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गुरुवार, अक्टूबर 10, 2013

"दोस्ती" (चर्चा मंचःअंक-1394)

आज की चर्चा में आपका हार्दिक स्वागत है
चलते हैं चर्चा की ओर
आपका ब्लॉग
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टेक्नोलॉजी में हिंदी के बढते कदम
टेक्नोलॉजी में हिंदी के बढते कदम
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मित्रों। नेट की समस्या के कारण
आदरणीय दिलबाग विर्क जी
चर्चा में इतने ही लिंक दे पाये!
इसलिए आगे की चर्चा
"मयंक का कोना" में-
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अन्दाज़ा नहीं था....उर्मिला निमजे

समय खुद को इतनी जल्दी दोहराएगा अन्दाजा नहीं था ....
मेरी धरोहर पर yashoda agrawal
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एक याचना

अंतर्नाद की थाप पर Kaushal Lal 

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कौन किसे दे रहा इन्साफ आज-कल !
सब कुछ है तेरे सामने साफ़ आज-कल , 
कौन किसे दे रहा इन्साफ आज-कल....
मेरे दिल की बात पर Swarajya karun

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पीड़ाओं का आग्रह-

दो विपरीत ध्रुवों को ले आता है आं
खों ही आंखों से पास और पास---
उम्मीद तो हरी है ..पर jyoti khare
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♥ समाचार ♥ 

‘... दे देंगे जान वतन पर कश्मीर नहीं देंगे।’
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राम का भरोसा रख बहुत कुछ होने वाला है
सुनाई दे रहा है 
बहुत बड़ा परिवर्तन जल्दी ही होने वाला है 
चुनाव की जगह सरकार के नुमाइंदो और अध्यक्षों के 
पदों के लिये समाचार पत्रों में विज्ञापन आने वाला है ना....
उल्लूक टाईम्स पर Sushil Kumar Joshi

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वृद्धाश्रम [लघुकथा]
मेरे पडोसी के पिता जी हस्पताल में थे | अभी कल ही मेरे पास बैठे थे बेचारे परेशान थे | पूछ रहे थे मुझे यहाँ आए हुए कितने दिन हो गए मैंने कहा मालूम नहीं उन्होंने फिर जिद्द करके पूछा फिर भी अंदाजा मुझे आए हुए कितना समय हो गया है ,मैंने कहा लगभग एक महीना हुआ होगा तो बोले फिर वो [छोटा बेटा] मुझे लेने क्यों आ रहा है...
मेरी सच्ची बात पर सरिता भाटिया 

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Raahi

राही मैं तो अकेला ही चला, राह मे साथी बनाता चला, 
कुछ साथी पूरे राह चले, कुछ बीच राह छोड़ चले, 
कौन देगा दगा पता न चला, 
दगा देना मैंने नहीं था सीखा, 
इसलिए दगा खाता चला...
Vineet Kumar Singh
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एक जटिल प्रश्न उत्तर की चाह में

आज फिर अंतस में एक प्रश्न कुलबुलाया है 
आज फिर एक और प्रश्नचिन्ह ने आकार पाया है 
यूं तो ज़िन्दगी एक महाभारत ही है सबकी अपनी अपनी 
लड़ना भी है और जीना भी सभी को 
और उसके लिए तुमने एक आदर्श बनाया एक रास्ता दिखाया 
ताकि आने वाली पीढियां दिग्भ्रमित न हों 
और हम सब तुम्हारी दिखाई राह का अन्धानुकरण करते रहे 
बिना सोचे विचारे ...
ज़िन्दगी…एक खामोश सफ़र
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एक अनूठे dhउपन्यास 'इंद्रधनुष' की समीक्षा..

सृजन मंच ऑनलाइन पर shyam Gupta 

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श्याम स्मृति-......मानव मन, धर्म व समाज
 ...डा श्याम गुप्त ....
आपका ब्लॉग
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मेरी नयी प्रेम कहानी " आंठ्वी सीढी "
आदरणीय गुरुजनों और मित्रो ;नमस्कार ; 
" आंठ्वी सीढी " आप सभी को सौंप रहा हूँ 

vijay kumar sappatti 
आपका ब्लॉग
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हदय शक्तिवर्धक 
किशमिश और दूध !!

