आज की चर्चा में आपका हार्दिक स्वागत है
बकरीद की शुभकामनाएँ,
साथ ही त्योहारों का यह मौसम
आपके जीवन को खुशियाँ दे यही कामना है ।
बकरीद की शुभकामनाएँ,
साथ ही त्योहारों का यह मौसम
आपके जीवन को खुशियाँ दे यही कामना है ।
चलते हैं चर्चा की ओर
आये न चैन
कौम और मजहब की गिनती किसने गिनाई है
पीर पर्वत सी होई पिघल जाने दे -
ब्लॉगिंग के ऊपर फेसबुक ने डाका डाला
एक पवित्र, शुद्ध, और अनछुई लड़की की खोज
कौम और मजहब की गिनती किसने गिनाई है
पीर पर्वत सी होई पिघल जाने दे -
ब्लॉगिंग के ऊपर फेसबुक ने डाका डाला
एक पवित्र, शुद्ध, और अनछुई लड़की की खोज
"मयंक का कोना"
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एक ब्लॉग की लिंक दे दे बाबा
तेरे बच्चे जुग-जुग जियें......
डुंग डुंग डुंग डुंग डुंग डुंग....
साहिबान,मेहरबान,कदरदान
हिम्मत रखकर इस खेल को देखिएगा...
जान को हथेली पर रखियेगा
ये रोज रोज का तमाशा ख़तम करने का वास्ते आगे आईयेगा
बड़ा-छोटा,पतला-मोटा,नया-पुराना सब के वास्ते है
बेटा जमूरे ,हम किसके वास्ते है?...
मेरे मन की पर Archana
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सिसकियों के उस पार!
एक बहुत पुरानी रचना...
उसी पुरानी डायरी से: :
मंजुल मोती की माया से चमक उठा संसार...
हम चमके सहेज कर अपने अश्रुकण दो चार...
अनुशील पर अनुपमा पाठक
--
शब्दों का स्वेटर...
मन उलझा ऊन के गोले सा कोई सिरा मिले तो सुलझाऊं.
दे जो राहत रूह की ठंडक को, शब्दों का इक स्वेटर बुन जा...
स्पंदन SPANDAN पर shikha varshney
--
शहीदों का बलिदान पुकारता
शहीदों का बलिदान पुकारता
क्यों रो रही है भारत माता ।
उठो वीर जवान बेटो,
भारत माता का क्लेश मेटो ।...
आपका ब्लॉग पर रमेशकुमार सिंह चौहान
--
सूर्य नमस्कार इन सब लक्ष्यों की पूर्ति करता है
Static और Dynamic योगासनों में क्या फर्क है ? दो तरह के योगासन हैं एक वह जिनमें गति -परिवर्तन नहीं हैं जो स्थैतिक हैं दूसरे वह जो गतिज हैं यानी स्टैटिक और डायनैमिक। दोनों का अपना विशेष महत्व और लक्ष्य रहता है...
आपका ब्लॉग पर Virendra Kumar Sharma
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एक ब्लॉग की लिंक दे दे बाबा
तेरे बच्चे जुग-जुग जियें......
डुंग डुंग डुंग डुंग डुंग डुंग....
हिम्मत रखकर इस खेल को देखिएगा...
जान को हथेली पर रखियेगा
ये रोज रोज का तमाशा ख़तम करने का वास्ते आगे आईयेगा
बड़ा-छोटा,पतला-मोटा,नया-पुराना सब के वास्ते है
बेटा जमूरे ,हम किसके वास्ते है?...
मेरे मन की पर Archana
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सिसकियों के उस पार!
एक बहुत पुरानी रचना...
उसी पुरानी डायरी से: :
मंजुल मोती की माया से चमक उठा संसार...
हम चमके सहेज कर अपने अश्रुकण दो चार...
अनुशील पर अनुपमा पाठक
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शब्दों का स्वेटर...
मन उलझा ऊन के गोले सा कोई सिरा मिले तो सुलझाऊं.
दे जो राहत रूह की ठंडक को, शब्दों का इक स्वेटर बुन जा...
स्पंदन SPANDAN पर shikha varshney
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शहीदों का बलिदान पुकारता
शहीदों का बलिदान पुकारता
क्यों रो रही है भारत माता ।
उठो वीर जवान बेटो,
भारत माता का क्लेश मेटो ।...
आपका ब्लॉग पर रमेशकुमार सिंह चौहान
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सूर्य नमस्कार इन सब लक्ष्यों की पूर्ति करता है
Static और Dynamic योगासनों में क्या फर्क है ? दो तरह के योगासन हैं एक वह जिनमें गति -परिवर्तन नहीं हैं जो स्थैतिक हैं दूसरे वह जो गतिज हैं यानी स्टैटिक और डायनैमिक। दोनों का अपना विशेष महत्व और लक्ष्य रहता है...
आपका ब्लॉग पर Virendra Kumar Sharma
भाई दिलबाग विर्क जी।
जवाब देंहटाएंआपका आभार।
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वाकई में त्यौहारों का मौसम चल रहा है।
सुन्दर चर्चा!
जवाब देंहटाएंआभार...!
सुन्दर, रोचक व पठनीय सूत्र, आभार।
जवाब देंहटाएंसुंदर सूत्रों से सजी आज की चर्चा
जवाब देंहटाएंदिल बाग बाग करती दिलबाग की चर्चा !
बहुत बढ़िया लिनक्स .....चैतन्य को शामिल करने का आभार
जवाब देंहटाएंतहेदिल से धन्यवाद आपका हमारे हायकू (हाइगा )को शामिल करने के लिए ....
जवाब देंहटाएंउम्दा जानकारी देती हुई पोस्ट.
जवाब देंहटाएंशुक्रिया.
आभार .
जवाब देंहटाएंबढिया लिंक्स से सजी सुन्दर चर्चा
जवाब देंहटाएंरोचक सूत्रों से सजाया आज का चर्चा मंच
जवाब देंहटाएंदिल खुशी से झूमता देख आज के प्रसंग |
आशा
पठनीय सूत्र...व्यवस्थित मंच...आभार!
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंआभार!
बहुत सुंदर सूत्र ! सार्थक चर्चा ! मेरी रचना को सम्मिलित करने के लिये बहुत बहुत शुक्रिया दिलबाग जी !
जवाब देंहटाएंरोचक सूत्रों से सजा मंच .
जवाब देंहटाएंआदरणीय दिलबाग जी, हमेशा की तरह सधी हुई चर्चा.मुझे भी स्थान देने हेतु आभार...........
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा मंच सजाया ,उसमें हमको भी बिठलाया।
जवाब देंहटाएंबहुत खूब उधेड़ बुन मन की स्वेटर की मार्फ़त।
जवाब देंहटाएंशब्दों का स्वेटर...
मन उलझा ऊन के गोले सा कोई सिरा मिले तो सुलझाऊं.
दे जो राहत रूह की ठंडक को, शब्दों का इक स्वेटर बुन जा...
तो क्या वो एक पुरुष के अहंकार की संतुष्टि होती है
जवाब देंहटाएंया सचमुच एक 'व्यक्ति' की नैतिकता का लिटमस टेस्ट होता है ?
क्यों 'शरीर की शुद्धता', हमेशा मन की पवित्रता पर भारी पड़ जाती है ?
और क्यों इस 'शुद्धता' की छुरी के नीचे सिर्फ नारी ही आती है ?
अनसुलझा सवाल आदिनांक झमुरे का कमाल।