माँ सरस्वती को प्रणाम करके आप सभी को प्रणाम.
आज हिंदुस्तान के लिए, इंसानियत के लिए, भाई चारे के लिए और हमारी संस्कृति के लिए अनमोल उत्सव पूर्ण दिन है।
आप सभी को स-परिवार होली की बहुत बहुत शुभकामनायें।
जिस तरह दीपावली से भगवान् रामचंद्र जी की पौराणिकता जुड़ी हुई है, उसी तरह होली से भगवान् श्री कृष्ण जी की पौराणिकता जुड़ी है।
सत्ययुग और द्वापरयुग के इन दो महान अवतारों को प्रणाम करते हुए
अब न चेहरे पे, हम मले रंग
न रखें दिल में, कोई मलाल
होली खेलें जैसे खेले नंदलाल
-अभिषेक कुमार ''अभी''
अब कुछ चुनिंदा अभिव्यक्ति जो होली के सन्दर्भ में रची/लिखी गई है, उनपर पे नज़र डालते हैं
होली कि बोली अलग, होली में हमजोली सब, गयें बजायें जो मन भाये, आओ होली मनाएँ सब, आदरणीय ''रूपचन्द्र शास्त्री मयंक'' जी कहते हैं
-१-
होली के नाम से ही जैसे दिल और दिमाग पे मस्ती सी छाने लगती है, बिने पिए ही उस आनंद में डूबने लगते हैं, पूरे बदन का पोर-पोर इशारे करने लगते हैं. तभी आदरणीय ''नीरज कुमार नीर'' जी कहते हैं
-२-
रंग जीवन में बहुत मायने रखते हैं, बेहद सुन्दर शब्दों के साथ संयोजित कविता आदरणीय ''मीना चोपड़ा'' जी की
-३-
होली में चेहरे सभी एक से लगने लगते हैं, शायद इसलिए ये इंसानियत और भाईचारे का त्यौहार है, इसी सन्दर्भ में ''संजय भास्कर जी'' लिखते हैं
-४-
होली का त्यौहार कैसे मनाएं, बिलकुल सही लहज़े में सही तरीक़ा बताई हैं, आदरणीय ''रेवा'' जी ने
-५-
होली सिर्फ रंगों का त्यौहार नहीं, इस दिन दुआ,प्रार्थना भी अपने सगे संबंधियों के लिए किया जाता है, जैसे आदरणीय ''मोहन श्रीवास्तव'' जी ने अपनी इस रचना में की है
-६-
प्रकृति के मूल रूप से छेड़-छाड़ अच्छा नहीं, क्यूंकि ये उस परमपिता परमेश्वर के द्वारा बनाई गई सबसे अमूल्य वस्तु है। एक बेहद सुन्दर और सटीक रचना आदरणीय ''शालिनी रस्तोगी'' जी के द्वारा
-७-
चुनावी दंगल में होली जैसा माहौल बना हुआ है, इसी सन्दर्भ में अपनी ग़ज़ल से रु-ब-रु करा रहे हैं आदरणीय ''संतोष त्रिवेदी'' जी
-८-
होली के आते ही रंगमयी मौसम लगने लगता है, धरती से लेकर गगन तक सप्तरंगी हो जाते हैं। ''दिव्य नर्मदा'' ने अपने ब्लॉग पे एक ऐसी ही अभिव्यक्ति को स्थान दी है, जिसे आदरणीय ''ब्राह्मणी वीणा'' जी ने रची है
-९-
छंद पौराणिक काल से ही अभिव्यक्ति में चार-चाँद लगते रहे हैं, आदरणीय ''संजीव वर्मा 'सलिल'' जी की होली पे लिखी ये अद्भुत छंदमय कृति
बलिहारी परिवर्तन की, फूहड़ नंगे नर्त्तन कीगुंडई मौज मज़ा मस्ती, शीला-चुन्नी मंचन की
-१०-
होली आई है तो होली खेलनी भी है, आदरणीय ''कल्पना रामानी'' जी कहती हैं
-११-
होली में सभी का उत्साह बराबर होता है पर होली का उत्साह बच्चोंं में कुछ खास ही होता है, आदरणीय ''कैलाश शर्मा'' जी ने इसी सन्दर्भ में रचना रची
-१२-
अमित चन्द्रा होली के त्यौहार को मनाने का ढंग
अपनी रचना में बता रहे हैं-
अपनी रचना में बता रहे हैं-
होली.........
फागुन की बहार रंगों की बौछार भंग का खुमार गुझिया मजेदार थोड़ी सी तकरार ढेर सारा प्यार प्रियतम का इंतजार दिल बेकरार आओ मनाएँ मिलकर होली का त्योहार
-१३-
फागुन की बहार रंगों की बौछार भंग का खुमार गुझिया मजेदार थोड़ी सी तकरार ढेर सारा प्यार प्रियतम का इंतजार दिल बेकरार आओ मनाएँ मिलकर होली का त्योहार
-१३-
-१४-
-१५-
♥ दिवस सुहाने आने पर ♥

