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शुक्रवार, अक्तूबर 04, 2013

लोग जान जायेंगे (चर्चा -1388)

मस्कार मित्रों, मैं राजेंद्र कुमार चर्चा मंच पर अपने प्रथम चर्चा में आपका हार्दिक अभिनन्दन करता हूँ। चर्चा मंच से जुड़ना सौभाग्य की बात है,चर्चा मंच परिवार का हार्दिक आभार व्यक्त करते हुए शगुन के तौर पर आपके २१ ब्लोगों के लिंक प्रस्तुत है ……

लोग जान जायेंगे....
अमृता तन्मय 
इतना न लिखो मुझे
लोग जान जायेंगे
फिर अर्थों के अधीर अधरों पर
अपना कान लगायेंगे

श्रीमदभगवत गीता अध्याय चार :श्लोक (२६ )
वीरेंदर कुमार शर्मा 
श्रोत्रादीनीन्द्रियान्य अन्ये ,संयामाग्निषु जुह्वति ,
शब्दादीन विषयां अन्ये इंद्रियाग्निषु जुह्वति।


अन्य योगी लोग श्रोत्रादि समस्त इन्द्रियों का संयम रुपी अग्नि में हवन करते हैं तथा कुछ लोग शब्दादि विषयों का इन्द्रिय रुपी अग्नि में हवन करते हैं। 

दायें बीयर बार पब, बाएं बिकता गोश्त
रविकर जी 
गाँधी कब का भूलते, दो अक्तूबर दोस्त |
दायें बीयर बार पब, बाएं बिकता गोश्त |
बाएं बिकता गोश्त, पार्क में अनाचार है |
उधम मचे बाजार, तडपती दिखे नार है |
इत मोदी का जोर, बड़ी जोरों की आँधी |
उत उठता तूफ़ान, दिखा गुस्से में गाँधी ||

*****

बेटिया
कुलदीप सिंह 
कितना कुछ सह जाती है बेटिया
अक्सर चुप रह जाती है बेटिया !!

What's your computer window version 
आमिर दुबई 
डियर रीडर्स , आज मै आपको एक ट्रिक बताता हूँ ,जिससे आप अपने कंप्यूटर की विंडो के बारे में जान सकते हैं। सिर्फ एक कॉड जिससे आपको पता चलेगा की आपके कंप्यूटर में कौन सी विंडो है ? कौन सा सर्विस पेक है ? फुल है या ट्रायल है ,वगैरा वगैरा।
सिंदूर
अनुलता
किसी ढलती शाम को
सूरज की एक किरण खींच कर
मांग में रख देने भर से

वो पहला एहसास
गुरनाम सिंह सोढ़ी 
जीवन का पहला सब कुछ प्यारा होता है ना
पहली बार आखें खोलना
पहला शब्द माँ,
पहला जन्मदिन,
स्कूल का पहला दिन,

अतिक्रान्तिकारी -हरिशंकर परसाई
रणधीर सिंह सुमन सिंह
मेरी एक अतिक्रान्तिकारी से मुलाकात हो गई। एक बेचारा मामूली क्रान्तिकारी होता है, जो क्षेत्र में काम करता है। भूखा रहता है।

विविध भारती ! बचपन के दोस्त को जन्मदिन मुबारक़
कंचन सिंह चौहान
यूनुस जी की फेसबुक पोस्ट पर पढ़ा आज विविध भारती का जन्म दिन है। 

जाम - ए - हसरत न रख ख़ाली ऐ साकी 
तमाशा-ए-जिंदगी का जश्न बाकि है अभी

दिव्‍य-दिवस
विकेश कुमार बडोला
तीसरी मंजिल का किराए का घर। घर के बाहर अहाते में खड़े-खड़े ही अद्वितीय सौन्‍दर्य से पूर्ण प्रात:काल देख रहा हूँ। पूर्व में व्‍याप्‍त सूर्य किरणों की आभा से अभिभूत।


जरूरी नहीं सब सबकुछ समझ ले जायें
सुशिल कुमार जोशी 
विचारधाराऐं नदी के 
दो किनारों की धाराऐं 
किसी एक को अपनायें 
सोचें कुछ नहीं बस 
आत्मसात करें और

अनुभवी और आकर्षक...
सौम्या अपराजिता 
तीन -चार दशक पूर्व अपने आकर्षण और अभिनय से दर्शकों को मोहित कर चुकी अभिनेत्रियां अब चरित्र भूमिकाओं में ढलकर सिल्वर स्क्रीन पर शानदार अभिनय की बानगी पेश कर रही हैं।

होरी खेलूंगी कह कर बिस्मिल्लाह
इष्ट देव सांकृत्यायन
नाम नबी की रतन चढी, बूँद पडी इल्लल्लाह
रंग-रंगीली उही खिलावे, जो सखी होवे फ़ना-फी-अल्ला

कैसे खिलूँ .........
साधना वैद 


(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')

बेचारों के चारे को वो पचा न पाया।
संसद का शैतान स्वयं को बचा न पाया।।

गौमाता... गौहत्या
दर्शन जन्गरा
03/10/2013. State हरयाणा.... jila भिवानी के गावों ईशरवाल के पास आज गौमाता से भरी गाडी पकड़ी गयी ...

