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बुधवार, अक्टूबर 30, 2013

मधुमक्खी मकरंद, इन्हीं कमलों से लेती : चर्चा मंच 1414

 खुदा देश की नींव, लगाते दुष्ट कहकहा -

लिंक-लिक्खाड़ 

Politics में शेर और भेड़ियों के बीच अन्डरस्टैंडिन्ग


DR. ANWER JAMAL 

 कहानियाँ देते सुना, भुना रहे प्रोनोट |
दूजे को लगता सदा, पहले में है खोट |

पहले में है खोट, पोट कर रखते वोटर |
कठफुड़वा की टोंट, बना देती है कोठर |

बैठे हिंसक जीव, चला गठजोड़ आ रहा |
खुदा देश की नींव, लगाते दुष्ट कहकहा ||











बोले थे जो जनार्दन, दिखे वही छल छंद । 
शहजादे कहना नहीं, करूँ अन्यथा बंद । 

करूँ अन्यथा बंद, लगेंगे दो दिन केवल। 
आइ यस आई लिंक, बना लेता क्या सम्बल । 

हो पटने में ब्लास्ट, जहर मानव-बम घोले । 
पर बच जाता मंच, पुन: मोदी यह बोले ॥  

परंपरा --

Indu Kalkhande 
चालू म्यूजिक लॉन्च पर, तू कर रैली बंद |
आतंकी उद्देश्य सा, बकते मंत्री चन्द |

बकते मंत्री चन्द, अगर भगदड़ मच जाती |
मरते कई हजार, भीड़ भी फिर गुस्साती |

तोड़ फोड़ धिक्कार, हँसे आतंकी-खालू |
यह कैसा व्यवहार, मंत्रि-परिषद् अति चालू || 


घटना करते थे कहीं, शरण यहाँ पर पाय |
भटकल क्या पकड़ा गया, जाती बुद्धि नशाय |

जाती बुद्धि नशाय, हिरन झाड़ी खा जाए |
मारे तीर नितीश, नजर तू जैसे आये |

बोध गया विस्फोट, व्यर्थ दहलाया पटना |
रे आतंकी मूर्ख, आत्मघाती ये घटना || 

कितनी छिछली हरकतें, कर आयोग विचार-

कार्टून :- चुनाव चि‍न्‍ह के खेल

तालाबों को ढक रहे, हाथी पिछली बार |
कितनी छिछली हरकतें, कर आयोग विचार |

कर आयोग विचार, किसानों की यह खेती |
मधुमक्खी मकरंद, इन्हीं कमलों से लेती |

दिखी कांग्रेस धूर्त, कलेजा कितना काला |
पंजा दे कटवाए, साइकिल में भी ताला || 




सत्य वचन थे कुँवर के, आज सुवर भी सत्य |
दोष संघ पर दें लगा, बिना जांच बिन तथ्य | 

बिना जांच बिन तथ्य, बड़े बडबोले नेता |
हुई सभा सम्पन्न, सभा के धन्य प्रणेता |

बीता आफत-काल, हकीकत आये आगे |
फिर से खड़े सवाल, किन्तु सुन नेता भागे ||




संघी फासीवाद


Ish Mishra

संघी फासीवाद जहां भी जाता अपनी जहालत का शोर मचाता वह बजरंगी कुत्तों की भीड़ जुटाता आग लगाता, लूट मचाता, कत्ल कराता मां-बहनों की खुले-आम इज्जत लुटवाता इसी को हिंदू संस्कृति बतलाता इसके हैं इससे भी ज़ाहिल चमचे डिग्री लेकर त्रिसूल बांटते मानवता का गला घोंटते बन गया यह गर देश का नेता होगा इन चमचों का चहेता चमचे नहीं जानते इतिहास हिटलरों का होता ही है सत्यानाश

बिहार आतंकवादी हमला :फायदा एकमात्र 

भाजपा 

को .


Shalini Kaushik


एक गिलहरी-----।

हेमंत कुमार ♠ Hemant Kumar 
 

मेरी लंबी कहानी,..

Priti Surana 

अनजाने जाने पहचाने चेहरे

तुषार राज रस्तोगी 
 

श्याम खाटु जी के दर्शनोपरांत तीन दिनों के एक यादगार सफर का समापन

गगन शर्मा, कुछ अलग सा 


जिसको लेखक समझा हमने,यह केवल हरकारा है - सतीश सक्सेना

सतीश सक्सेना 
 

ज़िन्दगी कुछ इस तरह बसर किया हमने...अवधेश कुमार जौहरी

डा. मेराज अहमद

ले ले प्याज ले ...

