नमस्कार मित्रों, मैं राजेंद्र कुमार चर्चा मंच पर आपका हार्दिक अभिनन्दन करता हूँ। आइये आज आज की चर्चा की शुरुआत माँ की वन्दना से करते हैं
सर्वमंगलमंगलये शिवे सर्वार्थसाधिके।
शरण्ये त्रयम्बके गौरि नारायणि नमोऽतु ते।।
शरणांगतदीन आर्त परित्राण परायणे
सर्वस्यार्तिहरे देवी नारायणि नमोऽस्तु ते।।
सर्वस्वरूपे सर्वेशे सर्वशक्तिसमन्विते।
भयेभ्यारत्नाहि नो देवि दुर्गे देवि नमोऽस्तु ते।।
चिट़ठी मेरे नाम की
रश्मि शर्मा
ट्रिन-ट्रिन
साईकिल की घंटी सुन
घर से कई बार
मैं अब भी बाहर निकल जाती हूं
रश्मि शर्मा
ट्रिन-ट्रिन
साईकिल की घंटी सुन
घर से कई बार
मैं अब भी बाहर निकल जाती हूं
मंदारं शिखरं दृष्ट्वा
राजीव कुमार झा
"मंदारं शिखरं दृष्ट्वा ,दृष्ट्वा वा मधुसूदनः
कामधेन्वा मुखं दृष्ट्वा ,पुनर्जन्म न विध्यते"
राजीव कुमार झा
"मंदारं शिखरं दृष्ट्वा ,दृष्ट्वा वा मधुसूदनः
कामधेन्वा मुखं दृष्ट्वा ,पुनर्जन्म न विध्यते"
जब से इन्होने जनम लिया है, देश में नफरत आई है
सतीश सक्सेना
जहाँ गए ये , उठा किताबें, वहीँ हिकारत पायी है !
हवस में अंधे नारी और पुरुष:एक ही रथ के सवार
शालिनी कौशिक
''रामायण ''आजकल देखा जाना परमावश्यक और परमप्रिय उद्योग है .जहा एक ओर रामायण देखने पर हमारा राम के मर्यादा पुरषोत्तम चरित्र से परिचय होता है
भक्तियोग रसावतार जगद्गुरु श्री कृपालुजी महाराज
वीरेन्द्र कुमार शर्मा
आरती प्रीतम प्यारी की ,कि बनवारी नथवारी की।
दुहुन सिर कनक मुकुट छलके ,दुहुन श्रुति कुंडल भल हलके ,
दुहुन दृग प्रेम सुधा छलके ,चसीले बैन ,रसीले नैन गसीले सैन ,
दुहुन मेनन मनहारी की ,कि बनवारी नथवारी की।
आरती प्रीतम प्यारी की ,कि नथवारी बनवारी की।
वीरेन्द्र कुमार शर्मा
आरती प्रीतम प्यारी की ,कि बनवारी नथवारी की।
दुहुन सिर कनक मुकुट छलके ,दुहुन श्रुति कुंडल भल हलके ,
दुहुन दृग प्रेम सुधा छलके ,चसीले बैन ,रसीले नैन गसीले सैन ,
दुहुन मेनन मनहारी की ,कि बनवारी नथवारी की।
आरती प्रीतम प्यारी की ,कि नथवारी बनवारी की।
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बाबा की सराय में बबुए
इष्ट देव सांकृत्यायन
अपना सामान J कमरे में टिका कर और फ्रेश होकर नीचे उतरा तो संतोष त्रिवेदी,हर्षवर्धन, शकुंतला जी और कुछ और लोग लॉन में टहलते मिले. एक सज्जन और दिखे, जाने-पहचाने से. शुबहा हुआ कि दूधनाथ जी (जो कि थे भी) हैं. अनिल अंकित जी से कुछ बतिया रहे थे, लिहाजा बीच में टोकना अच्छा नहीं लगा
इष्ट देव सांकृत्यायन
