आज की चर्चा में आपका हार्दिक स्वागत है
चलते हैं चर्चा की ओर
धन्यवाद
"मयंक का कोना"
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कुर्सी
कुर्सी
प्रतीक्षा में है
कोई आये
और
उसको अपनाये...
मेरी कविताएं पर Vijay Kumar Shrotryia
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लोकप्रिय शायर मेराज फैज़ाबादी की ग़ज़लें
सुनहरी कलम से...पर जयकृष्ण राय तुषार
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बिना कसाई को देखे बकरे के मिमियाने म्हं म्हं करने से
यह सिद्ध नहीं होता कि वह मारा जा रहा है
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करिश्मा देखने दिखाने की आदि
करिश्माई सरकार
सरकार बहुत खुश है -चलो लोगों का ध्यान कोयले से
हटके एक ही झटके में सोने पे आ गया
संत परमहंस स्वामी विरक्तानंद उर्फ शोभन सरकार तुमको लाखों प्रणाम...
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ऐसे ही भारत को सोने की चिड़िया नहीं कहा गया है -
एक दिन शोभन सरकार ये भी बोलेंगे ,
अर्थव्यवस्था के झोल खोलेंगे,
फिर एक दिन अपने "मोहन" को भी सोने से तौलेंगे।
आपका ब्लॉग पर Virendra Kumar Sharma
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सुनो ! तुम नहीं जानते
तुम नहीं जानते ? ---------------------
आज न जाने क्यूँ तुम बहुत याद आ रहे हो
तुम्हारे पास बैठ बस तुम्हे निहारते रहने को दिल कर रहा है
बिना बोले न जाने कितनी बातें करनी हैं
तुम्हारी प्रतीक्षा में -
मेरी निगाहें रह रह के दरवाज़े पे टहल आती हैं
हवा से भी जब सांकल बज उठती तो
बार बार तुम्हारे ही आने का भरम होता है ---
ये पन्ने ........सारे मेरे अपने -
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कविता
सवाल दंगों में कौन मारा गया
हिंदू या मुसलमान या कि सिर्फ इंसान
गलियों, सड़कों और चौपालों में खून किसका बहा
हिंदू का या मुसलमान का
या कि सिर्फ इंसानियत का....
रात के ख़िलाफ़ पर Arvind Kumar
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"हमारे लिए"
सुख का सूरज
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यहाँ नारी का आदर नहीं हो सकता
! कौशल ! पर Shalini Kaushik
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दिल ऐसे ही तोडा जाता है -लघु कथा
भारतीय नारी पर shikha kaushik
"मयंक का कोना"
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कुर्सी
कुर्सी
प्रतीक्षा में है
कोई आये
और
उसको अपनाये...
मेरी कविताएं पर Vijay Kumar Shrotryia
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लोकप्रिय शायर मेराज फैज़ाबादी की ग़ज़लें
सुनहरी कलम से...पर जयकृष्ण राय तुषार
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बिना कसाई को देखे बकरे के मिमियाने म्हं म्हं करने से
यह सिद्ध नहीं होता कि वह मारा जा रहा है
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करिश्मा देखने दिखाने की आदि
करिश्माई सरकार
सरकार बहुत खुश है -चलो लोगों का ध्यान कोयले से
हटके एक ही झटके में सोने पे आ गया
संत परमहंस स्वामी विरक्तानंद उर्फ शोभन सरकार तुमको लाखों प्रणाम...
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ऐसे ही भारत को सोने की चिड़िया नहीं कहा गया है -
एक दिन शोभन सरकार ये भी बोलेंगे ,
अर्थव्यवस्था के झोल खोलेंगे,
फिर एक दिन अपने "मोहन" को भी सोने से तौलेंगे।
आपका ब्लॉग पर Virendra Kumar Sharma
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सुनो ! तुम नहीं जानते
तुम नहीं जानते ? ---------------------
आज न जाने क्यूँ तुम बहुत याद आ रहे हो
तुम्हारे पास बैठ बस तुम्हे निहारते रहने को दिल कर रहा है
बिना बोले न जाने कितनी बातें करनी हैं
तुम्हारी प्रतीक्षा में -
मेरी निगाहें रह रह के दरवाज़े पे टहल आती हैं
हवा से भी जब सांकल बज उठती तो
बार बार तुम्हारे ही आने का भरम होता है ---
ये पन्ने ........सारे मेरे अपने -
--
कविता
सवाल दंगों में कौन मारा गया
हिंदू या मुसलमान या कि सिर्फ इंसान
गलियों, सड़कों और चौपालों में खून किसका बहा
हिंदू का या मुसलमान का
या कि सिर्फ इंसानियत का....
रात के ख़िलाफ़ पर Arvind Kumar
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"हमारे लिए"
काव्य संग्रह "सुख का सूरज" से
एक गीत
"हमारे लिए"
जी रहे पेड़-पौधे हमारे लिए,
दे रहे हैं हमें शुद्ध-शीतल पवन!
खिलखिलाता इन्हीं की बदौलत सुमन!!
रत्न अनमोल हैं ये हमारे लिए।
जी रहे पेड़-पौधे हमारे लिए।।
आदमी के सितम-जुल्म को सह रहे,
परकटे से तने निज कथा कह रहे,
कर रहे हम इन्हीं का हमेशा दमन!
सह रहे ये सभी कुछ हमारे लिए।
जी रहे पेड़-पौधे हमारे लिए।।..
