मित्रों।
शनिवार के लिए आपके अवलोकनार्थ
अपनी पसंद के कुछ लिंक प्रस्तुत कर रहा हूँ।
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उठो…. भाग्य को फिर जगाना है
बुझ गए थे ,चूल्हे जो
उन्हें फिर जलाना है यूँ रोने से क्या होगा ...
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तेरा जमाल मुझे क्यूँ, हर सू नज़र आए
इन बंद आँखों में भी, बस तू नज़र आए
सजदा करूँ मैं तेरी, कलम को बार-बार
हर हर्फ़ से लिपटी मेरी, आरज़ू नज़र आए...
काव्य मंजूषा पर स्वप्न मञ्जूषा
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अरे गप्पू ये तो अपने ही साहब हैं चल चल जल्दी" ,जैसे ही ट्राफिक लाईट पर गाड़ी रुकी महज दस साल का टिंकू अपने छोटे भाई गप्पू के साथ दौड़ता हुआ कार की दाहिनी और आकर बोला “अरे साब आज आप इतनी जल्दी ? रावण जलता देखना है ,साहब ने जल्दी से उत्तर दिया| अच्छा "साहब गजरा" टिंकू के हाथ में गजरा देखती ही बगल में बैठी मेमसाहब बोली अरे ले लो ,कितने का है...
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सुना है तुम्हारे रोम रोम में कोटि कोटि ब्रह्माण्ड हैं और हर ब्रह्माण्ड की संरचना अलग है शायद वहाँ भी तुमने ऐसे ही खेल रचे होंगे वहाँ भी तुम किसी प्यास की फाँस में फँसे होंगे जाने कितने रूप धरे होंगे जाने कैसी लीला करते होंगे...
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सादर ब्लॉगस्ते! पर SUMIT PRATAP SINGH
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राकेश बिहारी
राकेश बिहारी हमारे समय के कुछ उन युवा रचनाकारों में से एक हैं जिन्होंने आलोचना के क्षेत्र में बेहतर काम करने के साथ-साथ कई बेहतर कहानियां भी लिखीं हैं। 'बाकी बातें फिर कभी' राकेश की ऐसी ही एक सशक्त कहानी है जिसमें सरकारी कार्यालयों के काम-काज और अधिकारियों के सामंती रंग-ढंग के बारे में बेबाकी से बताया गया है। तो आईये पड़ते हैं राकेश की यह नयी कहानी * *बाकी बातें फिर कभी*...
पहली बार
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लिख गयी है महाविनाश की रूपरेखा
10 अरब होगी नयी दुनियां में ( मनुष्य नहीं । सिर्फ़ पशु पक्षी आदि ) जीव जन्तुओं की कुल आबादी ।- 10 करोङ नयी वनस्पतियां देखने को मिलेंगी ।- पूरे विश्व में 10 नयी मुद्राओं का चलन होगा ।- अग्निमांध ज्वर । हड्डी तोङ ज्वर का कहर होगा । इसमें हड्डियों के सिरे फट ( चटक ) जाते हैं । और शरीर के अन्दर खून रिसकर फैलता है । यह अकल्पनीय महामारी होगी । यह हर तीसरे व्यक्ति को होगी ।....
सत्यकीखोज पर RAJEEV KULSHRESTHA
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यदि टैबलेट प्रयोग करते हैं तो रखे इन बातों का ध्यान
My Big Guide पर Abhimanyu Bhardwaj
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आज मैं जैसा हूं तूने ही बनाया मुझको
मेरे हाथों में पहली बार आज पत्थर है,
आज ही आईना मेरा है चिढ़ाया मुझको।
आज लोगों ने मेरी वाह वाह करते हुए;
क़ितनी ख़ूबी से जमींदोज़ कराया मुझको....
