मित्रों।
शुक्रवार की चर्चा
केवल इस शुक्रवार के लिए
मेरी पसन्द के लिंक
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वो मुझे नागपूर में मिली थी , पडोस के मकान में रहती है ,जब भी सासुमां से मिलने जाती हूं उससे भी मुलाकात हो जाती है , दो प्यारे -प्यारे बेटे हैं उसके ... इस बार वो बहुत दिनों तक दिखी नहीं , मेरी वापसी का दिन पास आ गया ...
मेरे मन की पर Archana
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प्राणायाम की मुद्रा में साधक विचरण करता लुंगगोमपा इस दुनियां में बहुत से रहस्य हैं.बहुत सी तांत्रिक साधनाएं हैं, जिनके बारे में हमें पता नहीं होता और जो सामान्य व्यक्तियों की निगाहों से दूर ही रहती हैं...
देहात पर राजीव कुमार झा
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junbishen 88
मेरा ईमान यक़ीनन, है अधूरा ही अभी,
बर्क रफ़्तार है, मशगूले-सफर,
मैं क़यासों१४ के मनाज़िल१५ पे, नहीं ठहरूंगा,
हार मानूंगा नहीं...
Junbishen पर Munkir
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Blog News पर DR. ANWER JAMAL
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चाँद ज़रा जब मद्धम-सा हो जाता है
अम्बर जाने क्यूँ तन्हा हो जाता है...
मेरी धरोहर पर yashoda agrawal
मेरी धरोहर पर yashoda agrawal
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सिर्फ एक दिन के लिए तुम आये
और तुमने महका दिया
मेरा तन मन हमारा घर आंगन ,
अब जबकि तुम पास नहीं हो
पर तुम्हारी खुशबू तुम्हारा वजूद
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मैं और मेरी तन्हाई अक्सर ढूँढते हैं
उस अक्स को जिसमें वजूद मेरा खो गया
मुझे अपने में समेटकर शायद
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सुना है सृजन करते करते जब थक जाते हो और अपनी माया समेट लेते हो
तब योगमाया की गोद में विश्राम करते हो
अनंत काल तक उसके बाद योगमाया द्वारा तुम्हें जगाना
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मुद्दतों से कैद हैं कुछ पर्चियां लिक्खी हुई
पूछना ना कौन से पल में कहां लिक्खी हुई
बंदिशें हैं तितलियों के खिलखिलाने पे यहाँ
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माँ जब तुम याद करती हो मुझे हिचकी आती है
पीठ पर लदा जीत का सामान हिल जाता है----
विजय पथ पर चलने में तकलीफ होती है----
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अपनी ख़ामोशी जो मैंने नहीं गढ़ी
फिर भी वक़्त की माँग पर जिसे मैंने स्वीकार किया
वहाँ मोह की आकृतियाँ
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लड़खड़ाते कदमों से,
लिपटा हुआ चिथड़ों से,
दुर्बल तन, शिथिल मन;
लिए हाँथ में भिक्षा का प्याला !
वह देखो भिक्षुक सभय,
पथ पर चला आ रहा है...
अन्तर्गगन पर धीरेन्द्र अस्थाना
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अपनी दुनिया में से निकाल कर एक दिन ऐसा दे दे मुझे...
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जब से ज़ालिम हुआ जमाना
उलझ गया सब ताना-बाना
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“रूप” रंग से सबको उल्फत
है किसने दिल को पहचाना?
