आज कार्तिक पूर्णिमा (गंगा स्नान),
गुरू नानक जयन्ती है।
गुरू नानक जयन्ती है।
शायद अरुण शर्मा 'अनन्त' और उनका नेट
आज भी अस्वस्थ है।
इसलिए देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक...
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गुरू नानक जयन्ती

आदि गुरु नानक देव जी के प्रकाशोत्सव पर
समस्त मानव - जाति को लख - लख बधाईयां व प्यार...।
उन्नयन पर udaya veer singh
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गुरू नानक जयन्ती

आदि गुरु नानक देव जी के प्रकाशोत्सव पर
समस्त मानव - जाति को लख - लख बधाईयां व प्यार...।
उन्नयन पर udaya veer singh
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साथ तेरे बिन
लगे हुए थे दुनिया के मेले
बिन तेरे हुए हम भी अकेले|
सामने थे तुम पर थे बहुत दूर
जिद्द ने हमें भी किया मजबूर |
न तुम पास आए न मैंने बुलाया
अहम् तेरा भी आज आड़े आया...
गुज़ारिश पर सरिता भाटिया
--
कृष्ण और राधा तत्व का आप विस्तार थे।
राधा -रसावतार
राधा -रसावतार गोलोक सिधारे जगद्गुरु कृपालुजी महाराज ये न्यूज़ मुझे तब मिली जब मैं मुम्बई के अन्तर-राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर फ्रेंकफर्ट -मुम्बई फलाइट से उतरकर वील चेअर की प्रतीक्षा कर रहा था। न्यूज़ देने वाली कैण्टन (मिशिगन )से मेरी बिटिया गुंजन शर्मा थी।उसने कहा जगद -गुरु-कृपालुजी महाराज आज गोलोक चले गए...
कबीरा खडा़ बाज़ार में पर
Virendra Kumar Sharma
लगे हुए थे दुनिया के मेले
बिन तेरे हुए हम भी अकेले|
सामने थे तुम पर थे बहुत दूर
जिद्द ने हमें भी किया मजबूर |
न तुम पास आए न मैंने बुलाया
अहम् तेरा भी आज आड़े आया...
गुज़ारिश पर सरिता भाटिया
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कृष्ण और राधा तत्व का आप विस्तार थे।
राधा -रसावतार
राधा -रसावतार गोलोक सिधारे जगद्गुरु कृपालुजी महाराज ये न्यूज़ मुझे तब मिली जब मैं मुम्बई के अन्तर-राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर फ्रेंकफर्ट -मुम्बई फलाइट से उतरकर वील चेअर की प्रतीक्षा कर रहा था। न्यूज़ देने वाली कैण्टन (मिशिगन )से मेरी बिटिया गुंजन शर्मा थी।उसने कहा जगद -गुरु-कृपालुजी महाराज आज गोलोक चले गए...
कबीरा खडा़ बाज़ार में पर
Virendra Kumar Sharma
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यहाँ मिलना बिछड़ना नियम है अपवाद नहीं।
अनंत कोटि जन्मों में अनन्त बार हम परस्पर सब सम्बन्धों में मिले हैं
जगद्गुरुकृपालुजी महाराज ने हमें सिखलाया
वैकुण्ठ /कृष्ण लोक /गोलोक जाने का
एक ही रास्ता है कृष्ण चेतना...