अपना सामान J कमरे में टिका कर और फ्रेश होकर नीचे उतरा तो संतोष त्रिवेदी,हर्षवर्धन, शकुंतला जी और कुछ और लोग लॉन में टहलते मिले. एक सज्जन और दिखे, जाने-पहचाने से. शुबहा हुआ कि दूधनाथ जी (जो कि थे भी) हैं. अनिल अंकित जी से कुछ बतिया रहे थे, लिहाजा बीच में टोकना अच्छा नहीं लगा
"करो स्वागत की तैयारी कि वो सब आने वाले हैं"
सुरेश राय
करो स्वागत की तैयारी कि वो सब आने वाले हैं
नए कमरे भी बनवाओ जैल सब भर जाने वाले है
सुरेश राय
करो स्वागत की तैयारी कि वो सब आने वाले हैं
नए कमरे भी बनवाओ जैल सब भर जाने वाले है
"ग़ज़ल"
सरोज
घाट की चढ़ती सीढ़ी तेरी, तुझे आसमां दिखलाए है
उतरती सीढ़ी मेरी जो पानी में आसमां झलकाए है
यहीं हमारा ठौर-ठिकाना, अब यही हमारी दुनिया है
पिंजरे की चिड़िया दूजे को हरपल यही समझाए है
सरोज
घाट की चढ़ती सीढ़ी तेरी, तुझे आसमां दिखलाए है
उतरती सीढ़ी मेरी जो पानी में आसमां झलकाए है
यहीं हमारा ठौर-ठिकाना, अब यही हमारी दुनिया है
पिंजरे की चिड़िया दूजे को हरपल यही समझाए है
Listen Online Radio FM
आमिर दुबई
अब रेडियो ने इंटरनेट पर आकर ऑनलाइन सेवा भी शुरू कर दी। कई रेडियो FM के दीवाने इसे इन्टरनेट के जरिये ऑनलाइन भी सुनते हैं। आज मै आपके लिए कुछ चुनिन्दा रेडियो FM चैनल्स के लिंक्स लाया हूँ ,जहाँ आप ऑनलाइन रेडियो सुन सकते हैं।
आमिर दुबई
एक सबक
रेखा जोशी
यह घटना लगभग तीस वर्ष पहले की है ,गर्मियों की छुटियों में मै अपने दोनों बेटों के साथ फ्रंटीयर मेल गाड़ी से अमृतसर से दिल्ली जा रही थी ,भीड़ अधिक होने के कारण बहुत मुश्किल से हमे स्लीपर क्लास में दो बर्थ मिल गई ,नीचे की बर्थ पर मैने अपना बिस्तर लगा लिया और बीच वाली बर्थ पर अपने बड़े बेटे का बिस्तर लगा दिया
रेखा जोशी
यह घटना लगभग तीस वर्ष पहले की है ,गर्मियों की छुटियों में मै अपने दोनों बेटों के साथ फ्रंटीयर मेल गाड़ी से अमृतसर से दिल्ली जा रही थी ,भीड़ अधिक होने के कारण बहुत मुश्किल से हमे स्लीपर क्लास में दो बर्थ मिल गई ,नीचे की बर्थ पर मैने अपना बिस्तर लगा लिया और बीच वाली बर्थ पर अपने बड़े बेटे का बिस्तर लगा दिया
(डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
नभ में उड़ती इठलाती है।
मुझको पतंग बहुत भाती है।।
रंग-बिरंगी चिड़िया जैसी,
लहर-लहर लहराती है।।
मुझको पतंग बहुत भाती है।।
रंग-बिरंगी चिड़िया जैसी,
लहर-लहर लहराती है।।
खाली मन झलकाए उसको
अनीता जी
हमारे मन में न जाने कितने प्रकार के भय छिपे हैं, चेतन मन के भय दिख जाते हैं, अचेतन मन के भय जो छिपे रहते हैं कभी-कभी उभर कर सताते हैं.
