आज की मंगलवारीय चर्चा में आप सब का स्वागत है राजेश कुमारी की आप सब को नमस्ते , आप सब का दिन मंगल मय हो करवाचौथ की हार्दिक
बधाई ,अब चलते हैं आपके प्यारे ब्लॉग्स पर
आज की मंगलवारीय चर्चा में आप सब का स्वागत है राजेश कुमारी की आप सब को नमस्ते , आप सब का दिन मंगल मय हो करवाचौथ की हार्दिक
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वक़्त के पन्नों पर !!!
सदा at SADA
राह तयकर इक नदी सी
नीरज गोस्वामी at नीरज
First glimpse - Primo scorcio - पहली झलक
sunil deepak at Chayachitrakar - छायाचित्रकार
धर्म,धर्मनिरपेक्षता और धर्मान्धता !
संतोष त्रिवेदी at बैसवारी baiswari
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राष्ट्र है तो हम हैं...
udaya veer singh at उन्नयन (UNNAYANA)
हाँ! यही कर सकता हूँ मैं
निहार रंजन at बातें अपने दिल की -
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अनंत का अभिनन्दन है
Ashok Vyas at Naya Din Nayee Kavita
राम, राम क्यों हैं .......
सूखी पंखुड़ियाँ
डॉ.सुनीता at समय-सुनीता -
पिंजरे की तीलियों से बाहर आती मैना की कुहुक-
सुधा अरोड़ा
Shobha Mishra at फरगुदिया
खनखनाहट की पाजेब
vandana gupta at ज़ख्म…जो फूलों ने दिये -
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Life is Just a Life: जैसे कोई शीशा टूट गया हो
Neeraj Dwivedi at ऑल इंडिया ब्लॉगर्स एसोसियेशन
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कोजागरा
babanpandey at 21वीं सदी का इंद्रधनुष
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भारतीय नारी ब्लॉग प्रतियोगिता -४ प्रविष्टि -२
[रचनाकार -श्री तरुण कुमार 'सावन' ]
shikha kaushik at भारतीय नारी -
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जनम जनम का साथ, करो फिर काहे करवा-
रविकर at "लिंक-लिक्खाड़" -
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junbishen 90
Munkir at Junbishen
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जुगाड़ ...
उदय - uday at कडुवा सच
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आज की
चर्चा यहीं समाप्त करती
हूँ फिर चर्चामंच पर
हाजिर होऊँगी
कुछ
नए सूत्रों के साथ
तब तक के लिए
शुभ विदा बाय बाय ||
"मयंक का कोना"
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वही भीगा सा मौसम है, बरस के चल दिये बादल,
वही ठण्डी हवाओँ से लिपट के सो रहा हूँ मैं,
वही उन्माद का मौसम, वही बेचैनियोँ के पल,
वही उन्माद का मौसम, वही बेचैनियोँ के पल,
तुम्हारी यादों के सीने से लगा के रो रहा हूँ मैं...
मेरी धरोहर पर yashoda agrawal
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एक शब्द रूप हूँ ......
प्रतिनिधि हूँ उसका जो अलौकिक है
परलौकिक है अदृश्य है अस्पर्शनीय है
किन्तु श्रब्य है चेतन है गतिमान है
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कुछ लिंक
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फिर एक दिन अपने "मोहन" को भी सोने से तौलेंगे।
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अजब खजाना, गजब खजाना,
अजब खजाना, गजब खजाना, महा खजाना
संतो की महिमा को कब किसने जाना।।
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पहेली (चोका विधा)
पहेली बूझ !
जगपालक कौन ?
क्यो तू मौन ।
नही सुझता कुछ ?
भूखे हो तुम ??
नही भाई नही तो
बता क्या खाये ?
तुम कहां से पाये ??
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अजब खजाना, गजब खजाना,
अजब खजाना, गजब खजाना, महा खजाना
संतो की महिमा को कब किसने जाना।।
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पहेली (चोका विधा)
पहेली बूझ !
जगपालक कौन ?
क्यो तू मौन ।
नही सुझता कुछ ?
भूखे हो तुम ??
नही भाई नही तो
बता क्या खाये ?
तुम कहां से पाये ??
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मेरी समझ में आज तक यह बात नहीं आयी है कि
यह क्यों कहा जाता है कि झूठ के पैर नहीं होते.
अब अगर झूठ के पैर नहीं होते,
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दिमाग घूम जाता है
बारह पंद्रह देवताओं से घर का मंदिर भर जाता है
कुछ पूजे जाते हैं कुछ के नाम को भी याद नहीं रखा जाता है
क्यों....
