मित्रों!
आज से शारदेय नवरात्रों का प्रारम्भ हो रहा है।
माता का स्मरण करते हुए
अपनी पसन्द के कुछ लिंक
--
जिसके सिर पर हो सदा, माता का आशीष।
वो ही तो कहलायगा, वाणी का वागीश।...
--
--
बाल कहानी
--
--
शान्त *चित्ति के फैसले, करें लोक कल्यान |
चिदानन्द संदोह से, होय आत्म-उत्थान |
--
एक ही सार्वभौमिक परिचय पत्र जारी किया जाये
* परिचय पत्र इन्टरनेट पर प्रकाशित हो
*परिचय पत्र PAAS PORT की भांति अनिवार्य हो ...
--
बकवास महामन्त्र का जाप करें
खुद को महान योगी सिद्ध करें ..
--
--
--
शीर्षकहीन
*प्रिय मित्रों मुझे बताते हुए बहुत ख़ुशी हो रही है कि मेरी ग़ज़ल युबा सुघोष ,बर्ष -२, अंक ८, अक्टूबर २०१३ में प्रकाशित हुयी है . आप भी अपनी प्रतिक्रिया से अबगत कराएँ ..
आपका ब्लॉग पर मदन मोहन सक्सेना
*प्रिय मित्रों मुझे बताते हुए बहुत ख़ुशी हो रही है कि मेरी ग़ज़ल युबा सुघोष ,बर्ष -२, अंक ८, अक्टूबर २०१३ में प्रकाशित हुयी है . आप भी अपनी प्रतिक्रिया से अबगत कराएँ ..
आपका ब्लॉग पर मदन मोहन सक्सेना
--
चिरंतन काल से रहा है यह धर्म क्योंकि जो रास्ता ईश्वर की तरफ जाता है वह कभी नष्ट नहीं होता। न इसका कोई आदि है न अंत अनादि है यह आचरण जिसे धारण किया जाता है।
Virendra Kumar Sharma --
परमात्मा : ईश्वर : सर्वभूतानां हृद्देशेर्जुन तिष्ठति (भगवद गीता १८. ६१ )
Virendra Kumar Sharma
--
इस देश को कुछ लोग चला रहे है : राहुल गांधी
(मगर पिटाई क्यू हुई ? )
AAWAZ पर SACCHAI
--
पाँच दोहे,
काव्यान्जलि पर धीरेन्द्र सिंह भदौरिया
--
मैं ग़ज़ल लिखूँ या गीत लिखूँ ?
--
"प्रीत उपहार हो जायेगा"
सुख का सूरज
--
'देवालय' बनाम 'शौचालय'
मुद्दा फिर चर्चा में है। कभी स्व. काशीराम, कभी जयराम रमेश और अब नरेन्द्र मोदी ....पर इसे मात्र मुद्दे और विचारों तक रखने की ही जरुरत नहीं है, इस पर ठोस पहल और कार्य की भी जरुरत है। आज भी भारत में तमाम महिलाएं 'शौचालय' के अभाव में अपने स्वास्थ्य से लेकर सामाजिक अस्मिता तक के लिए जद्दोजहद कर रही हैं। स्कूलों में 'शौचालय' के अभाव में बेटियों का स्कूल जाना तक दूभर हो जाता है। ग्रामीण क्षेत्रों में तो काफी बुरी स्थिति है। पहले घर और स्कूलों को इस लायक बनाएं कि महिलाएं वहाँ आराम से और इज्जत से रह सकें, फिर तो 'देवालय' बन ही जाएंगें....
शब्द-शिखर पर Akanksha Yadav
--
हँसता है रावण
लाखों रावण जले देश में फिर भी हँसता है
रावण मारो जितना, नहीं मरूँगा गर्व से कहता है
रावण मेरी कितनी ऊँचाई है जा कर पुतलों में देखो
हारोगे ही चूँकि सबके दिल में बसता है ...
मनोरमा पर श्यामल सुमन
--
संग तराशोगे-
उन्नयन पर udaya veer singh
--
पोवारी से तंगलिंग गाँव के शिखर तक
जाट देवता का सफर/journey
--
मैं अकेला
Akanksha पर Asha Saxena
--
स्वच्छ गगन
स्वच्छ गगन मे सुवर्ण सी धूप भोर की किरण ने आ जगाया ।
अर्ध उन्मीलित नेत्र उनींदा मानस आलस्य पूरित यह तन मन पंछियों ने राग सुनाया...
नूतन ( उद्गार) पर Annapurna Bajpai
--
डा. मलय जटिल नहीं है ..
