खुदा देश की नींव, लगाते दुष्ट कहकहा -
लिंक-लिक्खाड़
Politics में शेर और भेड़ियों के बीच अन्डरस्टैंडिन्ग
DR. ANWER JAMAL
कहानियाँ देते सुना, भुना रहे प्रोनोट |
दूजे को लगता सदा, पहले में है खोट |
पहले में है खोट, पोट कर रखते वोटर |
कठफुड़वा की टोंट, बना देती है कोठर |
बैठे हिंसक जीव, चला गठजोड़ आ रहा |
खुदा देश की नींव, लगाते दुष्ट कहकहा ||
|
बोले थे जो जनार्दन, दिखे वही छल छंद ।
शहजादे कहना नहीं, करूँ अन्यथा बंद ।
करूँ अन्यथा बंद, लगेंगे दो दिन केवल।
आइ यस आई लिंक, बना लेता क्या सम्बल ।
हो पटने में ब्लास्ट, जहर मानव-बम घोले ।
पर बच जाता मंच, पुन: मोदी यह बोले ॥
|
परंपरा --
Indu Kalkhande
चालू म्यूजिक लॉन्च पर, तू कर रैली बंद |
आतंकी उद्देश्य सा, बकते मंत्री चन्द |
बकते मंत्री चन्द, अगर भगदड़ मच जाती |
मरते कई हजार, भीड़ भी फिर गुस्साती |
तोड़ फोड़ धिक्कार, हँसे आतंकी-खालू |
यह कैसा व्यवहार, मंत्रि-परिषद् अति चालू ||
|
घटना करते थे कहीं, शरण यहाँ पर पाय |
भटकल क्या पकड़ा गया, जाती बुद्धि नशाय |
जाती बुद्धि नशाय, हिरन झाड़ी खा जाए |
मारे तीर नितीश, नजर तू जैसे आये |
बोध गया विस्फोट, व्यर्थ दहलाया पटना |
रे आतंकी मूर्ख, आत्मघाती ये घटना ||
|
कितनी छिछली हरकतें, कर आयोग विचार-
कितनी छिछली हरकतें, कर आयोग विचार |
कर आयोग विचार, किसानों की यह खेती |
मधुमक्खी मकरंद, इन्हीं कमलों से लेती |
दिखी कांग्रेस धूर्त, कलेजा कितना काला |
पंजा दे कटवाए, साइकिल में भी ताला ||
|
सत्य वचन थे कुँवर के, आज सुवर भी सत्य |
दोष संघ पर दें लगा, बिना जांच बिन तथ्य | बिना जांच बिन तथ्य, बड़े बडबोले नेता | हुई सभा सम्पन्न, सभा के धन्य प्रणेता | बीता आफत-काल, हकीकत आये आगे | फिर से खड़े सवाल, किन्तु सुन नेता भागे || |
संघी फासीवाद
Ish Mishra
संघी फासीवाद जहां भी जाता अपनी जहालत का शोर मचाता वह बजरंगी कुत्तों की भीड़ जुटाता आग लगाता, लूट मचाता, कत्ल कराता मां-बहनों की खुले-आम इज्जत लुटवाता इसी को हिंदू संस्कृति बतलाता इसके हैं इससे भी ज़ाहिल चमचे डिग्री लेकर त्रिसूल बांटते मानवता का गला घोंटते बन गया यह गर देश का नेता होगा इन चमचों का चहेता चमचे नहीं जानते इतिहास हिटलरों का होता ही है सत्यानाश
|
बिहार आतंकवादी हमला :फायदा एकमात्रभाजपाको .
Shalini Kaushik
|
एक गिलहरी-----।
हेमंत कुमार ♠ Hemant Kumar
|
मेरी लंबी कहानी,..
Priti Surana
|
अनजाने जाने पहचाने चेहरे
तुषार राज रस्तोगी
|
श्याम खाटु जी के दर्शनोपरांत तीन दिनों के एक यादगार सफर का समापन
|
जिसको लेखक समझा हमने,यह केवल हरकारा है - सतीश सक्सेना
सतीश सक्सेना
|
ज़िन्दगी कुछ इस तरह बसर किया हमने...अवधेश कुमार जौहरी
डा. मेराज अहमद
|
ले ले प्याज ले ...