अनीता जी
हमारे मन में न जाने कितने प्रकार के भय छिपे हैं, चेतन मन के भय दिख जाते हैं, अचेतन मन के भय जो छिपे रहते हैं कभी-कभी उभर कर सताते हैं.
हाँ से खेलें देह दो, वर्षों कामुक खेल
रविकर जी
हाँ से खेलें देह दो, वर्षों कामुक खेल |
दर्ज शिकायत इक करे, हो दूजे को जेल |
हो दूजे को जेल, नौकरी शादी झाँसा |
यह सिद्धांत अपेल, बना अब अच्छा-खाँसा |
हुई मौज वह झूठ, कौन अब किसको फाँसे
रिश्ते की शुरुवात, हुई थी लेकिन हाँ से |
रविकर जी
दर्ज शिकायत इक करे, हो दूजे को जेल |
हो दूजे को जेल, नौकरी शादी झाँसा |
यह सिद्धांत अपेल, बना अब अच्छा-खाँसा |
हुई मौज वह झूठ, कौन अब किसको फाँसे
रिश्ते की शुरुवात, हुई थी लेकिन हाँ से |
दो कविताएँ
सहज साहित्य
सुभाष लखेड़ा /सीमा स्मृति
1.
अभी अधिक वक़्त नहीं बीता
जब इंसान घरों में रहता था
धीरे - धीरे वह तरक्की करता गया
घरों को छोड़ उड़ने लगा
2.
हर क्षण होठों पर सिमटी
मुस्कराहट के पीछे
क्या आपने देखी है-बनावट की मोटी परत
सहज साहित्य
सुभाष लखेड़ा /सीमा स्मृति
1.
अभी अधिक वक़्त नहीं बीता
जब इंसान घरों में रहता था
धीरे - धीरे वह तरक्की करता गया
घरों को छोड़ उड़ने लगा
2.
हर क्षण होठों पर सिमटी
मुस्कराहट के पीछे
क्या आपने देखी है-बनावट की मोटी परत
बेहतरीन सिक्योरिटी टिप्स
Abhimanyu Bhardwaj
आपको बता दें कि यह माह My Big Guide पर Computer Security Plus के रूप में मनाया जा रहा है, इसी क्रम में आज आपको
Abhimanyu Bhardwaj
अंत में एक अनमोल वचन पर मनन करते हैं।
इसी के साथ आप सबको शुभ विदा मिलते हैं अगले शुक्रवार को कुछ नये
लिंकों के साथ। आपका दिन मंगलमय हो।
लिंकों के साथ। आपका दिन मंगलमय हो।
जारी है
'मयंक का कोना'
--
वोट इसको जो दिया तुमने तो क्या पाओगे
तमाशा-ए-जिंदगी पर तुषार राज रस्तोगी
--
बुत जो मोम रहा न पत्थर !
ये पन्ने ........सारे मेरे अपने -पर Divya Shukla -
--
वो प्यार रीत गया क्यूँ !! ....
सादर ब्लॉगस्ते! पर Annapurna Bajpai
--
ज़िन्दगी
बिखरे पन्नों के हर शब्द में , झलक दिखाती संवारती है ज़िन्दगी
हवाओं की सरगोशियों में भी , दरस दिखा ज़िंदा रखती है ज़िन्दगी...
झरोख़ा पर निवेदिता श्रीवास्तव
--
अबकी अपना वोट कहाँ पर देंगे आप तिवारी जी
अबकी अपना वोट सबने केवल धोखे बांटे सबने की गद्दारी जी
अबकी अपना वोट कहाँ पर देंगे आप तिवारी जी ...
छान्दसिक अनुगायन पर जयकृष्ण राय तुषार
--
कार्टून :- अब जेलों का प्राइवेटाइज़ेशन
काजल कुमार के कार्टून
--
पत्ते झड़ते शाखों से
*सुख-दुःख की आँख-मिचौनी *
*और उनका ये दीवानापन *
*साथ लिए अपने आता है *
*अल्हड सा मस्तानापन,...
