मित्रों।
शनिवार की चर्चाकार श्रीमती वन्दना गुप्ता
अभी पूरी तरह स्वस्थ नहीं हैं।
इसलिए शनिवार की चर्चा में
मेरी पसन्द के लिंक निम्नवत हैं।
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"दोहे-शरदपूर्णिमा आ गयी"
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"दोहे-शरदपूर्णिमा आ गयी"
अमृत वर्षा कर रही, शरदपूर्णिमा रात।
आज अनोखी दे रहा, शरदचन्द्र सौगात।।
खिला हुआ है गगन में, उज्जवल-धवल मयंक।
नवल-युगल मिलते गले, होकर आज निशंक।।
उच्चारण--
आई... शरद की पुरनम रात कन्हाई।
पूर्ण कला से चन्द्रदेव ने तृप्त किये तिहुं लोक,
जड, चेतन सब मंत्रमुग्ध हो करते विविध विनोद...
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नष्ट होते वनस्पति कवच से घातक बनते चक्रवात
पिछले दिनो आये फैलिन तूफान ने पूर्वी प्रदेशों में जमकर कहर बरपाया।
इसके बाद यह सोचना जरूरी हो गया है
कि आखिर यह चक्रवात इतने घातक क्यों बन रहे हैं।
आखिर इसके लिए सच में जिम्मेदार कौन लोग हैं...
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नष्ट होते वनस्पति कवच से घातक बनते चक्रवात
पिछले दिनो आये फैलिन तूफान ने पूर्वी प्रदेशों में जमकर कहर बरपाया।
इसके बाद यह सोचना जरूरी हो गया है
कि आखिर यह चक्रवात इतने घातक क्यों बन रहे हैं।
आखिर इसके लिए सच में जिम्मेदार कौन लोग हैं...
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जगद्गुरु कृपालुजी योग (JKYOG )क्या है ?इस योग के तहत योग के आध्यात्मिक(spiritual ) और कायिक (भौतिक ,material )योग के
दोनों पहलुओं (तत्वों) का समावेश किया गया है।
इस एवज योग के उस सनातन विज्ञान को आधार बनाया गया है
जिसका बखान उपनिषदों में विस्तार से किया गया है।
इसमें पांच वैदिक अनुशासन शामिल हैं।
जो मन और काया के प्रबंधन से ताल्लुक रखते हैं...
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योग के असली मायने हैं क्या ?
जगदगुरु कृपालुजी (प्रणीत )योग क्या है ?
आपका ब्लॉग पर विरेन्द्र कुमार शर्मा
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एक जंग लगा पिन
Rhythm पर नीलिमा शर्मा
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तुझ में रब दिखता हैं यारा मैं क्या करू ???
लोग कहते हैं कि सुबह उठते ही
करो प्रभू के दर्शन पर
मैं जब भी खोलती हूँ
अपनी आँखे मुंह अँधेरे तुम सामने दिख जाते हो
बाल स्मित मुस्कान लिये ...
Rhythm पर Neelima sharma
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आपका ब्लॉग पर वीरू भाई
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दो टांगों पर चलता चला जाऊं अपनी ही जिंदगी भर
ऐसा सोचना तो समझ में थोड़ा थोड़ा आता है
सर के बल चल कर किसी के पास पहुंचने की
किसी की अपेक्षा को कैसे पूरा किया जाता है...
उल्लूक टाईम्स पर Sushil Kumar Joshi
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शारदोत्सव
हायकु गुलशन..पर sunita agarwal
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क्या फेसबुक से ब्लॉग पर सक्रियता कम हो रही है ?