पानी ही बहुत आत्मीय "
पानी
अपनी तरलता में गहरा है
अपनी सिधाई में जाता है
झुकता मुड़ता
नीचे की ओर
जाकर नीचे रह लेता है
अंधे कुँए तक में
पर पानी ...
मिसफिट Misfit
--
baap ki raah par
beta bhi gaya kaam se ...hari ommmmmm
Albela Khtari
--
चंद्रकांता की कवितायें
इस दशक में एक प्रवृति की तरह उभरी स्त्री आन्दोलन की तीक्ष्ण अभिव्यक्ति वाली कवितायें लिखने वाले स्त्री स्वरों के क्रम में ही चंद्रकांता एक तिक्त और स्पष्ट स्वर हैं. उनके यहाँ जो चीज़ विशेष ध्यानाकर्षित करती है वह है मध्य वर्ग से आगे जाकर सर्वहारा स्त्रियों के बीच उन समस्याओं और विडम्बनाओं को लक्षित करने की क्षमता. हालांकि उनकी संस्कृतनिष्ठता की तरफ झुकी भाषा कई बार इसमें व्यवधान पैदा करती है, लेकिन इनके तेवरों और पक्षधरता को देखते हुए यह उम्मीद की ही जा सकती है कि आने वाले समय में ...
असुविधा....पर
--
ग़ज़ल - सबके सपने..
*सबके सपने सच कब होते **?
खाएँ मगर इनमें सब गोते ॥
जो बेवजह ही हँसते अक्सर
उनमें झरते ग़म के सोते ...
डॉ. हीरालाल प्रजापति
--
कार्टून :- बिनु WiFi जेल, नेता बिनु बेल, प्रभु कैसा खेल !
काजल कुमार के कार्टून
Virendra Kumar Sharma --
परमात्मा : ईश्वर : सर्वभूतानां हृद्देशेर्जुन तिष्ठति (भगवद गीता १८. ६१ )
Virendra Kumar Sharma
--
इस देश को कुछ लोग चला रहे है : राहुल गांधी
(मगर पिटाई क्यू हुई ? )
AAWAZ पर SACCHAI
--
पाँच दोहे,
काव्यान्जलि पर धीरेन्द्र सिंह भदौरिया
--
मैं ग़ज़ल लिखूँ या गीत लिखूँ ?
छंदों की फुहार हैं भीगे अशआर हैं
कहे कलम क्या; सृजन करूँ ?
मैं ग़ज़ल लिखूँ या गीत लिखूँ ?
जो नित नए रंग बदलते हों
पल पल में साथ बदलते हों
नूतन परिधानों की मानिंद
हर दिन नव हाथ बदलते हों
उन अपनों को क्या लिखूँ?
रकीब लिखूँ या कि मीत लिखूँ
मैं ग़ज़ल लिखूँ या गीत लिखूँ ?
HINDI KAVITAYEN ,AAPKE VICHAAR पर Rajesh Kumari--
"प्रीत उपहार हो जायेगा"
काव्य संकलन सुख का सूरज से
एक गीत
एक गीत
गीत गाते रहो, गुनगुनाते रहो,
एक दिन मीत संसार हो जायेगा।
चमचमाते रहो, जगमगाते रहो,
एक दिन प्रीत उपहार हो जायेगा।।
एक दिन मीत संसार हो जायेगा।
चमचमाते रहो, जगमगाते रहो,
एक दिन प्रीत उपहार हो जायेगा।।
--
'देवालय' बनाम 'शौचालय'
मुद्दा फिर चर्चा में है। कभी स्व. काशीराम, कभी जयराम रमेश और अब नरेन्द्र मोदी ....पर इसे मात्र मुद्दे और विचारों तक रखने की ही जरुरत नहीं है, इस पर ठोस पहल और कार्य की भी जरुरत है। आज भी भारत में तमाम महिलाएं 'शौचालय' के अभाव में अपने स्वास्थ्य से लेकर सामाजिक अस्मिता तक के लिए जद्दोजहद कर रही हैं। स्कूलों में 'शौचालय' के अभाव में बेटियों का स्कूल जाना तक दूभर हो जाता है। ग्रामीण क्षेत्रों में तो काफी बुरी स्थिति है। पहले घर और स्कूलों को इस लायक बनाएं कि महिलाएं वहाँ आराम से और इज्जत से रह सकें, फिर तो 'देवालय' बन ही जाएंगें....
शब्द-शिखर पर Akanksha Yadav
--
हँसता है रावण
लाखों रावण जले देश में फिर भी हँसता है
रावण मारो जितना, नहीं मरूँगा गर्व से कहता है
रावण मेरी कितनी ऊँचाई है जा कर पुतलों में देखो
हारोगे ही चूँकि सबके दिल में बसता है ...
