नमस्कार मित्रों,
मैं राजेंद्र कुमार चर्चा मंच पर आपका हार्दिक अभिनन्दन करता हूँ। आइये बिना देर किये आज की चर्चा की तरफ बढ़ते हैं ........
ऐसे ही रहना तुम
प्रस्तुकर्ता: रश्मि शर्मा जी
बहुत व्यस्तता थी उन दिनों....ना वो बात कर पा रहा था ...न मैं...शाम उदास सी....मैं छत पर डूबते सूरज और उगते तारों के बीच...
प्रस्तुकर्ता: रश्मि शर्मा जी
बहुत व्यस्तता थी उन दिनों....ना वो बात कर पा रहा था ...न मैं...शाम उदास सी....मैं छत पर डूबते सूरज और उगते तारों के बीच...
मर्यादा पुरुषोत्तम राम की सगी बहन : भगवती शांता-1
प्रस्तुतकर्ता: रविकर जी
कुण्डलियाँ
रविकर नीमर नीमटर, वन्दे हनुमत नाँह ।
विषद विषय पर थामती, कलम वापुरी बाँह ।
कलम वापुरी बाँह, राह दिखलाओ स्वामी ।
शांता का दृष्टांत, मिले नहिं अन्तर्यामी ।
सोरठा
वन्दऊँ पूज्य गणेश, एकदंत हे गजबदन |
जय-जय जय विघ्नेश, पूर्ण कथा कर पावनी ||1||
वन्दौं गुरुवर श्रेष्ठ, कृपा पाय के मूढ़-मति ।
गुन-गँवार ठठ-ठेठ, काव्य-साधना में रमा ||2||
प्रस्तुतकर्ता: रविकर जी
कुण्डलियाँ
रविकर नीमर नीमटर, वन्दे हनुमत नाँह ।
विषद विषय पर थामती, कलम वापुरी बाँह ।
कलम वापुरी बाँह, राह दिखलाओ स्वामी ।
शांता का दृष्टांत, मिले नहिं अन्तर्यामी ।
सोरठा
वन्दऊँ पूज्य गणेश, एकदंत हे गजबदन |
जय-जय जय विघ्नेश, पूर्ण कथा कर पावनी ||1||
वन्दौं गुरुवर श्रेष्ठ, कृपा पाय के मूढ़-मति ।
गुन-गँवार ठठ-ठेठ, काव्य-साधना में रमा ||2||
करवा चौथ पर
प्रस्तुतकर्ता: आशा सक्सेना जी
करवा चौथ पर हार्दिक शुभ कामनाएं
चाँद ने मुह छिपाया
बादलों की ओट में
प्रिय तुम भी
प्रस्तुतकर्ता: आशा सक्सेना जी
करवा चौथ पर हार्दिक शुभ कामनाएं
चाँद ने मुह छिपाया
बादलों की ओट में
प्रिय तुम भी
दिन में कसमें यारी की
प्रस्तुतकर्ता: सतीश सक्सेना जी
रात में जमकर धोखा देते, दिन में कसमें यारी की !
साकी और शराब रोज़ हो , रस्में चारदीवारी की !
प्रस्तुतकर्ता: सतीश सक्सेना जी
रात में जमकर धोखा देते, दिन में कसमें यारी की !
साकी और शराब रोज़ हो , रस्में चारदीवारी की !
वो खज़ाना कहाँ है ?