अनजाने अपने हो जाते,
दिवस सुहाने आने पर।
सच्चे सब सपने हो जाते,
दिवस सुहाने आने पर...
-१६-
-१७-
-१८-
-१९-
त्यौहार हो और खाने पे परहेज़ हो, तो कोई क्या करे' फिर तो ऐसी ही अभिव्यक्ति मन से निकलती है
“मिष्ठान नही हम खाते हैं”
बरफी-लड्डू के चित्र देखकर,अपने मन को बहलाते हैं।।
“मिष्ठान नही हम खाते हैं”

मधुमेह हुआ जबसे हमको,
मिष्ठान नही हम खाते हैं।बरफी-लड्डू के चित्र देखकर,अपने मन को बहलाते हैं।।
बहुत ही लाज़वाब रचना आदरणीय ''रूपचन्द्र शास्त्री मयंक'' जी द्वारा
''मिष्ठान नहीं हम खाते हैं''
-२०-
होली का त्यौहार हो और पिया का प्यार हो फिर इस त्यौहार का मज़ा ही दुगुना हो जाता है। आदरणीय ''उपासना'' कहती हैं
होल-होल रंग
रच ही गया
पिया तेरे प्यार का
मैं अभिषेक कुमार ''अभी'' अपनी बात को यहीं पूर्ण विराम दे रहा हूँ।
आप सभी को होली की हार्दिक शुभकामनायें।
आगे देखिए...
--
-२०-
होली का त्यौहार हो और पिया का प्यार हो फिर इस त्यौहार का मज़ा ही दुगुना हो जाता है। आदरणीय ''उपासना'' कहती हैं
होल-होल रंग
रच ही गया
पिया तेरे प्यार का
मैं अभिषेक कुमार ''अभी'' अपनी बात को यहीं पूर्ण विराम दे रहा हूँ।
आप सभी को होली की हार्दिक शुभकामनायें।
आगे देखिए...
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"अद्यतन लिंक"
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*प्यार के रंग से भरो पिचकारी
स्नेह से रँग दो दुनिया सारी
ये रंग न जाने कोई जात न बोली
आप सभी को मुबारक हो यह होली ...
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- होली पर्व पर आप सभी को बधाइयाँ।
होली जमकर खेलें, पर इको-फ्रेंडली होली से भी नाता जोड़ें।
ये गुझिया आप सबके लिए...

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उपहास उपहार---पथिकअनजाना
*जैसा जी चाहे यारों वैसी जिन्दगी तुम जी
लो कोई क्या कहेगा यह कडवा घूट तुम पी लो
आपका ब्लॉग
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" होली की शुभ कामनाएं और बधाईयां "
आप सब परिवार सहित प्रसन्न रहें !!
- पीताम्बर दत्त शर्मा ( समीक्षक ) -

*चित्रों आनन्द ढूँढिये ....... ! ! ! *
आपका क्या कहना है साथियो !!
अपने विचारों से तो हमें भी अवगत करवाओ...
--
कार्टून :- फ़ेसबुक और ट्विट्टर बीमार हैं...