ग़ज़ल - ख़ुद पे जब जब भी
डॉ. हीरालाल प्रजापति
ख़ुद पे जब जब भी कभी आँख उठाई हमने ॥
कुछ न कुछ तो कमी हर बार ही पाई हमने ॥

सारिक खान

और भी हैं मजदूर
सरकारी विभाग के
डाटा एंट्री ऑपरेटर
अखबार कार्यालय के


इसी के साथ आप सबको शुभ विदा मिलते हैं अगले शुक्रवार को कुछ नये लिंकों के साथ। आपका दिन मंगलमय हो। 

जारी है 
'मयंक का कोना'
♥चर्चा मंच की दिनचर्या♥
मैं (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक') स्थानापन्न चर्चाकार के रूप में 
चर्चा मंच की सेवा करता ही रहूँगा।
चर्चा मंच के शुक्रवार के चर्चाकार 
मेरा फोटो
चर्चा मंच परिवार आपका स्वागत करता है।
--
सुनो जिंदगी -

 जिंदगी सुन रही हो न ? 
कितनी जिद्दी हो तुम 
जरा मेरी बात भी सुना करो कभी 
खुद से बाहर भी रहा करो 
जरा झाँक कर देखो तो सही 
आसमान में बादलों का लिहाफ है 
ओढ़ कर उसे कुछ ख्वाब बुनो ....
ये पन्ने ........सारे मेरे अपने -पर Divya Shukla
--
भरोसा

तमाशा-ए-जिंदगी पर तुषार राज रस्तोगी

--
श्री खाटू श्याम जी भाग 2.
खाटू मंदिर में पाँच चरणों में आरती होती है- मंगला आरती प्रात: 5 बजे, धूप आरती प्रात: 7 बजे, भोग आरती दोपहर:12.15 बजे, संध्या आरती सायं : 7.30 बजे और शयन आरती रात्रि : 10 बजे होती है। गर्मियों के दिनों में हालाँकि इस समय थोड़ा बदलाव रहता है। कार्तिक शुक्ल एकादशी को श्यामजी के जन्मोत्सव के अवसर पर मंदिर के द्वार 24 घंटे खुले रहते हैं...
ॐ ..प्रीतम साक्षात्कार ..ॐ पर सरिता भाटिया

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भगवान ने स्वयं बनवाई 
रामानंद सागर जी से रामायण .
रामायण को पढना सभी के लिए संभव नहीं और अखंड रामायण का पाठ भी सभी को अपने आदर्श राम के चरित्र से उस तरह नहीं जोड़ पाते जिस तरह रामानंद सागर जी की रामायण सभी को जोड़ देती है और इसी कारण आजकल रामलीला के दौरान लोग इसे कहीं घर में तो कहीं विभिन्न समूहों द्वारा किये गए आयोजन में देखने के लिए समय से पहले पहुँच लेते हैं और बाकायदा प्रशाद भी चढाते हैं और ये सब देख यही लगता है कि रामायण बनवाने के लिए रामानंद सागर जी को स्वयं भगवान् ने ही प्रेरणा दी होगी ...
! कौशल ! पर Shalini Kaushik

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कोई-कोई ही यहाँ, माहिर संगतराश है....
आदमियत खो गई, आदमी हताश है  हुज़ूम-ए-आदमी में अब, आदमी की तलाश है 
दोज़-ज़िन्दगी हो गई, साग़र की गोद में  और ख़ुश्क-खुश्क़ गला रहा, हर तरफ प्यास है ...
काव्य मंजूषा
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एलोवेरा (घृतकुमारी) के लाभ और गुण।

प्रचार पर HARSHVARDHAN 

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एक कड़ा संदेश

न्यायालय ने दे दिया, एक कड़ा संदेश । 
भ्रष्टाचारियों सावधान, जाग रहा है देश ।। 
नौकरशाह हो या नेता, घिर रहें हैं आज | 
नोट नीति से कब तक, कुचलोगे आवाज ...
मेरा काव्य-पिटारा पर ई. प्रदीप कुमार साहनी
--
"कौआ" 
बालकृति नन्हें सुमन से
 एक बालकविता

