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सोमवार, मार्च 03, 2014

''एहसास के अनेक रंग'' (चर्चा मंच-1540)

सर्व प्रथम माँ सरस्वती को प्रणाम करते हुए 
इस मंच को प्रणाम करता हूँ। 
इस मंच पे मेरी पहली उपस्थिति आप सभी के सामने हुई है, आप सभी को प्रणाम करता हूँ। 
हमारा देश ही एक ऐसा देश है, जहाँ नारी को माँ का दर्ज़ा दिया गया है और इसलिए मेरी पहली हाज़री उन सभी माँ के चरणों में 
आज के सभी लिंक्स को पढ़कर आप सभी को ज्ञात होगा की भारतीय नारी घेरलू काम काज़ से लेकर
सृजन में भी अव्वल रही हैं और आज भी हैं।  
एहसास ख़त्म, इंसान ख़त्म इसी बात 
का बखूबी उल्लेख आदरणीय रमा शर्मा जी द्वारा 

जिंदगी क्या है
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एहसास से ही हमें हर ऋतु का आभास होता है और इसी का ज़िक्र आदरणीय कल्पना रामानी जी ने कुछ इस तरह से किया 
बदला मौसम, फिर बसंत का, हुआ आगमन
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बसंती एहसास लिए बहुत ही लाज़वाब श्रृंगार करने को आदरणीय मृदुला प्रधान जी कहती हैं
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दिल जवाँ, मौसम सुहाना, जब कोई बने बेग़ाना अपना, फिर क्यूँ न एहसास ऐसे निकले की बन जाए कोई तराना सुनीता जी के शब्दों में कुछ इसी तरह के एहसास
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एहसास से ही अपनापन और एहसास से ही परायापन, और एहसास के भाव जब शब्द बन जाते हैं तो ''पीयू'' लिखती हैं 
 बस तुम हो
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हर ताने-बाने में भी एहसास समाहित होता है, और उसी को भाव को शब्दों से पिरोया है आदरणीय 
प्रियंका पाण्डेय जी ने कुछ इस तरह 
कुछ एहसास  भेजे थे तुमको
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एहसास के भाव जब पक्के और गहरे होने लगते हैं, तो डायरी बनती है। जिसे बहुत खूबसूरती से उल्लेखित किया है आदरणीय कविता वर्मा जी ने 
शायद तुम समझ सको
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जब सम्बन्धों में औपचारिकता मात्र रह जाती है तब मार्मिक एहसास जन्म लेती है। बहुत सुन्दर तरह से परिभाषित किया है आदरणीय शालिनी रस्तोगी जी ने  
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और उसी एहसास का एक पहलू ये भी है जिसे आदरणीय रेवा टिबरेवाल जी कहती हैं 
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परिस्थिति से हालात, हालात से जज़्बात और जज़्बात से जो एहसास के शब्द निकले उससे आदरणीय 
जेन्नी शबनम जी लिखती हैं 
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एहसास के रंग अलग अलग हैं, एहसास में भाव भी अलग अलग जन्म लेती हैं और उसी एहसास से 
आदरणीय सिया सचदेव जी लिखती हैं 

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आशियाँ लुट गया है चाहत का
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जब इस दुनियाँ में तरह तरह के एहसासात का अनुभव होता है, फिर उस परम पिता परमेश्वर से आदरणीय 
उपासना जी की तरह अरदास करते हैं
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ईश्वर से ही धुन रमने के एहसास से ही आदरणीय सरिता भाटिया जी अपनी छंद के माध्यम से कहती हैं 
भजन प्रभु का करते
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उम्मीद ही नहीं, विश्वास है कि मेरी ये पहली चर्चा लगाने की कोशिश आप सभी को पसंद आएगी। 
अगले सोमवार को फिर कुछ नई अभिव्यक्ति के साथ उपस्थित होऊँगा। 
 तब तक के लिए 
सादर प्रणाम 
--अभिषेक कुमार ''अभी''
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"अद्यतन लिंक"
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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बंद कर लिफ़ाफ़े में उन्होंने भेजा जो पैग़ाम है 
ऐसी लाली छाई पढ़के कि हुआ वो सरेआम है