पिछली पोस्ट पर हमने अपने मित्रों के विचार इसा विषय पर पढ़े और अब आगे चलते हैं। यद्यपि दो मित्रों ने ब्लॉग फेसबुक के बारे में ही विचार दिए हैं लेकिन मैं उनके विचारों का सम्मान करती हूँ अतः उनको भी शामिल कर रही हूँ। जब परिवर्तन आता है तो उसके बहुत सारे कारण होते हैं। लेकिन लेखन में लेखक को उसके विचार मजबूर कर देते हैं लिखने के लिए। इसलिए जो वास्तव में लेखक है वह ब्लाग पर ही लिखेगा। प्रारम्भ में लेखक बनने की चाह में बहुत सारे लोग ब्लाग से जुड़ गए थे लेकिन फिर निरन्तरता नहीं रख पाए और वे फेसबुक पर चले गए। इसलिए ब्लागजगत में लेखन में कमी आयी है....
मेरा सरोकार पर रेखा श्रीवास्तव
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कल उजाला होगा...!
पुराने पन्ने पलटना उन दिनों तक लौटना है जब उन पन्नों पर यूँ ही कुछ उकेर दिया जाता था... स्कूल के दिनों की तारीखें हैं इस डायरी में, डायरी की अवस्था ठीक नहीं है... कि संभाल कर रखी ही नहीं गयी, पर यादें और अक्षर पूर्ववत हैं... यादों को पुनः जी लेते हैं और पंक्तियों को यहाँ उतार लेते हैं... कि यादें और कवितायेँ... जो भी हों, जैसी भी हों, सहेजी तो जानी ही चाहिए......
अनुशील पर अनुपमा पाठक
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उम्र पार की वो औरत
बस यादें सिर्फ यादें ....
बावरा मन पर सु..मन(Suman Kapoor)
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हत्यारे हो जाने से विधर्मी कहलाने में भले
तुम लाशों के ढेरों पर तिलक लगाकर खुश होगे
या खून की नदियों को अज़ान सुनाकर खुश होगे
तुम धर्म के रंगों से मरघट में होली खेलोगे
या बच्चो के सर से माँ का आँचल चुराकर बहलोगे
तुम संगीत की ध्वनि में करूणा का रस भर दोगे
या बचपन के कन्धों पर बारूद की बोरी धर दोगे ...
parwaz परवाज़..... पर kanu.....
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"एक मदारी"
बालकृति नन्हें सुमन से
एक बाल कविता
"एक मदारी"
देखो एक मदारी आया।
अपने संग लाठी भी लाया।।
डम-डम डमरू बजा रहा है।
भालू, बन्दर नचा रहा है।।
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सुधा बरसती शारदी !!
ज्योति-कलश
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पंखे झलते देश के नौनिहाल
उत्तर प्रदेश सरकार ने शामली में अधिकारियों की एक बैठक में बच्चों से कथित रूप से पंखे झलवाने की घटना पर गंभीरता से लेते हुए कहा है कि
‘सामंती’ मानसिकता वाले अधिकारियों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई की जायेगी.
शामली में अधिकारियों के पीछे खडे़ बच्चों को पंखा झलते दिखाये जाने की घटना पर प्रदेश के मंत्री राजेन्द्र चौधरी ने कहा, ‘मुख्यमंत्री अखिलेश यादव बच्चों की भावनाओं के प्रति खासे संवेदनशील हैं. उन्हें इस घटना के बारे में बताया जायेगा और सरकार सामंती मानसिकता वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करेगी...
शब्द-शिखर पर Akanksha Yadav
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सुपात्र को दिया गया दान ही
सात्विक और सार्थक दान होता है --
गीता अनुसार दान भी तीन प्रकार के होते हैं -- सात्विक , राजसी और तामसी .
सात्विक दान : जो दान उत्तम ब्राह्मण को किया जाये , जिसे संसारी कामना की इच्छा न हो, स्वयं बिना इच्छा के किया जाये, वह सात्विक दान कहलाता है .
राजसी दान : किसी इच्छा की कामना करते हुए किया गया दान जिसमे दान के बदले उपकार की अपेक्षा हो, वह राजसी दान कहलाता है .
तामसी दान : क्रोध और गाली देकर कुपात्र को दिया गया दान तामसी होता है ...