रजनीश तिवारी

"बालगीत-गिलहरी" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')

रूपचन्द्र शास्त्री मयंक 


फुलमनी


Neeraj Kumar


"गीत गाना जानते हैं" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')

रूपचन्द्र शास्त्री मयंक 
 


कांग्रेस की राजनीति को ध्वस्त करते मोदी

HARSHVARDHAN TRIPATHI 


हिंदी साहित्य के प्रमुख हस्ताक्षर राजेंद्र यादव

मदन मोहन सक्सेना 

झूठ चादर से ढक नहीं पाते ...

(दिगम्बर नासवा) 


बेतरतीब मैं (उन्तीस अक्टूबर )

Sonal Rastogi 

"मयंक का कोना"
--
कुछ लिंक आपका ब्लॉग से
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पौरबत्य दर्शन में शब्द को रूप का सूक्ष्म बीज माना गया है। 
शब्द के आधार पर ही रूप खड़ा होता है।3. What you can do to protect yourself from the spiritual ill-effects of Halloween--
अपना जमीर जिंदा रख

दिल में थोडी सी पीर जिंदा रख।
यानी अपने आंखों का नीर जिंदा रख...
--
"राजेंद्र यादव " साहित्यजगत की अपूरणीय क्षति

--
गजल
मेरे माता पिता ही तीर्थ हैं हर धाम से पहले
चला थामे मैं उँगली उनकी नित हर काम से पहले...

--
एक तरह से मौत में से भी बाज़ार निकाल लेने की जुगत है।
ऐसी ही परम्परा है हेलोवीन की। 
भूत प्रेत का स्वांग धरके डराना। 
माहौल को भूतहा बनाना।
--
मिलिए कुछ राष्ट्रीय सेकुलरों से पहचानिये 
इनके सरगना को समझिये इनकी फितरत 
:जानिये भाईजान !
इस देश में सेकुलर होने का क्या मतलब है 
--
पहले राज्य के मामलों में चर्च का हस्तक्षेप था 
जिसका खामियाज़ा अनेक चोटी के विज्ञानियों ने उठाया था। 
गैलीलियो की तो आँखें ही फोड़ दी गईं थीं चर्च के आदेश पर।
--
लोकतंत्र के गुनहगार हमलोग

सत्यार्थमित्र पर सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी

--
डायरी के पन्‍नों से...

आइये, कुछ बातें करें ! (Let's Talk) पर

मनोज कुमार श्रीवास्तव 
--
जाऊं कहाँ ?
(डायरी से एक और रचना ) 
आजमा के देखे लाखों तरीके, 
पर बेकरारी दिल की मिटटी ही नहीं, 
सुकून देने दिल को, जाऊं तो जाऊं कहाँ ? 
चारो तरफ तो बस हैं, अपने ही अपने, 
अपनों की भीड़ में ही खो गया हूँ शायद, 
खुद को ढूंढ लाने, जाऊं तो जाऊं कहाँ...
मेरा काव्य-पिटारा पर 

ई. प्रदीप कुमार साहनी
--
नैन उनके भी नम थे ......

उन्नयन पर udaya veer singh 

--
ग़र कोई आरज़ू हो तो अब मोहलत न रही....
मामून कहीं रह जाऊँ, 
अब वो हाजत न रही ये दामन कहीं बिछ जाए, 
मुझे आदत न रही जिस्मों में 
ग़ैरों के भी यहाँ लोग जीते हैं ...
काव्य मंजूषा पर स्वप्न मञ्जूषा

--
असहमतियों का सौंदर्य निखारते थे राजेन्द्र यादव

प्रतिभा की दुनिया ...पर Pratibha Katiyar

--
"रौशनी की हम कतारें ला रहे हैं" 
अब धरा पर रह न जाये तम कहीं,
रौशनी की हम कतारें ला रहे हैं।
इस दिवाली पर दियों के रूप में,
चाँद-सूरज और सितारे आ रहे हैं।।

दीपकों की बातियों को तेल का अवलेह दो,
जगमगाने के लिए भरपूर इनको नेह दो।
चहकती दीपावली हर द्वार पर हों
महकती लड़ियाँ सजीं दीवार पर हों।
शारदा-लक्ष्मी-गजानन देव को,
स्वच्छ-सुन्दर नीड़ ज्यादा भा रहे हैं।
उच्चारण
--
कार्टून :- सोने वाले बाबा तेरी सदाई जै.