ग़ाफ़िल की अमानत पर चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल
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खोये एहसास
Love पर Rewa tibrewal
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How to use cookie with javascript code
for downloading site
जब भी आप कोई फाइल उपर दी गई साईट से डाउनलोड करते हैं और अगर वो फाइल छोटी है तो आप उसे आसानी से डाउनलोड कर सकते हैं लेकिन अगर यही फाइल साइज़ में बड़ी हो तो उसे वो फाइल बड़ी मुस्किल से डाउनलोड होती है और कभी कभी तो होती ही नहीं हैं तब आप ये तरीका अपना सकते है ...
Hindi Tech Tips पर sanny chauhan
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"भविष्य को सँवार लो"
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मैं बड़े दुखी की पुकार हूं....मुज़तर ख़ैराबादी
मेरी धरोहर पर yashoda agrawal
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इसीप्रकार इस निरंतर परिवर्तन शील भौतिक जगत (मैटीरियल एनर्जी ,) जिसे परमात्मा की इन्फीरियर एनर्जी भी कहा गया है, इससे मन को हटाके जब ईश्वर में लगाते हैं तब ध्यान ,ये मनन ,ये साधना हमारी दिव्य चेतना को जागृत किये रहती हैआपका ब्लॉग पर Virendra Kumar Sharma
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"बालक की इच्छा"
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हर बार सिर्फ रावण को ही क्यों जलाया जाता है
इन सवालों का है आपके पास जवाब?? - हर बार सिर्फ रावण को ही क्यों जलाया जाता है? - रावण के साथ-साथ उसके भाई कुंभकरण और पुत्र मेघनाथ को भी क्यों जलाया जाता है? - कंस और हिरणकश्यप के पुतले क्यों नहीं जलाए जाते?....
WELCOME TO KHATIMA
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गुलाब कहते रहे -
रेशम में लिपटे काँटों को हम गुलाब कहते रहे -
नीव खोदी ही नहीं गयी मितरां मकान बनते रहे...
उन्नयन (UNNAYANA) पर udaya veer singh
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हिंदी अनुवाद सहित पंजाबी नज़्म
Rhythm पर नीलिमा शर्मा
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बेमानी सी दुनिया....
खामोशियाँ...!!! पर rahul misra
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दादा दादी को मिली, इक नन्हीं सी जान-
"लिंक-लिक्खाड़" पर रविकर
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देश की शांति में बौद्धों और जैनियों का योगदान
Blog News पर HAKEEM YUNUS KHAN
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माँ तुम हमेशा याद आती हो ....
नयी उड़ान +पर Upasna Siag
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डाकिया पर अब निबन्ध लिखने की आवश्यकता नहीं है..
लो क सं घ र्ष !
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प्रभू की माया कौन समझ पाया
कुछ अलग सा पर गगन शर्मा,
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कैसे जियें- किसी ने ख़त में मुझसे पूछा
*विस्वावा शिम्बोर्स्का की कविताएं ब्लॉग्स पर और फिर जलसा में पढ़ी।
वो मुझे बहुत अच्छी लगती हैं। उनसे मुलाकात उनकी कविताओं में ही हुई है। उनके बारे में अंतर्जाल पर और सामाग्री ढूढ़ूंगी। फिलहाल उनकी एक बहुत ज़रूरी कविता यहां पर-
*सदी के मोड़ पर"
वर्षा
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बता देना तूने क्या कुछ अलग ही देखा है
बचपन से आज तक देखता आ रहा हूँ
दौड़ बच्चों की दौड़ जवानों की दौड़
अधेड़ों की और बूढ़ों की दौड़ हर दौर में
दौड़ को बदलते देखा है हौले हौले मुस्कुराते हुऐ
एक दूसरे को पछाड़ते हुऐ गले मिलते खुश होते
और रोते हुओं को देखा ...
उल्लूक टाईम्स पर Sushil Kumar Joshi
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आसाराम का मिशन बलात्कार !
