नेता की जय बोलते, जय जय भारत देश ।
पोल पोल में खोलते, जन गण मन में ठेस ।
जन गण मन में ठेस, भेष धर भोला भाला ।
रही अधमता शेष, हुआ गोरा अब काला ।
रविकर भ्रष्टाचार, भूख भय जीवन लेता।
फिर भी कर मतदान, द्वार पर ठाढ़े नेता ॥
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दुनियादारी
दरियादिली-ए-क़वायद देखिये ,
या तो लुट जाते हैं ..
या तो लूट जाते हैं ..
भरोसा-ए-अहतियात कितना करे ,
जब वक़्त से पहले इंसान बदल जाते हैं ...!
अभिलेख द्विवेदी
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जज़्बात ग़ज़ल में कहता हूँ
मैं उनके राह, आने की, खड़ा ख़ामोश तकता हूँ
न सोता हूँ, न जगता हूँ, पड़े हरपल तड़पता हूँ
कहीं ये दिल न पाये चैन, है कैसी अदावत ये
रहूँ मैं दूर जितना, और उतना ही उलझता हूँ...
अभिषेक कुमार अभी
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झरीं नीम की पत्तियाँ
(दोहा-गीतों पर एक काव्य)
(2)
सरस्वती-वन्दना
(ख)रस-याचना |
(ii)
’हास्य-रस’ की ‘धार’
(दोहा-गीतों पर एक काव्य)
(2)
सरस्वती-वन्दना
(ख)रस-याचना |
(ii)
’हास्य-रस’ की ‘धार’
‘मनोमलिनता’-‘बोझ’ से, व्याकुल है संसार |
माता ! लदे ‘तनाव’ का, हर लो सारा ‘भार’ !!
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सेहतनामा
(१)
सफ़ेद मोतिया से बचाव कर सकती है विटामिन -C
और पादप रंजक से संसिक्त खुराक
आपका ब्लॉग पर Virendra Kumar Sharma
(१)
सफ़ेद मोतिया से बचाव कर सकती है विटामिन -C
और पादप रंजक से संसिक्त खुराक
आपका ब्लॉग पर Virendra Kumar Sharma
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भगवान के लिए अब तो इंसान बनाएं
( आलेख )
डा लोक सेतिया
सब से पहले सभी धर्मों के अनुयाईयों से निवेदन कि कृपया इसको सही परिपेक्ष्य में समझें। मेरा किसी देवी देवता धर्म गुरु के प्रति , किसी की आस्था के प्रति रत्ती भर भी विरोध नहीं है। सच कहूं तो जो भी सभी धर्म सिखाते हैं मैंने उसी को समझने का प्रयास ही किया है...
Expressions by Lok Setia
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( आलेख )
डा लोक सेतिया
सब से पहले सभी धर्मों के अनुयाईयों से निवेदन कि कृपया इसको सही परिपेक्ष्य में समझें। मेरा किसी देवी देवता धर्म गुरु के प्रति , किसी की आस्था के प्रति रत्ती भर भी विरोध नहीं है। सच कहूं तो जो भी सभी धर्म सिखाते हैं मैंने उसी को समझने का प्रयास ही किया है...
Expressions by Lok Setia
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अब उसे भी क्या समझना
जिसे एक बेवकूफ तक समझता है
बस बताना और
समझाना होता है
“उलूक” दूर रखना
होता है तेरे जैसे
समझने समझाने
वालों को हमेशा ...
उलूक टाइम्स पर सुशील कुमार जोशी
जिसे एक बेवकूफ तक समझता है
बस बताना और
समझाना होता है
“उलूक” दूर रखना
होता है तेरे जैसे
समझने समझाने
वालों को हमेशा ...
उलूक टाइम्स पर सुशील कुमार जोशी
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बहुत सुन्दर और व्यवस्थित चर्चा।
जवाब देंहटाएंआपका आभार रविकर जी।
बहुत सुंदर चर्चा रविकर की । उलूक के सूत्र "अब उसे भी क्या समझना जिसे एक बेवकूफ तक समझता है" को स्थान दिया । आभार ।
जवाब देंहटाएंबहुत ही उपयोगी एवं सुन्दर सूत्र .. आभार .
जवाब देंहटाएंशानदार प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंलाज़वाब लिंक्स संयोजन
बधाई सर रविकर जी।
मेरी ग़ज़ल को ''जज़्बात ग़ज़ल में कहता हूँ'' चर्चामंच पे स्थान देने हेतु, ''मयंक'' सर हार्दिक धन्यवाद।
बढिया लिंक्स
जवाब देंहटाएंमुझे स्थान देने के लिए आभार
बढ़िया सूत्रों के साथ अव्वल प्रस्तुति , मेरे प्रकाशन को स्थान देने हेतु रविकर सर व मंच को धन्यवाद !
जवाब देंहटाएंInformation and solutions in Hindi ( हिंदी में जानकारियाँ )
रविकर जी बहुत बहुत धन्यवाद मेरी पोस्ट को चर्चा मंच में शामिल करने के लिए ...आभारी हूं।
जवाब देंहटाएंसबको सहेजने का आपका प्रयास हार्दिक बधाई योग्य है। बहुत ही प्रभावशाली और सार्थक चर्चा रही आज की । काफी उपयोगी और मनोहारी लिँक प्राप्त हुए ।
बहुत बढ़िया चर्चा प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंआभार!
बड़े ही रोचक व पठनीय सूत्र।
जवाब देंहटाएंआज का च्र्चामंच समसामयिक और रोचक शीर्षकों से युक्त है !
जवाब देंहटाएं---सम सामयिक ...पठनीय ..
जवाब देंहटाएंमेरी पोस्ट शामिल करने के लिए धन्यवाद ......