आदरणीय / आदरणीया नवरात्रि और विजयादशमी की हार्दिक शुभकामनायें
१२ से १८ फ़ैजाबाद/लखनऊ और १९-२० दिल्ली में रहूँगा २३ को धनबाद वापसी है-रविकर
१२ से १८ फ़ैजाबाद/लखनऊ और १९-२० दिल्ली में रहूँगा २३ को धनबाद वापसी है-रविकर
बढे धरा की शान, बने रविकर सद्कर्मी-
सद्कर्मी रचता रहे, हितकारी साहित्य |
प्राणि-जगत को दे जगा, करे श्रेष्ठतम कृत्य |
करे श्रेष्ठतम कृत्य, धर्म जब हो बेचारा |
होय भोग का भृत्य, चरण चौथा भी वारा |
होंय सफल तब विज्ञ, सुधारें दुष्ट अधर्मी |
बढे धरा की शान, बने रविकर सद्कर्मी ||
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वर्धा से कानपुर
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"हम पंछी हैं रंग-बिरंगे" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
रूपचन्द्र शास्त्री मयंक
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"मयंक का कोना"
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भोगवादी चार्वाक दर्शन जिनका आदर्श है ,
जो प्रकृति को भोग्या मान रहे हैं।
वो तिहाड़ पहुंचेगें वहां नहीं :
जो प्रकृति को भोग्या मान रहे हैं।
वो तिहाड़ पहुंचेगें वहां नहीं :
आपका ब्लॉग पर Virendra Kumar Sharma
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कुर्सी और वोट की खातिर काट काट के सूबे बनते
नेताओं के जाने कैसे कैसे , अब ब्यबहार हुए
मदन मोहन सक्सेना
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मैंने जज्बातों का
चोगा अब
उतार फेंका हैं...
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*विदा कर दिया मैंने* कल मैंने, सजा कर,
सँवार कर पूरे रीति रिवाजों के संग
अपनी कविता “सरसअनुभूति” को लोकार्पितकर दिया….
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“सांत्वना” अस्पताल से जाँच की रिपोर्ट लेकर घर लौटे द्वारिका दास जी अपनी पुरानी आराम कुर्सी पर निढाल होकर लेट से गये. छत को ताकती हुई सूनी निगाहों में कुछ प्रश्न तैर रहे थे ....
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सार्थक सूत्र...सुसज्जित मंच ...आभार !!
जवाब देंहटाएंनवरात्रि की शुभकामनाएँ !!
सुप्रभात...आपका बुधवार मंगलमय हो। माँ दुर्गा आपका कल्याण करें।
जवाब देंहटाएं--
बहुत सुन्दर और स्तरीय चर्चा।
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आपका आभार रविकर जी।
सुप्रभात
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया चर्चा प्रस्तुति ...
रविकर की आज की सुंदर मनभावन चर्चा में
जवाब देंहटाएंलो मित्र तुम्हारे प्रश्न का उत्तर हम यूं लेकर आते हैं
को स्थान मिला आभार !
आदरणीय / आदरणीया नवरात्रि और विजयादशमी की हार्दिक शुभकामनायें
जवाब देंहटाएं१२ से १८ फ़ैजाबाद/लखनऊ और १९-२० दिल्ली में रहूँगा २३ को धनबाद वापसी है-रविकर
बहुत ही बेहतरीन लिंकों के साथ सुन्दर चर्चा हेतु आपका धन्यबाद आदरणीय रविकर जी। माँ दुर्गा जी सबका कल्याण करें।
जवाब देंहटाएंबहुत खूब सुंदर लिंक्स , आभार |
जवाब देंहटाएंआभार
जवाब देंहटाएंभाई श्री मयंक जी
मेरे लिये जगह बनाई आपने
मन के कोने में
सुन्दर सांगीतिक रचना सूर्य स्तुति :
जवाब देंहटाएंपवन में मस्त होकर, धान लहराते फुहारों में,
पहाड़ों से उतर कर, मेह को बरसा गये बादल।
स्वर भी बंदिश की माधुर्य लिए हैं निर्दोष उच्चारण लिए हुए हैं।
"छा गये बादल"
रूपचन्द्र शास्त्री मयंक
सुख का सूरज
Aadarniy Ravikar ji .. kirpa karke mere blog ka link punh post kare yah link kisi karwash khul nahi pa rha hai .. Asuwidha ke liye kshma prarthi hun ..
जवाब देंहटाएंhttp://mahindhoop.blogspot.in/
समय है निभा दो तुम अपना फर्ज़ ,
जवाब देंहटाएंउतार न सकोगे उसका कभी कर्ज़ ,
बढ़ता ही जाएगा तुम्हारा मर्ज़।
रहोगे खुदगर्ज़ के खुदगर्ज़ ,
चेतो चेतो फिर करूँ हूँ अर्ज़।
बढ़िया पोस्ट सशक्त रचना सन्देश देती हुई सामयिक अर्थ पूर्ण लोक-कल्याण कारी।
औरत
सरिता भाटिया
गुज़ारिश
जवाब देंहटाएंकाजल कुमार के कार्टून
क्या बात है चित्र व्यंग्य की धार की ,पुरुस्कारों की औकात बतलादी ,राजनीति भी।
जवाब देंहटाएंकाजल कुमार के कार्टून
जवाब देंहटाएंऐसे ही निसिदिन गुर्राते हैं आर्थिक सम्बन्ध ,,
सुन पाते नहीं ये कुछ हैं ऐसे (सम्बन्ध )होतें हैं अनुबंध।
सशक्त लघुकथा तदानुभूति कराती आर्थिक आँखें गुर्राती।
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लघु कथा :
“सांत्वना” अस्पताल से जाँच की रिपोर्ट लेकर घर लौटे द्वारिका दास जी अपनी पुरानी आराम कुर्सी पर निढाल होकर लेट से गये. छत को ताकती हुई सूनी निगाहों में कुछ प्रश्न तैर रहे थे ....