पहले सोच रहा था कि पांच राज्यों मं चुनाव घोषित हो गए हैं, उसकी बात करूं, 2014 यानि आम चुनाव में भले ही अभी देरी हो पर सियासी पारा बिल्कुल चढ़ा हुआ है। लेकिन इन सब पर भारी पड़ रहा है आसाराम और उसका परिवार। सूरत की दो बहनें जिस तरह सामने आई हैं और उनकी आप बीती सुनने से तो लगता है कि आसाराम और उसका दुलारा नारायण साई दोनों ही रेपिस्ट हैं। सवाल ये भी है कि अगर आसाराम रेपिस्ट नहीं होता तो भला वो क्यों भरी सभा में कहता कि वो मर्दानगी बढ़ाने के लिए दूध में सोना उबाल कर पीता है। इसके अलावा पलास का फूल और ना जाने क्या - क्या चबाता है। अच्छा इस बाप बेटे की करतूतें सुन कर ही आम आदमी हिल जाता है...
आधा सच...पर महेन्द्र श्रीवास्तव
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एक समान शिक्षा निति क्यों नहीं लागू हो सकती !
शंखनादपरपूरण खण्डेलवाल
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दर्द यूँ भी अदाओं से कम निकलता है.
पथ का राही पर musafir
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अपनी राम कहानी में
टूटे फूटे कुछ अक्षर है, अपनी राम कहानी में,
जलते प्रश्नों के उत्तर है, अपनी राम कहानी में i
धीरेन्द्र सिंह भदौरिया
-- जलते प्रश्नों के उत्तर है, अपनी राम कहानी में i
आज क् लिए बस इतना ही...!
माँ दुर्गा के साथ
माता सरस्वती जी की भी पूजा अवश्य करें।
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राकेश बिहारी
राकेश बिहारी हमारे समय के कुछ उन युवा रचनाकारों में से एक हैं जिन्होंने आलोचना के क्षेत्र में बेहतर काम करने के साथ-साथ कई बेहतर कहानियां भी लिखीं हैं। 'बाकी बातें फिर कभी' राकेश की ऐसी ही एक सशक्त कहानी है जिसमें सरकारी कार्यालयों के काम-काज और अधिकारियों के सामंती रंग-ढंग के बारे में बेबाकी से बताया गया है। तो आईये पड़ते हैं राकेश की यह नयी कहानी * *बाकी बातें फिर कभी*...
पहली बार
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लिख गयी है महाविनाश की रूपरेखा
10 अरब होगी नयी दुनियां में ( मनुष्य नहीं । सिर्फ़ पशु पक्षी आदि ) जीव जन्तुओं की कुल आबादी ।- 10 करोङ नयी वनस्पतियां देखने को मिलेंगी ।- पूरे विश्व में 10 नयी मुद्राओं का चलन होगा ।- अग्निमांध ज्वर । हड्डी तोङ ज्वर का कहर होगा । इसमें हड्डियों के सिरे फट ( चटक ) जाते हैं । और शरीर के अन्दर खून रिसकर फैलता है । यह अकल्पनीय महामारी होगी । यह हर तीसरे व्यक्ति को होगी ।....
सत्यकीखोज पर RAJEEV KULSHRESTHA
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यदि टैबलेट प्रयोग करते हैं तो रखे इन बातों का ध्यान
My Big Guide पर Abhimanyu Bhardwaj
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आज मैं जैसा हूं तूने ही बनाया मुझको
मेरे हाथों में पहली बार आज पत्थर है,
आज ही आईना मेरा है चिढ़ाया मुझको।
आज लोगों ने मेरी वाह वाह करते हुए;
क़ितनी ख़ूबी से जमींदोज़ कराया मुझको....
ग़ाफ़िल की अमानत पर चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल
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खोये एहसास
Love पर Rewa tibrewal
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जब भी आप कोई फाइल उपर दी गई साईट से डाउनलोड करते हैं और अगर वो फाइल छोटी है तो आप उसे आसानी से डाउनलोड कर सकते हैं लेकिन अगर यही फाइल साइज़ में बड़ी हो तो उसे वो फाइल बड़ी मुस्किल से डाउनलोड होती है और कभी कभी तो होती ही नहीं हैं तब आप ये तरीका अपना सकते है ...