स्वप्न मञ्जूषा
भारत सपनों का देश है, सपनों के राजकुमार, सपनों के महल, सपनों का घर, सब कुछ तो है यहाँ। और अब हमारे पास सपनों की सरकार भी हो गयी । वैसे भी सरकार में जितने भी आका बैठे हैं, वो आये भी तो हैं जनता को सपने दिखा कर :) और ये सपनों का क़ारोबार कोई नई बात तो है नहीं, ज़मानों से ये चला आ रहा है । वैसे भी हाकिमों ने हमें वोट के बदले सपना ही दिया है, जिसकी हमको आदत हो चुकी है, इसलिए हमलोगों को सपनों से कोई परहेज़ नहीं है।
स्वप्न मञ्जूषा
भारत सपनों का देश है, सपनों के राजकुमार, सपनों के महल, सपनों का घर, सब कुछ तो है यहाँ। और अब हमारे पास सपनों की सरकार भी हो गयी । वैसे भी सरकार में जितने भी आका बैठे हैं, वो आये भी तो हैं जनता को सपने दिखा कर :) और ये सपनों का क़ारोबार कोई नई बात तो है नहीं, ज़मानों से ये चला आ रहा है । वैसे भी हाकिमों ने हमें वोट के बदले सपना ही दिया है, जिसकी हमको आदत हो चुकी है, इसलिए हमलोगों को सपनों से कोई परहेज़ नहीं है।
अधिक ज्ञान का रोग
प्रस्तुतकर्ता: श्यामल सुमन जी
जो दिखता होता नहीं, सोच सुमन कर गौर।
खुश होना इक बात है, दिखना है कुछ और।।
प्रस्तुतकर्ता: श्यामल सुमन जी
जो दिखता होता नहीं, सोच सुमन कर गौर।
खुश होना इक बात है, दिखना है कुछ और।।
राहुल की चुरू रैली के निहितार्थ
प्रस्तुतकर्ता: विरेन्द्र कुमार शर्मा जी
प्रस्तुतकर्ता: विरेन्द्र कुमार शर्मा जी
डोंडिया -खेडा और चुरू-असली मुद्दों से ध्यान हटाने की साजिश है भले दोनों की कहानी अलग अलग है। बिना कसाई को देखे बकरे के मिमियाने म्हं म्हं करने से यह सिद्ध नहीं होता कि वह मारा जा रहा है। जो कुछ मंद मति चुरू में कह रहें हैं वह कांग्रेस की राजनीति का छिछोरापन है।
कहीं हमने तुझे तन्हा न पाया -मोहम्मद शेख इब्राहिम ‘ज़ौक़’
प्रस्तुतकर्ता: यशोदा अग्रवाल
जिस इन्सां को सगे-दुनिया न पाया
फ़रिश्ता उसका हमपाया न पाया
प्रस्तुतकर्ता: यशोदा अग्रवाल
उसे हमने बहुत ढूंढा न पाया
अगर पाया तो खोज अपना न पायाजिस इन्सां को सगे-दुनिया न पाया
फ़रिश्ता उसका हमपाया न पाया
इंदिरा -आधी आबादी पत्रिका में प्रकाशित मेरा आलेख
प्रस्तुतकर्ता:अनुलाता राज नायर जी
छोटी सी थी मैं,कोई 14-15 बरस की जब अपने पिता की उँगलियाँ थामे भोपाल शहर की एक सुन्दर सड़क के किनारे खड़ी इंदिरा जी की रैली का इंतज़ार कर रही थी. खुली जीप में , पीली साड़ी में हाथ हिलाती उस गरिमामयी छवि ने मेरे मन में तब से ही घर कर लिया था. उन्होंने अमलतास के फूलों का एक गुच्छा मेरी ओर फेंका, एक पल को उनकी नज़र मुझ पर भी पड़ी थी. बस तब से इंदिरा गाँधी कई और लाखों लोगों की तरह मेरी भी पसंदीदा राजनेत्री बन गयीं.
प्रस्तुतकर्ता:अनुलाता राज नायर जी
छोटी सी थी मैं,कोई 14-15 बरस की जब अपने पिता की उँगलियाँ थामे भोपाल शहर की एक सुन्दर सड़क के किनारे खड़ी इंदिरा जी की रैली का इंतज़ार कर रही थी. खुली जीप में , पीली साड़ी में हाथ हिलाती उस गरिमामयी छवि ने मेरे मन में तब से ही घर कर लिया था. उन्होंने अमलतास के फूलों का एक गुच्छा मेरी ओर फेंका, एक पल को उनकी नज़र मुझ पर भी पड़ी थी. बस तब से इंदिरा गाँधी कई और लाखों लोगों की तरह मेरी भी पसंदीदा राजनेत्री बन गयीं.