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*प्यार का एक पल आपकी तमाम जिन्दगी...*
*प्यार एक ऐसा शब्द, जो बोलने के साथ ही
वातावरण में एक जादू सा कर देता है ...
--उल्लूक टाईम्स

रंगों को समझने का स्कूल कहाँ पाया जाता है -
*होते होते एक जमाना ही गुजर जाता है
रंगों को समझने बूझने में ही
कहाँ से कहाँ पहुँचा जाता है...
--
ऐसी भी होली ! -

ना पिचकारी ना रंग ना गुलाल हैं बदहाल !
होली की हार्दिक शुभकामनायें !
--
काव्यान्जलि ...
रंग रंगीली होली आई.
--

*(**अनुराग शर्मा**)*
बनी रेत पर थीं पदचापें
धारा आकर मिटा गई
ने सहारा जो स्तम्भ,
आंधी आकर लिटा गई ...
सुप्रभात।
ReplyDeleteरंगों के पावन पर्व होली की हार्दिक शुभकामनाएँ।
--
आभार।
आप को भी स-परिवार होली की बहुत बहुत शुभकामनायें
Deletebahut sundar charcha hai , aapko bhi sparivar holi ki hardik shubhkamnayen
Deleteआपका हार्दिक आभार
Deleteबढ़िया चर्चा ....होली की शुभकामनायें ...
ReplyDeleteआप को भी स-परिवार होली की बहुत बहुत शुभकामनायें
Deleteसभी पाठकों को होली की हार्दिक शुभकामनायें ! रंगों के इस अद्भुत पर्व के उल्लास से दमकता सुंदर चर्चामंच ! मेरी प्रस्तुति को सम्मिलित करने के लिये बहुत-बहुत धन्यवाद !
ReplyDeleteआप को भी स-परिवार होली की बहुत बहुत शुभकामनायें
Deleteवाह बिलकुल होलीमय चर्चा . बहुत ही सुन्दर प्रस्तुतिकरण contents भी और प्रेजेंटेशन भी दोनों बहुत उम्दा .. मजा आ गया .. आप सभी को होली की आनंदमय शुभकामनायें ..
ReplyDeleteआप को भी स-परिवार होली की बहुत बहुत शुभकामनायें
Deleteसामयिक और सुन्दर पोस्ट.....आप को भी होली की बहुत बहुत शुभकामनाएं...
ReplyDeleteनयी पोस्ट@हास्यकविता/ जोरू का गुलाम
आप को भी स-परिवार होली की बहुत बहुत शुभकामनायें
Deleteहोली के रंगों से सराबोर आज के सूत्र , मंच को धन्यवाद , होली की शुभकामनाओं सहित
ReplyDeleteनया प्रकाशन -: होली गीत - { रंगों का महत्व }
आप को भी स-परिवार होली की बहुत बहुत शुभकामनायें
Deleteहोली की शुभकामनाएँ सभी को और "देवता और असुर" की लिन्क देने के लिए धन्यवाद :))
ReplyDeleteआपका हार्दिक आभार
Deleteहोली की छटा बिखेरती लिंकों की सुंदर प्रस्तुति...!
ReplyDeleteचर्चामंच परिवार को रंगोत्सव की हार्दिक शुभकामनाए ....
RECENT पोस्ट - रंग रंगीली होली आई.
आपका हार्दिक आभार
Deleteसुंदर चर्चा.
ReplyDeleteसबों को होली की शुभकामनाएँ !
आपका हार्दिक आभार
Deleteआभार एवं चर्चामंच परिवार को होली की हार्दिक शुभकामनाएँ :-)
ReplyDeleteआपका हार्दिक आभार
Deleteहोली की हार्दिक शुभकामनाऐं सभी को । सुंदर रंगों से सजी चर्चा में उलूक का रंग " रंगों को समझने का स्कूल कहाँ पाया जाता है" को शामिल करने पर आभार ।
ReplyDeleteआपका हार्दिक आभार
Deleteबहुत रोचक चर्चा...होली की आपको सपरिवार हार्दिक शुभकामनाएं!
ReplyDeleteआपका हार्दिक आभार
Deleteसुन्दर है रचना होली की -
ReplyDeleteदेवर-भाभी में होती है, जमकर आँख-मिचौली,
गली-गाँव में घूम रहीं हैं हुरियारों की टोली,