आपका ब्लॉग
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जन्म-नक्षत्र...
सारे नक्षत्र अपनी-अपनी जगह
आसमान में देदीप्तमान थे
कहीं संकट के कोई चिह्न नहीं
ग्रहों की दशा विपरीत नहीं
दिन का दूसरा पहर
सूरज मद्धिम-मद्धिम दमक रहा था
कार्तिक का महीना अभी-अभी बीता था
मघा नक्षत्र पूरे शबाब पर था
सारे संकेत शुभ घड़ी बता रहे थे
फिर यह क्योंकर हुआ ?
यह आघात क्यों ....?
लम्हों का सफ़र पर डॉ. जेन्नी शबनम
अनंत कोटि जन्मों में अनन्त बार हम परस्पर सब सम्बन्धों में मिले हैं
जगद्गुरुकृपालुजी महाराज ने हमें सिखलाया
वैकुण्ठ /कृष्ण लोक /गोलोक जाने का
एक ही रास्ता है कृष्ण चेतना...
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जन्म-नक्षत्र...
सारे नक्षत्र अपनी-अपनी जगह
आसमान में देदीप्तमान थे
कहीं संकट के कोई चिह्न नहीं
ग्रहों की दशा विपरीत नहीं
दिन का दूसरा पहर
सूरज मद्धिम-मद्धिम दमक रहा था
कार्तिक का महीना अभी-अभी बीता था
मघा नक्षत्र पूरे शबाब पर था
सारे संकेत शुभ घड़ी बता रहे थे
फिर यह क्योंकर हुआ ?
यह आघात क्यों ....?
लम्हों का सफ़र पर डॉ. जेन्नी शबनम
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उचित समय पर उचित निर्णय -
हार्दिक धन्यवाद् भारत सरकार

! कौशल ! पर Shalini Kaushik
--
बेबस
मैंने बोया आम
उसने बो दिया पीपल
तभीआम तो ऊगा नहीं
पीपल महावट बन गया
लोग आकर उस पे फल और पुष्प चढाने लगे
और श्रद्धा भक्ति से उसके भजन गाने लगे |
आम भी ऊगा मगर, पीपल के साये में रहा
उसका जो व्यक्तित्व था वो था डरा सहमा हुआ
फिर भी उसने वक्त से पहले मधुर फल दे दिए
राहगीरों के लिए ठहराव शीतल दे दिए ...
सृजन मंच ऑनलाइन पर Nirmala Singh Gaur
--
बस इतना सा फर्क था तेरी मेरी मुहब्बत में -

अभी तक महफूज़ हैं रखे फाइलों में वो मेरी सब
मेरे हर एक ख़त का दिया हुआ जवाब तेरा...
महकती डायरी मेरी अब तलक अलमारी में रखी
जिसके पन्नों में रखा था दिया हुआ गुलाब तेरा...
सुधीर मौर्यकलम से..
--
गीत सज़े -
में लगा सोचने गीत कोई लिखूं,
ख्याल बनकर तुम मन में समाने लगे।
तुम लिखो गीत जीवनके सन्सार के ,
गीत मेरे लिखो यूं बताने लगे...
डा श्याम गुप्त का गीत....भारतीय नारी
हार्दिक धन्यवाद् भारत सरकार
! कौशल ! पर Shalini Kaushik
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बेबस
मैंने बोया आम
उसने बो दिया पीपल
तभीआम तो ऊगा नहीं
पीपल महावट बन गया
लोग आकर उस पे फल और पुष्प चढाने लगे
और श्रद्धा भक्ति से उसके भजन गाने लगे |
आम भी ऊगा मगर, पीपल के साये में रहा
उसका जो व्यक्तित्व था वो था डरा सहमा हुआ
फिर भी उसने वक्त से पहले मधुर फल दे दिए
राहगीरों के लिए ठहराव शीतल दे दिए ...
सृजन मंच ऑनलाइन पर Nirmala Singh Gaur
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बस इतना सा फर्क था तेरी मेरी मुहब्बत में -