"आशा किरण"
प्रस्तुतकर्ता: ई.प्रदीप कुमार जी
आँखों की गहराइयों में, मधुर स्वप्न लेकर;
इस अँधेरी दुनिया में, चलने चला हूँ मैं |
अँधेरे मन में, आशा किरण लेकर;
कष्टों की गोद में, पलने चला हूँ मैं |
प्रस्तुतकर्ता: ई.प्रदीप कुमार जी
आँखों की गहराइयों में, मधुर स्वप्न लेकर;
इस अँधेरी दुनिया में, चलने चला हूँ मैं |
अँधेरे मन में, आशा किरण लेकर;
कष्टों की गोद में, पलने चला हूँ मैं |
क्या फेसबुक से ब्लॉग पर सक्रियता कम हो रही है ?
प्रस्तुतकर्ता: रेखा श्रीवास्तव जी
फेसबुक की लोकप्रियता के आगे ब्लॉगिंग विवश सी नज़र आने लगी....... आखिर हम सब लिखने-पढने वाले लोग फेसबुक जैसी सोशल नेटवर्किंग साइट के प्रति इतने आकर्षित क्यों हुए?
****
ब्लॉग को अधिक सुविधा- संपन्न बनाए जाने पर विचार किया ही जाना चाहिए, जब साइट्स की तरह ब्लॉग भी क्यों न संपन्न हो , आधुनिक तकनीक से ?
प्रस्तुतकर्ता: रेखा श्रीवास्तव जी
फेसबुक की लोकप्रियता के आगे ब्लॉगिंग विवश सी नज़र आने लगी....... आखिर हम सब लिखने-पढने वाले लोग फेसबुक जैसी सोशल नेटवर्किंग साइट के प्रति इतने आकर्षित क्यों हुए?
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ब्लॉग को अधिक सुविधा- संपन्न बनाए जाने पर विचार किया ही जाना चाहिए, जब साइट्स की तरह ब्लॉग भी क्यों न संपन्न हो , आधुनिक तकनीक से ?
मेरी मोहब्बत--उनकी बेवफ़ाई
प्रस्तुतकर्ता: नीतीश तिवारी
अश्क के हर एक बूँद को मोती बनाना चाहता हूँ,
दर्द भरे अपने ज़ख़्मों को अब हटाना चाहता हूँ.
ये जानते हैं हम की पास नही कोई दरिया,
इस रूह के प्यास को फिर भी बुझाना चाहता हूँ.
प्रस्तुतकर्ता: नीतीश तिवारी
अश्क के हर एक बूँद को मोती बनाना चाहता हूँ,
दर्द भरे अपने ज़ख़्मों को अब हटाना चाहता हूँ.
ये जानते हैं हम की पास नही कोई दरिया,
इस रूह के प्यास को फिर भी बुझाना चाहता हूँ.
अंत में एक अनमोल वचन पर मनन करते हैं।
इसी के साथ आप सबको शुभ विदा, मिलते हैं अगले शुक्रवार को कुछ नये
लिंकों के साथ। आपका दिन मंगलमय हो।
लिंकों के साथ। आपका दिन मंगलमय हो।
जारी है
'मयंक का कोना'
--
गागर में भरती सागर ,ये दिल से ''शालिनी'' है .
! कौशल !परShalini Kaushik
दफनाती मुसीबत को ,दमकती दामिनी है .
कोमल देह की मलिका ,ख्वाबों की कामिनी है ,
ख्वाहिश से भरे दिल की ,माधुरी मानिनी है .