My Expression पर Dr.NISHA MAHARANA
--
संत पहाड़
१ अडिग खड़ा देखे कई बसंत संत पहाड़
२ उगले ज्वाला गर्म काली लहरे स्याह धरती
३ चंचल भानू रास्ता रोके खड़ा है बूढा पर्वत ...
sapne(सपने) पर shashi purwar
--
फुर्सत मिली तो जाना ,सब काम हैं अधूरे ,
क्या -क्या करें जहां में दो हाथ आदमी के।आपका ब्लॉगपरVirendra Kumar Sharma
--
"चाँद और रात"
*विरह की अग्नि में दग्ध क्यों हो निशा, *
*क्यों सँवारे हुए अपना श्रृंगार हो।*
*क्यों सजाए हैं नयनों में सुन्दर सपन, *
*किसको देने चली आज उपहार हो।*...
काग़ज़ की नाव
--
राम तुलसी को कोस रहा होता
अगर वो सब तब नहीं आज हो रहा होता
हुआ तो बहुत कुछ था
एक मोटी किताब में सब कुछ लिखा गया है
कुछ समझ में आ जाता है जो नहीं आता है
सब समझ चुके विद्वानो से पूछ लिया जाता है
मान लिया जाता है पढ़ा लिखा आदमी
कभी भी किसी को बेवकूफ नहीं बनाता है...
उल्लूक टाईम्सपरSushil Kumar Joshi
--
चालू लालू
अभिनव सृजन पर डॉ. नागेश पांडेय संज
--
पर ग़ज़ल गुनगुनाने को दिल चाहिए
मेरे पहलू से जाने को दिल चाहिए यूँ मुझे आजमाने को दिल चाहिए
बात बिगड़ी हुई भी है बनती मगर बात बिगड़ी बनाने को दिल चाहिए ...
ग़ाफ़िल की अमानत पर चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’
--
बेटी
(१) घर की शान हैं बेटियाँ सुख की बहार हैं बेटियाँ
उन बिन घर अधूरा है मन की मुराद हैं बेटियाँ...
Akanksha पर Asha Saxena
--
"दोहे-राजनीति का खेल"
'मयंक का कोना'
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वोट इसको जो दिया तुमने तो क्या पाओगे
तमाशा-ए-जिंदगी पर तुषार राज रस्तोगी
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बुत जो मोम रहा न पत्थर !
ये पन्ने ........सारे मेरे अपने -पर Divya Shukla -
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वो प्यार रीत गया क्यूँ !! ....
सादर ब्लॉगस्ते! पर Annapurna Bajpai
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ज़िन्दगी
बिखरे पन्नों के हर शब्द में , झलक दिखाती संवारती है ज़िन्दगी
हवाओं की सरगोशियों में भी , दरस दिखा ज़िंदा रखती है ज़िन्दगी...
झरोख़ा पर निवेदिता श्रीवास्तव
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अबकी अपना वोट कहाँ पर देंगे आप तिवारी जी
अबकी अपना वोट सबने केवल धोखे बांटे सबने की गद्दारी जी
अबकी अपना वोट कहाँ पर देंगे आप तिवारी जी ...
छान्दसिक अनुगायन पर जयकृष्ण राय तुषार
--
कार्टून :- अब जेलों का प्राइवेटाइज़ेशन
काजल कुमार के कार्टून
--
पत्ते झड़ते शाखों से
*सुख-दुःख की आँख-मिचौनी *
*और उनका ये दीवानापन *
*साथ लिए अपने आता है *
*अल्हड सा मस्तानापन,...