अभी तक महफूज़ हैं रखे फाइलों में वो मेरी सब
मेरे हर एक ख़त का दिया हुआ जवाब तेरा...
महकती डायरी मेरी अब तलक अलमारी में रखी
जिसके पन्नों में रखा था दिया हुआ गुलाब तेरा...
सुधीर मौर्यकलम से..
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गीत सज़े -
में लगा सोचने गीत कोई लिखूं,
ख्याल बनकर तुम मन में समाने लगे।
तुम लिखो गीत जीवनके सन्सार के ,
गीत मेरे लिखो यूं बताने लगे...
डा श्याम गुप्त का गीत....भारतीय नारी
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डा श्याम गुप्त के पद...
ब्रज की भूमि भई है निहाल |
सुर गन्धर्व अप्सरा गावें नाचें दे दे ताल |
जसुमति द्वारे बजे बधायो, ढफ ढफली खडताल |
पुरजन परिजन हर्ष मनावें जनम लियो नंदलाल |
आशिष देंय विष्णु शिव् ब्रह्मा, मुसुकावैं गोपाल ...
सृजन मंच ऑनलाइन
--
छः दोहे .....डा श्याम गुप्त ..
आदि अभाव अकाम अज, अगुन अगोचर आप,
अमित अखंड अनाम भजि,श्याम मिटें त्रय-ताप...
आपका ब्लॉग
--
सचिन सावधान !
ये है चुनाव का

" भारत रत्न "

आधा सच...पर महेन्द्र श्रीवास्तव
--
चीनी वितरण
एक बड़ी सी बस्ती में कई सारे लोग रहते थे।
उनमे थे एक मिस्टर अ।
मिस्टर अ को चीनी बांटने का अधिकार था।
उन्होंने एक बार बस्ती की ही मिस एम को
खुश हो कर एक कटोरी चीनी दे दी।
सारी बस्ती ही बड़ी खुश थी क्योंकि...
कासे कहूँ? पर kavita verma
--
बहुत कुछ
बहुत जगह पर
लिखा पाता है
पढ़ा लेकिन किसी से
सब कहाँ जाता है !
उल्लूक टाईम्सपरसुशील कुमार जोशी
--
घर बैठे करें सरकारी नौकरी की तैयारी

MyBigGuide पर Abhimanyu Bhardwaj
--
किताब में रखा हुआ फूल
*कल पढते-पढते *
*एकाएक ही *
*किताब में रखा हुआ*
*मिल गया एक फूल*
*और याद दिला गया-*
*गुज़रे हुए कितने ही हसीं पल...
अंतर्मन की लहरें पर Dr. Sarika Mukesh
--
बहा नाक से खून पर,
जमा पाक में धाक -

आपका ब्लॉग पर रविकर
--
जन्नत यहीं है

Akanksha पर Asha Saxena
--
जीवन आयेगा क्या ....?

प्रतिभा की दुनिया ... पर Pratibha Katiyar
--
"जीवन का गीत"

--
राज्य सभा का कर्ज, इधर मोदी भौकलवा

रविकर की कुण्डलियाँ
--
मधु सिंह : विशालाक्षा (5)

मँहगाई की मार से, बेहतर तू ही मार -

"लिंक-लिक्खाड़" पर रविकर
--
कार्टून:- आओ कबाड़ी, आओ.

काजल कुमार के कार्टून
ब्रज की भूमि भई है निहाल |
सुर गन्धर्व अप्सरा गावें नाचें दे दे ताल |
जसुमति द्वारे बजे बधायो, ढफ ढफली खडताल |
पुरजन परिजन हर्ष मनावें जनम लियो नंदलाल |
आशिष देंय विष्णु शिव् ब्रह्मा, मुसुकावैं गोपाल ...
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छः दोहे .....डा श्याम गुप्त ..
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अमित अखंड अनाम भजि,श्याम मिटें त्रय-ताप...
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सचिन सावधान !
ये है चुनाव का
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आधा सच...पर महेन्द्र श्रीवास्तव
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चीनी वितरण
एक बड़ी सी बस्ती में कई सारे लोग रहते थे।
उनमे थे एक मिस्टर अ।
मिस्टर अ को चीनी बांटने का अधिकार था।
उन्होंने एक बार बस्ती की ही मिस एम को
खुश हो कर एक कटोरी चीनी दे दी।
सारी बस्ती ही बड़ी खुश थी क्योंकि...
कासे कहूँ? पर kavita verma
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बहुत कुछ
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लिखा पाता है
पढ़ा लेकिन किसी से
सब कहाँ जाता है !
उल्लूक टाईम्सपरसुशील कुमार जोशी
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घर बैठे करें सरकारी नौकरी की तैयारी

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किताब में रखा हुआ फूल
*कल पढते-पढते *
*एकाएक ही *
*किताब में रखा हुआ*
*मिल गया एक फूल*
*और याद दिला गया-*
*गुज़रे हुए कितने ही हसीं पल...
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जीवन आयेगा क्या ....?