उल्लूक टाईम्स पर Sushil Kumar Joshi
क्यों....
उल्लूक टाईम्स पर Sushil Kumar Joshi
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चादर भी है, तकिया भी है,
बिछा हुआ है नर्म बिछौना।
रूठ गयी है निंदिया रानी,
कैसे आये स्वप्न सलोना?
चन्दा झाँक रहा है नभ से,
रात दुल्हनिया बनी हुई है।
मधुर मिलन की अभिलाषा में,
पलकें मेरी तनी हुई हैं।
युगों-युगों से रिक्त पड़ा है,
अब भी मेरे मन का कोना।..
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"सिमट रही खेती सारी"
"सिमट रही खेती सारी"
शस्यश्यामला धरती पर, उग रहे भवन भारी-भारी।।
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"मेरे प्रियतम"
कर रही हूँ प्रभू से यही प्रार्थना।
जिन्दगी भर सलामत रहो साजना।।
रोचक व पठनीय सूत्र..सबको त्योहार की शुभकामनायें।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन लिंकों के चयन के साथ बहुत ही सुंदर चर्चा, आपका आभार आदरेया।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर गुलदस्ते की भाति सजी है आज आपकी ये चर्चा रसीली भी है..काजल कुमार का चुटीला व्यंग भी समयोचित है. करवा चौथ पर विशेष रचनाएँ मनमोहक हैं. बधाई.
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग को भी शामिल कीजिए
जवाब देंहटाएंधन्यवाद.
http://iwillrocknow.blogspot.in/
बहुत सुंदर है आज की चर्चा उल्लूक का "तैंतीस करोड़ देवताओं को क्यों गिनने जाता है" को शामिल करने पर आभार !
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर चर्चा, आपका आभार .
जवाब देंहटाएंरोचक सूत्र ... मस्त कार्टून ...
जवाब देंहटाएंउम्दा लिंक्स। जीवन के विविध रूप रंग के साथ साथ करवा चौथ की महिमा उससे जुड़े भावों को साकार करती रचनायो के मध्य मेरी रचना को शामिल करने के लिए हार्दिक आभार आदरणीय ।सादर नमन :)
जवाब देंहटाएंसुन्दर लिक्स
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को शामिल करने के लिए हार्दिक आभार
बहुत उम्दा रोचक लिंक्स ,,,!
जवाब देंहटाएंRECENT POST -: हमने कितना प्यार किया था.
शुक्रिया शुक्रिया शुक्रिया !हमारे सेतु पिरोने का सुन्दर सेतु शानदार चर्चा।
जवाब देंहटाएंजन्म-ज़िन्दग़ी भर रहे, सबका अटल सुहाग।
जवाब देंहटाएंबेटों-बहुओं में रहे, प्रीत और अनुराग।४।
अति सुन्दर सार्थक सन्देश। सौभाग्य माँ बाप के साथ रहने का। उनका आशीष लेते रहने का।
जवाब देंहटाएंकर रही हूँ प्रभू से यही प्रार्थना।
जिन्दगी भर सलामत रहो साजना।।
चन्द्रमा की कला की तरह तुम बढ़ो,
उन्नति की सदा सीढ़ियाँ तुम चढ़ो,
आपकी सहचरी की यही कामना।
जिन्दगी भर सलामत रहो साजना।।
आभा-शोभा तुम्हारी दमकती रहे,
मेरे माथे पे बिन्दिया चमकती रहे,
मुझपे रखना पिया प्यार की भावना।
जिन्दगी भर सलामत रहो साजना।।
तीर्थ और व्रत सभी हैं तुम्हारे लिए,
चाँद-करवा का पूजन तुम्हारे लिए,
मेरे प्रियतम तुम्ही मेरी आराधना।
जिन्दगी भर सलामत रहो साजना।।
सुन्दर राग जीवन का साज सजना का साथ। बढ़िया प्रासंगिक प्रस्तुति।
पर्यावरण सचेत आधुनिक जीवन की झर्बेरियाँ लिए है यह रचना अपने सीने में प्यार लिए है।
जवाब देंहटाएंकाव्य संग्रह 'धरा के रंग' से एक गीत
"सिमट रही खेती सारी"
सब्जी, चावल और गेँहू की, सिमट रही खेती सारी।
शस्यश्यामला धरती पर, उग रहे भवन भारी-भारी।।
"धरा के रंग"
पर्यावरण सचेत आधुनिक जीवन की झर्बेरियाँ लिए है यह रचना अपने सीने में प्यार लिए है।
बेहतरीन लिंक्स संयोजन एवं प्रस्तुति
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