आज की मंगलवारीय चर्चा में आप सब का स्वागत है राजेश कुमारी की आप सब को नमस्ते , आप सब का दिन मंगल मय हो ,अब चलते हैं आपके प्यारे ब्लॉग्स पर......
स्मृतियाँ
expression at याने मेरे दिल से
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वह कामरेड न हो सका
अरुण चन्द्र रॉय at सरोकार -
"दोहे-उलझे हुए सवाल" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
रूपचन्द्र शास्त्री मयंक at उच्चारण
शहजादे कहना नहीं, करूँ अन्यथा बंद -
रविकर at "लिंक-लिक्खाड़"
Bomb Blast का क़िस्सा
DR. ANWER JAMAL at Blog News
नौजवानो की नहीं तवलीन जी की निराशा को समझिये .
Shalini Kaushik at ! कौशल !
हिंदी साहित्य पहेली 106 विश्व प्रसिद्ध पत्र के लेखक को पहचानना है
अशोक कुमार शुक्ला at हिंदी साहित्य पहेली
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हर सन्नाटे को कभी न कभी टूटना होता है और त्योहार उसका सबसे
अच्छा कारण बन सकते हैं ।
पंकज सुबीर at सुबीर संवाद सेवा -
इन मुखोटों की सच्चाई तुम क्या जानो ...!
Upasna Siag at नयी उड़ान
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बददुआ ...
उदय - uday at कडुवा सच ..
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"हाथी" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
रूपचन्द्र शास्त्री मयंक at हँसता गाता बचपन -
कड़ुवा चौथ
noreply@blogger.com (पुरुषोत्तम पाण्डेय) at जाले
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न माँ की सेहत की चिंता
shikha kaushik at भारतीय नारी
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पीछे मुडकर
आशा जोगळेकर at स्व प्न रं जि ता
दुखी आत्मा
Surendra shukla" Bhramar"5 at BHRAMAR KA DARD
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रितेश मिश्र की कविताएँ
Ashok Kumar Pandey at असुविधा
आज की
चर्चा यहीं समाप्त करती
हूँ फिर चर्चामंच पर
हाजिर होऊँगी कुछ
नए सूत्रों के साथ
तब तक के लिए
शुभ विदा बाय बाय ||
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"मयंक का कोना"
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मधु "मुस्कान"
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Albela Khtari
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बैठ मजे से मेरी छत पर,
दाना-दुनका खाती हो!
दाना-दुनका खाती हो!
उछल-कूद करती रहती हो,
सबके मन को भाती हो!!
तुमको पास बुलाने को,
मैं मूँगफली दिखलाता हूँ,
कट्टो-कट्टो कहकर तुमको,
जब आवाज लगाता हूँ,
कुट-कुट करती हुई तभी तुम,
जल्दी से आ जाती हो!
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आपका ब्लॉग पर वीरेद्र कुमार शर्मा
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आओ मिल सब दिया जलाएँ
अज्ञान का बादल घना है, पापमय मानस बना है।
भ्रश्ट, उच्छृंखल व्यवस्था, देखकर मन अनमना है।।
कर्म का दीपक स्नेह की बाती, जलाकर आओ तम भगाएं
आओ मिल सब दिया जलाएँ...
अज्ञान का बादल घना है, पापमय मानस बना है।
भ्रश्ट, उच्छृंखल व्यवस्था, देखकर मन अनमना है।।
कर्म का दीपक स्नेह की बाती, जलाकर आओ तम भगाएं
आओ मिल सब दिया जलाएँ...
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यह व्रत परंपरा से हमारे परिवार में नही किया जाता था
परन्तु बच्चोके हित की कामना से
बस मैंने भी बच्चो के जन्म से कुछ दिन पहले ही
इस व्रत को करने की मन्नत मान ली ...
Abhilasha पर नीलिमा शर्मा
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होगा सुमन कमाल हम ही सेहोते सारे काल हम ही से जीवन के जंजाल
हम ही से यूँ तो हम धरती पर जीते आते हैं भूचाल...
मनोरमा पर श्यामल सुमन
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पता नहीं समझने में कौन ज्यादा जोर लगाता है
लिखे हुऐ से लिखने वाले के बारे में पता चलता है
क्या पता चलता है जब पढ़ने वाला स्वीकार करता है
लिखने वाले के लिखे हुऐ का कुछ कुछ मतलब निकलता है...
उल्लूक टाईम्स पर Sushil Kumar Joshi
बेमौसम की आँधियाँ, दिखा रही औकात।
जवाब देंहटाएंकैसे डाली पर टिकें, मुरझाये से पात।।
मोदी के आगे नहीं इनकी कुछ औकात ,
कहते इनको "आई-एम्" खूब लगाते घात।
लिस्ट लिए था घूमता मंद मति कल रात ,
बित्ता भर का कद नहीं ,पल पल पे उत्पात।
बहुत सुन्दर प्रस्तुति है दोहों की -
जीवन एक पहाड़ है, कहीं चढ़ाई-ढाल।
परेशान करते बहुत, उलझे हुए सवाल।।
बेमौसम की आँधियाँ, दिखा रही औकात।
जवाब देंहटाएंकैसे डाली पर टिकें, मुरझाये से पात।।
मोदी के आगे नहीं इनकी कुछ औकात ,
कहते इनको "आई-एम्" खूब लगाते घात।
लिस्ट लिए था घूमता मंद मति कल रात ,
बित्ता भर का कद नहीं ,पल पल पे उत्पात।
बहुत सुन्दर प्रस्तुति है दोहों की -
"दोहे-उलझे हुए सवाल" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
रूपचन्द्र शास्त्री मयंक at उच्चारण
जीवन एक पहाड़ है, कहीं चढ़ाई-ढाल।
परेशान करते बहुत, उलझे हुए सवाल।।
बैठ मजे से मेरी छत पर,
जवाब देंहटाएंदाना-दुनका खाती हो!
