सर्व प्रथम माँ सरस्वती को प्रणाम करते हुए
इस मंच को प्रणाम करता हूँ।
इस मंच पे मेरी पहली उपस्थिति आप सभी के सामने हुई है, आप सभी को प्रणाम करता हूँ।
हमारा देश ही एक ऐसा देश है, जहाँ नारी को माँ का दर्ज़ा दिया गया है और इसलिए मेरी पहली हाज़री उन सभी माँ के चरणों में
आज के सभी लिंक्स को पढ़कर आप सभी को ज्ञात होगा की भारतीय नारी घेरलू काम काज़ से लेकर
सृजन में भी अव्वल रही हैं और आज भी हैं।
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एहसास से ही हमें हर ऋतु का आभास होता है और इसी का ज़िक्र आदरणीय कल्पना रामानी जी ने कुछ इस तरह से किया
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बसंती एहसास लिए बहुत ही लाज़वाब श्रृंगार करने को आदरणीय मृदुला प्रधान जी कहती हैं
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दिल जवाँ, मौसम सुहाना, जब कोई बने बेग़ाना अपना, फिर क्यूँ न एहसास ऐसे निकले की बन जाए कोई तराना सुनीता जी के शब्दों में कुछ इसी तरह के एहसास
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एहसास से ही अपनापन और एहसास से ही परायापन, और एहसास के भाव जब शब्द बन जाते हैं तो ''पीयू'' लिखती हैं
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हर ताने-बाने में भी एहसास समाहित होता है, और उसी को भाव को शब्दों से पिरोया है आदरणीय
प्रियंका पाण्डेय जी ने कुछ इस तरह
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एहसास के भाव जब पक्के और गहरे होने लगते हैं, तो डायरी बनती है। जिसे बहुत खूबसूरती से उल्लेखित किया है आदरणीय कविता वर्मा जी ने
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जब सम्बन्धों में औपचारिकता मात्र रह जाती है तब मार्मिक एहसास जन्म लेती है। बहुत सुन्दर तरह से परिभाषित किया है आदरणीय शालिनी रस्तोगी जी ने
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और उसी एहसास का एक पहलू ये भी है जिसे आदरणीय रेवा टिबरेवाल जी कहती हैं
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परिस्थिति से हालात, हालात से जज़्बात और जज़्बात से जो एहसास के शब्द निकले उससे आदरणीय
जेन्नी शबनम जी लिखती हैं
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एहसास के रंग अलग अलग हैं, एहसास में भाव भी अलग अलग जन्म लेती हैं और उसी एहसास से
आदरणीय सिया सचदेव जी लिखती हैं
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जब इस दुनियाँ में तरह तरह के एहसासात का अनुभव होता है, फिर उस परम पिता परमेश्वर से आदरणीय
उपासना जी की तरह अरदास करते हैं
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ईश्वर से ही धुन रमने के एहसास से ही आदरणीय सरिता भाटिया जी अपनी छंद के माध्यम से कहती हैं
भजन प्रभु का करते
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उम्मीद ही नहीं, विश्वास है कि मेरी ये पहली चर्चा लगाने की कोशिश आप सभी को पसंद आएगी।
अगले सोमवार को फिर कुछ नई अभिव्यक्ति के साथ उपस्थित होऊँगा।
तब तक के लिए
सादर प्रणाम
--अभिषेक कुमार ''अभी''
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"अद्यतन लिंक"
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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उम्मीद ही नहीं, विश्वास है कि मेरी ये पहली चर्चा लगाने की कोशिश आप सभी को पसंद आएगी।
अगले सोमवार को फिर कुछ नई अभिव्यक्ति के साथ उपस्थित होऊँगा।
तब तक के लिए
सादर प्रणाम
--अभिषेक कुमार ''अभी''
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"अद्यतन लिंक"
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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बंद कर लिफ़ाफ़े में उन्होंने भेजा जो पैग़ाम है
ऐसी लाली छाई पढ़के कि हुआ वो सरेआम है
ऐसी लाली छाई पढ़के कि हुआ वो सरेआम है

मानव-समाज के लिए भाषा बहुत महत्वपूर्ण तत्व है। इसके माध्यम से ही मनुष्य विचारों और भावों का आदान-प्रदान करता है। भाषा संप्रेषण का मुख्य साधन होती है। वैसे तो संप्रेषण संकेतों के माध्यम से भी हो सकता है लेकिन सांकेतिक क्रिया-कलापों को भाषा नहीं माना जा सकता। ‘भाषा’ शब्द की व्युत्पत्ति संस्कृत की ‘भाष्’ धातु से हुई है जिसका अर्थ होता है- बोलना, कहना...