Kajal Kumar's Cartoons 

काजल कुमार के कार्टून

35 टिप्‍पणियां:

  1. शुभ प्रभात!
    बहुत बढ़िया चर्चा प्रस्तुति ..

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत मेहनत से सजाई सुंदर चर्चा , मेरे पोस्ट को स्थान देने के लिए हार्दिक आभार ..

    जवाब देंहटाएं
  3. दुखद है राजेंद्र यादव जी का जाना
    श्रद्धांजलि !
    रविकर की चर्चा हमेशा की तरह शानदार चर्चा !

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत सुन्दर ढंग से की गयी चर्चा।
    रविकर जी एक सुझाव है मेरा-
    सभी कलर टेबिलों की चौड़ाई 590 पिक्सेल ही रखेंगे तो
    सभी रंगों की पट्टियाँ समान दिखाई देंगी।
    --
    आभार आपका।

    जवाब देंहटाएं
  5. सच्चाई....पर।
    --
    ओह....।
    चौंकाने वाले आँकड़े हैं यह तो।
    आभार।

    जवाब देंहटाएं
  6. रविकर...
    --
    टिप्पणियों में शानदार ढ़ंग से भाव प्रकट करते हैां
    रविकर जी आप तो।

    जवाब देंहटाएं
  7. परम्परा पर...।
    --
    ऐसा नहीं करेंगे तो कैसे काबिज रह पायेंगे मन्त्री पद पर।

    जवाब देंहटाएं
  8. रविकर पुंज...।
    --
    वाह...।
    बहुत सुन्दर और सार्थक प्रस्तुति।

    जवाब देंहटाएं
  9. हिन्दू आतंकवाद की गन्ध क्यों?
    --
    क्योंकि....
    हिन्दू...हिंसा से दूर है।
    हिं + दू - हिन्दू

    जवाब देंहटाएं
  10. संघी फासीवाद
    --
    सबकी अपनी-अपनी सोच है।।
    मुंडे-मुंडे मतिर्भिन्नाः।

    जवाब देंहटाएं
  11. मेरी लम्बी कहानी
    --
    सपनों की सुन्दर फसल, अरमानों का बीज।
    कल्पनाओं पर हो रही, अब तो कितनी खीझ।।

    जवाब देंहटाएं
  12. खाटूश्याम का यात्रा संस्मरण
    --
    खाटू श्याम की यात्रा का सचित्र संस्मरण
    मन में आस्था का संचार करता है।

    जवाब देंहटाएं
  13. अवधेश कुमार जौहरी
    --
    विरले ही होते यहाँ, अहमद के कृतज्ञ।
    जो माने एहसान को, वो होते मर्मज्ञ।।

    जवाब देंहटाएं
  14. ले ले प्याज
    --
    जल्दी जाओ हाट को, छोड़ो सारे काज।
    अब कुछ सस्ती हो गयी, लेकर आओ प्याज।।

    जवाब देंहटाएं
  15. फूलमनी
    --
    खानापूरी कर रहा, शासन औ सरकार।
    फूलमनी जैसी कई, भारत में लाचार।।

    जवाब देंहटाएं
  16. जन्मदिन बल्लभ भाई पटेल
    --
    अपनी रोटी सेंकते, राजनीति के रंक।
    कैसे निर्मल नीर को, दे पायेगी पंक।।

    जवाब देंहटाएं
  17. बतंगड़....मोदी और पंजा
    --
    किसका तगड़ा कमल है, किसका तगड़ा हाथ।
    अपने ढंग से ठेलते, अपनी-अपनी बात।।

    जवाब देंहटाएं
  18. प्रख्यात साहित्यकार राजेन्द्र यादव का जाना।
    हिन्दी साहित्य की अपूरणीय क्षति
    ---
    विनम्र श्रद्धांजलि।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. इन समाचार माध्यमों का क्या विश्वास, एक बारी इन्होंने मशहूर शायर 'निदा फाजली' को भी भेज दिया था.....

      हटाएं
  19. शुक्रिया रवि साहब ....... हर वक़्त की तरहा आज की चर्चा भी शानदार

    जवाब देंहटाएं
  20. राजेन्द्र यादव जी को विनम्र श्रधांजलि ... विस्तृत चर्चा सूत्र ...
    मेरी गज़ल को स्थान देने का आभार ...