अंतर्मंथन पर tarif daral
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कार्टून :- मेरी नींद उड़ा के तू कैसे सो गया ओ निष्ठुर
काजल कुमार के कार्टून
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ठाटिया से पाँच सितारा तक
अल्मोड़ा में उन दिनों खूब ठण्ड पड़ रही थी. मैं अपने गाँव से तिब्बती ऊन की एक गरम पंखी लेकर इन्टरव्यू की पहली शाम को अल्मोड़ा शहर पहुँच गया. किसी रिश्तेदार के घर न जाकर इस बार किसी होटल में ठहरने का इरादा किया था. माल रोड पर जहाँ गाँधी जी का मूर्ति है, उसके निकट ही सड़क से लगा हुआ एक लकड़ी का बना ठाटिया होटल था.....
जाले पर (पुरुषोत्तम पाण्डेय)
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आती अब बारात नहीं
मन में झंझावात नहीं अब आपस में बात नहीं
भाव नहीं चेहरे पर दिखते क्या दिल में जज्बात नहीं...
मनोरमा पर श्यामल सुमन
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तेरा नाम ले लिया -
गलियों में तेरी मैंने मकान ले लिया
अपने नाम तेरा सारा इल्जाम ले लिया...
उन्नयन (UNNAYANA) पर udaya veer singh
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क्षणिकाएँ
(१)
तकलीफों को गले लगा कर सीने में बसा लिया है
ये हें दोस्त मेरी ताउम्र साथ निभाने का वादा जो किया है |
(२)
अन्धकार होते ही श्याम रंग ऐसा छाता
हाथ को हाथ न सूझता साया तक साथ न देता
बेचैन उसे कर जाता |...
Akanksha पर Asha Saxena
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गजल -- फिर हर काम से पहले
जतन करना पड़ेगा आज ,फिर हर काम से पहलेखिलेंगे फूल राहों में , तभी इलहाम से पहले
कभी तो दिन भी बदलेंगे ,मिलेंगी सुख भरी रातेंदुखों का अंत होगा फिर सुरीली शाम से पहले...
sapne(सपने) पर shashi purwar
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फूल पे पांव पड़ें. …छाला हो जाता है....
सुबोध साक़ी
अक्सर ही संजोग ऐसा हो जाता है
ख़ुद से मिले भी एक अरसा हो जाता है
मैं बोलूँ तो हंगामा हो जाता है
मैं ख़ामोश तो सन्नाटा हो जाता है ...
मेरी धरोहर पर yashoda agrawal
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आइये जानते हैं विस्तार से थ्री डी टेक्नोलॉजी के बारे में -
ultapulta
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Khuch baatein unkahi-
ख़ुद से भी मिलना मिलाना छोड़ दिया
अब हमने एहसान जताना छोड़ दिया।
बहुत प्यार था रूह से, ज़िस्म से हमें
अब अपने बारे में बताना छोड़ दिया...
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ज़िन्दगी जीने के सबके अंदाज़ जुदा हुआ करते हैं -
मेरे फ़लक से तुम्हारे फ़लक तक विचरती आकाश गंगायें
जरूरी तो नहीं माध्यम बने ही सम्प्रेक्षणता का
जबकि जानते हो ध्वनियों में भी गतिरोध हुआ करते हैं...
ज़िन्दगी…एक खामोश सफ़र
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झारखण्ड की सैर -
झारखण्ड का नक्शा तू चल मेरे साथ,
मैं तुझे झारखण्ड की सैर कराता हूँ,
भारत भूमि के एक अभिन्न अंग के बारे में बतलाता हूँ ...
मेरी कविता
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अपनी हद पर ही कमोबेश क़दम रखते हैं - नवीन -
अपनी हद पर ही कमोबेश क़दम रखते हैं
हम समन्दर हैं किनारों का भरम रखते है
जाने किस तर्ह ज़माने में लगा देते हैं आग
वो जो सीने में जलन कम से भी कम रखते हैं ...