--
धन यौवन तन छन भंगुर सब ,
ज्यों कपूर उडि जाई,
बहुरि 'कृपालु ' न नर तन पाइय ,
बिगरी लेहु बनाई।
आपका ब्लॉग पर Virendra Kumar Sharma
--
भावनात्मक भाषण की मजबूरी
गरीवी समस्या नहीं है बल्कि मानसिक बीमारी है
कोई इज्ज़त की बात नहीं करता है
हमारे पास छुपाने को कुछ नहीं है
मेरी दादी पिता को मार दिया
मुझे भी मार देंगें ,किन्तु मुझे डर नहीं है
ये कुछ वाक्य हैं
जिसे हम आप अक्सर आये दिन
मीडिया के माध्यम से सुनते रहते हैं
आपका ब्लॉगपर मदन मोहन सक्सेना
--
कविता - मेरे प्रियवर ....
स्नेह सिक्त हृदय तुम
रहते प्राण बन जीवन की अविरल धारा तुम
रहते अठखेलियाँ बन तुम
मेरे प्रियवर......
नूतन ( उद्गार) पर Annapurna Bajpa
--
कार्टून :- एक चीनी सच जो समझौतों से परे है
काजल कुमार के कार्टून
--
तीन मुक्तक
पर Rajesh Kumari
--
"दोहे-फेसबुक और ब्लॉगिंग"
--
करवा चौथ पर दो नज्में ……
--
फेसबुक (facebook) से आपके कई नुकसान
अगर आप फेसबुक पर अपना अकाउंट बनाए हुए हैं तो आप निश्चित रूप से नुकसान झेल रहें हैं। फेसबुक से नुकसान इस प्रकार हैं - 1- समय की बरबादी- फेसबुक पर लॉगिन करने के बाद आप यह भूल जाते हैं कि आपने फेसबुक पर लॉगिन क्यों किया है और आप एक प्रोफ़ाइल से दूसरे प्रोफ़ाइल को देखने मे इतना व्यस्त हो जाते हैं कि आपको पता ही नहीं चलता कि आपने कितना समय बर्बाद कर दिया...
Hindi Internet Technology परf arruq abbas
'मयंक का कोना'
--
गागर में भरती सागर ,ये दिल से ''शालिनी'' है .
! कौशल !परShalini Kaushik
दफनाती मुसीबत को ,दमकती दामिनी है .
कोमल देह की मलिका ,ख्वाबों की कामिनी है ,
ख्वाहिश से भरे दिल की ,माधुरी मानिनी है .
--
धन यौवन तन छन भंगुर सब ,
ज्यों कपूर उडि जाई,
बहुरि 'कृपालु ' न नर तन पाइय ,
बिगरी लेहु बनाई।
आपका ब्लॉग पर Virendra Kumar Sharma
--
भावनात्मक भाषण की मजबूरी
गरीवी समस्या नहीं है बल्कि मानसिक बीमारी है
कोई इज्ज़त की बात नहीं करता है
हमारे पास छुपाने को कुछ नहीं है
मेरी दादी पिता को मार दिया
मुझे भी मार देंगें ,किन्तु मुझे डर नहीं है
ये कुछ वाक्य हैं
जिसे हम आप अक्सर आये दिन
मीडिया के माध्यम से सुनते रहते हैं
आपका ब्लॉगपर मदन मोहन सक्सेना
--
कविता - मेरे प्रियवर ....
स्नेह सिक्त हृदय तुम
रहते प्राण बन जीवन की अविरल धारा तुम
रहते अठखेलियाँ बन तुम
मेरे प्रियवर......