Hindi Tech Tips पर sanny chauhan
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"भविष्य को सँवार लो"
नवल नीर बह रहा, मैल तो उतार लो।
वर्तमान कह रहा, भविष्य को सँवार लो।।
रश्मियाँ जवान हैं, हो रहा विहान है,
कुछ समय के बाद तो, ढलान ही ढलान हैं,
चार दिन की चाँदनी के बाद, अन्धकार है,
जीत में छिपी हुई, जिन्दगी की हार है,
तापमान कह रहा, सोच लो-विचार लो।
वर्तमान कह रहा, भविष्य को सँवार लो।।
उच्चारण--
मैं बड़े दुखी की पुकार हूं....मुज़तर ख़ैराबादी
मेरी धरोहर पर yashoda agrawal
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इसीप्रकार इस निरंतर परिवर्तन शील भौतिक जगत (मैटीरियल एनर्जी ,) जिसे परमात्मा की इन्फीरियर एनर्जी भी कहा गया है, इससे मन को हटाके जब ईश्वर में लगाते हैं तब ध्यान ,ये मनन ,ये साधना हमारी दिव्य चेतना को जागृत किये रहती हैआपका ब्लॉग पर Virendra Kumar Sharma
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"बालक की इच्छा"
बालकृति
नन्हें सुमन से
एक बालकविता
मैं अपनी मम्मी-पापा के,
नयनों का हूँ नन्हा-तारा।
मुझको लाकर देते हैं वो,
रंग-बिरंगा सा गुब्बारा।।
नन्हे सुमननयनों का हूँ नन्हा-तारा।
मुझको लाकर देते हैं वो,
रंग-बिरंगा सा गुब्बारा।।
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हर बार सिर्फ रावण को ही क्यों जलाया जाता है
इन सवालों का है आपके पास जवाब?? - हर बार सिर्फ रावण को ही क्यों जलाया जाता है? - रावण के साथ-साथ उसके भाई कुंभकरण और पुत्र मेघनाथ को भी क्यों जलाया जाता है? - कंस और हिरणकश्यप के पुतले क्यों नहीं जलाए जाते?....
WELCOME TO KHATIMA
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गुलाब कहते रहे -
रेशम में लिपटे काँटों को हम गुलाब कहते रहे -
नीव खोदी ही नहीं गयी मितरां मकान बनते रहे...
उन्नयन (UNNAYANA) पर udaya veer singh
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हिंदी अनुवाद सहित पंजाबी नज़्म
Rhythm पर नीलिमा शर्मा
--
बेमानी सी दुनिया....
खामोशियाँ...!!! पर rahul misra
--
दादा दादी को मिली, इक नन्हीं सी जान-
"लिंक-लिक्खाड़" पर रविकर
--
देश की शांति में बौद्धों और जैनियों का योगदान
Blog News पर HAKEEM YUNUS KHAN
--
माँ तुम हमेशा याद आती हो ....
नयी उड़ान +पर Upasna Siag
--
डाकिया पर अब निबन्ध लिखने की आवश्यकता नहीं है..
लो क सं घ र्ष !
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प्रभू की माया कौन समझ पाया
कुछ अलग सा पर गगन शर्मा,
--
कैसे जियें- किसी ने ख़त में मुझसे पूछा
*विस्वावा शिम्बोर्स्का की कविताएं ब्लॉग्स पर और फिर जलसा में पढ़ी।
वो मुझे बहुत अच्छी लगती हैं। उनसे मुलाकात उनकी कविताओं में ही हुई है। उनके बारे में अंतर्जाल पर और सामाग्री ढूढ़ूंगी। फिलहाल उनकी एक बहुत ज़रूरी कविता यहां पर-
*सदी के मोड़ पर"
वर्षा
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बता देना तूने क्या कुछ अलग ही देखा है
बचपन से आज तक देखता आ रहा हूँ
दौड़ बच्चों की दौड़ जवानों की दौड़
अधेड़ों की और बूढ़ों की दौड़ हर दौर में
दौड़ को बदलते देखा है हौले हौले मुस्कुराते हुऐ
एक दूसरे को पछाड़ते हुऐ गले मिलते खुश होते
और रोते हुओं को देखा ...