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आज के लिए बस इतना ही।
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शारदोत्सव
हायकु गुलशन..पर sunita agarwal
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क्या फेसबुक से ब्लॉग पर सक्रियता कम हो रही है ?
पिछली पोस्ट पर हमने अपने मित्रों के विचार इसा विषय पर पढ़े और अब आगे चलते हैं। यद्यपि दो मित्रों ने ब्लॉग फेसबुक के बारे में ही विचार दिए हैं लेकिन मैं उनके विचारों का सम्मान करती हूँ अतः उनको भी शामिल कर रही हूँ। जब परिवर्तन आता है तो उसके बहुत सारे कारण होते हैं। लेकिन लेखन में लेखक को उसके विचार मजबूर कर देते हैं लिखने के लिए। इसलिए जो वास्तव में लेखक है वह ब्लाग पर ही लिखेगा। प्रारम्भ में लेखक बनने की चाह में बहुत सारे लोग ब्लाग से जुड़ गए थे लेकिन फिर निरन्तरता नहीं रख पाए और वे फेसबुक पर चले गए। इसलिए ब्लागजगत में लेखन में कमी आयी है....
मेरा सरोकार पर रेखा श्रीवास्तव
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कल उजाला होगा...!
पुराने पन्ने पलटना उन दिनों तक लौटना है जब उन पन्नों पर यूँ ही कुछ उकेर दिया जाता था... स्कूल के दिनों की तारीखें हैं इस डायरी में, डायरी की अवस्था ठीक नहीं है... कि संभाल कर रखी ही नहीं गयी, पर यादें और अक्षर पूर्ववत हैं... यादों को पुनः जी लेते हैं और पंक्तियों को यहाँ उतार लेते हैं... कि यादें और कवितायेँ... जो भी हों, जैसी भी हों, सहेजी तो जानी ही चाहिए......
अनुशील पर अनुपमा पाठक
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उम्र पार की वो औरत
बस यादें सिर्फ यादें ....
बावरा मन पर सु..मन(Suman Kapoor)
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हत्यारे हो जाने से विधर्मी कहलाने में भले
तुम लाशों के ढेरों पर तिलक लगाकर खुश होगे
या खून की नदियों को अज़ान सुनाकर खुश होगे
तुम धर्म के रंगों से मरघट में होली खेलोगे
या बच्चो के सर से माँ का आँचल चुराकर बहलोगे
तुम संगीत की ध्वनि में करूणा का रस भर दोगे
या बचपन के कन्धों पर बारूद की बोरी धर दोगे ...
parwaz परवाज़..... पर kanu.....
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"एक मदारी"
बालकृति नन्हें सुमन से
एक बाल कविता
"एक मदारी"
देखो एक मदारी आया।
अपने संग लाठी भी लाया।।
डम-डम डमरू बजा रहा है।
भालू, बन्दर नचा रहा है।।
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सुधा बरसती शारदी !!
ज्योति-कलश
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पंखे झलते देश के नौनिहाल
उत्तर प्रदेश सरकार ने शामली में अधिकारियों की एक बैठक में बच्चों से कथित रूप से पंखे झलवाने की घटना पर गंभीरता से लेते हुए कहा है कि
‘सामंती’ मानसिकता वाले अधिकारियों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई की जायेगी.
शामली में अधिकारियों के पीछे खडे़ बच्चों को पंखा झलते दिखाये जाने की घटना पर प्रदेश के मंत्री राजेन्द्र चौधरी ने कहा, ‘मुख्यमंत्री अखिलेश यादव बच्चों की भावनाओं के प्रति खासे संवेदनशील हैं. उन्हें इस घटना के बारे में बताया जायेगा और सरकार सामंती मानसिकता वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करेगी...
शब्द-शिखर पर Akanksha Yadav
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सुपात्र को दिया गया दान ही
सात्विक और सार्थक दान होता है --
गीता अनुसार दान भी तीन प्रकार के होते हैं -- सात्विक , राजसी और तामसी .
