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गुरुवार, नवंबर 28, 2013

"झूठी जिन्दगी के सच" (चर्चा -1444)

आज की चर्चा में आपका हार्दिक स्वागत है
चलते हैं चर्चा की ओर 
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बड़े गहरे दबे हैं ' विर्क ' झूठी जिन्दगी के सच
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छोटी सी ही आस बहुत है

सिर्फ दलाली में सोने के, ढेरों सिक्के दिखते  हैं
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आईना

देख उठाती चींटियाँ, अधिक स्वयं से भार
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उल्लूक का शोध 

अनुकूल और विपरीत पगडंडियाँ तो साथ ही चलती हैं
 
बहुधा विचार टकरा जाते हैं

लव हारमोन

कुछ घरेलू नुस्खे

गोरा-चिट्टा कितना अच्छा

नवाबगंज पक्षी विहार
20131028_135524
बार्सिलोना की सैर

दस रूपये

धन्यवाद
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आगे देखिए "मयंक का कोना"
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आराधना

किस तरह बालारुण की एक नन्ही सी रश्मि 
सागर की अनगिनत लहरों में प्रतिबिंबित हो 
उसके पकाश को हज़ारों गुना विस्तीर्ण कर देती है ! 
जहाँ तक दृष्टि जाती है ऐसा प्रतीत होता है 
मानो हर लहर पर हज़ारों सूर्य ही सूर्य उदित होते जा रहे हैं 
जिनका ताप और प्रकाश हर पल बढ़ता ही जाता है....
Sudhinama पर sadhana vaid 
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ख़्वाबों की खुश्बू- 
हाइकु जगत के सुरभित फूल

हिन्दी-हाइगा पर ऋता शेखर मधु 

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डा श्याम गुप्त की गज़ल--जाना होगा ...
खुशबू छाई जो फिजाओं में तो जाना जानां | 

आपसे  हमको  मुलाक़ात  को जाना होगा  
झूम के बरसा जो सावन तो हमें ऐसा लगा, 
अब तो जाना ही हमें जाना ही जाना होगा... 
सृजन मंच ऑनलाइन पर shyam Gupta
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लंगी मारिए आगे बढ़िए

वक्त केसाथ लोगों की जीवनशैली बदली है. लोगों का सोच बदला है. ठीक उसी तरह से अपने को किसी पेशे में स्थापित करने, सफलता का पैमाना भी बदला है. इस तरीके से सिद्ध पुरुषों को लंगीमार कहते हैं. इन दिनों लंगीमार साधक हर क्षेत्र में सक्रिय हैं. लंगीमार साधक के बारे में जानने से पहले हम जान लें कि आखिर लंगीमार साधक की पहचान कैसे होगी...
आपका ब्लॉग पर Ramesh Pandey 
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श्याम स्मृति ..... 
प्रेम व्यक्ति के वश में नहीं, 
प्रेम में भावुकता एवं प्रेम विवाह .....
प्रेम होना या करना एक अलग बात है वह व्यक्ति के वश में नहीं है    परिस्थितियाँ ही नियतिबनकर व्यक्ति को भवितव्य की ओर धकेलती हैं तथा भविष्य तय करती हैं।  हाँव्यक्ति की स्वयं की दृड़ताजो आदर्शोंविचारोंकुल  समाज की स्थिति से बनती है इसमें बहुत प्रभाव डालती है  अपने प्यार को प्राप्तकर लेना,  प्रेमी से प्रेम-विवाह  एक सौभाग्य की बात है  परन्तु ....
डा श्याम गुप्त....
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कार्टून :- दस रूपये वाले भाषण के जवाब में  

काजल कुमार के कार्टून
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स्टिंग : आम आदमी पार्टी का पूरा वीडियो देखो

AAWAZ पर SACCHAI 

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श्याम तेरी बंसी की धुन

......श्याम तेरी बंसी की धुन......
सबको रिझाये 
मनवा बहकाये 
....सुध -बुध भुलाये ....
बस तेरी ओर
खिंचा चला आये
मोहे काहें तड़पाये 
बंसी बजाये
मंद मंद मुस्काये
मोहे छेड़े,,,,,
सताये ....
मेरा मन पंछी सा पर Reena Maurya
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बालार्क की तीसरी किरण

ज़िन्दगी…एक खामोश सफ़र पर 

vandana gupta 
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नहीं छानना ख़ाक, बाँध कर रखो लंगोटा
रविकर की कुण्डलियाँ
केले सा जीवन जियो, मत बन मियां बबूल | 
सामाजिक प्रतिबंध कुल, दिल से करो क़ुबूल ...
रविकर की कुण्डलियाँ
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मधु सिंह : विशालाक्षा (7) चर्चा जारी है
विशालाक्षा 
स्वागत अभिनंदन  भी  होगा
पथ पथिक और सब देव मिलेंगें
मार्ग    नया   होगा  अनजाना
नभचर   नए  अनेक   मिलेंगें


मन  में  हो  गंतव्य  तुम्हारा
मात्र यक्ष  हो लक्ष्य  तुम्हारा
नहीं कहीं  तुम राह भटकना
हो  पावन   गंतव्य   तुम्हारा...

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नारी सहने का नाम नहीं
नारी जननी है,नारी रक्षक है, 
अगर नारी न यह दुनिया बेगानी है, 
फिर भी क्यों होते जुल्म होते नारी पर 
पुरुषो का शिकार बनती है नारी 
पर फिर भी सहती है ...
aashaye पर garima

14 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर चर्चा।
    आपका आभार भाई दिलबाग विर्क जी।

    जवाब देंहटाएं
  2. शुभ प्रात:काल ! चर्चा के सभी शीर्षक सार्थक और सटीक हैं !!

    जवाब देंहटाएं
  3. एक लम्बे समयांतराल के बाद बाग बाग किया दिलबाग ने चर्चा लगाकर और "उल्लूक का शोध" चर्चा में दिखा कर दिल से आभार !

    जवाब देंहटाएं
  4. सुन्दर लिंक्स-
    उत्तम चर्चा-
    आभार भाई दिलबाग जी-

    जवाब देंहटाएं
  5. एक से बढ़कर एक लींक

    मेरी पोस्ट को स्थान देने के लीये आपका बहुत बहुत शुक्रिया

    जवाब देंहटाएं
  6. बढ़िया सूत्र व प्रस्तुति , मंच को धन्यवाद
    ॥ जै श्री हरि: ॥

    जवाब देंहटाएं
  7. सार्थक लिंक्स...व्यवस्थित चर्चा...आभार !!

    जवाब देंहटाएं
  8. कार्टून को भी समाहि‍त करने के लि‍ए आभार जी

    जवाब देंहटाएं
  9. बहुत सुंदर लिंक्स मिले
    इन गुणीजनों में मुझे भी सम्मिलित करने के लिये धन्यवाद !!

    जवाब देंहटाएं
  10. बढिया लगा, खुद को इस मंच पर पाकर!

    जवाब देंहटाएं
  11. सुंदर, सुसज्जित, व्यवस्थित चर्चामंच ! मेरी रचना को सम्मिलित करने के लिये बहुत-बहुत धन्यवाद एवँ आभार !

    जवाब देंहटाएं
  12. सुन्दर अतिसुन्दर चर्चा सेतु समायोजन खूब सूरत ,अनुकरणीय भाव कणिकाएं विचार माला लिए रही है चर्चा ।आभार हमारे सेतु को जगह देने का।

    जवाब देंहटाएं

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