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"जीवन का गीत"
देश-वेश और जाति-धर्म का ,
मन में कुछ भी भेद नहीं।
भोग लिया जीवन सारा,
अब जाने का भी खेद नहीं।।
सरदी की ठण्डक में ठिठुरा, गर्मी की लू झेली हैं,
बरसातों की रिम-झिम से, जी भरकर होली खेली है,
चप्पू तो हैं सही-सलामत, नौका में है छेद कहीं।
भोग लिया जीवन सारा,
अब जाने का भी खेद नहीं..
उच्चारण--
राज्य सभा का कर्ज, इधर मोदी भौकलवा

रविकर की कुण्डलियाँ
--
मधु सिंह : विशालाक्षा (5)

विशालाक्षा कौन देख अब विह्वल होगा
मृदुल कपोलों की लाली
कौन पियेगा विशालाक्षा के
अधरों की मधुमय प्याली ....
--मँहगाई की मार से, बेहतर तू ही मार -

"लिंक-लिक्खाड़" पर रविकर
--
कार्टून:- आओ कबाड़ी, आओ.

काजल कुमार के कार्टून
--
ओल्ड इज गोल्ड
हिन्दी के एक कहावत में यों भी कहा गया है,
‘अक्ल और उम्र की भेंट नहीं होती है.’
प्राचीन साहित्य में, धार्मिक पुस्तकों या कथा-पुराणों में
जो बातें लिखी रहती हैं, वे बहुत तपने के बाद बाहर आई हुई रहती हैं.
संस्कृत में उन बातों को आप्तोपदेश कहा जाता है.
विज्ञान हो या कोई अन्य प्रयोग, जिनकी हमें जानकारी हो जाती है...
जाले पर (पुरुषोत्तम पाण्डेय)
--
"वानर"
बालकृति नन्हें सुमन से

एक बालकविता
"वानर"

जंगल में कपीश का मन्दिर।
जिसमें पूजा करते बन्दर।।

कभी यह ऊपर को बढ़ता।
डाल पकड़ पीपल पर चढ़ता।।

ऊपर जाता, नीचे आता।
कभी न आलस इसे सताता।।
उछल-कूद वानर करता है।
बहुत कुलाँचे यह भरता है।।
ओल्ड इज गोल्ड
हिन्दी के एक कहावत में यों भी कहा गया है,
‘अक्ल और उम्र की भेंट नहीं होती है.’
प्राचीन साहित्य में, धार्मिक पुस्तकों या कथा-पुराणों में
जो बातें लिखी रहती हैं, वे बहुत तपने के बाद बाहर आई हुई रहती हैं.
संस्कृत में उन बातों को आप्तोपदेश कहा जाता है.
विज्ञान हो या कोई अन्य प्रयोग, जिनकी हमें जानकारी हो जाती है...
जाले पर (पुरुषोत्तम पाण्डेय)
--
"वानर"
बालकृति नन्हें सुमन से

एक बालकविता
"वानर"