होली कि बोली अलग, होली में हमजोली सब, गयें बजायें जो मन भाये, आओ होली मनाएँ सब, आदरणीय ''रूपचन्द्र शास्त्री मयंक'' जी कहते हैं
उड़त हैं रंग अबीर-गुलाल
खेलते होली मोहनलाल
बहुत सुन्दर लोकरचना :
ReplyDeleteनजरिया के तीर सनम धीरे चलाओ
कर कर के इशारे ना हमको बुलाओ.
नजरिया के तीर सनम धीरे चलाओ.
चुनरी के छोर में लपेट के अंगुरी
अधरों के कोरों को यूँ ना चबाओ.
नजरिया के तीर सनम धीरे चलाओ.
पहनी है पायल तो हौले से चलना
कर के छमाछम मेरा जी ना जराओ.
नजरिया के तीर सनम धीरे चलाओ.
...
होली के मौसम में गर्म भई हावा
अब गिरा के दुपट्टा ना आग लगाओ.
नजरिया के तीर सनम धीरे चलाओ ..
(होली की शुभकामनाएं)
.. नीरज कुमार नीर
सुन्दर बिम्ब और रूपक लिए आई है ये रचना होली
ReplyDeleteकी
क्षितिज पर
''होली आई रे आई होली आई रे '' (चर्चा मंच-1554)
आँखों की जलती बुझती रौशनी के बीच कहीं
पेस्टल चित्र - मीना द्वारा रचित
वो हल्का सा गुलाल-
क्षितिज के मद्धम से अंधेरों को अपने में समेटे
चाँद की पेशानी पर
टिमटिमाता है अबीर बन
हर पूनम को
वो हल्का सा गुलाल-
आस लगाये बैठी हूँ
उस होली की सुबह का
जब ये चाँद पूनम से उतर कर
अमावास के गुलाल में सितारे भरकर
मेरे मन के अंधेरों की पेशानी पर
इन्द्रधनुश सा रौशन होगा।
मेरा जीवन
अमावस से बने उजालों के
एक अथाह सागर में भीगा होगा।
-मीना चोपड़ा
लोकबयार लिए सशक्त अभिव्यक्ति
ReplyDeleteहोली के आते ही रंगमयी मौसम लगने लगता है, धरती से लेकर गगन तक सप्तरंगी हो जाते हैं। ''दिव्य नर्मदा'' ने अपने ब्लॉग पे एक ऐसी ही अभिव्यक्ति को स्थान दी है, जिसे आदरणीय ''ब्राह्मणी वीणा'' जी ने रची है
फगुआ में छाई बहार आली,
आई बसंत बहार आली
बहुत सुन्दर सशक्त सन्देश :प्यार के रंग से भरो पिचकारी-
ReplyDelete*प्यार के रंग से भरो पिचकारी
स्नेह से रँग दो दुनिया सारी
ये रंग न जाने कोई जात न बोली
आप सभी को मुबारक हो यह होली ...
बाल-दुनिया
ReplyDeleteबहुत सुन्दर सशक्त सन्देश :
हर सामग्री का जीवन में,
कोटा निर्धारित होता है,
उपभोग किया ज्यादा खाकर,
अब जीवन भर पछताते हैं।
मधुमेह हुआ जबसे हमको,
मिष्ठान नही हम खाते हैं।
जीवन शैली रोग मधुमेह का मर्म समझाती रचना
१. बलिहारी परिवर्तन की, फूहड़ नंगे नर्त्तन की
ReplyDeleteगुंडई मौज मज़ा मस्ती, शीला-चुन्नी मंचन की
२. नवता डूबे नस्ती में, जनता के कष्ट अकथ हैं
संसद बेमानी लगती, जैसे खुद को ही ठगती
३. विपदा न कोप है प्रभु का, वह लेता मात्र परीक्षा
सह ले धीरज से हँसकर, यह ही सच्ची गुरुदीक्षा
४. चुन ले तुझको क्या पाना?, किस ओर तुझे है जाना
जो बोया वह पाना है, कुछ संग न ले जाना है
बढ़िया बहुत बढ़िया सशक्त काव्य बिम्ब
बहुत ही लाज़वाब समीक्षा आपकी आदरणीय
Deleteहृदय के अंतःकरण से आपका आभार
सादर
समयाभाव के कारण देर से यहाँ आई और रचनाओं का खूब आनंद लिया। आप सब स्नेही जनो को रंग पर्व की आत्मीय शुभकामनाएँ।
ReplyDeleteआदरणीय हृदय के अंतःकरण से आपका आभार
DeleteAAPKE PREM KO MAIN KYAA NAAM DOON ??? HOLI KEEBADHAYI !! SABHI LEKHAK MITRON KO !!
ReplyDeleteआदरणीय हृदय के अंतःकरण से आपका आभार
Deleteरंगारंग चर्चा।
ReplyDelete