रजनीश तिवारी
|
"बालगीत-गिलहरी" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
रूपचन्द्र शास्त्री मयंक
|
फुलमनीNeeraj Kumar |
"गीत गाना जानते हैं" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
रूपचन्द्र शास्त्री मयंक
|
कांग्रेस की राजनीति को ध्वस्त करते मोदी
HARSHVARDHAN TRIPATHI
|
हिंदी साहित्य के प्रमुख हस्ताक्षर राजेंद्र यादव
मदन मोहन सक्सेना
|
झूठ चादर से ढक नहीं पाते ... |
बेतरतीब मैं (उन्तीस अक्टूबर )
Sonal Rastogi
|
"मयंक का कोना"
--
कुछ लिंक आपका ब्लॉग से
पौरबत्य दर्शन में शब्द को रूप का सूक्ष्म बीज माना गया है।
शब्द के आधार पर ही रूप खड़ा होता है।3. What you can do to protect yourself from the spiritual ill-effects of Halloween--
अपना जमीर जिंदा रख
दिल में थोडी सी पीर जिंदा रख।
यानी अपने आंखों का नीर जिंदा रख...
--
"राजेंद्र यादव " साहित्यजगत की अपूरणीय क्षति
--
गजल
मेरे माता पिता ही तीर्थ हैं हर धाम से पहले
चला थामे मैं उँगली उनकी नित हर काम से पहले...
--
एक तरह से मौत में से भी बाज़ार निकाल लेने की जुगत है।
ऐसी ही परम्परा है हेलोवीन की।
भूत प्रेत का स्वांग धरके डराना।
माहौल को भूतहा बनाना।
--
मिलिए कुछ राष्ट्रीय सेकुलरों से पहचानिये
इनके सरगना को समझिये इनकी फितरत
:जानिये भाईजान !
इस देश में सेकुलर होने का क्या मतलब है
--
पहले राज्य के मामलों में चर्च का हस्तक्षेप था
जिसका खामियाज़ा अनेक चोटी के विज्ञानियों ने उठाया था।
गैलीलियो की तो आँखें ही फोड़ दी गईं थीं चर्च के आदेश पर।
--
लोकतंत्र के गुनहगार हमलोग
सत्यार्थमित्र पर सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी
--
डायरी के पन्नों से...
आइये, कुछ बातें करें ! (Let's Talk) पर
मनोज कुमार श्रीवास्तव
--
जाऊं कहाँ ?
(डायरी से एक और रचना )
आजमा के देखे लाखों तरीके,
पर बेकरारी दिल की मिटटी ही नहीं,
सुकून देने दिल को, जाऊं तो जाऊं कहाँ ?
चारो तरफ तो बस हैं, अपने ही अपने,
अपनों की भीड़ में ही खो गया हूँ शायद,
खुद को ढूंढ लाने, जाऊं तो जाऊं कहाँ...
मेरा काव्य-पिटारा पर
ई. प्रदीप कुमार साहनी
--
नैन उनके भी नम थे ......
उन्नयन पर udaya veer singh
--
ग़र कोई आरज़ू हो तो अब मोहलत न रही....
मामून कहीं रह जाऊँ,
अब वो हाजत न रही ये दामन कहीं बिछ जाए,
मुझे आदत न रही जिस्मों में
ग़ैरों के भी यहाँ लोग जीते हैं ...
काव्य मंजूषा पर स्वप्न मञ्जूषा
--
असहमतियों का सौंदर्य निखारते थे राजेन्द्र यादव
प्रतिभा की दुनिया ...पर Pratibha Katiyar
--
"रौशनी की हम कतारें ला रहे हैं"
--
कार्टून :- सोने वाले बाबा तेरी सदाई जै.
Kajal Kumar's Cartoons
काजल कुमार के कार्टून
--
कुछ लिंक आपका ब्लॉग से
पौरबत्य दर्शन में शब्द को रूप का सूक्ष्म बीज माना गया है।
शब्द के आधार पर ही रूप खड़ा होता है।3. What you can do to protect yourself from the spiritual ill-effects of Halloween--
अपना जमीर जिंदा रख
दिल में थोडी सी पीर जिंदा रख।
यानी अपने आंखों का नीर जिंदा रख...