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आपके जीवन में मैं हूँ
कड़कड़ाती ठण्ड हो, हम अपने आपमें ही सिमट रहे हों और कोई बाहें अपनी सी उष्मा देने को दिखायी नहीं दे रही हो तभी ऐसे में सूरज की गुनगुनी धूप आपको उष्मित कर दे तब आप झट से सूरज की ओर ताकेंगे, उसी समय सूरज मुस्कराता हुआ आपसे कहे कि तुम्हारे जीवन में मैं हूँ, वह क्षण आपके लिए अनमोल होगा।
जब आप उमस से बेहाल हो, पसीने से तरबतर हों और बेचैनी में कोई मार्ग दिखायी नहीं दे रहा हो, उस समय कहीं से मेघ घिर आएं और अपनी बूंदों से आपको सरोबार कर दें, तब आप मेघों को कितने अपनेपन से देखेंगे? मेघ भी आपको मुस्कराकर उत्तर दें कि आपके जीवन में मैं हूँ, तब आपके लिए दुनिया कितनी रंग-बिरंगी हो जाएगी।
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और दूसरी बात ये की हमारे यहाँ मेरे कजन शुभम और शोर्य आये हुए है तो घर पर मस्ती ही मस्ती... | |||
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माँ ने मुझे बहुत पहले से हिंदी लिखना सिखाना शुरू किया था |
अब मुझे भी हिंदी लिखना खूब भा रहा है |
मेरी स्कूल में भी टीचर को मेरी हिंदी की लिखाई बहुत पसंद है...
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होते नहीं कभी तुम मेरे पास
बस तुम्हारे होने भर का अहसास
क्या - क्या गज़ब ढाता है
खिल उठते हैं शीत के कांस
साथ गुलमोहर मुस्काता है।
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गरम पानी के स्त्रोतों के लिए मशहूर ,
वशिष्ठ ,..जो कि मनाली से मात्र ३ किलो मीटर दूर है I ..
यहाँ पे भगवान राम का मंदिर है...
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मिट रहा था जो मेरे खातिर...
फरेबी था बड़ा
इश्क हो मुझसे उसे भी....
ये ज़रूरी तो नहीं...
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उम्र भर तेरे साथ रहेगी मेरी ये वफ़ा
हमसफ़र न बन सके तो क्या हुआ
तेरी यादों को सीने से लगाए
कट ही जाएगी ये जिंदगी
सिवा तेरे किसी और के न हो सके तो क्या...
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क्यों तुझसे इतनी, मुहब्बत है मुझे इक इसी बात की,
झंझट है मुझे कहाँ छूटेगी लत,
शौक़-ए-इबादत की मेरी ज़बीं पटकने की
अब, आदत है मुझे ये कौन बस गया
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बसती है तू तन - मन मेरे , नंदन - कानन - उपवन में
मधु "मुस्कान "
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देखता हूँ हर रोज़,आईने में अपने आप को
धुंधली यादें पर Nitish Srivastava
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कुण्डलिया : प्रेम पात सब झर गये
पीपल अब सठिया गया,रहा रात भर खाँस
प्रेम पात सब झर गये , चढ़-चढ़ जावै साँस...
सृजन मंच ऑनलाइन पर अरुण कुमार निगम
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जब अंतिम विदा दी थी मैने !!
मैने यादों की पोटली फेंक दी है नहीं सहेजना इन्हें ....
ये पन्ने ........सारे मेरे अपने -पर Divya Shukla
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पाकिस्तानी फौज हिन्दुओ को चुनकर मार रही थी :
1971 एक किताब ने खोला राज़
AAWAZ पर SACCHAI
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और अन्त में-
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आदमी जानवर को लिखना क्यों नहीं सिखाता है !
घोडे बैल या गधे को अपने आप कहां कुछ आ पाता है
बोझ उठाना वो ही उसको सिखाता है
जिसके हाथ मे जा कर पड़ जाता है
क्या उठाना है कैसे उठाना है किसका उठाना है
इस तरह की बात कोई भी नहीं कहीं सिखा पाता है ....
उल्लूक टाईम्स पर Sushil Kumar Joshi
आज शुक्रवार का
जवाब देंहटाएंचर्चामंच जगमगा रहा है
उल्लूक भी खुश है
उसका कुछ कहीं
नजर आ रहा है
आभार !