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यहाँ नारी का आदर नहीं हो सकता
! कौशल ! पर Shalini Kaushik
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दिल ऐसे ही तोडा जाता है -लघु कथा
भारतीय नारी पर shikha kaushik
सुप्रभात आदरणीय / आदरेया-
जवाब देंहटाएंधनबाद से चर्चा मंच में शामिल हूँ-
सुन्दर चर्चा मंच का संकलन-
आभार भाई दिलबाग जी -
गंडा बाँधे फूँक कर, थू थू कर ताबीज |
जवाब देंहटाएंगड़ा खजाना खोद के, रहे हाथ सब मींज |
रहे हाथ सब मींज, मरी चुहिया इक निकली |
करे मीडिया मौज, उड़ा के ख़बरें छिछली |
रकम हुई बरबाद, निकलते दो ठो हंडा |
इक तो भ्रष्टाचार, दूसरा प्रोपेगंडा |
ऐसे ही भारत को सोने की चिड़िया नहीं कहा गया है -
एक दिन शोभन सरकार ये भी बोलेंगे ,
अर्थव्यवस्था के झोल खोलेंगे,
फिर एक दिन अपने "मोहन" को भी सोने से तौलेंगे।
आपका ब्लॉग पर Virendra Kumar Sharma
आज की चर्चा में बहुत ही उम्दा सूत्र जोड़ने के लिए आपका सादर आभार दिलबाग जी !!
जवाब देंहटाएंबड़े ही सुन्दर और पठनीय सूत्र, आभार।
जवाब देंहटाएंपूरी बंदिश एक रागिनी इस मंद मंद समीर सा प्रवाह लिए बहे जा रही है कहती हुई -
जवाब देंहटाएंमहाकाल के हाथ पे गुल होते हैं पेड़ ,
सुषमा तीनों लोक की कुल होते हैं पेड़।
जी रहे पेड़-पौधे हमारे लिए,
दे रहे हैं हमें शुद्ध-शीतल पवन!
खिलखिलाता इन्हीं की बदौलत सुमन!!
रत्न अनमोल हैं ये हमारे लिए।
जी रहे पेड़-पौधे हमारे लिए।।
आदमी के सितम-जुल्म को सह रहे,
परकटे से तने निज कथा कह रहे,
कर रहे हम इन्हीं का हमेशा दमन!
सह रहे ये सभी कुछ हमारे लिए।
जी रहे पेड़-पौधे हमारे लिए।।..
सुख का सूरज
सुंदर सूत्र सुंदर चर्चा
जवाब देंहटाएंदिलबाग को उल्लूक का आभार
सरकारी खर्चे पर सिखा रहे हैं ताली बजाना क्यों नहीं जाता है
को जगह देने के लिये
सशक्त सन्देश परक लघु कथा छोटा कलेवर बड़ा सा दिल लिए।
जवाब देंहटाएं! कौशल ! पर Shalini Kaushik
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दिल ऐसे ही तोडा जाता है -लघु कथा
भारतीय नारी पर shikha kaushik
राजा के लिए प्रजा ही सरोपरी होती है। उसका आशंकित हो राजरानी के बारे में ही कुछ कहना राज्य के हित में नहीं होता उसकी आशंका का निवारण ही राम का धरम था। और श्री सीता कोई साधारण स्त्री नहीं थीं राम की दिव्य शक्ति थीं राम ही का विस्तार थीं। लीला थीं श्री सीता राम की। कहाँ आप उन्हें आधुनिक निकृष्ट सन्दर्भों के बरक्स रख रहीं हैं।
जवाब देंहटाएंयहाँ नारी का आदर नहीं हो सकता
! कौशल ! पर Shalini Kaushik
कहां हैं मानते इसको परिंदे
जवाब देंहटाएंजो दो देशों ने ये सीमा बना दी
बुजुर्गों के दिलों पे रख के पत्थर
दरों दीवार बच्चों ने उठा दी
वाह क्या अशआर लिखें हैं परिवेश को उधेड़ते हुए बतियाते से।
लो फिर से ख्वाब की झाड़ी उगा दी
जवाब देंहटाएंमार्मिक चुभन लिए है कथा। लोक व्यवहार की झर्बेरियाँ मार डालती हैं आदमी को उम्र से पहले।
प्रोफ़ेसर गीता शर्मा
विडंबना
प्रोफ़ेसर गीता शर्मा
जवाब देंहटाएंविडंबना
मार्मिक चुभन लिए है कथा। लोक व्यवहार की झर्बेरियाँ मार डालती हैं आदमी को उम्र से पहले।
मैया दस्तक दे रही ,खोलो मन के द्वार
जवाब देंहटाएंसुन्दर कुंडलियाँ रागात्मकता लिए।
सुंदर चर्चा ,आज की.
जवाब देंहटाएंनई पोस्ट : उत्सवधर्मिता और हमारा समाज
बहुत विस्तृत चर्चा ...
जवाब देंहटाएंशुक्रिया मेरी गज़ल को जगह देने के लिए ...
बहुत सुन्दर और विस्तृत लिंक्स...
जवाब देंहटाएंबहुत उम्दा सुंदर लिंक्स ,,,!
जवाब देंहटाएंRECENT POST -: हमने कितना प्यार किया था.
सुन्दर चर्चा
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुति.
आप सभी का मेरे ब्लॉग पर स्वागत है.
http://iwillrocknow.blogspot.in/
सुन्दर लिनक्स आभार सर जी |
जवाब देंहटाएंधन्यवाद... अच्छा लगा कुर्सी को चर्चामंच पर देखकर...
जवाब देंहटाएं