--
"राजेंद्र यादव " साहित्यजगत की अपूरणीय क्षति
--
गजल
मेरे माता पिता ही तीर्थ हैं हर धाम से पहले
चला थामे मैं उँगली उनकी नित हर काम से पहले...
--
एक तरह से मौत में से भी बाज़ार निकाल लेने की जुगत है।
ऐसी ही परम्परा है हेलोवीन की।
भूत प्रेत का स्वांग धरके डराना।
माहौल को भूतहा बनाना।
--
मिलिए कुछ राष्ट्रीय सेकुलरों से पहचानिये
इनके सरगना को समझिये इनकी फितरत
:जानिये भाईजान !
इस देश में सेकुलर होने का क्या मतलब है
--
पहले राज्य के मामलों में चर्च का हस्तक्षेप था
जिसका खामियाज़ा अनेक चोटी के विज्ञानियों ने उठाया था।
गैलीलियो की तो आँखें ही फोड़ दी गईं थीं चर्च के आदेश पर।
--
लोकतंत्र के गुनहगार हमलोग
सत्यार्थमित्र पर सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी
--
डायरी के पन्नों से...
आइये, कुछ बातें करें ! (Let's Talk) पर
मनोज कुमार श्रीवास्तव
--
जाऊं कहाँ ?
(डायरी से एक और रचना )
आजमा के देखे लाखों तरीके,
पर बेकरारी दिल की मिटटी ही नहीं,
सुकून देने दिल को, जाऊं तो जाऊं कहाँ ?
चारो तरफ तो बस हैं, अपने ही अपने,
अपनों की भीड़ में ही खो गया हूँ शायद,
खुद को ढूंढ लाने, जाऊं तो जाऊं कहाँ...
मेरा काव्य-पिटारा पर
ई. प्रदीप कुमार साहनी
--
नैन उनके भी नम थे ......
उन्नयन पर udaya veer singh
--
ग़र कोई आरज़ू हो तो अब मोहलत न रही....
मामून कहीं रह जाऊँ,
अब वो हाजत न रही ये दामन कहीं बिछ जाए,
मुझे आदत न रही जिस्मों में
ग़ैरों के भी यहाँ लोग जीते हैं ...
काव्य मंजूषा पर स्वप्न मञ्जूषा
--
असहमतियों का सौंदर्य निखारते थे राजेन्द्र यादव
प्रतिभा की दुनिया ...पर Pratibha Katiyar
--
"रौशनी की हम कतारें ला रहे हैं"
अब धरा पर रह न जाये तम कहीं,
रौशनी की हम कतारें ला रहे हैं।
इस दिवाली पर दियों के रूप में,
इस दिवाली पर दियों के रूप में,
चाँद-सूरज और सितारे आ रहे हैं।।
दीपकों की बातियों को तेल का अवलेह दो,
जगमगाने के लिए भरपूर इनको नेह दो।
चहकती दीपावली हर द्वार पर हों
महकती लड़ियाँ सजीं दीवार पर हों।
शारदा-लक्ष्मी-गजानन देव को,
स्वच्छ-सुन्दर नीड़ ज्यादा भा रहे हैं।
उच्चारण--
कार्टून :- सोने वाले बाबा तेरी सदाई जै.
Kajal Kumar's Cartoons
काजल कुमार के कार्टून
शुभ प्रभात!
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया चर्चा प्रस्तुति ..
बहुत मेहनत से सजाई सुंदर चर्चा , मेरे पोस्ट को स्थान देने के लिए हार्दिक आभार ..
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रभावी लिंक्स ,,,
जवाब देंहटाएंRECENT POST -: तुलसी बिन सून लगे अंगना
सुंदर सूत्र संयोजन ! आ. रविकर जी.
जवाब देंहटाएंदुखद है राजेंद्र यादव जी का जाना
जवाब देंहटाएंश्रद्धांजलि !
रविकर की चर्चा हमेशा की तरह शानदार चर्चा !