My Expression पर Dr.NISHA MAHARANA
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संत पहाड़
१ अडिग खड़ा देखे कई बसंत संत पहाड़
२ उगले ज्वाला गर्म काली लहरे स्याह धरती
३ चंचल भानू रास्ता रोके खड़ा है बूढा पर्वत ...
sapne(सपने) पर shashi purwar
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फुर्सत मिली तो जाना ,सब काम हैं अधूरे ,
क्या -क्या करें जहां में दो हाथ आदमी के।आपका ब्लॉगपरVirendra Kumar Sharma
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"चाँद और रात"
*विरह की अग्नि में दग्ध क्यों हो निशा, *
*क्यों सँवारे हुए अपना श्रृंगार हो।*
*क्यों सजाए हैं नयनों में सुन्दर सपन, *
*किसको देने चली आज उपहार हो।*...
काग़ज़ की नाव
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राम तुलसी को कोस रहा होता
अगर वो सब तब नहीं आज हो रहा होता
हुआ तो बहुत कुछ था
एक मोटी किताब में सब कुछ लिखा गया है
कुछ समझ में आ जाता है जो नहीं आता है
सब समझ चुके विद्वानो से पूछ लिया जाता है
मान लिया जाता है पढ़ा लिखा आदमी
कभी भी किसी को बेवकूफ नहीं बनाता है...
उल्लूक टाईम्सपरSushil Kumar Joshi
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चालू लालू
अभिनव सृजन पर डॉ. नागेश पांडेय संज
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पर ग़ज़ल गुनगुनाने को दिल चाहिए
मेरे पहलू से जाने को दिल चाहिए यूँ मुझे आजमाने को दिल चाहिए
बात बिगड़ी हुई भी है बनती मगर बात बिगड़ी बनाने को दिल चाहिए ...
ग़ाफ़िल की अमानत पर चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’
--
बेटी
(१) घर की शान हैं बेटियाँ सुख की बहार हैं बेटियाँ
उन बिन घर अधूरा है मन की मुराद हैं बेटियाँ...
Akanksha पर Asha Saxena
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"दोहे-राजनीति का खेल"
जहाँ नेवला-साँप का, हो जाता है मेल।
कुछ ऐसा ही समझिए, राजनीति का खेल।।
रहते हरदम ताक में, कब दें किसे पछाड़।
जिसका हो वर्चस्व कुछ, लेते उसकी आड़।।
उच्चारण
शुभ प्रभात!
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया चर्चा प्रस्तुति।
आभार!
dhanyavad , bahut sundar charcha , shukriya chacha ji hamen parivar me shamil karne hetu , abhaar
हटाएंबहुत सुन्दर और स्तरीय चर्चा।
जवाब देंहटाएंआभार भाई राजेन्द्र कुमार जी।
धन्यवाद जी कार्टून को भी सम्मिलित करने के लिए
जवाब देंहटाएंअत्यन्त रोचक व पठनीय सूत्र
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर सरल सुबोध जानकारी का खजाना है यह प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंमंदारं शिखरं दृष्ट्वा
राजीव कुमार झा
"मंदारं शिखरं दृष्ट्वा ,दृष्ट्वा वा मधुसूदनः
कामधेन्वा मुखं दृष्ट्वा ,पुनर्जन्म न विध्यते"
मौक़ा भी है लालूजी अन्दर हैं फ़ाइव स्टार करवा देंगें सब जेलन ने।
जवाब देंहटाएंकार्टून :- अब जेलों का प्राइवेटाइज़ेशन
काजल कुमार के कार्टून
बहुत सुन्दर सरल सुबोध जानकारी का खजाना है यह प्रस्तुति। बालकों के लिए अनुपम भेंट।
जवाब देंहटाएं♥ पतंग ♥
(डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
नभ में उड़ती इठलाती है।
मुझको पतंग बहुत भाती है।।
रंग-बिरंगी चिड़िया जैसी,
लहर-लहर लहराती है।।
दिल को लूटा है सब ने बड़े शौक से
जवाब देंहटाएंशौक से दिल लुटाने को दिल चाहिए
एक ग़ाफ़िल ने भी लिख तो डाली ग़ज़ल
पर ग़ज़ल गुनगुनाने को दिल चाहिए
क्या बात है गाफिल साहब :
मार देती है गाफिल की सबको गजल ,
हुस्न वालों की बस एक नजर चाहिए।
१) घर की शान हैं बेटियाँ सुख की बहार हैं बेटियाँ
जवाब देंहटाएंउन बिन घर अधूरा है मन की मुराद हैं बेटियाँ...