उछल-कूद करती रहती हो,
सबके मन को भाती हो!!
वाह !क्या सांगितिकता है बाल गीत में। कर्मठता का सन्देश लिए -
पेड़ों की कोटर में बैठी
धूप गुनगुनी सेंक रही हो,
कुछ अपनी ही धुन में ऐंठी
टुकर-टुकरकर देख रही हो,
भागो-दौड़ो आलस छोड़ो,
सीख हमें सिखलाती हो!
उछल-कूद करती रहती हो,
सबके मन को भाती हो!!
फोटू भी गज़ब की ल्याई है भाई।
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
शुभभावना से प्रेरित सुन्दर रचना -तमसो मा ज्योतिर्गमय।
जवाब देंहटाएंआओ मिल सब दिया जलाएँ
अज्ञान का बादल घना है, पापमय मानस बना है।
भ्रश्ट, उच्छृंखल व्यवस्था, देखकर मन अनमना है।।
कर्म का दीपक स्नेह की बाती, जलाकर आओ तम भगाएं
आओ मिल सब दिया जलाएँ...
आपका ब्लॉग पर Ramesh Pandey
बढ़िया सेतु चयन बढ़िया समायोजन और सन्देश। आभार हमें खपाने को इस चर्चा में बैठाने को।
जवाब देंहटाएंबढ़िया सेतु चयन बढ़िया समायोजन और सन्देश। आभार हमें खपाने को इस चर्चा में बैठाने को।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर दोस्त -
मोदी वाला छंद लिखो
खुलो खूब निर्बंध लिखो।
.यहाँ तक कि दामिनी वाले छंद पर और मोदी वाली पैरोडी पर तो लोगों ने आ कर मालाओं और गुलदस्ते से अभिनन्दन भी किया ....कुल मिला कर यह एक वास्तविक अखिल भारतीय कवि सम्मेलन था जहाँ कवितायें सुनीं और सराही गयीं
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ख़ूब जमा कोटा दशहरा मेला का
अखिल भारतीय कवि सम्मेलन
Albela Khtari
तू रोया था लेकिन आंसू मेरे थे ,
जवाब देंहटाएंमेरी पावन स्मृतियों में तेरे खवाब घनेरे थे।
मधु सिंह : अश्रु मेरे दृग तेरे थे
स्मृतिओं की घाटी में
लिए बचन के फेरे थे
महातिमिर की बेला में
तुमने ही दिए सवेरे थे ||1||
महाकाल जब गरज उठा था
जब क्रंदन के अश्रु बहे थे
जब-जब जली भूख की ज्वाला
तुमने ही दिए बसेरे थे ||2||...
मधु "मुस्कान"
बहुत सशक्त अभिव्यक्ति विरोधी भाव लिए प्रणय और उत्पीड़न के।
बहुत सुन्दर चर्चा।
जवाब देंहटाएंआपका आभार बहन राजेश कुमारी जी।
'हिन्दी साहित्य पहेली' को चर्चामंच में शामिल करने का आभार
जवाब देंहटाएंSir,
जवाब देंहटाएंBahut hi achchhe links ke sath huyi yah charcha bahut achchhi lagi....mujhe isme shamil karne ke liye abhar....
Hemant
वाह ! सुंदर सूत्र सुंदर चर्चा !
जवाब देंहटाएंउल्लूक की एक बात
पता नहीं समझने में
कौन ज्यादा जोर लगाता है
को जगह दी आभार !
jaandaar ...
जवाब देंहटाएंumda links ..meri rachna ko sthan dene ke liy aapka hridy se aabhar shastree ji
जवाब देंहटाएंआभार दीदी-
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा मंच-
सुंदर चर्चा कभी पधारे...
जवाब देंहटाएंमन का मंथन पर भी...
बहुत बढ़िया चर्चा है राजेश जी...
जवाब देंहटाएंहमारी रचना को शामिल करने का शुक्रिया..
सादर
अनु
हमारी रचना को चर्चामंच में शामिल करने का आभार.
जवाब देंहटाएंसुंदर चर्चा ! आ. राजेश जी .
जवाब देंहटाएंमस्त चर्चा सूत्र ..
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया चर्चा प्रस्तुति ...
जवाब देंहटाएंचर्चा के लिए चयन में आपने बहुत मेहनत की है, बहुविध सूत्रों को पिरोया है. मेरी कहानी को भी आपने स्थान दिया है, हार्दिक धन्यवाद.
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर चयनित लिंक्स ,,,
जवाब देंहटाएंRECENT POST -: तुलसी बिन सून लगे अंगना
आप सभी का हार्दिक आभार
जवाब देंहटाएंसुंदर चिठ्ठों से सजी चर्चा। मेरी रचना को इसमें शामिल करने का बहुत आभार।
जवाब देंहटाएंरोचक सूत्र..
जवाब देंहटाएं