बहुत सुन्दर ढंग से की गयी चर्चा।
जवाब देंहटाएंरविकर जी एक सुझाव है मेरा-
सभी कलर टेबिलों की चौड़ाई 590 पिक्सेल ही रखेंगे तो
सभी रंगों की पट्टियाँ समान दिखाई देंगी।
--
आभार आपका।
सच्चाई....पर।
जवाब देंहटाएं--
ओह....।
चौंकाने वाले आँकड़े हैं यह तो।
आभार।
रविकर...
जवाब देंहटाएं--
टिप्पणियों में शानदार ढ़ंग से भाव प्रकट करते हैां
रविकर जी आप तो।
परम्परा पर...।
जवाब देंहटाएं--
ऐसा नहीं करेंगे तो कैसे काबिज रह पायेंगे मन्त्री पद पर।
रविकर पुंज...।
जवाब देंहटाएं--
वाह...।
बहुत सुन्दर और सार्थक प्रस्तुति।
हिन्दू आतंकवाद की गन्ध क्यों?
जवाब देंहटाएं--
क्योंकि....
हिन्दू...हिंसा से दूर है।
हिं + दू - हिन्दू
संघी फासीवाद
जवाब देंहटाएं--
सबकी अपनी-अपनी सोच है।।
मुंडे-मुंडे मतिर्भिन्नाः।
मेरी लम्बी कहानी
जवाब देंहटाएं--
सपनों की सुन्दर फसल, अरमानों का बीज।
कल्पनाओं पर हो रही, अब तो कितनी खीझ।।
खाटूश्याम का यात्रा संस्मरण
जवाब देंहटाएं--
खाटू श्याम की यात्रा का सचित्र संस्मरण
मन में आस्था का संचार करता है।
अवधेश कुमार जौहरी
जवाब देंहटाएं--
विरले ही होते यहाँ, अहमद के कृतज्ञ।
जो माने एहसान को, वो होते मर्मज्ञ।।
ले ले प्याज
जवाब देंहटाएं--
जल्दी जाओ हाट को, छोड़ो सारे काज।
अब कुछ सस्ती हो गयी, लेकर आओ प्याज।।
फूलमनी
जवाब देंहटाएं--
खानापूरी कर रहा, शासन औ सरकार।
फूलमनी जैसी कई, भारत में लाचार।।
जन्मदिन बल्लभ भाई पटेल
जवाब देंहटाएं--
अपनी रोटी सेंकते, राजनीति के रंक।
कैसे निर्मल नीर को, दे पायेगी पंक।।
बतंगड़....मोदी और पंजा
जवाब देंहटाएं--
किसका तगड़ा कमल है, किसका तगड़ा हाथ।
अपने ढंग से ठेलते, अपनी-अपनी बात।।
प्रख्यात साहित्यकार राजेन्द्र यादव का जाना।
जवाब देंहटाएंहिन्दी साहित्य की अपूरणीय क्षति
---
विनम्र श्रद्धांजलि।
इन समाचार माध्यमों का क्या विश्वास, एक बारी इन्होंने मशहूर शायर 'निदा फाजली' को भी भेज दिया था.....
हटाएंशुक्रिया रवि साहब ....... हर वक़्त की तरहा आज की चर्चा भी शानदार
जवाब देंहटाएंराजेन्द्र यादव जी को विनम्र श्रधांजलि ... विस्तृत चर्चा सूत्र ...
जवाब देंहटाएंमेरी गज़ल को स्थान देने का आभार ...
रोचक व पठनीय सूत्र..
जवाब देंहटाएंबहुत ही उम्दा चर्चा | मेरी रचना को स्थान देने के लिए आभार |
जवाब देंहटाएंक्या बात है जी रविकर आखिर रविकर है ,
जवाब देंहटाएंचर्चा चमकी ऐसी जैसे दिनकर है।
आभार हमारा सेतु सजाने को। आभार मयंक कोने का।
जवाब देंहटाएंKajal Kumar's Cartoons
काजल कुमार के कार्टून
ज़ोरदार व्यंग्य विडंबन चित्र व्यंग्य में काजल के।
उत्तर प्रदेश के उन्नाव ज़िले में डौंडिया खेड़ा गाँव के एक खंडहरनुमा किले में सोने की खोज में जुटी भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (एएसआई) की टीम को आठ दिन की खुदाई के बाद कुछ लोहे की कीलें, चूड़ियों के टुकड़े और मिट्टी के चूल्हे मिले हैं.