शंखनाद पर पूरण खण्डेलवाल 

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समानता की सोच को निगल गया आरक्षण

ज्ञान दर्पण

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टोटे-टोटे दिल किया, बोटी बोटी देह-

"लिंक-लिक्खाड़"पररविकर 

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यूनिकोड क्‍या है

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नवराञ में माता के भजनों का संग्रह

My Big Guide पर Abhimanyu Bhardwaj 
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दोस्ती

खामोशियाँ...!!! पर rahul misra 

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नव दुर्गा

मेरे विचार मेरी अनुभूति पर कालीपद प्रसाद -

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मेरी चाहत

क्या हुआ जो तूने ये होंठ सिल रखे, 
आँखों ने तो तेरी सब बयाँ कर दिया, 
माना कि प्यार है खामोशियों से तुम्हे, 
धडकनों ने शोर यहाँ वहां कर दिया । 
छुपाये रखो जज्बातों को दिल ही दिल में, 
ये तो एक हसीं सी अदा है तुम्हारी, 
खोले बिना लब को ये क्या किया तूने, 
दिल में मेरे तूने अपना निशाँ कर दिया...
मेरा काव्य-पिटारा पर ई. प्रदीप कुमार साहनी
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दिल के अरमान आंसू में बह गये

खट से जो दरवाज़ा खोला सामने तुम थे , 
मुह ढक कर सोये से ,
दिल से जोर से धड़क उठा , 
हाथ कंपाने लगे आँखे भर आई , 
कितने दिन बाद तुमको देखा...
Abhilasha पर नीलिमा शर्मा 
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जड़ता का सिद्धांत !!!!!
SADA
SADA पर सदा -

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महमूद ग़ज़नवी ने Somnath Mandir को क्यों लूटा?-

एक परिचर्चा
Blog News
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जय माता दी

दास्ताँने - दिल (ये दुनिया है दिलवालों की)

पर अरुन शर्मा अनन्त
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"जीवन जटिल जलेबी जैसा"
शब्दों का भण्डार नहीं हैफिर भी कलम चलाता हूँ।
कोरे पन्नों को स्याही सेकाला ही कर पाता हूँ।।

रूप” नहीं हैरंग नहीं है,
भाव नहीं हैछन्द नहीं है।
कागज के कृत्रिम फूलों में,
कोई गन्ध-सुगन्ध नहीं है।
आड़ी-तिरछी रेखाओं सेअपनी फसल उगाता हूँ।
कोरे पन्नों को स्याही सेकाला ही कर पाता हूँ...
उच्चारण
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रविकर नाक घुसेड, थोपते मर्जी पातक

"लिंक-लिक्खाड़"

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अपने-अपने ज़माने का .....ये बचपन !!!

आज भी भूले-भुलाये न भूले *
 *वो बचपन* *माँ का दुलारा था * 
*वो बचपन * *आँखों का तारा था* 
*वो बचपन* *नानी की गोदी में गुज़ारा * 
*वो बचपन* *शरारतों से भरपूर था * 
*वो बचपन* *कितना मासूम था ...
यादें...पर Ashok Saluja 
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शक्ति हो तुम !

my dreams 'n' expressions.....

याने मेरे दिल से सीधा कनेक्शन.....
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"लेकर आऊँगा उजियारा" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
मेरे काव्य संग्रह 'धरा के रंग' से एक गीत
"लेकर आऊँगा उजियारा"
मैं नये साल का सूरज हूँ,
हरने आया हूँ अँधियारा।
 मैं स्वर्णरश्मियों से अपनी,
लेकर आऊँगा उजियारा।।