सात्विक दान : जो दान उत्तम ब्राह्मण को किया जाये , जिसे संसारी कामना की इच्छा न हो, स्वयं बिना इच्छा के किया जाये, वह सात्विक दान कहलाता है .
राजसी दान : किसी इच्छा की कामना करते हुए किया गया दान जिसमे दान के बदले उपकार की अपेक्षा हो, वह राजसी दान कहलाता है .
तामसी दान : क्रोध और गाली देकर कुपात्र को दिया गया दान तामसी होता है ...
अंतर्मंथन पर tarif daral
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कार्टून :- मेरी नींद उड़ा के तू कैसे सो गया ओ निष्ठुर
काजल कुमार के कार्टून
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ठाटिया से पाँच सितारा तक
अल्मोड़ा में उन दिनों खूब ठण्ड पड़ रही थी. मैं अपने गाँव से तिब्बती ऊन की एक गरम पंखी लेकर इन्टरव्यू की पहली शाम को अल्मोड़ा शहर पहुँच गया. किसी रिश्तेदार के घर न जाकर इस बार किसी होटल में ठहरने का इरादा किया था. माल रोड पर जहाँ गाँधी जी का मूर्ति है, उसके निकट ही सड़क से लगा हुआ एक लकड़ी का बना ठाटिया होटल था.....
जाले पर (पुरुषोत्तम पाण्डेय)
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आती अब बारात नहीं
मन में झंझावात नहीं अब आपस में बात नहीं
भाव नहीं चेहरे पर दिखते क्या दिल में जज्बात नहीं...
मनोरमा पर श्यामल सुमन
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तेरा नाम ले लिया -
गलियों में तेरी मैंने मकान ले लिया
अपने नाम तेरा सारा इल्जाम ले लिया...
उन्नयन (UNNAYANA) पर udaya veer singh
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क्षणिकाएँ
(१)
तकलीफों को गले लगा कर सीने में बसा लिया है
ये हें दोस्त मेरी ताउम्र साथ निभाने का वादा जो किया है |
(२)
अन्धकार होते ही श्याम रंग ऐसा छाता
हाथ को हाथ न सूझता साया तक साथ न देता
बेचैन उसे कर जाता |...
Akanksha पर Asha Saxena
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गजल -- फिर हर काम से पहले
जतन करना पड़ेगा आज ,फिर हर काम से पहलेखिलेंगे फूल राहों में , तभी इलहाम से पहले
कभी तो दिन भी बदलेंगे ,मिलेंगी सुख भरी रातेंदुखों का अंत होगा फिर सुरीली शाम से पहले...
sapne(सपने) पर shashi purwar
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फूल पे पांव पड़ें. …छाला हो जाता है....
सुबोध साक़ी
अक्सर ही संजोग ऐसा हो जाता है
ख़ुद से मिले भी एक अरसा हो जाता है
मैं बोलूँ तो हंगामा हो जाता है
मैं ख़ामोश तो सन्नाटा हो जाता है ...
मेरी धरोहर पर yashoda agrawal
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आइये जानते हैं विस्तार से थ्री डी टेक्नोलॉजी के बारे में -
ultapulta
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Khuch baatein unkahi-
ख़ुद से भी मिलना मिलाना छोड़ दिया
अब हमने एहसान जताना छोड़ दिया।
बहुत प्यार था रूह से, ज़िस्म से हमें
अब अपने बारे में बताना छोड़ दिया...
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ज़िन्दगी जीने के सबके अंदाज़ जुदा हुआ करते हैं -
मेरे फ़लक से तुम्हारे फ़लक तक विचरती आकाश गंगायें
जरूरी तो नहीं माध्यम बने ही सम्प्रेक्षणता का
जबकि जानते हो ध्वनियों में भी गतिरोध हुआ करते हैं...