ADHYATMIK पर
Madan Gopal Garga
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shilpa bhartiya
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धरती का चेहरा निखरा है।
खेतों में सोना बिखरा है।।...
खेतों में सोना बिखरा है।।...
सुन्दर और व्यवस्थित चर्चा।
ReplyDeleteअभिषेक कुमार अभी आपका स्वागत और अभिनन्दन है।
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साभार
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री मयंक
आदरणीय सर,
Deleteआपका असीम योगदान है इस चर्चा मंच को सार्थक करने में,
इसके लिए आपका हार्दिक आभारी हूँ।
बहुत सुंदर चर्चा पेश की है अभिषेक कुमार जी ने स्वागत है । उल्लूक का सूत्र "ब्लागिंग कर कमप्यूटर में डाल बाकी मत कर फाल्तू कोई बबाल" को स्थान दिया आभार ।
ReplyDeleteसर सराहना प्रदान करने हेतु, हार्दिक धन्यवाद।
Deleteसुन्दर चर्चा।
ReplyDeleteभाई संजय जी, आपका बहुत बहुत धन्यवाद।
Deleteसर सराहना प्रदान करने हेतु, हार्दिक धन्यवाद।
ReplyDeleteबढ़िया प्रस्तुति व सूत्र , मंच को धन्यवाद
ReplyDeleteआइये जानते है इन्टरनेट से जुड़े शब्दों का अर्थ ( शब्दावली ) ~ [ Let us Know Basic Internet Terminology ]
आशीष भाई, आपका बहुत बहुत धन्यवाद।
Deleteआपका स्वागत है, बहुत सुन्दर, श्रम से संकलित सूत्र।
ReplyDeleteभाई प्रवीण पाण्डेय जी, आपका बहुत बहुत धन्यवाद।
Deletesundar links ..shamil karne ke liye abhar ...
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद है सम्मानिता कविता जी है
Deletesundar Links Abhi bhai...mujhe bhi inmay shamil kiya shukriya
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद है सम्मानिता दीदी रेवा जी और आपकी कविता ही ऐसी एहसासात से भरी होती है की जब बात एहसास की हो तो शामिल करना अनिवार्य हो गया था। बहुत शुक्रिया आपका भी
Deleteगुरु जी प्रणाम
ReplyDeleteआदरणीय अभिषेक जी आपकी प्रथम प्रस्तुति पर आपको ढेरों बधाई
और मेरी रचना को शामिल करने के लिए हार्दिक आभार
सम्मानिता सरिता जी, बहुत बहुत धन्यवाद इस सराहना हेतु।
Deleteएक प्रयास किया मैंने भी आप सभी को देखकर और साथ पाकर।
सादर
बहुत बढ़िया एक से बढ़ कर एक महिला रचना कारों को संकलित किया है , बहुत खूब । बधाई प्रिय अभिषेक ।
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद है सम्मानिता दीदी जी
Deleteबहुत ही सुन्दर चर्चा! इस श्रमसाध्य कार्य के लिए आपका साधुवाद! मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका हार्दिक आभार!
ReplyDeleteसर सराहना प्रदान करने हेतु, हार्दिक धन्यवाद।
Deleteस्वागत ...अच्छी चर्चा.....
ReplyDeleteसर सराहना प्रदान करने हेतु, हार्दिक धन्यवाद।
Deleteकल उपस्थित न हो सका खेद है, चर्चा मंच पर आपका हार्दिक स्वागत है श्रीमान, बहुत ही सुन्दर प्रस्तुतिकरण।
ReplyDeleteसर सराहना प्रदान करने हेतु, हार्दिक धन्यवाद।
Deletewah.....man ekdam khush kar diye.itne achche-achche links dekar......aur ek dhanybad bhi ki mujhe bhi saath le liye abhishek jee......
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद है सम्मानिता दीदी जी
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