मुद्दों की ले आड़ राग सेकुलर समझाते ,
जवाब देंहटाएंपाने वोट आपकी हर तिकड़म अपनाते।
शानदार दोहावली सेकुलर भेड़ों की खाल खींचती हुई।
जवाब देंहटाएंकर्तव्य की करता न कोई होड़ है,
अब मची अधिकार की ही दौड़ है।
सभ्यता का भाव बौना हो गया.
आवरण कितना घिनौना हो गया।
संक्रमण के इस भयानक दौर में,
दम्भ-लालच आदमी को खा रहे हैं।
शानदार सार्थक दिवाली चिंतन।
सत्य वचन थे कुँवर के, आज सुवर भी सत्य |
जवाब देंहटाएंदोष संघ पर दें लगा, बिना जांच बिन तथ्य |
बिना जांच बिन तथ्य, बड़े बडबोले नेता |
हुई सभा सम्पन्न, सभा के धन्य प्रणेता |
बीता आफत-काल, हकीकत आये आगे |
फिर से खड़े सवाल, किन्तु सुन नेता भागे ||
रविकर के लेखन की आंच दिनों दिन प्रखर होती जाए रे
तालाबों को ढक रहे, हाथी पिछली बार |
कितनी छिछली हरकतें, कर आयोग विचार |
कर आयोग विचार, किसानों की यह खेती |
मधुमक्खी मकरंद, इन्हीं कमलों से लेती |
दिखी कांग्रेस धूर्त, कलेजा कितना काला |
पंजा दे कटवाए, साइकिल में भी ताला ||
बहुत खूब कह जाए हमारा सब रविकर कविराय।
जो न आये नित यहाँ सो पाछे पछताय ,
आओ भाई लिंक लिखाड़ी ,रहो सबसे अ-गाड़ी
खुदा देश की नींव, लगाते दुष्ट कहकहा -
लिंक-लिक्खाड़
Politics में शेर और भेड़ियों के बीच अन्डरस्टैंडिन्ग
DR. ANWER JAMAL
Blog News
कहानियाँ देते सुना, भुना रहे प्रोनोट |
दूजे को लगता सदा, पहले में है खोट |
पहले में है खोट, पोट कर रखते वोटर |
कठफुड़वा की टोंट, बना देती है कोठर |
बैठे हिंसक जीव, चला गठजोड़ आ रहा |
खुदा देश की नींव, लगाते दुष्ट कहकहा ||
मान्यवर के बी रस्तोगी साहब। जहां तर्क की गुंजाइश नहीं रहती वहाँ कुतर्क काम करता है। सभी कांग्रेसियों की मुद्रा आपको यकसां मिलेगी -ये किस खेत की मूली हैं।
जवाब देंहटाएंये सारे सेकुलरिस्ट हैं। कबीर ने अपने वक्त में पाखंडियों और ढोंग करने वालों पर जमकर प्रहार किया था। आज की भारत की राजनीति में सबसे बड़ा पाखंड है सेकुलरिजम। नीतिश कुमार भी इसी का झंडा उठाये हैं शालिनी जी भी।
कबीर की पंक्ति के आशय से इस पाखंड पर कुछ दोहे देखिये -
दिन में माला जपत हैं ,रात हनत हैं गाय ,
सेकुलर खोजन मैं गया ,सेकुलर मिला न हाय।
दिन में चारा खात हैं ,रात में कोयला खाएं ,
सेकुलर खोजन मैं गया सेकुलर मिला न हाय।
बाज़ीगर भोपाल का ,रटता सेकुलर जाए ,
सेकुलर खोजन मैं गया ,सेकुलर मिला न हाय।
ओसामा ओसामा जी ,सेकुलर कहता जाए ,
सेकुलर खोजन मैं गया ,सेकुलर मिला न कोय।
बाज़ीगर भोपाल का घाट घाट पे जाए ,
सेकुलर खोजन मैं गया ,सेकुलर मिला न हाय।
एक प्रतिक्रिया ब्लॉग :
http://shalinikaushik2.blogspot.com/
बिहार आतंकवादी हमला :फायदा एकमात्र भाजपा को .