'कहीं दाग न लग जाए 'इस खौफ से प्रतिरक्षामन्त्री उन तमाम फौरी मामलों को जो हमारी प्रतिरक्षाव्यवस्था से ताल्लुक रखते हैं , मुल्तवी करते आ रहें हैं।नानगवर्नेंस में मनमोहन अकेले नहीं हैं पूरा कुनबा उनके साथ है। एंटनी इसके अपवाद नहीं हैं। परम आश्चर्य की बात तो यह है सम्पूर्ण अकर्मण्यता के षड्यंत्र में पूरा यूपीए नेतृत्व शामिल है। बिना काम किये भी लांग खुल जाए ये बहुत खतरे की बात है। बिना काम की लुंगी
आपका ब्लॉग पर Virendra Kumar Sharma 
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मानव-समाज के लिए भाषा बहुत महत्वपूर्ण तत्व है। इसके माध्यम से ही मनुष्य विचारों और भावों का आदान-प्रदान करता है। भाषा संप्रेषण का मुख्य साधन होती है। वैसे तो संप्रेषण संकेतों के माध्यम से भी हो सकता है लेकिन सांकेतिक क्रिया-कलापों को भाषा नहीं माना जा सकता। ‘भाषा’ शब्द की व्युत्पत्ति संस्कृत की ‘भाष्’ धातु से हुई है जिसका अर्थ होता है- बोलना, कहना...
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धरती का चेहरा निखरा है। 
खेतों में सोना बिखरा है।।...

26 टिप्‍पणियां:

  1. सुन्दर और व्यवस्थित चर्चा।
    अभिषेक कुमार अभी आपका स्वागत और अभिनन्दन है।
    --
    साभार
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री मयंक

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    उत्तर
    1. आदरणीय सर,
      आपका असीम योगदान है इस चर्चा मंच को सार्थक करने में,
      इसके लिए आपका हार्दिक आभारी हूँ।

      हटाएं
  2. बहुत सुंदर चर्चा पेश की है अभिषेक कुमार जी ने स्वागत है । उल्लूक का सूत्र "ब्लागिंग कर कमप्यूटर में डाल बाकी मत कर फाल्तू कोई बबाल" को स्थान दिया आभार ।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. सर सराहना प्रदान करने हेतु, हार्दिक धन्यवाद।

      हटाएं
  3. सर सराहना प्रदान करने हेतु, हार्दिक धन्यवाद।

    जवाब देंहटाएं
  4. आशीष भाई, आपका बहुत बहुत धन्यवाद।

    जवाब देंहटाएं
  5. आपका स्वागत है, बहुत सुन्दर, श्रम से संकलित सूत्र।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. भाई प्रवीण पाण्डेय जी, आपका बहुत बहुत धन्यवाद।

      हटाएं
  6. उत्तर
    1. हार्दिक धन्यवाद है सम्मानिता कविता जी है

      हटाएं
  7. उत्तर
    1. हार्दिक धन्यवाद है सम्मानिता दीदी रेवा जी और आपकी कविता ही ऐसी एहसासात से भरी होती है की जब बात एहसास की हो तो शामिल करना अनिवार्य हो गया था। बहुत शुक्रिया आपका भी

      हटाएं
  8. गुरु जी प्रणाम
    आदरणीय अभिषेक जी आपकी प्रथम प्रस्तुति पर आपको ढेरों बधाई
    और मेरी रचना को शामिल करने के लिए हार्दिक आभार

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. सम्मानिता सरिता जी, बहुत बहुत धन्यवाद इस सराहना हेतु।
      एक प्रयास किया मैंने भी आप सभी को देखकर और साथ पाकर।
      सादर

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  9. बहुत बढ़िया एक से बढ़ कर एक महिला रचना कारों को संकलित किया है , बहुत खूब । बधाई प्रिय अभिषेक ।

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    उत्तर
    1. हार्दिक धन्यवाद है सम्मानिता दीदी जी

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  10. बहुत ही सुन्दर चर्चा! इस श्रमसाध्य कार्य के लिए आपका साधुवाद! मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका हार्दिक आभार!

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    उत्तर
    1. सर सराहना प्रदान करने हेतु, हार्दिक धन्यवाद।

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  11. उत्तर
    1. सर सराहना प्रदान करने हेतु, हार्दिक धन्यवाद।

      हटाएं
  12. कल उपस्थित न हो सका खेद है, चर्चा मंच पर आपका हार्दिक स्वागत है श्रीमान, बहुत ही सुन्दर प्रस्तुतिकरण।

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    उत्तर
    1. सर सराहना प्रदान करने हेतु, हार्दिक धन्यवाद।

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  13. wah.....man ekdam khush kar diye.itne achche-achche links dekar......aur ek dhanybad bhi ki mujhe bhi saath le liye abhishek jee......

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    उत्तर
    1. हार्दिक धन्यवाद है सम्मानिता दीदी जी

      हटाएं

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