अरुण कुमार निगम (हिंदी कवितायेँ)
जवाब देंहटाएंऐसे ही निसिदिन गुर्राते हैं आर्थिक सम्बन्ध ,,
सुन पाते नहीं ये कुछ हैं ऐसे (सम्बन्ध )होतें अनुबंध।
सशक्त लघुकथा तदानुभूति कराती आर्थिक आँखें गुर्राती।
बढ़िया दृष्टि सार्थक कलम .
जवाब देंहटाएंबढ़े धरा की शान
रविकर
बढे धरा की शान, बने रविकर सद्कर्मी-
सद्कर्मी रचता रहे, हितकारी साहित्य |
प्राणि-जगत को दे जगा, करे श्रेष्ठतम कृत्य |
एक पत्थर मार उसमें छेद कर
जवाब देंहटाएंउड़ गया बादल तो क्या बरसाएगा
चंद खुशियाँ तू भी भर ले हाथ में
रह गया तो बाद में पछताएगा
छीन ले शमशीर उसके हाथ से
मार कब तक बेवजह फिर खाएगा
दर्द पर मरहम लगा दे गैर के
देख फिर ये आसमां झुक जाएगा
तू बिना मांगे ही देना सीख ले
देख बिन मांगे ही सबकुछ पाएगा
एक से बढ़के एक अशआर :
वोट को भुगताना अब तू सीख ले ,
सेकुलर बढ़ आगे तेरे पाँव पे गिर जाएगा।
जेल भुगताके वो फिर से चारा खाने आयेगा।
जेब में खंजर छुपा के लाएगा ...
noreply@blogger.com (दिगम्बर नासवा)
स्वप्न मेरे...........
सुंदर लिंक्स , आभार ...!
जवाब देंहटाएंRECENT POST : अपनी राम कहानी में.
गुनगुनाहट लिए छंद बढ अप्रतिम रचना। सुन्दर मनभावन,जैसे सावन।
जवाब देंहटाएंइन्द्र धनुष जब नभ में उगता,
प्यारा बहुत नजारा होता।
धरा-धाम के पाप-ताप को,
घन जब पावन जल से धोता।
जल की बून्दें बहुत सुहाती,
पड़ती हैं जब घर-आँगन में।
हम पंछी हैं रंग-बिरंगे,
चहक रहे हैं वन-उपवन में।।
"हम पंछी हैं रंग-बिरंगे" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
रूपचन्द्र शास्त्री मयंक
उच्चारण
गदराई पेड़ों की डाली
हमें सुहाती हैं कानन में।।
हम पंछी हैं रंग-बिरंगे,
चहक रहे हैं वन-उपवन में।।
गुनगुनाहट लिए छंद बद्ध अप्रतिम रचना। सुन्दर मनभावन,जैसे सावन।
जवाब देंहटाएं"हम पंछी हैं रंग-बिरंगे" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
रूपचन्द्र शास्त्री मयंक
उच्चारण
गदराई पेड़ों की डाली
हमें सुहाती हैं कानन में।।
हम पंछी हैं रंग-बिरंगे,
चहक रहे हैं वन-उपवन में।।
बढ़िया लिंक्स , आभार
जवाब देंहटाएंगुनगुनाहट लिए अप्रतिम रचना। सुन्दर मनभावन,जैसे सावन।
जवाब देंहटाएंविदा कर दिया मैंने
विदा कर दिया मैंने
कल मैंने,
सजा कर, सँवार कर
पूरे रीति रिवाजों के संग
अपनी कविता “सरस अनुभूति” को
लोकार्पित कर दिया….
ताकि बाहर की दुनिया को
वो जान सके, समझ सके
और अपनी पहचान बना सके ।
बड़े नाजों से पाला था
नेक संस्कारों में भी ढाला था
और कब तक सहेजती मैं
एक दिन तो जाना ही था उसे
समाज के प्रति उठे मनोभाव को
समाज को ही समर्पित कर दिया
पर कभी सोचती हूँ ..
दुनिया की इस भीड़ में
कहीं खो न जाए
इसी लिए हिम्मत देती रहती
“नाहक थपेड़ों से मत घबराना
निर्मल झरने की तरह
निरंतर बहती रहना
जितना तपोगी उतना ही निखरोगी
तुम्हें और सबल ,सरस बनना है
ताकि जन-जन के हदय में
अनवरत बह सको”
यही शुभकामनाओं के साथ
विदा कर दिया मैंने
अपनी लाडली “सरस अनुभूति” को..
****************
महेश्वरी कनेरी
विदा कर दिया भावों को अनुभावों को सब जीवन के रागों को। बेहद सशक्त रचना
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विदा कर दिया मैंने
*विदा कर दिया मैंने* कल मैंने, सजा कर,
सँवार कर पूरे रीति रिवाजों के संग
अपनी कविता “सरसअनुभूति” को लोकार्पितकर दिया….
अभिव्यंजना पर Maheshwari kaneri
बहुत उम्दा लिनक्स .मेरी लिखी लाइन्स को यहाँ शामिल करने के लिय आपका आभार
जवाब देंहटाएंरोचकता व पठनीयता से परिपूर्ण सूत्र।
जवाब देंहटाएंपठनीय सूत्र ... आभार मुझे भी स्थान देने का ...
जवाब देंहटाएंसुंदर चर्चा, मुझे भी सम्मिलित करने के लिये आभार..........
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया चर्चा प्रस्तुति ...मुझे भी सम्मिलित करने के लिये आभार..........
जवाब देंहटाएं