महा-लक्ष्मियों को प्रणाम।
...
ग़ाफ़िल की अमानत पर चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’
--
बेटी
जवाब देंहटाएंलालू जी शैतान बहुत हैं,
चालू भी हैं ये.
अपना काम बना लेते
झगड़ालू भी हैं ये.
मूंगफली मैंने दिलवायीं,
दाने गटक गए.
मैंने मांगी मूंगफली तो
छिलके पटक गए
बहुत सुन्दर सरल सुबोध बाल मन की सुगबुगाहट लिए।
अभिनव सृजन पर डॉ. नागेश पांडेय संज
पत्ते झड़ते शाखों से
जवाब देंहटाएंफूलों बिन सूना उपवन
कब-कौन -कहाँ चल देता है
कैसा ये बेगानापन,…
क्या बात है जीवन की नश्वरता की ओर संकेत .
पत्ते झड़ते शाखों से
*सुख-दुःख की आँख-मिचौनी *
*और उनका ये दीवानापन *
*साथ लिए अपने आता है *
*अल्हड सा मस्तानापन,...
My Expression पर Dr.NISHA MAHARANA
जवाब देंहटाएंएक ग़ज़ल -अबकी अपना वोट
सबने केवल धोखे बांटे सबने की गद्दारी जी
अबकी अपना वोट कहाँ पर देंगे आप तिवारी जी
आसमान से भूखे -प्यासे भोले पंछी उतरे हैं
दाने देखे -देख न पाए फैले ज़ाल शिकारी जी
फिर बच्चे खुश हो जायेंगे जोर -जोर तालियाँ बजा
वही पुराने करतब लेकर आये गाँव मदारी जी
राजनीति का दलदल यारों देखो कितना गहरा है
राजा के ही साथ फंसे हैं सबके सब दरबारी जी
इस बस्ती में प्यार -मोहब्बत का अब कोई जिक्र नहीं
हत्याओं के लिए शहर में बांटी गयी सुपारी जी
घर की लाज बचाना मालिक इन आँखों से नींद उड़ी
चोर हो गये जिनको हमने सौंपी पहरेदारी जी
राम नाम की ओढ़ चुनरिया मोहजाल से भागे थे
मन्दिर में ही चोरी करते पकडे गये पुजारी जी
आज के हालात पे कितनी प्रासंगिक है यह गजल। नै हो या पुरानी ,गजल कही सुहानी।
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अबकी अपना वोट कहाँ पर देंगे आप तिवारी जी
अबकी अपना वोट सबने केवल धोखे बांटे सबने की गद्दारी जी
अबकी अपना वोट कहाँ पर देंगे आप तिवारी जी ...
छान्दसिक अनुगायन पर जयकृष्ण राय तुषार
जवाब देंहटाएंअखिलेशवा से हार चुके हो पहले अब और क्या चाहिए। आज़म खान ने आपकी वंशावली का बखान कर दिया आप ज़वाब दो राहुल भैये।
नेताओं की नेकि
श्रीराम राय
अजी क्या बात है क्या अंदाज़ है आपका।
जवाब देंहटाएंहाँ से खेलें देह दो, वर्षों कामुक खेल
रविकर जी
हाँ से खेलें देह दो, वर्षों कामुक खेल |
दर्ज शिकायत इक करे, हो दूजे को जेल |
हो दूजे को जेल, नौकरी शादी झाँसा |
यह सिद्धांत अपेल, बना अब अच्छा-खाँसा |
हुई मौज वह झूठ, कौन अब किसको फाँसे
रिश्ते की शुरुवात, हुई थी लेकिन हाँ से |
हवा,नदी,मिटटी की खुशबू,को भी बाँट के खायेंगे !
