फ़ॉलोअर



यह ब्लॉग खोजें

सोमवार, अक्टूबर 14, 2013

विजयादशमी गुज़ारिश : चर्चामंच 1398

शुभम दोस्तो..
मैं 
सरिता भाटिया 
 '' विजयादशमी गुज़ारिश ''
चर्चामंच 1398
पर लेकर हाजिर हूँ 
सभी को रामनवमी एवं विजयादशमी 
की 
हार्दिक शुभकामनाएं 
||
विजयादशमी पावन त्यौहार 

कर्म अपने को जो रावण ने 

हे माता नवरूप तुम्हारे 

विजयदशमी 

दशहरा मुबारक 

विजयदशमी पर्व का 

अब रावण न जलाओ यारो 

दो अपना वात्सल्य माँ 

हे रावण बाबा अगले बरस जल्दी आना 
महेंद्र मिश्रा

रावण जलता नहीं 

कैसे किया जाए मैडिटेशन 

ईश्वर मेरी कविताएँ 

समझो बहार आई

हे परमेशानि 

मौन हुआ जब मन का पंछी 

दुकान नहीं थी 

मैं उनकी याद हूँ 

तूफ़ान ने तो रावण को नहीं बक्शा 

सुनते हुए एक सुन्दर भजन
     

दीजिए इज़ाज़त  
बड़ों को नमस्कार 
छोटों को प्यार 
--
"मयंक का कोना"
--
विजयादशमी और 21वी सदी

मेरी कविताओं का छोटा संग्रह- प्रतीक संचेती

--
एक जबाब माँगा था.

एक जबाब माँगा था मैंने 
तुमसे कब, प्यार का हिसाब माँगा था , 
सारे सवालों का, सिर्फ एक जबाब माँगा था....
काव्यान्जलि पर धीरेन्द्र सिंह भदौरिया
--
रावण अभी भी नहीं मरा है

शब्द-शिखर पर Akanksha Yadav

--
औरत

हंसी के दायरे सिमट कर खामोशी की एक सीधी रेखा में तब्दील हो चुके थे लिबास से बाहर झांकता एक ज़र्द चेहरा अन्दर की ओर मुड़े दो हाथ सिमटे पैरों के पंजे थे कोशिश करने पर बमुश्किल सुनी जा सकने वाली आवाज़ थी....
एक थी सोन चिरैया ...पर Vandana KL Grover 
--
कितने प्यासे हो तुम …कहो ना ! ...3

एक प्रयास पर vandana gupta

--
आज के रावण

मुझे कुछ कहना है ....पर अरुणा

--
बँधी भैंसें तबेले में
देखो, फँसा रहता झमेले में, 
मिले जो इनमें कड़वाहट, नहीं मिलती करेले में, हुनर जो लेरुओं में
 है, नहीं इंसा गदेले में, 
भले हम जानवर होकर, यहाँ आदम के मेले में, 
गुरु तो हैं गुरु लेकिन, भरा है ज्ञान चेले में..
दास्ताँने - दिल (ये दुनिया है दिलवालों की)

--
महिषासुर बध !

मेरे विचार मेरी अनुभूति पर कालीपद प्रसाद

--
रावण दहन

अंतर्नाद की थाप पर Kaushal Lal 

--
मै उनकी याद हूँ

मोहब्बत नामा पर Aamir Dubai

--
"बरखा हमें बुलाती है"
काव्य संग्रह 'धरा के रंग' से एक गीत
 
बरस रहे हैं रिम-झिम मेघा, पुरवइया गाती है।
आओ भीगें साथ-साथ हम, बरखा हमें बुलाती है।।

छम-छम पड़ती बारिश में, हम धोएँ मन के मैल सभी,
सदा प्यार से रहने की, हम सौगन्धें लें आज-अभी,
प्रेम-प्रीत का पानी पीकर, ही हरियाली आती है।
आओ भीगें साथ-साथ हम, बरखा हमें बुलाती है।।
"धरा के रंग"
--

20 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
    --
    विजयादशमी की हार्दिक शुभकामनाएँ।

    जवाब देंहटाएं
  2. पहले सदनों से इन्हें हटाओ ,

    फिर रावण नित जलाओ।

    पहले सदनों से इन्हें हटाओ ,

    फिर रावण नित जलाओ।

    सशक्त अभिव्यक्ति -सिर्फ परम्परा न निभाओ ,२०१४ में सब दैगैलों को भगाओ। सशक्त अभिव्यक्ति आज की बात।

    अब रावण न जलाओ यारो
    सरिता भटिया

    सशक्त अभिव्यक्ति -सिर्फ परम्परा न निभाओ ,२०१४ में सब दैगैलों को भगाओ। सशक्त अभिव्यक्ति आज की बात।

    जवाब देंहटाएं
  3. यही रूप ध्यान की भाव -अवस्था है। राधा -महाभाव है। बेहद सुन्दर प्रस्तुति।

    सब साधन जनु देह सम ,रूप ध्यान जनु प्रान ,

    खात ,गीध अरु स्वान जनु ,कामादिक शव मान (भक्ति शतक १० )


