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मंगलवार, मार्च 04, 2014

"कभी पलट कर देखना" (चर्चा मंच-1541)

मित्रों।
मंगलवार के लिए मेरी पसंद के लिंक देखिए।
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हनुमान द्वीप से अण्‍डमान द्वीप -  
प्रकृति का अद्भुत खजाना 
अंग्रजों के क्रूर अत्‍याचार को दर्शाता सेलुलर जेल

वीर सावरकर सदृश्‍य हजारों स्‍वातंत्र्य वीरों की तपस्‍थली - अण्‍डमान निकोबार की सेलुलर जेल। ध्‍वनी और प्रकाश का कार्यक्रम प्रसारित हो रहा था। उद्घोषक ने प्रारम्‍भ किया - रामायण काल में जब राम-रावण का युद्ध चल रहा था तब हनुमान संजीवनी बूटी की तलाश में इसी मार्ग से गुजरे थे और उन्‍होंने इसी द्वीप पर विश्राम किया था।

पोस्‍ट को सम्‍पूर्ण पढ़ने के लिए दिये हुए लिंक पर क्लिक करें
अजित गुप्‍ता का कोना पर smt. Ajit Gupta -
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सूर्यास्त 

आज आपको अपनी दोयम दर्ज़े कि ग़ज़ल पढ़वाने के बजाय एक ऐसी अद्भुत रचना पढ़वाई जाय जिसकी मिसाल हिंदी साहित्य में ढूंढें नहीं मिलती ( कम से कम मुझे ). इस बार दिल्ली के पुस्तक मेले में मुझे बरसों से तलाशी जा रही *सूर्य भानु गुप्त* साहब कि किताब "*एक हाथ की ताली* " मिल गयी...
नीरज पर नीरज गोस्वामी 
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मुझे इंतजार है 
हां मुझे इंतजार है 
कश्मीरी पंडितों की घर वापसी का 
बरसों से उजड़े उनके घरों के फिर आबाद होने का 
मुझे इंतजार है 
दहशतजदा आंखों में मुसकानों के फूल खिलने का... 
कविता मंच पर Rajesh Tripathi
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तन्हाई 
गर  हमने  वफ़ा  की  है  ,तो  ये  अपनी  कहानी  है 
और  उसने  दुआ  दी  है  ,ये  उनकी  मेहेरबानी  है 

बता  दे  आज  ,कब  ये  बोलता  है , कोई  भी  ,दाता 
की  बोल  तुझमे , और  मुझसा  , कौन  दानी  है...

कविता-एक कोशिश पर नीलांश
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"सच्चा भारत" 

नहीं बनावट, नहीं प्रदूषण।
यहाँ सरलता है आभूषण।।
खड़ी हुई मजबूत इमारत।
यह है अपना सच्चा भारत।।
हँसता गाता बचपन
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केवल तू 

 दीखता मुझको जो केवल तू है 
जिसके पीछे चलता मैं, 
ज्योति तेरी 
चैन पाते सब नींद में...
videshikavita पर Manjula Saxena
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बस सात फेरे और तुम मेरे 

बस सात फेरे और तुम मेरे 
कितना आसान हैं ना 
यूँ किसी का हो जाना 
पर एक उम्र भी कम होती हैं 
किसी का पूरी तरह हो जाने में...
निविया पर Neelima sharma 
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एक बात ... ज़रूरी है जो ... 
वो मेरे इंतज़ार का दरख़्त था
सर्दियों में भी फूल नहीं खिले उस पर
हालाँकि उसकी घनी छाँव में पनपने वाली झाड़ी
लदी रहती थी लाल फूलों से...
स्वप्न मेरे.... पर Digamber Naswa 
संघी विचारधारा 
और पीएम की कुर्सी के बीच 
झूलते मोदी 
....मोदी आज दो राहे पर खड़े हैं जहां एक रास्ता सावरकर के दर्शन पर आधारित राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ का है तो दूसरा पीएम की कुर्सी का। खैर मोदी ने इतिहास की जानकारी के लिए विष्णु पांड्या और रिजवान कादरी को अपना सिपहसालार बनाया है। मोदी को चाहिए कि वे संघ के इन काले कारनामों को जानें और संघ से अपना नाता तोड़ लें। तभी पीएम की कुर्सी वाला रास्ता उनके लिए आसान होगा नही ंतो संघ से नाता नहीं तोड़ने वाले आडवाणी की तरह पीएम का उनका टिकट भी कभी कंफर्म नहीं हो पाएगा।
लो क सं घ र्ष !परRandhir Singh Suman
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Exceptional Offices 