जवाब देंहटाएंइन्होने माँ के टुकड़े करने,की भी शोहरत पायी है !
घर के आँगन में,बबूल के वृक्ष को, रोज़ सींचते हैं !
इन्हें देखकर , बच्चे सहमें , ऎसी सूरत पायी है !
क्या बात है सतीश भाई सक्सेना भाई तालिबान (छात्र )होने का मतलब समझा दिया। अब इंसानों के बस्ती में तालिबान ही होते हैं। आखिरी दो शैरों को हमने थोड़ा यूं लिया है :
हवा नदी मिट्टी की खुश्बू को भी बाँट के खायेंगे ,
माँ के टुकड़े करने की कसमें जो इन्होनें खायीं हैं।
घर आँगन में रोज़ इन्होनें पेड़ बबूल के बोये हैं ,
इन्हें देखकर ,बच्चे सहमें ,ऐसी सूरत पाई है।
जब से इन्होने जनम लिया है, देश में नफरत आई है
सतीश सक्सेना
तालिबान हों किसी कौम के,कैसी फितरत पायी है !
जहाँ गए ये , उठा किताबें, वहीँ हिकारत पायी है !
चर्चामंच की आभामय प्रस्तुति. सादर धन्यवाद ! राजेंन्द्र जी. चर्चामंच में मेरी प्रथम प्रवेशी रचना 'मंदारं शिखरं दृष्ट्वा' के लिए आभार.
जवाब देंहटाएंआदरणीय वीरेन्द्र जी का आभार ! सराहना के लिए .
आज की खूबसूरत चर्चा में उल्लूक की रचना
जवाब देंहटाएंराम तुलसी को कोस रहा होता
अगर वो सब तब नहीं आज हो रहा होता
को स्थान देने पर आभार !
राजेन्द्र जी,
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचनाओं से सजाया है चर्चा मंच जरुर पढूंगी,
मुझे शामिल करने का आभार, नवरात्री की शुभकामनाएं !
बहुत सुंदर चर्चा
जवाब देंहटाएंअच्छे लिंक्स
क्या बात! क्या बात!
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुति एवं लिंक्स संयोजन. आभार!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर बेहतरीन चर्चा | मेरी रचना को शामिल करने के लिए आभर डाक्टर साब :)
जवाब देंहटाएंराजेन्द्र जी, माँ की स्तुति से आरम्भ सुंदर चर्चा..बहुत बहुत आभार !
जवाब देंहटाएंआदरणीय राजेन्द्र जी,
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचनाओं से सजाया है चर्चा मंच
मुझे शामिल करने का आभार, नवरात्री की शुभकामनाएं
सुन्दर प्रस्तुति-
जवाब देंहटाएंआभार आदरणीय-
बहुत सुंदर चर्चा
जवाब देंहटाएंअच्छे लिंक्स
ati sundar ..thanks nd aabhar .....
जवाब देंहटाएंबहुआयामी सूत्रों से सजा आज का चर्चामंच
जवाब देंहटाएंमेरी रचना शामिल करने कि लिए आभार |
आशा
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंJindagi Do Pal Ki Hai Ya, Ye Keh Lo Jindagi Aur Kuch Bhi Nahi Bas Teri Meri Kahnai Hai, Likho Love Poems, प्यार की कहानियाँ Aur Bhi Bahut Kuch Online.
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया लिंक संकलन | सभी पठनीय सूत्र |
जवाब देंहटाएंमेरी चाहत
बहुत सुंदर चर्चा...मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार..
जवाब देंहटाएंbahut sundar links............navratri ki shubhkamnaye............
जवाब देंहटाएंआपका बहुत -बहुत आभार शास्त्री जी |
जवाब देंहटाएं