बिहार आतंकवादी हमला :फायदा एकमात्र भाजपा को .
मान्यवर के बी रस्तोगी साहब। जहां तर्क की गुंजाइश नहीं रहती वहाँ कुतर्क काम करता है। सभी कांग्रेसियों की मुद्रा आपको यकसां मिलेगी -ये किस खेत की मूली हैं।
जवाब देंहटाएंये सारे सेकुलरिस्ट हैं। कबीर ने अपने वक्त में पाखंडियों और ढोंग करने वालों पर जमकर प्रहार किया था। आज की भारत की राजनीति में सबसे बड़ा पाखंड है सेकुलरिजम। नीतिश कुमार भी इसी का झंडा उठाये हैं शालिनी जी भी।
कबीर की पंक्ति के आशय से इस पाखंड पर कुछ दोहे देखिये -
दिन में माला जपत हैं ,रात हनत हैं गाय ,
सेकुलर खोजन मैं गया ,सेकुलर मिला न हाय।
दिन में चारा खात हैं ,रात में कोयला खाएं ,
सेकुलर खोजन मैं गया सेकुलर मिला न हाय।
बाज़ीगर भोपाल का ,रटता सेकुलर जाए ,
सेकुलर खोजन मैं गया ,सेकुलर मिला न हाय।
ओसामा ओसामा जी ,सेकुलर कहता जाए ,
सेकुलर खोजन मैं गया ,सेकुलर मिला न कोय।
बाज़ीगर भोपाल का घाट घाट पे जाए ,
सेकुलर खोजन मैं गया ,सेकुलर मिला न हाय।
एक प्रतिक्रिया ब्लॉग :
http://shalinikaushik2.blogspot.com/
बिहार आतंकवादी हमला :फायदा एकमात्र भाजपा को .
बिहार आतंकवादी हमला :फायदा एकमात्र भाजपा को .
.यूँ तो यहाँ बिहार में जो हुआ आतंकवाद के कारण हुआ किन्तु आतंकवादी घटनाओं के पीछे भी एक सच छुपा है और वह यह है कि इन्हें कोई देश में मिलकर ही अंजाम दिलवाता है और ऐसा क्यूँ है कि भाजपा का जबसे नितीश से अलगाव हुआ है तभी से बिहार भाजपा के लिए खतरनाक हो गया है और जब भी भाजपा वहाँ कदम रखती है तभी वहाँ कुछ न कुछ आतंकवादी घटना घट जाती है .
नितीश कुमार वहाँ शासन कर रहे हैं और ये स्वाभाविक है कि वहाँ कोई भी ऐसी घटना होगी तो उसमे उनकी सरकार की लापरवाही ही कही जायेगी और भाजपा और नितीश के सम्बन्ध अभी हाल ही में मोदी के कारण अलगाव पथ पर अग्रसर हुए हैं ऐसे में नितीश को लेकर भाजपा की रैलियों पर हमलों को लेकर टिपण्णी किया जाना एक तरह से सम्भाव्य है किन्तु सही नहीं क्योंकि कोई भी मुख्यमंत्री ये नहीं चाहेगा कि उसके राज्य में शासन व्यवस्था पर ऐसा कलंक लगे जो आगे उसके सत्ता में आने के सभी रास्ते बंद कर दे और कांग्रेस को तो ऐसे में घसीटा जाना एक आदत सी बन गयी है और जैसे कि पंजाबी में एक कहावत है कि -
''वादड़िया सुजा दड़िया जप शरीरा नाल .''