नूतन ( उद्गार) पर Annapurna Bajpa
--
कार्टून :- एक चीनी सच जो समझौतों से परे है
काजल कुमार के कार्टून
--
तीन मुक्तक
जिन्दगी से हो गया यूँ रुख्सत गिर्दाबे अलम
मेरा सफीना जब चार हाथों से चलने लगा
पस्त हुई मौजें फ़कत लेकर इम्तहाँ रूबरू
शिकस्त खाकर समंदर भी फ़ितरत बदलने लगा
HINDI KAVITAYEN ,AAPKE VICHAAR पर Rajesh Kumari
--
"दोहे-फेसबुक और ब्लॉगिंग"
फेसबुक्क पर आ गये, अब तो सारे मित्र।
हिन्दी ब्लॉगिंग की हुई, हालत बहुत विचित्र।।
उच्चारण--
करवा चौथ पर दो नज्में ……
(1)
एक कसक,एक बेचैनी
एक बेनाम सा दर्द
कुछ लिखा है वर्क दर वर्क
नमी में डूबे लफ्ज़...
(२)
आज की रात
उफ़क पर निकल आया है चाँद
तेरी सलामती का ….
यादों के नगमें सुनाते...
हरकीरत ' हीर'--
फेसबुक (facebook) से आपके कई नुकसान
अगर आप फेसबुक पर अपना अकाउंट बनाए हुए हैं तो आप निश्चित रूप से नुकसान झेल रहें हैं। फेसबुक से नुकसान इस प्रकार हैं - 1- समय की बरबादी- फेसबुक पर लॉगिन करने के बाद आप यह भूल जाते हैं कि आपने फेसबुक पर लॉगिन क्यों किया है और आप एक प्रोफ़ाइल से दूसरे प्रोफ़ाइल को देखने मे इतना व्यस्त हो जाते हैं कि आपको पता ही नहीं चलता कि आपने कितना समय बर्बाद कर दिया...
Hindi Internet Technology परf arruq abbas
ज़रूर सारे लिंक्स अच्छे होंगे, अभी पढ़ नहीं पायी हूँ। मेरे आलेख को शामिल करने के लिए आपका धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंबड़े ही सुन्दर सूत्र।
जवाब देंहटाएंसुंदर चर्चा सुंदर सूत्र संकलन !
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा
जवाब देंहटाएंआभार आदरणीय राजेन्द्र जी -
राहुल की चुरू रैली के निहितार्थ
जवाब देंहटाएंप्रस्तुतकर्ता: विरेन्द्र कुमार शर्मा जी
कानी यह सरकार है, अंधी वह सरकार |
आइ-यस आइ पाक का, राहुल क्या उपचार |
राहुल क्या उपचार, मुजफ्फर-नगर बहाना -
सीमा पर भी क़त्ल, वार्ता कर बहलाना |
मुस्लिम दंगा-ग्रस्त, बनेंगे पाकिस्तानी |
राज बके युवराज, बात लगती बचकानी ||
सुन्दर बाल कविता। अच्छा संग्रह खड़ा कर दिया है आपने हर विषय पर बाल गीतों कविताओं का।
जवाब देंहटाएं"मेरा खरगोश"
(डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
रूई जैसा कोमल-कोमल,
लगता कितना प्यारा है।
भावनात्मक भाषण की मजबूरी
जवाब देंहटाएंगरीवी समस्या नहीं है बल्कि मानसिक बीमारी है-
सही कह रहे हैं राहुल-
गरीबी भावना ही तो है-
मैं मिडिल क्लास, मेरे इंजीनियर बेटे बेटी अपर मिडिल क्लास -
और छोटी बेटी अपने आप को रिच मानती है-
जहाँ तक पापा दादी की हत्या की बात है-या राहुल के डरने की बात है-
तो यह तो प्रेत छाया है -किसी सद्मार्गी प्रेत की-
सादर-
जवाब देंहटाएंइन्द्रधनुष से हैं यहाँ, प्यारे-प्यारे रंग।
ब्लॉगिंग में चलते नहीं, नंगे और निहंग।।
इन्द्रधनुष से हैं यहाँ, प्यारे-प्यारे रंग।