ज़िन्दगी…एक खामोश सफ़र
--
झारखण्ड की सैर -
झारखण्ड का नक्शा तू चल मेरे साथ,
मैं तुझे झारखण्ड की सैर कराता हूँ,
भारत भूमि के एक अभिन्न अंग के बारे में बतलाता हूँ ...
मेरी कविता
--
अपनी हद पर ही कमोबेश क़दम रखते हैं - नवीन -
अपनी हद पर ही कमोबेश क़दम रखते हैं
हम समन्दर हैं किनारों का भरम रखते है
जाने किस तर्ह ज़माने में लगा देते हैं आग
वो जो सीने में जलन कम से भी कम रखते हैं ...
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आज के लिए बस इतना ही।
शरदपूर्णिमा आ गयी, लेकर यह सन्देश।
जवाब देंहटाएंतन-मन, आँगन-गेह का, करो स्वच्छ परिवेश।
सुन्दर चित्र।
शरदपूर्णिमा आ गयी, लेकर यह सन्देश।
जवाब देंहटाएंतन-मन, आँगन-गेह का, करो स्वच्छ परिवेश।
सुन्दर चित्र।
यही तो है कृष्ण का विलास उसकी लीलाओं का पर्सनल फॉर्म का विस्तार। सुन्दर प्रस्तुति।
आई... शरद की पुरनम रात
जवाब देंहटाएंआई... शरद की पुरनम रात कन्हाई।
पूर्ण कला से चन्द्रदेव ने तृप्त किये तिहुं लोक,
जड, चेतन सब मंत्रमुग्ध हो करते विविध विनोद...
सुन्दर चित्र।
यही तो है कृष्ण का विलास उसकी लीलाओं का पर्सनल फॉर्म का विस्तार। सुन्दर प्रस्तुति।
वफ़ा मैंने निभाई है ,तुम्हारे साथ हर पल ,पर
जवाब देंहटाएंतुम्हारा नाम ही आएगा ,मेरे नाम से पहले।
एक से बढ़के एक अशआर। बढ़िया गजल। रूप में भी अर्थ में भी।
बहुत शानदार प्रस्तुति |मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार |
जवाब देंहटाएंआशा
शरत् पूर्णिमा की रात काम को भी जीत लेने वाले मेरे कान्हा सभी के मन को मधुरता और पवित्रता से परिपूर्ण करें .....जय श्री कृष्णा !!
जवाब देंहटाएंराधे !राधे !कृष्ण की आराध्या राधा। राधा को कृष्ण पूजते हैं। कृष्ण को राधा। यही तो योगमाया। सुन्दर प्रस्तुति। सुन्दर रास ,कृष्ण विलास।
सुधा बरसती शारदी !!
ज्योति-कलश
ठाटिया से पाँच सितारा तकका सफर बिंदास संस्मरण ही नहीं जीवन की भोगी हुई तस्वीर भी है।कच्चे पक्के रंगों वाली। ऐसा संस्मरण बे -लॉस पांडे पुरुषोत्तम ही लिख सकते हैं। अब तो दो वाक्य पढ़ते ही पता चल जाता है यह अपने पुरुषोत्तम जी ही हैं।
जवाब देंहटाएंठाटिया से पाँच सितारा तक
अल्मोड़ा में उन दिनों खूब ठण्ड पड़ रही थी. मैं अपने गाँव से तिब्बती ऊन की एक गरम पंखी लेकर इन्टरव्यू की पहली शाम को अल्मोड़ा शहर पहुँच गया. किसी रिश्तेदार के घर न जाकर इस बार किसी होटल में ठहरने का इरादा किया था. माल रोड पर जहाँ गाँधी जी का मूर्ति है, उसके निकट ही सड़क से लगा हुआ एक लकड़ी का बना ठाटिया होटल था.....