उल्लूक टाईम्स पर Sushil Kumar Joshi
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आसाराम का मिशन बलात्कार !
पहले सोच रहा था कि पांच राज्यों मं चुनाव घोषित हो गए हैं, उसकी बात करूं, 2014 यानि आम चुनाव में भले ही अभी देरी हो पर सियासी पारा बिल्कुल चढ़ा हुआ है। लेकिन इन सब पर भारी पड़ रहा है आसाराम और उसका परिवार। सूरत की दो बहनें जिस तरह सामने आई हैं और उनकी आप बीती सुनने से तो लगता है कि आसाराम और उसका दुलारा नारायण साई दोनों ही रेपिस्ट हैं। सवाल ये भी है कि अगर आसाराम रेपिस्ट नहीं होता तो भला वो क्यों भरी सभा में कहता कि वो मर्दानगी बढ़ाने के लिए दूध में सोना उबाल कर पीता है। इसके अलावा पलास का फूल और ना जाने क्या - क्या चबाता है। अच्छा इस बाप बेटे की करतूतें सुन कर ही आम आदमी हिल जाता है...
आधा सच...पर महेन्द्र श्रीवास्तव
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एक समान शिक्षा निति क्यों नहीं लागू हो सकती !
शंखनादपरपूरण खण्डेलवाल
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दर्द यूँ भी अदाओं से कम निकलता है.
पथ का राही पर musafir
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अपनी राम कहानी में
टूटे फूटे कुछ अक्षर है, अपनी राम कहानी में,
जलते प्रश्नों के उत्तर है, अपनी राम कहानी में i
धीरेन्द्र सिंह भदौरिया
-- जलते प्रश्नों के उत्तर है, अपनी राम कहानी में i
आज क् लिए बस इतना ही...!
माँ दुर्गा के साथ
माता सरस्वती जी की भी पूजा अवश्य करें।
nice
जवाब देंहटाएंशुभ प्रभात!
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा प्रस्तुति ...
बेहद आशावादी क्षण :
जवाब देंहटाएंसमेट लो दर्द को अपने,
और उठो….
भाग्य को फिर जगाना है
बुझ गए थे ,चूल्हे जो
उन्हें फिर जलाना है
सुन्दर अति सुन्दर -
सृजन के क्षण कितने मीठे,
ध्वंश के कितने कड़वे स्वाद ,
सृजन है प्रेम सृजन विश्वास।
सेतु संयोजन चयन साज सज्जा अभिनव अर्थ पूर्ण अव्वल दर्जे की।
जवाब देंहटाएंभूतहा महल हैं ये गाँवों के स्कूल अनेक बार इलेक्शन ड्यूटी भुगताई है कभी प्रिजाइडिंग आफिसर बन कभी सुपर्वाइज़र। खंडहर हैं टूटे फूटे बिन शौचालय के।
जवाब देंहटाएंएक समान शिक्षा निति क्यों नहीं लागू हो सकती !
शंखनादपरपूरण खण्डेलवाल
जवाब देंहटाएंमहेन्द्र भाई ये कलियुग है आसा के भी ताऊ यहाँ मिलेंगे। और फिर आसा तो सेक्समेनियाक है। इसका इलाज़ होना चाहिए। बेटे का और इसकी हिमायती मोतर्माओं का पता नहीं कहते तो सब यही हैं लंका में सब बावन गज के हैं। आपके हौसले को दाद देनी होगी।
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आसाराम का मिशन बलात्कार !