कौआ बहुत सयाना होता।
कर्कश इसका गाना होता।।
नन्हे सुमन
--
कार्टून :- रे लालू , इब तेरो ललना भयो उदास

काजल कुमार के कार्टून

28 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत बहुत स्वागत श्री राजेंद्र जी |
    सुंदर लिंक्स से सजी पोस्ट |
    “अजेय-असीम{Unlimited Potential}”

    जवाब देंहटाएं
  2. मन भावन लिंक्स |सुन्दर गुलाब की पंखुड़ी सी |
    आशा

    जवाब देंहटाएं
  3. आपने तो पहली ही चर्चा में एक सफल चर्चाकार की छवि प्रदर्शित कर दी।
    --
    चर्चा मंच पर आपका स्वागत है भाई राजेन्द्र कुमार जी।

    जवाब देंहटाएं
  4. सार्थक सूत्रों से सजा सुसज्जित मंच राजेन्द्र जी ! मेरी प्रस्तुति को भी इसमें सम्मिलित किया आभारी हूँ !

    जवाब देंहटाएं
  5. प्रेम गोपन रहे भी कैसे जब न में भी अन्तर्निहित रहती है हाँ। बहुत खूब उड़ेला है मन के भावों और अनुरागों को गोपन को। सुन्दर रचना।

    लोग जान जायेंगे....
    अमृता तन्मय

    इतना न लिखो मुझे
    लोग जान जायेंगे
    फिर अर्थों के अधीर अधरों पर
    अपना कान लगायेंगे

    जवाब देंहटाएं

  6. बेहद सशक्त रहा चर्चा मंच। हमारी प्रविष्टि (सेतु ,पोस्ट )को खपाने के लिए आपका आभार।

    जवाब देंहटाएं
  7. सर्दी में घड़े को उलटा करके छत पे रख देते हैं वैसे ही लालू राजनीति में अब गैर -प्रासंगिक हो चुके हैं।

    बहुत सार्थक प्रतीक है उलटी लालटेन जैसे किसी की मौत के बाद खाट को उलटा खड़ा कर देते हैं।

    --
    कार्टून :- रे लालू , इब तेरो ललना भयो उदास

    काजल कुमार के कार्टून

    जवाब देंहटाएं
  8. हाँ ये भी भगवान् का ही काम था जो सागर साहब कर गए। सुन्दर।

    भगवान ने स्वयं बनवाई
    रामानंद सागर जी से रामायण .
    रामायण को पढना सभी के लिए संभव नहीं और अखंड रामायण का पाठ भी सभी को अपने आदर्श राम के चरित्र से उस तरह नहीं जोड़ पाते जिस तरह रामानंद सागर जी की रामायण सभी को जोड़ देती है और इसी कारण आजकल रामलीला के दौरान लोग इसे कहीं घर में तो कहीं विभिन्न समूहों द्वारा किये गए आयोजन में देखने के लिए समय से पहले पहुँच लेते हैं और बाकायदा प्रशाद भी चढाते हैं और ये सब देख यही लगता है कि रामायण बनवाने के लिए रामानंद सागर जी को स्वयं भगवान् ने ही प्रेरणा दी होगी ...
    ! कौशल ! पर Shalini Kaushik

    जवाब देंहटाएं

  9. कोई-कोई ही यहाँ, माहिर संगतराश है....


    आदमियत खो गई, आदमी हताश है
    हुज़ूम-ए-आदमी में अब, आदमी की तलाश है

    दोज़-ज़िन्दगी हो गई, साग़र की गोद में
    और ख़ुश्क-खुश्क़ गला रहा, हर तरफ प्यास है

    वो चीज़ हमारी भी है, और चीज़ हमारी नहीं
    उस ख़ुदा ने रच दिया, इक ग़ज़ब कयास है

    हबीब रह रहे यहाँ, अजनबी लिहाफ़ में
    कुछ जिस्म अजनबी से हैं, बे-तक़ल्लुफ़ लिबास है

    सम्हल-सम्हल के चल रहे, इश्क़ के मक़ाम तक
    कई जगह फ़रेब का, दिख रहा निवास है

    वो सर-बसर हो गया, मेरी क़ायनात पर
    मेरी ही जान जाने क्यों, थोड़ी सी उदास है

    है फ़रेब इक फ़न 'अदा',और सारे फ़नकार नहीं
    कोई-कोई ही यहाँ, माहिर संगतराश है

    सारे अशआर सम्भाल के रख लो यारों वक्त बे -वक्त काम आयेंगे

    --
    कोई-कोई ही यहाँ, माहिर संगतराश है....
    आदमियत खो गई, आदमी हताश है हुज़ूम-ए-आदमी में अब, आदमी की तलाश है
    दोज़-ज़िन्दगी हो गई, साग़र की गोद में और ख़ुश्क-खुश्क़ गला रहा, हर तरफ प्यास है ...
    काव्य मंजूषा