जंगल में कपीश का मन्दिर।
जिसमें पूजा करते बन्दर।।

कभी यह ऊपर को बढ़ता।
डाल पकड़ पीपल पर चढ़ता।।

ऊपर जाता, नीचे आता।
कभी न आलस इसे सताता।।
उछल-कूद वानर करता है।
बहुत कुलाँचे यह भरता है।।
बढ़िया सूत्रों ने सजाया आज का चर्चा मंच
ReplyDeleteमैंने यहाँ अवसर पाया कैसे धन्यवाद कहूं
शब्द ही नहीं मिलते ,कम पड़ते आभार के लिए |
आशा
This comment has been removed by the author.
ReplyDeleteआपके संयोजन की जितनी तारीफ़ की जाये कम है. सभी रचनाकारों की कलम को सलाम तथा तीनों कार्टूनिस्टों के सटीक व्यंग बहुत अच्छे लगे, किशोर बच्चों के लिए लिखी मेरी रचना को भी आपने स्थान दिया है, हार्दिक धन्यवाद.
ReplyDeleteसुंदर सूत्र संकलन हमेशा की तरह ! निखरी हुई आज की चर्चा में 'उल्लूक' का "बहुत कुछ
ReplyDeleteबहुत जगह पर लिखा पाता है पढ़ा लेकिन किसी से सब कहाँ जाता है" को स्थान दिया बहुत बहुत आभार !
आदरणीय आज के सूत्र भी ठीक ठाक रहे , शास्त्री जी व मंच को एक सन्देश कि अपने जितने भी प्रस्तुतकर्ता है वे अपना नेट व तबियत को ठीक रखे , जिससे हम सबको मंच की झूठी तारीफ न करनी पडे व बढ़िया सुविधा व लिंक्स प्राप्त हो , पहले मैं ये लिखना नहीं चाहता था , मगर मैंने देखा अगर मैं नहीं लिखूंगा तो लिखेगा कौन ? शायद ये पढ़ने के बाद आप इसे डिलीट कर दें , लेकिन जिस बात से फायदा हो उस बात को झुठलाया नहीं जा सकता , धन्यवाद
ReplyDelete" जै श्री हरि: "
सहमत हैं हम आप से, बहुत बहुत आभार |
Deleteठीक रहे नेट स्वास्थ्य भी, सुनिये चर्चाकार |
सुनिये चर्चाकार, भार का वहन कीजिये |
नहीं अगर तैयार, सूचना शीघ्र दीजिये |
पढ़ें लेख उत्कृष्ट, पड़ी पाठक को आदत |
रखें सतत वे दृष्ट, बोलिये हैं ना सहमत !!
आदरणीय रविकर सर , आपके इस प्रेम के आगे किसकी चली , हम तो ख़ुश है कि कमसे कम हमारे चर्चा मंच से कुछ उत्तर तो मिला , हमारी तरफ से सर सहमति , श्री रविकर सर व चर्चा मंच को धन्यवाद
Deleteबढिया लिंक्स से सजा है चर्चा मंच
ReplyDeleteबहुत बढिया...
सुन्दर सजीले लिंक्स , रविवार के लिए भरपूर उपहार........
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर चर्चा सजाई है .. धन्यवाद..
ReplyDeleteसुंदर चर्चा ! आज की. बहुत अच्छे लिंक्स.
ReplyDeleteकाफी समय बाद आज ब्लॉग देखे, चर्चा मंच के लिंक्स सदा की भांति उम्दा किस्म के रहे...आपकी कविताएँ लाज़वाब हैं....आपकी मेहनत को सलाम! हमारी भी एक पोस्ट आपने शामिल की; तहे-दिल से आपका शुक्रिया:-))
ReplyDeleteसादर,
सारिका मुकेश
sundar links se saja manch abhar ..
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति-
ReplyDeleteआभार चर्चा मंच-
ReplyDeleteत्रिभुवन गुरु औ जगत गुरु, जो प्रत्यक्ष सुनाम,
जन्म मरण से मुक्ति दे, ईश्वर करूं प्रणाम | २
हे माँ! ज्ञान प्रदायिनी,ते छवि निज उर धार,