    जवाब देंहटाएं
  21. बहुत ही उम्दा चर्चा | मेरी रचना को स्थान देने के लिए आभार |

    जवाब देंहटाएं
  22. क्या बात है जी रविकर आखिर रविकर है ,

    चर्चा चमकी ऐसी जैसे दिनकर है।

    आभार हमारा सेतु सजाने को। आभार मयंक कोने का।

    जवाब देंहटाएं

  23. Kajal Kumar's Cartoons
    काजल कुमार के कार्टून

    ज़ोरदार व्यंग्य विडंबन चित्र व्यंग्य में काजल के।

    उत्तर प्रदेश के उन्नाव ज़िले में डौंडिया खेड़ा गाँव के एक खंडहरनुमा किले में सोने की खोज में जुटी भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (एएसआई) की टीम को आठ दिन की खुदाई के बाद कुछ लोहे की कीलें, चूड़ियों के टुकड़े और मिट्टी के चूल्हे मिले हैं.

    जवाब देंहटाएं
  24. मुद्दों की ले आड़ राग सेकुलर समझाते ,

    पाने वोट आपकी हर तिकड़म अपनाते।

    शानदार दोहावली सेकुलर भेड़ों की खाल खींचती हुई।

    जवाब देंहटाएं


  25. कर्तव्य की करता न कोई होड़ है,
    अब मची अधिकार की ही दौड़ है।
    सभ्यता का भाव बौना हो गया.
    आवरण कितना घिनौना हो गया।
    संक्रमण के इस भयानक दौर में,
    दम्भ-लालच आदमी को खा रहे हैं।

    शानदार सार्थक दिवाली चिंतन।

    जवाब देंहटाएं
  26. सत्य वचन थे कुँवर के, आज सुवर भी सत्य |
    दोष संघ पर दें लगा, बिना जांच बिन तथ्य |

    बिना जांच बिन तथ्य, बड़े बडबोले नेता |
    हुई सभा सम्पन्न, सभा के धन्य प्रणेता |

    बीता आफत-काल, हकीकत आये आगे |
    फिर से खड़े सवाल, किन्तु सुन नेता भागे ||

    रविकर के लेखन की आंच दिनों दिन प्रखर होती जाए रे

    तालाबों को ढक रहे, हाथी पिछली बार |
    कितनी छिछली हरकतें, कर आयोग विचार |

    कर आयोग विचार, किसानों की यह खेती |
    मधुमक्खी मकरंद, इन्हीं कमलों से लेती |

    दिखी कांग्रेस धूर्त, कलेजा कितना काला |
    पंजा दे कटवाए, साइकिल में भी ताला ||

    बहुत खूब कह जाए हमारा सब रविकर कविराय।

    जो न आये नित यहाँ सो पाछे पछताय ,

    आओ भाई लिंक लिखाड़ी ,रहो सबसे अ-गाड़ी

    खुदा देश की नींव, लगाते दुष्ट कहकहा -

    लिंक-लिक्खाड़
    Politics में शेर और भेड़ियों के बीच अन्डरस्टैंडिन्ग

    DR. ANWER JAMAL

    Blog News
    कहानियाँ देते सुना, भुना रहे प्रोनोट |
    दूजे को लगता सदा, पहले में है खोट |

    पहले में है खोट, पोट कर रखते वोटर |
    कठफुड़वा की टोंट, बना देती है कोठर |

    बैठे हिंसक जीव, चला गठजोड़ आ रहा |
    खुदा देश की नींव, लगाते दुष्ट कहकहा ||

    जवाब देंहटाएं
  27. मान्यवर के बी रस्तोगी साहब। जहां तर्क की गुंजाइश नहीं रहती वहाँ कुतर्क काम करता है। सभी कांग्रेसियों की मुद्रा आपको यकसां मिलेगी -ये किस खेत की मूली हैं।

    ये सारे सेकुलरिस्ट हैं। कबीर ने अपने वक्त में पाखंडियों और ढोंग करने वालों पर जमकर प्रहार किया था। आज की भारत की राजनीति में सबसे बड़ा पाखंड है सेकुलरिजम। नीतिश कुमार भी इसी का झंडा उठाये हैं शालिनी जी भी।