पहले सोच रहा था कि पांच राज्यों मं चुनाव घोषित हो गए हैं, उसकी बात करूं, 2014 यानि आम चुनाव में भले ही अभी देरी हो पर सियासी पारा बिल्कुल चढ़ा हुआ है। लेकिन इन सब पर भारी पड़ रहा है आसाराम और उसका परिवार। सूरत की दो बहनें जिस तरह सामने आई हैं और उनकी आप बीती सुनने से तो लगता है कि आसाराम और उसका दुलारा नारायण साई दोनों ही रेपिस्ट हैं। सवाल ये भी है कि अगर आसाराम रेपिस्ट नहीं होता तो भला वो क्यों भरी सभा में कहता कि वो मर्दानगी बढ़ाने के लिए दूध में सोना उबाल कर पीता है। इसके अलावा पलास का फूल और ना जाने क्या - क्या चबाता है। अच्छा इस बाप बेटे की करतूतें सुन कर ही आम आदमी हिल जाता है...
आधा सच...पर महेन्द्र श्रीवास्तव
आओ मिल स्वागत करें, सोहर मंगल गान |
जवाब देंहटाएंदादा दादी को मिली, इक नन्हीं सी जान |
इक नन्हीं सी जान, जान लो माता आई |
माता के गुणगान, करो मुन्ना पहुनाई |
रविकर का आशीष, बुद्धि बल विद्या पाओ |
रहो स्वस्थ सानन्द, विराजो गुड़िया आओ ||
स्वागत महालक्ष्मी का .सुन्दर बंदिश .
दादा दादी को मिली, इक नन्हीं सी जान-
"लिंक-लिक्खाड़" पर रविकर
सुन्दर सूत्र संकलन !!
जवाब देंहटाएंसादर आभार !!
विचारणीय। रावण खुले घूम रहे हैं सदनों के अन्दर भी बाहर भी क्या कर लेंगे आप ?संसद तो इनका संरक्षण करना चाहती थी भला हो सुप्रीम कोर्ट का उस मति मंद का जो सही बात भी गलत जगह गलत तरीके से कहता है। वरना ये एक दागी पार्टी ही बना लेते।
जवाब देंहटाएं--
हर बार सिर्फ रावण को ही क्यों जलाया जाता है
इन सवालों का है आपके पास जवाब?? - हर बार सिर्फ रावण को ही क्यों जलाया जाता है? - रावण के साथ-साथ उसके भाई कुंभकरण और पुत्र मेघनाथ को भी क्यों जलाया जाता है? - कंस और हिरणकश्यप के पुतले क्यों नहीं जलाए जाते?....
WELCOME TO KHATIMA
मुझको दो वरदान प्रभू!
जवाब देंहटाएंमैं सबका ऊँचा नाम करूँ।
मानवता के लिए जगत में,
अच्छे-अच्छे काम करूँ।।
सुन्दर मनोहर।
एक बालकविता
"बालक की इच्छा"
मैं अपनी मम्मी-पापा के,
नयनों का हूँ नन्हा-तारा।
मुझको लाकर देते हैं वो,
रंग-बिरंगा सा गुब्बारा।।
नन्हे सुमन
पंक में खिला कमल, किन्तु है अमल-धवल,
जवाब देंहटाएंचोटियों से शैल की, हिम रहा सतत पिघल,
जो धरा के प्राणियों की, प्यास को मिटा रहा,
चाँद आपनी चाँदनी से, ताप को घटा रहा,
वाटिका का हर सुमन, गन्ध को लुटा रहा,
संविधान कह रहा, प्यार से पुकार लो।
वर्तमान कह रहा, भविष्य को सँवार लो।।
सुन्दर मनोहर। अप्रतिम प्रस्तुति प्रांजल अर्थ और भाव लिए।
"भविष्य को सँवार लो"
नवल नीर बह रहा, मैल तो उतार लो।
वर्तमान कह रहा, भविष्य को सँवार लो।।
रश्मियाँ जवान हैं, हो रहा विहान है,
कुछ समय के बाद तो, ढलान ही ढलान हैं,
चार दिन की चाँदनी के बाद, अन्धकार है,
जीत में छिपी हुई, जिन्दगी की हार है,