जाले पर (पुरुषोत्तम पाण्डेय)
बहुत सुन्दर सार्थक सन्देश लिए है आपकी यह पोस्ट। यहाँ अमरीका में गराज सेल का चलन है सारा पुराना सामान हाथों हाथ सस्ते दामों में बिकता है गोरे काले सब उमड़ते हैं कुछ का तो यह साइड बिजनेस ही है इधर से खरीदा उधर बेचा। यहाँ हर चीज़ का सर्कुलेशन है काले गोरों के बीच अमीर में न तड़ी है गरीब में न तो असहायता का भाव है स्वाभिमान सबमें यकसां है। यही है अमरीकी समाज की सबसे बड़ी उपलब्धि।
जवाब देंहटाएं--
जवाब देंहटाएंनष्ट होते वनस्पति कवच से घातक बनते चक्रवात
पिछले दिनो आये फैलिन तूफान ने पूर्वी प्रदेशों में जमकर कहर बरपाया।
इसके बाद यह सोचना जरूरी हो गया है
कि आखिर यह चक्रवात इतने घातक क्यों बन रहे हैं।
आखिर इसके लिए सच में जिम्मेदार कौन लोग हैं...
आपका ब्लॉग पर Ramesh Pandey
तटीय इलाके पे रीअलटर्स की पूरी नजर रहती है। सुनामी ने भारत में वहां वहां तबाही न कर सकी जहां जहां मैन्ग्रूव्ज़ बाकया थे। आपने बड़ा सार्थक मुद्दा उठाया है।
तटीय इलाके पे रीअलटर्स की पूरी नजर रहती है। सुनामी भारत में वहां वहां तबाही न कर सकी जहां जहां मैन्ग्रूव्ज़ बकाया थे। आपने बड़ा सार्थक मुद्दा उठाया है।
जवाब देंहटाएंSo well compiled, as usual!
जवाब देंहटाएंआभार!
सुंदर सूत्र सुंदर चर्चा उल्लूक का आभार अपेक्षाऐं कैसी भी किसी से रखने में क्या जाता है को आज की चर्चा में शामिल करने पर !
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंशास्त्री जी मेरी दो पोस्ट शामिल की आज आपने " एक जंग लगा पिन " और दूसरी " तुझमें रब दीखता हैं यारां मैं क्या करूँ "" इस सम्मान के लिय आपका हार्दिक आभार
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर लिनक्स
जवाब देंहटाएंसुन्दर सार्थक लिंकों के चयन के साथ बेहतरीन चर्चा,आपका आभार।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर चर्चा प्रस्तुति के लिए आभार !
जवाब देंहटाएंसुन्दर सार्थक लिंकों के चयन के साथ बेहतरीन चर्चा, मेरी रचना शामिल करने के लिए आपका आभार।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर चर्चा .........आभार।
जवाब देंहटाएंwaah bahut sundar charcha ..... chand to aaj jamin par utar aaya ... hardik badhai aapko chacha ji . dhanyavad hamen parivar me sthan dene hetu . tahe dil se abhaar
जवाब देंहटाएंबहुत ही उम्दा चर्चा | लगभग सभी लिंक्स पे पहुँच गया | मेरी रचना को स्थान देने के लिए आभार |
जवाब देंहटाएंबेहतरीन सुंदर चर्चा !
जवाब देंहटाएंRECENT POST : - एक जबाब माँगा था.
umda links ... nayi jaankariya .. naye rachnakaro ko bhi padhne ka mouka mila .. meri rachna ko bhi yaha sthan mila aabhari hu .. saadar naman :)
जवाब देंहटाएंhamare charchamanch ke platform par koi bhi parv bina manaye nahin jata hai. shard purnima par padh kar achchha laga . sare links bahut achchhe hain , kuchh naye lekhakon se bhi parichit hue .meri rachna ko sthan diya isake liye dhanyavad !
जवाब देंहटाएंबड़े ही सुन्दर सूत्र..
जवाब देंहटाएंसुन्दर संयोजन ...बहुत बहुत आभार आपका |
जवाब देंहटाएंसादर !
बहुत ही सुंदर चर्चा, आपका आभार .
जवाब देंहटाएं