"जय माता दी" चर्चामंच परिवार की ओर
से आप सभी को नवरात्रि की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं . मातारानी की
जय जयकार करते हुए आइये चलते हैं आप सभी के चुने हुए प्यारे लिंक्स
पर.
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प्रस्तुतकर्ता : रूपचन्द्र शास्त्री मयंक
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प्रस्तुतकर्ता : Neelima Sharma
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प्रस्तुतकर्ता : सु..मन
प्रस्तुतकर्ता : वर्षा
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प्रस्तुतकर्ता : रश्मि शर्मा
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प्रस्तुतकर्ता : Amit Srivastava
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प्रस्तुतकर्ता : Anju
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प्रस्तुतकर्ता : महेन्द्र श्रीवास्तव
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प्रस्तुतकर्ता : Virendra Kumar Sharma
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प्रस्तुतकर्ता : Surendra shukla" Bhramar"5
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प्रस्तुतकर्ता : Asha Saxena
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जारी है 'मयंक का कोना'
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पहले कुछ लिंक आपका ब्लॉग से
हिंदी भाषा का साहित्य-सृजन महानगरों में केंद्रित हो जाने से उन रचनाकारों का बड़ा नुकसान हुआ, जिनका जीवन व लेखन साहित्यिक मानदंडों पर ज्यादा खरा उतरता था और जिनके लिए साहित्य व्यवसाय नहीं, बस जुनून था. अपेक्षित प्रचार-प्रसार के अभाव में उनका मूल्यवान लेखन या तो अप्रकाशित रह गया या छप कर भी जिज्ञासु पाठकों तक नहीं पहुंच पाया....
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बहुत समय बाद वापस ब्लॉग पर आया हूँ. समय बहुत जल्दी बीतता है. अहसास ही नहीं हुआ और ३ साल जैसे पंछी की तरह पंख लगाकर बीत गए. रचनाये तो बहुत लिखी, बस यहाँ नहीं डाल पाया. आज ब्लॉग वापस लिखते हुए ऐसा लग रहा है जैसे कुछ खोया हुआ वापस मिल गया. आज मैं अपनी रचना नहीं बल्कि एक ऐसे गीतकार की पंक्तिया लिख रहा हूँ, जो मेरे दिल के बहुत करीब हैं....
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...राम का नाम, गांधी का नाम इसलिए याद रहा है क्योंकि रावण और उसकी कुत्सित वृतियां साथ जुड़ी थीं। दुख न हो तो सुख को पूछने वाला कोई नहीं मिेलेगा। रावण नहीं होगा तो कौन राम, सब पर लग जाएगा विराम। समझ गया था मैं, यह अंतहीन अनवरत यात्रा है, सच्चाई है जिसने सबको लुभाया है। बुराईयों का मिटाना भी उत्सव है। उत्सव इंसान की जिंदगी का सच है। सच्चाई को पाना भी पर्व है। बुराई को भुलाना भी गर्व है। दोनों न होते तो दशहरा न होता, दशहरा न होता तो दीवाली न होती। मेरे मरने पर दशहरा और राम के जीतने पर दिवाली है। दरअसल जनता की जेब खाली करने की यह रस्म बना ली है।
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चहल-पहल पर kavita verma
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धुंधली यादें पर Nitish Srivastava
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Akanksha पर Asha Saxena
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काव्य संकलन सुख का सूरज से
एक गीत
एक गीत
"पग-पग पर मिलते हैं"
आशा और निराशा के क्षण,
पग-पग पर मिलते हैं।
काँटों की पहरेदारी में,
ही गुलाब खिलते हैं।
पतझड़ और बसन्त कभी,
हरियाली आती है।
सर्दी-गर्मी सहने का,
सन्देश सिखाती है।
यश और अपयश साथ-साथ,
दायें-बाये चलते हैं।
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शुभ प्रभात |कई सूत्रों से सजा आज का चर्चा मंच |विजय दशमीं पर हार्दिक शुभ कामनाएं |
जवाब देंहटाएंमेरी रचना शामिल करने के लियें आभार |
सुंदर सूत्रों से सजा चर्चा मंच।
जवाब देंहटाएंसुन्दर भाव भूमि हसी इस पोस्ट की।
जवाब देंहटाएंयही तो है मेरी कहानी,
आँचल में है दूध
और ........!
समता चाहे ममता -रानी।
गर्भ नहीं उसकी है समाधि।
"आँचल में है दूध और
प्रस्तुतकर्ता : रूपचन्द्र शास्त्री मयंक
जवाब देंहटाएंमहेन्द्र भाई ये कलियुग है आसा के भी ताऊ यहाँ मिलेंगे। और फिर आसा तो सेक्समेनियाक है। इसका इलाज़ होना चाहिए। बेटे का और इसकी हिमायती मोतर्माओं का पता नहीं कहते तो सब यही हैं लंका में सब बावन गज के हैं। आपके हौसले को दाद देनी होगी।
आसाराम का मिशन बलात्कार !