    कबीर की पंक्ति के आशय से इस पाखंड पर कुछ दोहे देखिये -

    दिन में माला जपत हैं ,रात हनत हैं गाय ,

    सेकुलर खोजन मैं गया ,सेकुलर मिला न हाय।

    दिन में चारा खात हैं ,रात में कोयला खाएं ,

    सेकुलर खोजन मैं गया सेकुलर मिला न हाय।

    बाज़ीगर भोपाल का ,रटता सेकुलर जाए ,

    सेकुलर खोजन मैं गया ,सेकुलर मिला न हाय।

    ओसामा ओसामा जी ,सेकुलर कहता जाए ,

    सेकुलर खोजन मैं गया ,सेकुलर मिला न कोय।

    बाज़ीगर भोपाल का घाट घाट पे जाए ,

    सेकुलर खोजन मैं गया ,सेकुलर मिला न हाय।

    एक प्रतिक्रिया ब्लॉग :

    http://shalinikaushik2.blogspot.com/

    बिहार आतंकवादी हमला :फायदा एकमात्र भाजपा को .
    बिहार आतंकवादी हमला :फायदा एकमात्र भाजपा को .

    जवाब देंहटाएं
  28. मान्यवर के बी रस्तोगी साहब। जहां तर्क की गुंजाइश नहीं रहती वहाँ कुतर्क काम करता है। सभी कांग्रेसियों की मुद्रा आपको यकसां मिलेगी -ये किस खेत की मूली हैं।

    ये सारे सेकुलरिस्ट हैं। कबीर ने अपने वक्त में पाखंडियों और ढोंग करने वालों पर जमकर प्रहार किया था। आज की भारत की राजनीति में सबसे बड़ा पाखंड है सेकुलरिजम। नीतिश कुमार भी इसी का झंडा उठाये हैं शालिनी जी भी।

    कबीर की पंक्ति के आशय से इस पाखंड पर कुछ दोहे देखिये -

    दिन में माला जपत हैं ,रात हनत हैं गाय ,

    सेकुलर खोजन मैं गया ,सेकुलर मिला न हाय।

    दिन में चारा खात हैं ,रात में कोयला खाएं ,

    सेकुलर खोजन मैं गया सेकुलर मिला न हाय।

    बाज़ीगर भोपाल का ,रटता सेकुलर जाए ,

    सेकुलर खोजन मैं गया ,सेकुलर मिला न हाय।

    ओसामा ओसामा जी ,सेकुलर कहता जाए ,

    सेकुलर खोजन मैं गया ,सेकुलर मिला न कोय।

    बाज़ीगर भोपाल का घाट घाट पे जाए ,

    सेकुलर खोजन मैं गया ,सेकुलर मिला न हाय।

    एक प्रतिक्रिया ब्लॉग :

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    बिहार आतंकवादी हमला :फायदा एकमात्र भाजपा को .
    बिहार आतंकवादी हमला :फायदा एकमात्र भाजपा को .