ब्लॉगिंग में चलते नहीं, नंगे और निहंग।।
मुख चिठ्ठा की का कहें मार्फिंग का है जोर ,
चेहरा याँ किसी अउर का ,अनघ अंग कछु और।
बढ़िया काव्यात्मक अध्ययन दोनों का।
दोनों हैं पूरक मगर नहीं परस्पर वैर
चिठ्ठा मुख पर पूछते सब अपनों की खैर।
बढ़िया प्रस्तुति शाष्त्री जी।
"दोहे-फेसबुक और ब्लॉगिंग"
फेसबुक्क पर आ गये, अब तो सारे मित्र।
हिन्दी ब्लॉगिंग की हुई, हालत बहुत विचित्र।।
ब्लॉक न होता है कभी, ब्लॉगिंग का संसार।
धैर्य और गम्भीरता, ब्लॉगिंग का आधार।।
उच्चारण
राजेन्द्र जी ने लिंक सजाये ,
जवाब देंहटाएंझाड़ पौंछ के ढिंग बिठ्लाये ,
इस पर हम बेहद इतराये ,
चिठ्ठा देखे और मुस्काये।
मर्यादा पुरुषोत्तम राम की सगी बहन : भगवती शांता-1
जवाब देंहटाएंप्रस्तुतकर्ता: रविकर जी
कुण्डलियाँ
रविकर नीमर नीमटर, वन्दे हनुमत नाँह ।
विषद विषय पर थामती, कलम वापुरी बाँह ।
कलम वापुरी बाँह, राह दिखलाओ स्वामी ।
शांता का दृष्टांत, मिले नहिं अन्तर्यामी ।
सोरठा
वन्दऊँ पूज्य गणेश, एकदंत हे गजबदन |
जय-जय जय विघ्नेश, पूर्ण कथा कर पावनी ||1||
वन्दौं गुरुवर श्रेष्ठ, कृपा पाय के मूढ़-मति ।
गुन-गँवार ठठ-ठेठ, काव्य-साधना में रमा ||2||
शब्द नीमतर हैं यहाँ -जैसे नीम गांधी (आधा विलायती आधा देसी )बहुत सुन्दर प्रस्तुति बिम्ब और रूपकत्व लिए अभिनव।
behatreen ...
जवाब देंहटाएंमेरी ग़ज़ल "मेरी मोहब्बत उनकी बेवफ़ाई " शामिल करने के लिए आपका धन्यवाद.
जवाब देंहटाएंआप भी पधारिए.
http://iwillrocknow.blogspot.in/
सभी लिंक्स बहुत अच्छे हैं...
जवाब देंहटाएंशुभकामनाएं...
शानदार चर्चा से सजा चर्चा मंच ,राजेन्द्र जी और आदरणीय शास्त्री जी दोनों बधाई के पात्र हैं ,मेरी रचना को मयंक का कोने में स्थान देने के लिए दिल से आभार शास्त्री जी को
जवाब देंहटाएंसुंदर सूत्र संजोए हैं आपने...मेरी रचना शामिल करने के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद..
जवाब देंहटाएंसुंदर सूत्र!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर चर्चा बेहतरीन लिंक्स दिए है
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार !
बहुत सुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसुंदर सूत्र ,मेरी रचना को शामिल करने के लिए आपका धन्यवाद, आदरणीय राजेन्द्र जी ,आभार
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर और सधी हुई चर्चा।
जवाब देंहटाएंआभार आपका।
बहुतख़ूब राजेंद्र भाई , बढ़िया सूत्र
जवाब देंहटाएंहिंदी टाइपिंग साफ्टवेयर डाउनलोड करें
बहुत उम्दा पठनीय सूत्र ,,,!
जवाब देंहटाएंRECENT POST -: हमने कितना प्यार किया था.
मेरा ब्लॉग शामिल करने के लिये आभार काफी अच्छी लिंक दी गयी हैं
जवाब देंहटाएंसुंदर लिंक्स से सजी चर्चा।
जवाब देंहटाएंअच्छी प्रस्तुति ! सराहनीय लिंक्स !!
जवाब देंहटाएंsundar linkon se saji charcha . badhiya lagi charcha ...
जवाब देंहटाएं