प्रस्तुतकर्ता : महेन्द्र श्रीवास्तव
श्याम रंग में रंगी चुनरिया ,अब रंग दूजो भावे न ,जिन नैनं में श्याम बसे हों ,और दूसरो आवे न .
जवाब देंहटाएंश्याम रंग में रंगी चुनरिया ,अब रंग दूजो भावे न ,जिन नैनं में श्याम बसे हों ,और दूसरो आवे न .
जवाब देंहटाएंतुम्ही तो हो
प्रस्तुतकर्ता : Anju
मिटे अँधेरा
जवाब देंहटाएंफैल जाता प्रकाश
है शुभंकरी
सुन्दरम मनोहरं
माँ कालरात्रि [सप्तम शक्ति]
प्रस्तुतकर्ता : Rekha Joshi
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा खूब सजाई ,
आदर से हमका बिठ्लाई ,
तबहिं न करहिं खूब बड़ाई ,
सच्चे श्रम से तुमहू सजाई।
बढ़िया रविवारीय चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंआभार!
सार्थक आशावाद
जवाब देंहटाएंजीवन कभी कठोर कठिन,
और कभी सरल सा है।
भोजन अमृततुल्य कभी,
तो कभी गरल सा है।
सागर के खारे जल में,
ही मोती पलते हैं।
काँटो की पहरेदारी में,
ही गुलाब खिलते हैं।
आशा और निराशा के क्षण,
पग-पग पर मिलते हैं।
काँटों की पहरेदारी में,
ही गुलाब खिलते हैं।
पतझड़ और बसन्त कभी,
हरियाली आती है।
सर्दी-गर्मी सहने का,
सन्देश सिखाती है।
यश और अपयश साथ-साथ,
दायें-बाये चलते हैं।
सुख का सूरज
सार्थक आशावाद। प्रार्थना में ताकत है।
जवाब देंहटाएंआइये हम सब मिल कर दुआ करें,
अरदास करें, प्रार्थना करे कि
आज की रात तूफ़ान कमज़ोर पड़ जाये
सुंदर सूत्रों से सजा चर्चा, दुर्गा पूजा की हार्दिक शुभकामनायें।
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर लिंक्स...
जवाब देंहटाएंविजयादशमी की हार्दिक शुभकामनाएँ...
मयंक का कौना पर भी अपनी रचना देख अच्छा लगा धन्यवाद शास्त्री जी इस हेतु |
जवाब देंहटाएंविजया दशमी पर हार्दिक शुभ कामनाएं |
आशा
बहुत सुंदर सूत्रों से पिरोया है आज की चर्चा को !
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर लिंक्स
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया सूत्र संकलन ,सुन्दर चर्चा हेतु बहुत बहुत बधाई प्रिय अरुन अनंत जी
जवाब देंहटाएंsundar sootra sankalan ..shamil karne ke liye abhar ...
जवाब देंहटाएंसुन्दर संकलन। चर्चा मंच पर प्रकाशित रचनाओं ने मन प्रफुल्लित कर दिया। मेरी रचना को चर्चा मंच में शामिल करने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना -लेख ..अच्छे भाव और सीख के साथ
जवाब देंहटाएंआप सभी मित्रों को सपरिवार दशहरा की हार्दिक शुभ कामनाएं
अनंत जी बहुत सुन्दर संकलन ..अच्छे लिंक्स ..मेरी रचना ..खुशबू फिजा में बिखरी को आप ने चर्चा मंच पर स्थान दिया ख़ुशी हुयी
भ्रमर ५
बहुत ही सुन्दर लिंक्स...
जवाब देंहटाएंविजयादशमी की हार्दिक शुभकामनाएँ...
Arun ji shukriyaa meri rachna ko yaha shaamil kiye jaane ka sundar sutro ka links samaveshit hain yaha
जवाब देंहटाएंसुन्दर पठनीय सूत्र।
जवाब देंहटाएंशानदार चर्चा....मेरी रचना को स्थान देने का शुक्रिया...
जवाब देंहटाएंArun beta bahut sundar links ,meri rachna ko shamil karne pr abhar ,lekin सूरज की संघर्ष यात्रा meri rachna nhi hae shayd galti se mera naam likha gaya hae ,dhnyvaad
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएं--
विजयादशमी की हार्दिक शुभकामनाएँ।
इस सुंदर संकलन में 'धरोहर' की मेरी पोस्ट को भी शामिल करने का धन्यवाद...
जवाब देंहटाएंaapka aabhar.
जवाब देंहटाएं