    .यूँ तो यहाँ बिहार में जो हुआ आतंकवाद के कारण हुआ किन्तु आतंकवादी घटनाओं के पीछे भी एक सच छुपा है और वह यह है कि इन्हें कोई देश में मिलकर ही अंजाम दिलवाता है और ऐसा क्यूँ है कि भाजपा का जबसे नितीश से अलगाव हुआ है तभी से बिहार भाजपा के लिए खतरनाक हो गया है और जब भी भाजपा वहाँ कदम रखती है तभी वहाँ कुछ न कुछ आतंकवादी घटना घट जाती है .
    नितीश कुमार वहाँ शासन कर रहे हैं और ये स्वाभाविक है कि वहाँ कोई भी ऐसी घटना होगी तो उसमे उनकी सरकार की लापरवाही ही कही जायेगी और भाजपा और नितीश के सम्बन्ध अभी हाल ही में मोदी के कारण अलगाव पथ पर अग्रसर हुए हैं ऐसे में नितीश को लेकर भाजपा की रैलियों पर हमलों को लेकर टिपण्णी किया जाना एक तरह से सम्भाव्य है किन्तु सही नहीं क्योंकि कोई भी मुख्यमंत्री ये नहीं चाहेगा कि उसके राज्य में शासन व्यवस्था पर ऐसा कलंक लगे जो आगे उसके सत्ता में आने के सभी रास्ते बंद कर दे और कांग्रेस को तो ऐसे में घसीटा जाना एक आदत सी बन गयी है और जैसे कि पंजाबी में एक कहावत है कि -
    ''वादड़िया सुजा दड़िया जप शरीरा नाल .''
    तो ये तो वह आदत है जो कि शरीर के साथ ही जायेगी क्योंकि कांग्रेस आरम्भ से इस देश पर शासन कर रही है और सत्ता का विरोध होता ही है किन्तु एक तथ्य यह भी है कि कांग्रेस ने देश के लिए बहुत कुछ खोया भी है आजतक इसके बड़े बड़े नेता आतंकवाद का शिकार हुए हैं ऐसे तथ्य अन्य दलों के साथ कम ही हैं क्योंकि वे जनता में इतने लोकप्रिय नही हैं कि आतंकवादियों की हिट लिस्ट में उन्हें स्थान मिले और इसका अगर लाभ कांग्रेस को मिला है तो उसने इंदिरा गांधी ,राजीव गांधी जैसे भारत रत्नों को खोया भी है इसलिए आतंकवाद की किसी भी घटना के लिए कांग्रेस को दोषी कहा जाना नितान्त गलत कार्य है .
    सिर्फ यही नहीं कि भारत ने आतंकवादी घटना में अपने बड़े नेताओं को खोया है बल्कि श्रीलंका ,पाकिस्तान और विश्व के बहुत से देशों ने अपने बड़े नेताओं को ऐसी घटनाओं का शिकार बनते देखा है ऐसे में ये आश्चर्य की ही बात है कि बार बार आतंकवादी हमले भाजपा के कथित फायर ब्रांड नेताओं पर होते हैं और वे खरोंच तक का शिकार नहीं होते .आखिर आतंकवादी इनसे मात कैसे खा जाते हैं ?ये तथ्य तो इन्हें सभी के साथ साझा करना ही चाहिए क्योंकि आज न केवल ये बल्कि सभी सत्ता के भूखे हैं -
    ''भ्रष्ट राजनीति हुई ,चौपट हुआ समाज ,
    हर वानर को चाहिए किष्किन्धा का राज .''
    तो फिर ये ही क्यूँ बचे ये हक़ तो सभी को मिलना चाहिए और देश प्रेमी व् राष्ट्रवादी इस पार्टी को अपना यह कर्त्तव्य पूरी श्रृद्धा से निभाना चाहिए .और अगर ये यह नहीं कर पते हैं तो कानून में जब भी किसी क़त्ल में कातिल न मिल रहा हो तो उसे ढूंढने के लिए उस व्यक्ति पर ही शक किया जाता है जिसे उस क़त्ल से सर्वाधिक फायदा होता है और यहाँ इस हमले का एकमात्र फायदा भाजपा को ही हो रहा है जनता की सहानुभूति बटोरने को लेकर तो शक की ऊँगली किधर जायेगी आप स्वयं आकलन कर सकते हैं .
    शालिनी कौशिक
    [कौशल ]
    प्रस्तुतकर्ता Shalini Kaushik पर 12:25 pm 5 टिप्‍पणियां:

    जवाब देंहटाएं
  29. Kb Rastogi ने कहा…
    कई बार सोंचता हूँ कि लोग कैसे कुछ राजनेताओ के बरगलाने पर उन्ही कि तरह सोंचने लगते हैं। क्या फायदा ऐसी पढाई -लिखाई का कि हम अपने दिमाग से सही ढंग से सोंच नहीं पाते हैं कि इसमें गलत क्या है और सही क्या है। जब कभी भी कहीं भी कोई आतंकी घटना होती है या हिन्दू-मुस्लिम संघर्ष होता है चाहे वह कांग्रेस हो या दूसरी पार्टी हो तुरंत ही उनकी प्रतिक्रिया बीजेपी के खिलाफ आनी शुरू ही जाती है।
    समझ में नहीं आता है कि आप जैसे पढ़े - लिखे लोग भी इन्ही लोगो कि हाँ में हाँ मिलाने क्यों लगते हैं।
    अगर आप कहती है कि यह सब बीजेपी करवा रही है तो आप वहाँ पर हाथ पर हाथ धरे बैठे क्या कर रहे हैं।
    क्या इस बात का इंतजार करते रहते हैं कि वारदात हों और हैम बीजेपी पर दोषारोपण करना शुरू कर दे।
    मुख्यमंत्री राज्य का मुखिया होता है अगर वह इनपर काबू नहीं पा सकता तो छोड़ दे गद्दी। क्या बीजेपी के खिलाफ झूठा प्रलाप काने के लिए सत्ता का सुख भोग रहे हैं।

    29 अक्तूबर 2013 11:47 pm

    जवाब देंहटाएं
  30. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

    जवाब देंहटाएं
  31. ओह,
    इतनी सुन्‍दर चर्चा, इतना संतुलित संकलन, इतना सटीक विन्‍यास

    अफसोस, मैं न था उस दिन

    खेद है,
    आभार है

    जवाब देंहटाएं

"चर्चामंच - हिंदी चिट्ठों का सूत्रधार" पर

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