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शुक्रवार, मार्च 28, 2014

" जय बोलें किसकी" (चर्चा अंक-1565)


आज की चर्चा में मैं राजेंद्र कुमार आपका हार्दिक अभिनन्दन करता हूँ। 

भ्रष्टाचार मुक्त भारत चाहिए या भ्रष्टाचारी युक्त भारत।
देश हम सबका है तो फैसला भी हम सबका होना चाहिए कि एक भी भ्रष्टाचारी संसद में जाने ना पाए क्यों कि वोट का अधिकार है हम सबका।
भ्रष्टाचार देश को दीमक की तरह चाट रहा है। घोटालों और रिश्वतखोरी ने देश को काफी पीछे खींच दिया है। ऐसे में जरूरत है सही समय पर जागरूक होने की, जरूरत है समय रहते संभल जाने की। क्योंकि हालात ऐसे ही बने रहे तो देश को गर्त में जाने से कोई नहीं बचा सकता है। अब तक जो हुआ उसे एक सबक मानकर हमें आगे की रणनीति बनानी चाहिए। एक भ्रष्टाचार मुक्त भारत की नींव रखनी चाहिए। इसके लिए जमीनी स्तर से शुरुआत करनी होगी। 

अब चलते  सीधे आपके चुने हुए  लिंकों  तरफ 
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उदयवीर सिंह 
बोल कलम !जय बोलें किसकी 
किसके यश किसके अपयश की-
षड़यंत्रो के मद महासमर में 
अर्जुन की या जयद्रथ वध की -
सरिता भाटिया 
अपने आँसू दे गए ,किया हमें बेहाल 
नया साल लाये नई खुशियाँ करें कमाल 
खुशियाँ करें कमाल, दूर हों उलझन सारी 
छाए नया बसंत, खिले अब बगिया न्यारी
मृदुला प्रधान 
आधुनिकता की दौड़ में जब कुछ ऐसी-वैसी कहानियों का 'प्लाट' दिख जाता है तो बरबस मुझे मिथिलांचल से आये हुये एक लेखक की कही हुई बात याद आ जाती है....... " मैं जिस क्षेत्र और परिवेश से आया हूँ ,भूखा मर सकता हूँ ....... पर अपनी माँ-बहन के जवानी के किस्सों को लेकर कभी कहानी-उपन्यास नहीं लिख सकता ……
पूर्णिमा दूबे 
वॉशिंगटन। अमेरिका ने एक भारतीय कंपनी द्वारा बनाई जा रही बीड़ी पर पाबंदी लगा दी है। अमेरिकी खाद्य तथा औषधी विभाग ने जश इंटरनेशनल पर यह कार्रवाई की है।
बीड़ी भारतीय सिगरेट है। यह तेन्दु के पत्तों में तम्बाकू लपेटकर बनाई जाती है। 'बीड़ी' शब्द 'बीड़ा' से निकला है जो पान के पत्तों में सुपारी तथा कुछ अन्य मसाले डालकर बनती है।
डॉ आशुतोष शुक्ला 
कवाल गाँव में हुई छेड़छाड़ की घटना में यूपी की सपा सरकार के प्रभावशाली नेताओं के चलते किस तरह से पश्चिमी यूपी हिंसा की चपेट में आ गया था इस बात के लेकर सपा और अखिलेश सरकार आज तक कोई ठोस सफाई नहीं दे पाये हैं इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने भी जिस तरह से दंगों को रोकने में नाकाम रहने पर यूपी सरकार को ज़िम्मेदार बताया है उससे चुनावी मौसम में सपा के लिए और भी नयी तरह की मुश्किलें सामने आ सकती हैं. 
 राजीव कुमार झा 
सांप को लेकर कई भ्रांतियां और मिथक लोगों में है.सांप को देखते ही भय इस कदर व्याप्त हो जाता है कि इसे मारना ही श्रेयस्कर समझते हैं.इसका कारण अतीत में सर्पदंश से हुई मौतें और जनमानस के जेहन में समाया हुआ डर भी है.यह धारणा भी लोगों में बनी हुई है कि सांप बदला लेते हैं.इस कारण न केवल गाँव,देहातों में बल्कि शहरों में भी लोग सांप को मारने के बाद उसके फन को कुचलते और आँख फोड़ देते हैं क्योंकि यह भ्रांतियां फैली हुई हैं कि सांप की आँखों में मारने वाले की छवि अंकित हो जाती है.
रविश  कुमार 
अमृतसर की गलियों में दिलबाग सिंह रहते हैं । गली की दीवार से एक आदमी के बैठने भर की पटरी लगाकर चाय बेच रहे हैं । 12 साल की उम्र से चाय बेचते बेचते 67 के हो गए हैं । दिलबाग सिंह के लिए अमृतसर ही दुनिया है । इस शहर के भी कई हिस्सों में नहीं गए हैं । कई बार पूछा तो याद करके बता सके कि   …… 
(डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)
आँगन बाड़ी के हैं तारे।
बालक हैं ये प्यारे-प्यारे।।