    जवाब देंहटाएं

  10. अति सुन्दर भावाभिव्यक्ति।

    जिंदगी सुन रही हो न ?
    कितनी जिद्दी हो तुम
    जरा मेरी बात भी सुना करो कभी
    खुद से बाहर भी रहा करो
    जरा झाँक कर देखो तो सही
    आसमान में बादलों का लिहाफ है
    ओढ़ कर उसे कुछ ख्वाब बुनो ....
    ये पन्ने ........सारे मेरे अपने -पर Divya Shukla
    --

    जवाब देंहटाएं
  11. काश राजनीति में होता ,

    चुन चुनके कालों को धोता।

    कौआ बहुत सयाना होता।
    कर्कश इसका गाना होता।।
    नन्हे सुमन

    जवाब देंहटाएं
  12. बहुत मनोयोग से लगायी है राजेंद्र जी ने अपनी प्रथम चर्चा सुंदर सूत्र संयोजन के साथ उल्लूक की रचना "जरूरी नहीं सब सबकुछ समझ ले जायें" को जगह देने के लिये आभार !

    जवाब देंहटाएं
  13. आदरणीय राजेंद्र जी, पहली ही चर्चा सफल रही, शुभकामनायें................

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  14. स्वागत है श्रीमान जी, शुभकामना अपार |
    बढ़िया चर्चा है सजी, बहुत बहुत आभार ||

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  15. सुंदर सूत्रों से सुसज्जित मंच राजेन्द्र जी ! बधाई !
    नई पोस्ट : नई अंतर्दृष्टि : मंजूषा कला

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  16. आज तो चर्चा मंच कुछ अगल सा दिख रहा है बेहतरीन चर्चा आज की ,राजेन्द्र जी ! बधाई !
    आज की चर्चा में मेरी पोस्ट को सामिल किया आप का बहुत बहुत .आभार

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  17. सर्व प्रथम राजेन्द्र जी का चर्चा मंच पर हार्दिक स्वागत है ,सुन्दर सूत्रों से सुसज्जित चर्चा के लिए हार्दिक बधाई राजेंद्र जी और आदरणीय शास्त्री जी को

    जवाब देंहटाएं
  18. धन्यवाद! इन अनुभवी ब्लॉगरों की आकर्षक और उत्कृष्ट प्रस्तुतियों के साथ मेरी साधारण प्रस्तुति को शामिल करने के लिए....
    'सौम्य वचन' -http://somya-aparajita.blogspot.in/

    सादर....
    -सौम्या अपराजिता






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  19. बहुत बढ़िया चर्चा राजेन्द्र जी...
    हमारी रचना को शामिल करने का शुक्रिया..

    सादर
    अनु

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  20. बहुत सुंदर चुनिन्दा लिंकों की प्रस्तुति.!

    RECENT POST : पाँच दोहे,

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  21. वाकई! चर्चा मंच से जुड़ना सौभाग्य की बात है..आपका आभार..

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  22. wahh bahut hi sundar links sajaye hai ..rokach prerak rachnayo ka anand labh huya ...

    जवाब देंहटाएं
  23. बहुत सुंदर लिंक्स, कुच देखें है बाकी भी देखते हैं. आपका धन्यवाद।

    जवाब देंहटाएं
  24. मेरी रचना '' ख़ुद पे जब जब भी कभी..........'' शामिल करने का बहुत बहुत धन्यवाद !

    जवाब देंहटाएं
  25. शोधित रूप रचना का और प्रखर हुआ है।सुन्दर कटाक्ष।


    दायें बीयर बार पब, बाएं बिकता गोश्त
    रविकर जी
    गाँधी कब का भूलते, दो अक्तूबर दोस्त |
    दायें बीयर बार पब, बाएं बिकता गोश्त |
    बाएं बिकता गोश्त, पार्क में अनाचार है |
    उधम मचे बाजार, तडपती दिखे नार है |
    इत मोदी का जोर, बड़ी जोरों की आँधी |
    उत उठता तूफ़ान, दिखा गुस्से में गाँधी ||

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  26. सुन्दर ब्लॉग कड़ियाँ।। मेरे लेख को शामिल करने के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद।।

    नई कड़ियाँ : एलोवेरा (घृतकुमारी) के लाभ और गुण।

    ब्लॉग से कमाने में सहायक हो सकती है ये वेबसाइट !!

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