सुमिरन कर दोहे रचूं, महिमा अपरम्पार | ३
श्याम सदा मन में बसें, राधाश्री घनश्याम,
राधे राधे नित जपें, ऐसे श्रीघनश्याम | ४
अंतर ज्योति जलै प्रखर, होय ज्ञान आभास,
गुरु जब अंतर बसि करें,गोविंद नाम प्रकाश | ५
शत शत वर्षों में नहीं, संभव निष्कृति मान,
करते जो संतान हित, मातु-पिता वलिदान |६
भाव और अर्थ सौंदर्य से संसिक्त दोहावली।
ऊपर जाता, नीचे आता।
ReplyDeleteकभी न आलस इसे सताता।।
उछल-कूद वानर करता है।
बहुत कुलाँचे यह भरता है।।
बहुत सुन्दर रचा बाल गीत -
आलस और प्रमाद नहीं है ,
इसे कोई अवसाद नहीं है।
बड़ी अटपटी बात थी, पर जब wise man ने पुछवाया कि बाँस की लम्बाई और मोटाई कितनी होनी चाहिए तो उत्तर मिला, ‘लम्बाई-मोटाई कितनी भी हो उसमें बीस गाठें होनी चाहिए.’
ReplyDeleteछुपे हुए wise man ने अपने लोगों को निर्देश दिया कि ‘नदी तट या दलदल में लम्बी लम्बी दूब जड़ डाले हुए उगी रहती है. तुम बीस गाँठ वाली लम्बी दूब उखाड़ लाओ. इस प्रकार बीस गाँठ से भी ज्यादा गांठों वाली दूब-बाँस लड़की वालों को पेश की गयी तो लड़की वाले समझ गए कि बारात में जरूर कोई बुजुर्ग लाया गया है. और ठिठोली करते हुए ब्याह हो गया. उस बुजुर्ग की बुद्धि की सराहना करते हुए सम्मानित किया गया.
बहुत सुन्दर प्रसंग कहानी किस्सों की मार्फ़त ज्ञान देने की कला में पारंगत हैं एक भाई पुरुषोत्तम पाण्डे।
वाह वाह नामवर सिंह गैंग को पूरा धौ दिया ,ऊपर से निचोड़ भी दिया। काजल कुमार के चित्र व्यंग्य नया शिखर नाप रहे हैं।
ReplyDeleteदेश-वेश और जाति-धर्म का ,
ReplyDeleteमन में कुछ भी भेद नहीं।
भोग लिया जीवन सारा,
अब जाने का भी खेद नहीं।।
सरदी की ठण्डक में ठिठुरा, गर्मी की लू झेली हैं,
बरसातों की रिम-झिम से, जी भरकर होली खेली है,
चप्पू तो हैं सही-सलामत, नौका में है छेद कहीं।
भोग लिया जीवन सारा,
अब जाने का भी खेद नहीं..
बहुत सुन्दर सन्देश परक संतोष देती संतोष को भी प्रस्तुति।
गोदी में बैठा रखे, रहें पोषते नित्य |
ReplyDeleteउंगली डाले नाक में, कर विष्टा से कृत्य |
कर विष्टा से कृत्य, भिगोता रहा लंगोटी |
करता गोटी लाल, काटता लाल चिकोटी |
रविकर खोटी नीति, धमाके झेले मोदी |
यह आतंकी प्रीति, छुरी से काया गोदी ||
अटकल दुश्मन लें लगा, है चुनाव आसन्न |
बुरे दौर से गुजरती, सत्ता बांटे अन्न |
सत्ता बाँटे अन्न, पकड़ते हैं आतंकी |
आये दाउद हाथ, होय फिर सत्ता पक्की |
हो जाए कल्याण, अभी तक टुंडा-भटकल |
पकड़ेंगे कुछ मगर, लगाते रविकर अटकल ||
होती है लेकिन यहाँ, राँची में क्यूँ खाज-
दंगे के प्रतिफल वहाँ, गिना गए युवराज |
होती है लेकिन यहाँ, राँची में क्यूँ खाज |
राँची में क्यूँ खाज, नक्सली आतंकी हैं |
ये आते नहिं बाज, हजारों जानें ली हैं |
अब सत्ता सरकार, हुवे हैं फिर से नंगे |