तो ये तो वह आदत है जो कि शरीर के साथ ही जायेगी क्योंकि कांग्रेस आरम्भ से इस देश पर शासन कर रही है और सत्ता का विरोध होता ही है किन्तु एक तथ्य यह भी है कि कांग्रेस ने देश के लिए बहुत कुछ खोया भी है आजतक इसके बड़े बड़े नेता आतंकवाद का शिकार हुए हैं ऐसे तथ्य अन्य दलों के साथ कम ही हैं क्योंकि वे जनता में इतने लोकप्रिय नही हैं कि आतंकवादियों की हिट लिस्ट में उन्हें स्थान मिले और इसका अगर लाभ कांग्रेस को मिला है तो उसने इंदिरा गांधी ,राजीव गांधी जैसे भारत रत्नों को खोया भी है इसलिए आतंकवाद की किसी भी घटना के लिए कांग्रेस को दोषी कहा जाना नितान्त गलत कार्य है .
सिर्फ यही नहीं कि भारत ने आतंकवादी घटना में अपने बड़े नेताओं को खोया है बल्कि श्रीलंका ,पाकिस्तान और विश्व के बहुत से देशों ने अपने बड़े नेताओं को ऐसी घटनाओं का शिकार बनते देखा है ऐसे में ये आश्चर्य की ही बात है कि बार बार आतंकवादी हमले भाजपा के कथित फायर ब्रांड नेताओं पर होते हैं और वे खरोंच तक का शिकार नहीं होते .आखिर आतंकवादी इनसे मात कैसे खा जाते हैं ?ये तथ्य तो इन्हें सभी के साथ साझा करना ही चाहिए क्योंकि आज न केवल ये बल्कि सभी सत्ता के भूखे हैं -
''भ्रष्ट राजनीति हुई ,चौपट हुआ समाज ,
हर वानर को चाहिए किष्किन्धा का राज .''
तो फिर ये ही क्यूँ बचे ये हक़ तो सभी को मिलना चाहिए और देश प्रेमी व् राष्ट्रवादी इस पार्टी को अपना यह कर्त्तव्य पूरी श्रृद्धा से निभाना चाहिए .और अगर ये यह नहीं कर पते हैं तो कानून में जब भी किसी क़त्ल में कातिल न मिल रहा हो तो उसे ढूंढने के लिए उस व्यक्ति पर ही शक किया जाता है जिसे उस क़त्ल से सर्वाधिक फायदा होता है और यहाँ इस हमले का एकमात्र फायदा भाजपा को ही हो रहा है जनता की सहानुभूति बटोरने को लेकर तो शक की ऊँगली किधर जायेगी आप स्वयं आकलन कर सकते हैं .
शालिनी कौशिक
[कौशल ]
प्रस्तुतकर्ता Shalini Kaushik पर 12:25 pm 5 टिप्पणियां:
Kb Rastogi ने कहा…
जवाब देंहटाएंकई बार सोंचता हूँ कि लोग कैसे कुछ राजनेताओ के बरगलाने पर उन्ही कि तरह सोंचने लगते हैं। क्या फायदा ऐसी पढाई -लिखाई का कि हम अपने दिमाग से सही ढंग से सोंच नहीं पाते हैं कि इसमें गलत क्या है और सही क्या है। जब कभी भी कहीं भी कोई आतंकी घटना होती है या हिन्दू-मुस्लिम संघर्ष होता है चाहे वह कांग्रेस हो या दूसरी पार्टी हो तुरंत ही उनकी प्रतिक्रिया बीजेपी के खिलाफ आनी शुरू ही जाती है।
समझ में नहीं आता है कि आप जैसे पढ़े - लिखे लोग भी इन्ही लोगो कि हाँ में हाँ मिलाने क्यों लगते हैं।
अगर आप कहती है कि यह सब बीजेपी करवा रही है तो आप वहाँ पर हाथ पर हाथ धरे बैठे क्या कर रहे हैं।
क्या इस बात का इंतजार करते रहते हैं कि वारदात हों और हैम बीजेपी पर दोषारोपण करना शुरू कर दे।
मुख्यमंत्री राज्य का मुखिया होता है अगर वह इनपर काबू नहीं पा सकता तो छोड़ दे गद्दी। क्या बीजेपी के खिलाफ झूठा प्रलाप काने के लिए सत्ता का सुख भोग रहे हैं।
29 अक्तूबर 2013 11:47 pm
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंओह,
जवाब देंहटाएंइतनी सुन्दर चर्चा, इतना संतुलित संकलन, इतना सटीक विन्यास
अफसोस, मैं न था उस दिन
खेद है,
आभार है