कुण्डलिया : प्रेम पात सब झर गये
जवाब देंहटाएंपीपल अब सठिया गया,रहा रात भर खाँस
प्रेम पात सब झर गये , चढ़-चढ़ जावै साँस
चढ़- चढ़ जावै साँस , कहाँ वह हरियाली है
आँख मोतियाबिंद , उसी की अब लाली है
छाँह गहे अब कौन , नहीं रहि छाया शीतल
रहा रात भर खाँस, अब सठिया गया पीपल ||
सशक्त अभिव्यंजना पीपल के मिस मेरी तेरी उसकी बात पीपल का मानवीकरण।
बढ़िया चर्चा मंच सजाया ,
जवाब देंहटाएंचुने हुए सब सेतु जमाया।
तेरी-मेरी नज़रों का बस मिलना भर
जवाब देंहटाएंमेरे लिये वो ही बोसा हो जाता है
अलग मिजाज़ की गजल।
माँ ने मुझे बहुत पहले से हिंदी लिखना सिखाना शुरू किया था |
जवाब देंहटाएंअब मुझे भी हिंदी लिखना खूब भा रहा है |
मेरी स्कूल में भी टीचर को मेरी हिंदी की लिखाई बहुत पसंद है...
चैतन्य का कोना
सुन्दर सुलेख !
इमला लिखा करो नित बेटा ,
मैं लेटी थी ,मैं लेटी थी वो मेरे ऊपर लेटा था ,
आखिर तो मेरा बेटा था।
सुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंबिदक रहा है आम आदमी।
सेकुलर सांड फिरे मस्ताना।
"है किसने दिल को पहचाना"
जब से ज़ालिम हुआ जमाना
उलझ गया सब ताना-बाना
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“रूप” रंग से सबको उल्फत
है किसने दिल को पहचाना?
चर्चामंच पर सुंदर लिंक्स की जगमगाहट . मेरे पोस्ट 'लुंगगोम : रहस्यमयी तिब्बती साधना' को शामिल करने के लिए आभार.
जवाब देंहटाएंआदरणीय शास्त्री जी ,मेरी पोस्ट को स्थान देने के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया ....आज आपने सभी लिंक दिलचस्प लगाए है हर वक़्त की तरहा
जवाब देंहटाएंsundar charcha say saja manch........meri kavita ko shamil kar kay liye abhar
जवाब देंहटाएंसुन्दर सुरभित आभामय मंच सदा यह सजा रहे
जवाब देंहटाएंकथा व्यथा जीवन की सारी लिए मंच यह सजा रहे
सुरभित संयोजन, मधुर मंद मुस्कान लिए है ,सारी प्रस्तुतियां
िवसतृत चरचा ... शुकरिया मुझे भी जगह देने के लिए ..
जवाब देंहटाएंसुंदर लिंक्स, आभार
जवाब देंहटाएंbehtreen links...
जवाब देंहटाएंसुंदर लिंक्स.;मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार..;
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद मयंक भाई, मेरी नयी रचना को यहाँ लगाने और पसंद करने के लिए। बाकी पूरा मंच पठनीय सामग्रियों से भरी है।
जवाब देंहटाएंसुन्दर व सार्थक चर्चा
जवाब देंहटाएंबहुत उम्दा चर्चा |
जवाब देंहटाएंएक से एक बढ़ कर लिंक्स चुने हैं आपने....!
जवाब देंहटाएंआपकी संलग्नता स्पष्ट दिखती है...!
मुझे यहाँ स्थान देने के लिए हार्दिक धन्यवाद...!!
,रोचक पठनीय और प्रभावशाली रचनाओं का संग्रह
जवाब देंहटाएंसंयोजन के लिए साधुवाद---
सभी रचनाकारों को बधाई
उत्कृष्ट प्रस्तुति-------
मुझे सम्मलित करने का आभार
सादर
बड़े ही रोचक और सुन्दर सूत्र..
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