    यदि सभी प्रकार के ध्यान ,योग ,मनन को शरीर मेडीटेशन कहा जाए तब रूप ध्यान को ध्यान -मनन का प्राण (प्राण वायु ) माना जाएगा। जिसप्रकार निष्प्राण शरीर स्वानों और गिद्धों के खाद्य के समान है इसी प्रकार रूप ध्यान से शून्य साधना को फिर काम ,क्रोध ,लोभ -लालच ,और ईर्ष्या खा जाती है।

    हे परमेशानि
    अमृता तन्मय

    जवाब देंहटाएं
  4. छम-छम पड़ती बारिश में, हम धोएँ मन के मैल सभी,
    सदा प्यार से रहने की, हम सौगन्धें लें आज-अभी,
    प्रेम-प्रीत का पानी पीकर, ही हरियाली आती है।
    आओ भीगें साथ-साथ हम, बरखा हमें बुलाती है।।

    सशक्त अभिव्यक्ति

    बरस रहे हैं रिम-झिम मेघा, पुरवइया गाती है।
    आओ भीगें साथ-साथ हम, बरखा हमें बुलाती है।।

    छम-छम पड़ती बारिश में, हम धोएँ मन के मैल सभी,
    सदा प्यार से रहने की, हम सौगन्धें लें आज-अभी,
    प्रेम-प्रीत का पानी पीकर, ही हरियाली आती है।
    आओ भीगें साथ-साथ हम, बरखा हमें बुलाती है।।
    "धरा के रंग"

    जवाब देंहटाएं
  5. सशक्त अ -र्थाभिवाक्ति। अजी हटाना तो दूर मंदमति को लोग प्रधानमन्त्री बनाने का सोच रहे हैं।

    संसद में तमाम रावणों को बचाने के लिए बिल लाया गया भला हो सुप्रीम कोर्ट की फटकार का मंदमति के असमय प्रलाप का।

    रावण जलता नहीं
    राजीव कुमार झा

    जवाब देंहटाएं
  6. सशक्त भाव अभिव्यक्ति अर्थ अभिव्यक्ति। विचारणीय पक्ष उकेरती है यह रचना। अजी हटाना तो दूर मंदमति को लोग प्रधानमन्त्री बनाने का सोच रहे हैं।

    संसद में तमाम रावणों को बचाने के लिए बिल लाया गया भला हो सुप्रीम कोर्ट की फटकार का मंदमति के असमय प्रलाप का।

    रावण जलता नहीं
    राजीव कुमार झा

    जवाब देंहटाएं
  7. विजयादशमी की हार्दिक शुभकामनाएँ।
    सुंदर सूत्रों से सजी चर्चा में
    उल्लूक की दुकान की भी है चर्चा
    बहुत बहुत आभार !

    जवाब देंहटाएं
  8. बहुत सुन्दर प्रस्तुति।सुंदर सूत्रों से सजी चर्चा।

    जवाब देंहटाएं
  9. बहुत सुंदर सूत्रों से सजी चर्चा. मेरे पोस्ट 'रावण जलता नहीं' को शामिल करने के लिए आभार.
    विजयादशमी की हार्दिक शुभकामनाएँ.

    जवाब देंहटाएं
  10. शुक्रिया डॉ शास्त्री ..
    अपनी रचना के साथ अन्य रचनाकारों की रचनाओं से भी एक मुलाक़ात हुई ..अच्छा अनुभव रहा ..
    आभार ....

    जवाब देंहटाएं
  11. शुक्रिया चर्चा मंच टीम ,आज मोहब्बत नामा की एक पोस्ट की दो बार चर्चा हो गयी ,शायद गलती से हुई होगी।

    जवाब देंहटाएं
  12. bahut hi badhiya pathniy link mile ... samayachakr ki post ko shamil karne ke liye dhanyawad or sath hi vijayadashamin parv par aap sabhi ko hardik badhai shubhakamanayen ....

    जवाब देंहटाएं
  13. बहुत सुंदर सूत्र् .... मेरे पोस्ट को शामिल करने के लिए आभार......

    जवाब देंहटाएं
  14. विजयादशमी की हार्दिक शुभकामनाएं!
    आभार!

    जवाब देंहटाएं
  15. यहाँ आकर अति प्रसन्नता होती है.. शुभकामनाएं..

    जवाब देंहटाएं
  16. बहुत सुंदर सूत्र् ! मेरे पोस्ट को शामिल करने के लिए आभार.. !
    विजयादशमी की शुभकामनाए...!

    RECENT POST : - एक जबाब माँगा था.

    जवाब देंहटाएं
  17. विजया दशमी के सुंदर सूत्र।

    जवाब देंहटाएं
  18. देरी से उपस्थिति के लिए खेद..आभार सरिता जी

    जवाब देंहटाएं

"चर्चामंच - हिंदी चिट्ठों का सूत्रधार" पर

केवल संयत और शालीन टिप्पणी ही प्रकाशित की जा सकेंगी! यदि आपकी टिप्पणी प्रकाशित न हो तो निराश न हों। कुछ टिप्पणियाँ स्पैम भी हो जाती है, जिन्हें यथा सम्भव प्रकाशित कर दिया जाता है।