पटना गया अबोध, हुवे कब रविकर दंगे ||
हुक्कू हूँ करने लगे, अब तो यहाँ सियार |
कब से जंगल-राज में, सब से शान्त बिहार |
सब से शान्त बिहार, सुरक्षित रहा ठिकाना |
किन्तु लगाया दाग, दगा दे रहा सयाना |
रहा पटाखे दाग, पिसे घुन पिसता गेहूँ |
सत्ता अब तो जाग, बंद कर यह हुक्कू हूँ -
सटीक व्यंग्य इंतजामिया पर।
--
ReplyDeleteराज्य सभा का कर्ज, इधर मोदी भौकलवा
रविकर की कुण्डलियाँ
बड़े समझदार हो गए लोग शहज़ादे की सीरत जान गए हैं।
ReplyDelete(1)
हुल्लड़ बाजी हो रही, राहुल रहे विराज |
सचिन हुवे आउट चलो, रैली में ले आज |
रैली में ले आज, बैट का देखें जलवा |
राज्य सभा का कर्ज, इधर मोदी भौकलवा |
मोदी मोदी शोर, भीड़ कर बैठी फाउल |
मौका अपना ताड़, भाग लेते हैं राहुल ||
(2)
चौका या छक्का नहीं, बड़ा देश परिवार |
मौका पा धक्का लगा, कर दे बेड़ा पार |
कर दे बेड़ा पार, वानखेड़े की गोदी |
अनायास ही शोर, हो रहा मोदी मोदी |
पूरे दो सौ टेस्ट, ऐतिहासिक था मौका |
सचिन नहीं वह और, लगाया जिसने चौका ||
क्या बात है चौके पे चौका लगे ,
रविकर देखे खेल ,
बहा नाक से खून पर, जमा पाक में धाक |
ReplyDeleteचौबिस वर्षों तक जमा, रहा जमाना ताक |
रहा जमाना ताक, टेस्ट दो सौ कर पूरे |
कर दे ऊँची नाक, बहा ना अश्रु जमूरे |
चला मदारी श्रेष्ठ, दिखाके करतब नाना |
ले लेता संन्यास, उम्र का करे बहाना |।
किरकेट के हैं शेर हमारे तेंदुलकर ,
बाउंसर पे बाउंसर फैंकते रहे बोलर।
बहा नाक से खून पर,
जमा पाक में धाक -
आपका ब्लॉग पर रविकर
--
मँहगाई की मार से, बेहतर तू ही मार -
ReplyDeleteये क्या नमक फांकेगा ?
Bamulahija dot Com
Cartoon, Hindi Cartoon, Indian Cartoon, Cartoon on Indian Politcs: BAMULAHIJA
भूला रोटी प्याज भी, अब मिलती ना भीख |
नमक चाट कर जी रहे, ले तू भी ले चीख |
ले तू भी ले चीख, चीख पटना में सुनकर |
हुआ खफा गुजरात, हमें लगता है रविकर |
राहुल बाँटे अन्न, सकल जनतंत्र कबूला |
मोदी छीने स्वाद, नमक भिजवाना भूला ||
मँहगाई की मार से, बेहतर तू ही मार -
"लिंक-लिक्खाड़" पर रविकर
श्लेषार्थ ही हासिल है कांग्रेसी रानजीतिक धंधे बाज़ों का। सुन्दर प्रस्तुति।
ReplyDeleteसचिन सावधान !
ये है चुनाव का
" भारत रत्न "
आधा सच...पर महेन्द्र श्रीवास्तव
--
बहुत शानदार सूत्रों से सजा चर्चामंच ,आपको हार्दिक बधाई आदरणीय शास्त्री जी
ReplyDeleteसाथी तेरे बिन बहुत अधूरे हैं हम,
ReplyDeleteतुम जो चले आओ तो पूरे हैं हम .
सुन्दर वेदना विछोह की अभिव्यक्त हुई है रचना में।
कागा सब तन खाइयो चुन चुन खाइयो मांस
दो नैना(नैणा ) मत खाइयो पीव मिलन री आस।
मधु सिंह : विशालाक्षा (5)
ReplyDeleteविशालाक्षा कौन देख अब विह्वल होगा
मृदुल कपोलों की लाली
कौन पियेगा विशालाक्षा के
अधरों की मधुमय प्याली ....
भाव राग की सुन्दर प्रस्तुति।
बहुत अच्छा
ReplyDelete