तापमान कह रहा, सोच लो-विचार लो।
वर्तमान कह रहा, भविष्य को सँवार लो।।
उच्चारण
क्या बात क्या गजरा था बेचारे की किस्मत अभिसारिका के बालों में न गूंथा जा सका। सशक्त कथा लघु कल्वर की विशद व्यंजना लिए।
जवाब देंहटाएं“गजरा” (चुहल) (लघु कथा )
अरे गप्पू ये तो अपने ही साहब हैं चल चल जल्दी" ,जैसे ही ट्राफिक लाईट पर गाड़ी रुकी महज दस साल का टिंकू अपने छोटे भाई गप्पू के साथ दौड़ता हुआ कार की दाहिनी और आकर बोला “अरे साब आज आप इतनी जल्दी ? रावण जलता देखना है ,साहब ने जल्दी से उत्तर दिया| अच्छा "साहब गजरा" टिंकू के हाथ में गजरा देखती ही बगल में बैठी मेमसाहब बोली अरे ले लो ,कितने का है...
HINDI KAVITAYEN ,AAPKE VICHAAR पर Rajesh Kumari
वाह बहुत धारधार वजनी बात कह दी -माँ मैं जैसा भी हूँ …तूने ने ही बनाया है वैसा .....
जवाब देंहटाएं--
आज मैं जैसा हूं तूने ही बनाया मुझको
मेरे हाथों में पहली बार आज पत्थर है,
आज ही आईना मेरा है चिढ़ाया मुझको।
आज लोगों ने मेरी वाह वाह करते हुए;
क़ितनी ख़ूबी से जमींदोज़ कराया मुझको....
ग़ाफ़िल की अमानत पर चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल
सुंदर सूत्र संकलन तथा संयोजन
जवाब देंहटाएंबता देना तूने क्या कुछ अलग ही देखा है
को शामिल करने के लिये आभार !
सारे उम्दा लिंक्स.....हमारे ब्लॉग को शामिल करने खातिर धन्यवाद.....
जवाब देंहटाएंखामोशियाँ-राहुल मिश्रा
उम्दा लिंक्स | बढ़िया संयोजन
जवाब देंहटाएंsundar charcha say saja manch.....mujhe sthan mila yahan...apar harsh hua....shukriya
जवाब देंहटाएंबहुत ही बेहतरीन लिंकों के चयन के साथ चर्चा प्रस्तुति। माँ दुर्गापूजा की हार्दिक शुभकामनायें।
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर सूत्र
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा संयोजन। आभार।
जवाब देंहटाएंक्या बात शास्त्री जी वाह! आभार
जवाब देंहटाएंबहुत ही बढिया चर्चा………आभार
जवाब देंहटाएंइक याद तेरी ने वर्का फोल्या
जवाब देंहटाएंइक याद मेरी ने स्याही लिती
कुछ कुछ यादां तेरिया सी
मिठियां मीठियाँ......मेरी रचना सूत्र को यहाँ शामिल करने के लिय आपका आभार
बहुत ही सुन्दर सूत्र...!
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को मंच में शामिल करने के लिये आभार,,,!शास्त्री जी \,,,
रचना को ज्यादे लोगों तक पहुँचाने के लिए आभार!!!
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर..मेरी रचना को मंच में शामिल करने के लिये आभार,,,!शास्त्री जी \,,,
जवाब देंहटाएंदेरी से आने के लिए क्षमा चाहती हूँ ,बहुत सुन्दर सूत्रों का संकलन श्रम भी परिलक्षित हो रहा है ,बहुत बहुत बधाई आपको आदरणीय शास्त्री जी ,मेरी रचना को शामिल किया हृदय तल से आभार आपका
जवाब देंहटाएंaapka aabhar.
जवाब देंहटाएं