लगी |कुछ तो पढ़ ली हैं बाकी दोपहर में |
    आशा

    जवाब देंहटाएं
  2. आदरणीया बहन वन्दना गुप्ता जी।
    आपने क्योंकि मैं स्त्री थी ( चर्चा मंच- 1241) में बहुत सार्थक और सामयिक लिंकों का समावेश किया है!
    सप्ताहान्त की चर्चा को विस्तार देकर आपने पढ़ने के लिए काफी कुछ दे दिया है आज तो...!
    सादर...आभार!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

    जवाब देंहटाएं
  3. चर्चा के साथ आपकी चुटकियाँ भी शानदार हैं !

    जवाब देंहटाएं
  4. वन्दना जी , अच्छे लिंक्स हैं..अच्छी चर्चा.आभार..

    जवाब देंहटाएं
  5. अच्छे लिंक दिया आपने वंदना जी मेरे लिंक को भी सामिल करने के लिए धन्यवाद !

    जवाब देंहटाएं
  6. Aapka chayan vividhta se bharaa hai, aaj soch raha hoon ki main yahan baar-baar kyon nahin aata.

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. प्रबोध कुमार गोविल जी आपको चर्चा पसन्द आयी उसके लिये आभार ………हम तो चर्चा लगाते ही पाठकों के लिये हैं ताकि उन्हें एक ही जगह काफ़ी रचनायें पढने को मिल जायें आप आयेंगे तो हमें भी खुशी होगी।

      हटाएं
  7. आज की चर्चा का शीर्षक बहुत ही बढिया है, इसमें संदेश और संवेदना दोनो है।
    लिंक्स बहुत सारे है, छुट्टी भी है, पहुंचते हैं बारी बारी।
    मुझे जगह देने के लिए आपका बहुत बहुत आभार...

    जवाब देंहटाएं
  8. मेरी रचना को सम्मिलित करने के लिये आपका आभार वन्दना जी ! आज सभी लिंक्स बहुत अच्छे हैं ! इस विलक्षण प्रस्तुति के लिये बधाई !

    जवाब देंहटाएं
  9. बहुत प्रभावी प्रस्तुतीकरण वंदना जी !

    जवाब देंहटाएं
  10. आज की प्रस्तुति प्रभावशाली है. वंदनाजी आभार!!

    सुज्ञ के लेख - लोभ चर्चामंच पर रखने के लिए आभार


    देखें - सुज्ञ: दंभी लेखक

    जवाब देंहटाएं
  11. शुक्रिया वंदना जी .....इस मंच पर मेरी रचना को रखने के लिए ...सभी लिंक सुंदर विभिन्नता लिए हुए .....

    जवाब देंहटाएं
  12. अच्छा चयन है, आभारी हूँ वंदना जी!

    जवाब देंहटाएं
  13. शुक्रिया के बहाने कई खूबसूरत अनदेखे लिंक पढ़ने को मिल जाते हैं लेकिन लिखित हाज़िरी चाह कर भी नहीं हो पाती..

    जवाब देंहटाएं
  14. काफी दिनों बाद लौटा। ताजगी का अनुभव हुआ।

    जवाब देंहटाएं
  15. वंदना जी मेरी रचना को चर्चा मे शामिल करने के लिए शुक्रिया

    जवाब देंहटाएं
  16. सभी लिंक्स बहुत अच्छे हैं ! अभी कुछ लिंक्स पर जाना संभव नहीं हो पाया ! नेट की समस्या ... :( कल फिर कोशिश करेंगे !
    मेरी रचना को स्थान देने का हार्दिक आभार !:)
    ~सादर!!!

    जवाब देंहटाएं
  17. सभी मित्रों को नमस्कार , मेरी रचना भी सम्मिलित है आभार आपका ...............सभी लिंक देखे अच्छे चमक रहे हैं अब पढने जा रही हूँ .........सादर

    जवाब देंहटाएं

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