मनोरमा पर श्यामल सुमन
--
संग तराशोगे-
उन्नयन पर udaya veer singh
--
पोवारी से तंगलिंग गाँव के शिखर तक
जाट देवता का सफर/journey
--
मैं अकेला
Akanksha पर Asha Saxena
--
स्वच्छ गगन
स्वच्छ गगन मे सुवर्ण सी धूप भोर की किरण ने आ जगाया ।
अर्ध उन्मीलित नेत्र उनींदा मानस आलस्य पूरित यह तन मन पंछियों ने राग सुनाया...
नूतन ( उद्गार) पर Annapurna Bajpai
--
डा. मलय जटिल नहीं है ..
पानी ही बहुत आत्मीय "
पानी
अपनी तरलता में गहरा है
अपनी सिधाई में जाता है
झुकता मुड़ता
नीचे की ओर
जाकर नीचे रह लेता है
अंधे कुँए तक में
पर पानी ...
मिसफिट Misfit
--
baap ki raah par
beta bhi gaya kaam se ...hari ommmmmm
Albela Khtari
--
चंद्रकांता की कवितायें
इस दशक में एक प्रवृति की तरह उभरी स्त्री आन्दोलन की तीक्ष्ण अभिव्यक्ति वाली कवितायें लिखने वाले स्त्री स्वरों के क्रम में ही चंद्रकांता एक तिक्त और स्पष्ट स्वर हैं. उनके यहाँ जो चीज़ विशेष ध्यानाकर्षित करती है वह है मध्य वर्ग से आगे जाकर सर्वहारा स्त्रियों के बीच उन समस्याओं और विडम्बनाओं को लक्षित करने की क्षमता. हालांकि उनकी संस्कृतनिष्ठता की तरफ झुकी भाषा कई बार इसमें व्यवधान पैदा करती है, लेकिन इनके तेवरों और पक्षधरता को देखते हुए यह उम्मीद की ही जा सकती है कि आने वाले समय में ...
असुविधा....पर
--
ग़ज़ल - सबके सपने..
*सबके सपने सच कब होते **?
खाएँ मगर इनमें सब गोते ॥
जो बेवजह ही हँसते अक्सर
उनमें झरते ग़म के सोते ...
डॉ. हीरालाल प्रजापति
--
कार्टून :- बिनु WiFi जेल, नेता बिनु बेल, प्रभु कैसा खेल !
काजल कुमार के कार्टून
सुंदर लिंक्स। कुछ पर घूम आई, कुछ पर जाऊँगी।
जवाब देंहटाएंआज के सन्दर्भ में कई लिंक्स |मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार |
जवाब देंहटाएंशारदे नवरात्रि पर हार्दिक शुभकामनाएं |
आशा
सुन्दर सूत्रों से सुसज्जित चर्चा,नवरात्रि पर हार्दिक शुभकामनाएं |
जवाब देंहटाएंनवरात्रि पर्व की शुभकामनायें...........सुंदर चर्चा.......
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंनवरात्रि की शुभकामनायें-
पठनीय सूत्रों की सुन्दर सुसज्जित चर्चा !
जवाब देंहटाएंमेरी पोस्ट को शामिल करने के लिए आभार शास्त्री जी !
नवरात्रि पर हार्दिक शुभकामनाएं |
जी. आज यहां से भी कुछ बेहतरीन पोस्ट पढ़ने को मिलीं . धन्यवाद.
जवाब देंहटाएंshubhkaamnaayen.
जवाब देंहटाएंबड़े ही सुन्दर सूत्र, नवरात्रि की शुभकामनायें।
जवाब देंहटाएंआदरणीय शास्त्री जी बहुत शानदार चर्चा बधाई आपको ,पठनीय सूत्र संकलन ,मेरी रचना को शामिल करने के लिए हार्दिक आभार आपका| नवरात्रि की आपको आपके परवार के साथ सभी मित्रों को शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा-
जवाब देंहटाएंशुभ नवरात्रि-
अलग अंदाज ओर बेहतरीन लिंक ...यही तो खासियत है चर्चा मंच की
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग की लिंक को शामिल करने के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय शास्त्री जी
कुछ नये अंदाज में सजी है आज की सुंदर चर्चा !
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद ! रूपचन्द्र शास्त्री मयंक जी ! मेरी रचना ''सबके सपने..............''शामिल करने के लिए !
जवाब देंहटाएंसुंदर लिंक्स से सजा चर्चामंच।
जवाब देंहटाएं