चन्दा को दूँगा मैं प्रकाश,
सुमनों को दूँगा मैं सुवास,
मैं रोज गगन में चमकूँगा,
मैं सदा रहूँगा आस-पास,
मैं जीवन का संवाहक हूँ,
कर दूँगा रौशन जग सारा।
लेकर आऊँगा उजियारा।।
"धरा के रंग"
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जनसाधारण की साधना है नवरात्र के उपवास
जब प्रकृति हरी-भरी चुनरी ओढ़े द्वार खड़ी हो, वृक्षों, लताओं, वल्लरियों, पुष्पों एवं मंजरियों की आभा दीप्त हो रही हो, शीतल मंद सुगन्धित बयार बह रही हो, गली-मोहल्ले और चौराहे  माँ की जय-जयकारों के साथ चित्ताकर्षक प्रतिमाओं और झाँकियों से जगमगाते हुए भक्ति रस की गंगा बहा रही हो, ऐसे मनोहारी उत्सवी माहौल में भला कौन ऐसा होगा जो भक्ति और शक्ति साधना में डूबकर माँ जगदम्बे का आशीर्वाद नहीं लेना चाहेगा।...

32 टिप्‍पणियां:

  1. शुभ प्रभात!
    बढ़िया लिंक्स के साथ सुन्दर चर्चा प्रस्तुति हेतु आभार !

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत बढ़िया चर्चा.......
    सभी लिंक्स शानदार.....
    हमारी रचना शामिल करने का शुक्रिया !
    सादर
    अनु

    जवाब देंहटाएं
  3. चर्चा प्रस्तुति में मेरी ब्लॉग पोस्ट शामिल करने हेतु आभार!
    सादर!

    जवाब देंहटाएं
  4. रोचक व पठनीय लिंक्स के साथ सुन्दर चर्चा प्रस्तुति हेतु आभार !

    जवाब देंहटाएं
  5. सुन्दर प्रस्तुति-
    भाई दिलबाग जी / आदरणीय गुरुवर आभार
    नवरात्रि की शुभकामनायें-

    जवाब देंहटाएं
  6. कई उम्दा और पठनीय सूत्र..

    मेरी पोस्ट शामिल करने हेतु आभार.....

    जवाब देंहटाएं
  7. बढ़िया व पठनीय सूत्र, मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका एंव आपकी टीम का आभार।

    जवाब देंहटाएं
  8. हमेशा की तरह एक सुंदर चर्चा
    उल्लूक का भरोसा
    राम का भरोसा रख बहुत कुछ होने वाला है
    को शामिल करने पर आभार !

    जवाब देंहटाएं
  9. आज की चर्चा में बहुत ही उम्दा सूत्र जोड़ने के लिए आपका सादर आभार !!

    जवाब देंहटाएं
  10. रतनसिंह जी का ब्लॉग ज्ञान दर्पण कई दिन से नहीं खुल रहा है ! यह समस्या मेरे साथ ही हो रही है या फिर सबके साथ ही ऐसा हो रहा है !

    जवाब देंहटाएं
  11. मेरी रचनाओं को चर्चा मंच पर स्‍थान देने के लिये ह़दय से धन्‍यवाद

    जवाब देंहटाएं
  12. अच्छे लिंक्स दिये भाई जी
    आभार

    जवाब देंहटाएं
  13. बहुत बढ़िया चर्चा.......
    सभी लिंक्स शानदार.....
    हमारी रचना शामिल करने का शुक्रिया !

    जवाब देंहटाएं
  14. बड़िया लिंक्स.....
    शास्त्री जी ...आप के स्नेह से तो हम सदा ही लबरेज़ रहते हैं !
    आभार और शुभकामनायें

    जवाब देंहटाएं
  15. बेहतरीन लिंक्‍स संयोजन एवं प्रस्‍तुति ....
    आभार

    जवाब देंहटाएं
  16. नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाऐं-----

    पठनीय एवं रोचक रचनाओं का संग्रह
    सार्थक संयोजन के लिए साधुवाद

    मुझे सम्मलित करने का आभार। ….
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  17. शुभ प्रभात!
    बढ़िया लिंक्स के साथ सुन्दर चर्चा प्रस्तुति हेतु आभार !
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    जवाब देंहटाएं
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    जवाब देंहटाएं
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