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गुरुवार, अक्टूबर 17, 2013

त्योहारों का मौसम ( चर्चा - 1401 )

आज की चर्चा में आपका हार्दिक स्वागत है

बकरीद की शुभकामनाएँ
साथ ही त्योहारों का यह मौसम 
आपके जीवन को खुशियाँ दे यही कामना है ।
चलते हैं चर्चा की ओर
आपका ब्लॉग
मेरे बारे में
काव्य संसार
police cartoon, common man cartoon, corruption cartoon
"मयंक का कोना"
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एक ब्लॉग की लिंक दे दे बाबा 
तेरे बच्चे जुग-जुग जियें......
डुंग डुंग डुंग डुंग डुंग डुंग....

साहिबान,मेहरबान,कदरदान
हिम्मत रखकर इस खेल को देखिएगा...
जान को हथेली पर रखियेगा 
ये रोज रोज का तमाशा ख़तम करने का वास्ते आगे आईयेगा 
बड़ा-छोटा,पतला-मोटा,नया-पुराना सब के वास्ते है 
बेटा जमूरे ,हम किसके वास्ते है?...
मेरे मन की पर Archana

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सिसकियों के उस पार!
एक बहुत पुरानी रचना... 
उसी पुरानी डायरी से: : 
मंजुल मोती की माया से चमक उठा संसार... 
हम चमके सहेज कर अपने अश्रुकण दो चार...
अनुशील पर अनुपमा पाठक

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शब्दों का स्वेटर...
मन उलझा ऊन के गोले सा कोई सिरा मिले तो सुलझाऊं. 
दे जो राहत रूह की ठंडक को, शब्दों का इक स्वेटर बुन जा...
स्पंदन SPANDAN पर shikha varshney

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शहीदों का बलिदान पुकारता
शहीदों का बलिदान पुकारता
क्यों रो रही है भारत माता ।
उठो वीर जवान बेटो,
भारत माता का क्लेश मेटो ।...
आपका ब्लॉग पर रमेशकुमार सिंह चौहान

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सूर्य नमस्कार इन सब लक्ष्यों की पूर्ति करता है
Static और Dynamic योगासनों में क्या फर्क है ? दो तरह के योगासन हैं एक वह जिनमें गति -परिवर्तन नहीं हैं जो स्थैतिक हैं दूसरे वह जो गतिज हैं यानी स्टैटिक और डायनैमिक। दोनों का अपना विशेष महत्व और लक्ष्य रहता है...
आपका ब्लॉग पर Virendra Kumar Sharma

18 टिप्‍पणियां:

  1. भाई दिलबाग विर्क जी।
    आपका आभार।
    --
    वाकई में त्यौहारों का मौसम चल रहा है।

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  2. सुंदर सूत्रों से सजी आज की चर्चा
    दिल बाग बाग करती दिलबाग की चर्चा !

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत बढ़िया लिनक्स .....चैतन्य को शामिल करने का आभार

    जवाब देंहटाएं
  4. तहेदिल से धन्यवाद आपका हमारे हायकू (हाइगा )को शामिल करने के लिए ....

    जवाब देंहटाएं
  5. उम्दा जानकारी देती हुई पोस्ट.
    शुक्रिया.

    जवाब देंहटाएं
  6. बढिया लिंक्स से सजी सुन्दर चर्चा

    जवाब देंहटाएं
  7. रोचक सूत्रों से सजाया आज का चर्चा मंच
    दिल खुशी से झूमता देख आज के प्रसंग |
    आशा

    जवाब देंहटाएं
  8. पठनीय सूत्र...व्यवस्थित मंच...आभार!

    जवाब देंहटाएं
  9. बहुत बढ़िया चर्चा प्रस्तुति
    आभार!

    जवाब देंहटाएं
  10. बहुत सुंदर सूत्र ! सार्थक चर्चा ! मेरी रचना को सम्मिलित करने के लिये बहुत बहुत शुक्रिया दिलबाग जी !

    जवाब देंहटाएं
  11. आदरणीय दिलबाग जी, हमेशा की तरह सधी हुई चर्चा.मुझे भी स्थान देने हेतु आभार...........

    जवाब देंहटाएं
  12. सुन्दर चर्चा मंच सजाया ,उसमें हमको भी बिठलाया।

    जवाब देंहटाएं
  13. बहुत खूब उधेड़ बुन मन की स्वेटर की मार्फ़त।

    शब्दों का स्वेटर...
    मन उलझा ऊन के गोले सा कोई सिरा मिले तो सुलझाऊं.
    दे जो राहत रूह की ठंडक को, शब्दों का इक स्वेटर बुन जा...

    जवाब देंहटाएं
  14. तो क्या वो एक पुरुष के अहंकार की संतुष्टि होती है
    या सचमुच एक 'व्यक्ति' की नैतिकता का लिटमस टेस्ट होता है ?
    क्यों 'शरीर की शुद्धता', हमेशा मन की पवित्रता पर भारी पड़ जाती है ?
    और क्यों इस 'शुद्धता' की छुरी के नीचे सिर्फ नारी ही आती है ?

    अनसुलझा सवाल आदिनांक झमुरे का कमाल।

    जवाब देंहटाएं

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