Tech Prévue Labs पर 

Vinay Prajapati 
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अनुमान
बिग बाजार में प्रवेश करते ही वर्मा जी की नजर अपने परिचित राम बाबू पर पड़ी तो वह खुश होते हुए उनके पास पहुँच गये ---"नमस्ते राम बाबू ,अकेले अकेले क्या शोपिंग हो रही है...
Laghu-Katha - 

My Hindi Short Stories - 
Pavitra Agarwal
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नियम व नियंत्रण...  
परन्तु अनुभवों  मंथन से जाना कि मैं गलत राह पर जा रहा था 
नियम  नियंत्रण मानवीय जीवन में मूल्यहीन अस्तित्व खो गये हैं...
पथिक अनजाना  
आपका ब्लॉग
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"रूप कञ्चन कहीं है, कहीं है हरा" 
धानी धरती ने पहना नया घाघरा।
रूप कञ्चन कहीं हैकहीं है हरा।।

पल्लवित हो रहापेड़-पौधों का तन,
हँस रहा है चमनगा रहा है सुमन,
नूर ही नूर हैजंगलों में भरा।
रूप कञ्चन कहीं हैकहीं है हरा।।
उच्चारण
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गरुकुल 

आदर्श नहीं हम मगन हैं 
अपने बच्चों के साथ ३६५ दिन...
ज़रूरत पर Ramakant Singh 
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जा रहा मधुमास है 

Sudhinama पर sadhana vaid 

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सेहत : 
एन्ज़ाइम पौधों और पशुओं द्वारा उत्पादित 
ऐसे पदार्थ होतें हैं जो रासायनिक परिवर्तन के 
घटित होने में सहायता करते हैं। 
पपीते में खासकर कच्चे पपीते में 
कुछ ऐसे एन्ज़ाइम मौज़ूद रहते हैं 
जो प्रोटीनों के पाचन को एड़ लगाते हैं 
पाचक एन्ज़ाइम कहाते हैं।
ये प्रोटीन के घटकों को तोड़ देते हैं।आपका ब्लॉग पर Virendra Kumar Sharma 
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आदमी खेलता है आदमी आदमी 
आदमी के साथ मिलकर 
My Photo
उल्लूक टाईम्सपरसुशील कुमार जोशी

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मधु सिंह : 
राजस्थान के स्वर्णिम अतीत की ओर 
मरुधर  के  स्वर्णिम  अतीत में, 
हे  पथिक ! तुम्हारा  स्वागत  है 
आओ   नमन  करे   धरती  को ,  
आतिथ्य ,पाहुना  ,अभ्यागत है... 
बेनक़ाब
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इस अनंत को--- 
प्यार की लकीरों से 
बांधना ही होगा--- 
खारे कितने भी हों समुंदर 
इनमें भी मुस्कुराहटों की लकीरे हैं 
बस,बंद आंखों की पलकों से 
चूमना होगा,इन्हें...
मन के - मनके
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कार्ट्रन :-  
टी.वी. डि‍बेट में मुझे कोई नहीं हरा सकता 

काजल कुमार के कार्टून

17 टिप्‍पणियां:

  1. सुप्रभात
    चर्चामंच पर नित नई जानकारी पढ़ने को मिलती है |बहुत अच्छा लगता है |
    आज मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार सर |

    जवाब देंहटाएं
  2. सभी लिंक एक से बढकर एक शानदार है, मेरी पोस्ट को शामिल करने के लिए आपको धन्यवाद।
    अपना-अंतर्जाल

    जवाब देंहटाएं
  3. बढ़िया प्रस्तुति-
    आभार आपका-

    जवाब देंहटाएं
  4. सुंदर सूत्र सुंदर चर्चा । उल्लूक का आभार "आदमी खेलता है आदमी आदमी आदमी के साथ मिलकर" को शामिल किया आज के सूत्रों में ।

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत विस्तृत चर्चा ... सुन्दर सूत्र ...
    आभार मेरी रचना को जगह देने का ...

    जवाब देंहटाएं
  6. सुन्दर सूत्र संयोजन ...बहुत बधाई एवं हृदय से आभार !!
    सादर !!

    जवाब देंहटाएं
  7. चर्चा में कार्टून को भी सम्‍मि‍लि‍त करने के लि‍ए आपका आभार जी

    जवाब देंहटाएं
  8. उम्दा सूत्र संकन .मेरी रचना " सात फेरे और हम तेरे " को शामिल करने के लिय बहुत बहुत धन्यवाद शास्त्री जी

    जवाब देंहटाएं
  9. बहुत सुन्दर सूत्रों से सजा चर्चा मंच ! मेरी रचना 'जा रहा मधुमास है' को स्थान देने के लिए बहुत-बहुत आभार !

    जवाब देंहटाएं

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