आओ इनका मान करें हम।
सुमनों का सम्मान करें हम।।
वन्दना गुप्ता 
नहीं लिखनी मुझे बनारस की सुबह , नहीं लिखनी मुझे दिल्ली की सर्दी , नहीं लिखनी मुझे मुंबई की शाम ...........बहुत हो चुका लिखना ये सब तो ........कब से इसी के आस पास तो घूम रही है ज़िन्दगी और ज़िन्दगी के दर्शन ...........मैं हूँ कौन लिखने वाला ..........एक आम चेहरा भर ही तो हूँ
विजयलक्ष्मी 
आओ क्यूँ न इस रात फिर जलकर महक लिया जाये ,
पंछी तो नहीं हूँ लेकिन ...चिरैया सा चहक लिया जाये .

चाँद चल दिया चांदनी संग सूरज ओढ़ समन्दर सोया ,
तमन्ना बोल उठी ...तन्हा यादों संग बहक लिया जाये .
डॉ (मिस)  शरदसिंह 
सरस 
नीलाभवर्ण बादलों में छिपी बूँदें 
वे ख़्वाब हैं 
जो देखे थे हमने 
कभी झील के किनारे उस बेंच पर 
कभी बारिश में ठिठुरते हुए 
तो कभी
शारदा  अरोड़ा
वो दोनों प्रिन्टर्स बुक-फेयर में एक ही स्टॉल शेयर कर रहे थे , मगर एक-दूसरे को कितना सहयोग दे रहे थे , इस बात से जाहिर है कि जब एक को दूसरे की किताब के विमोचन के अवसर पर किसी एक मेहमान के आने पर हॉल न. बताने के लिये कहा गया तो उसने साफ़ इन्कार कर दिया कि उसे याद नहीं रहेगा।
अनीता सिंह 
खुशियां कम और अरमान बहुत हैं
जिसे भी देखिए यहां हैरान बहुत हैं,,

करीब से देखा तो है रेत का घर
दूर से मगर उनकी शान बहुत हैं,,
बसंत खिलेरी 
पिछले कुछ समय से मोबाइल फोन मार्केट मेँ एंड्रॉइड का जबरदस्त बोलबाला है। एंड्रॉइड मार्केट मेँ लाखोँ की तादाद मेँ एप्स उपलब्ध हैँ, जो फ्री और पेड कैटेगिरी मेँ होते है! पेड एप्स के मामले मेँ एंड्रॉइड मार्केट की संचालक कंपनी गूगल "ट्राई बिफोर यू बाई" सुविधा नही देती। मतलब कि यदि आपको एप पसंद नही आए तो भी आपको इसके पैसे तो चुकाने ही होंगे।
सुशील कुमार जोशी
बहुत बार समझाया 
दिखा कर उदाहरण 
कई बार बातों बातों 
में सब कुछ बताया 
अभी समय है 
बना ले किसी

"अद्यतन लिंक"
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
--
कोई न सुनता,'अभी' जो बे-सहारे हैं 

इस ज़िंदगी को, हम यहाँ, अकेले ही गुज़ारे हैं
कोई न आए साथ को, यहाँ जब जब पुकारे हैं

हालात ऐसे आज हैं, कि सब, शब में समाए हैं
देखे सहर मुद्दत बिता, सुबह भी निकले तारे हैं..
हालात-ए-बयाँ पर अभिषेक कुमार अभी
--
चुनावी क्षणिकायें 
कैसे करें भरोसा इन पर बर्बर हैं ये 
क्या सोचेंगे जनहित में जब निर्दय हैं ये 
इन्हें फ़िक्र है तो केवल अपनी सत्ता की 
जनता की चिंताओं से तो निस्पृह हैं ये...
Sudhinama पर  sadhana vaid
--


जनता अपना नेता चुनती है इस विश्वास से कि हमारा प्रतिनिधि हमारे लिए कुछ करेगा लेकिन अफ़सोस होता है ठीक इसके विपरीत। सत्तारूढ़ होते ही नेतागण अपना रंग बदल लेते है और हर काम अपने चापलूसों के अनुसार करते है। अपना घर भरने और अपनी निजी कमाई के लिए हर ऊँचे ओहदे पर अपने खासमखास को अपने वर्चस्व से नियुक्त कराये जाते है और यही वजह भी है कि अपने देश से भ्रष्टाचार ख़त्म होने का नाम नही ले रहा है...

Abhi Lekh Likhna Hai..... Likhne Ki Bimaari.. Itni Asaani Se Nahi Jaayegi..

--
मजदूरी // कहानी // 
अन्नपूर्णा बाजपेई 
बापू ! बापू ! क्या आज भी आप काम पर नहीं जाएंगे ? 
क्या हम आज फिर से भूखे ही रहेंगे ? 
नन्ही सोना ने मचलते हुये अपने पिता से प्रश्न किया । ...
सृजन मंच ऑनलाइन

--
महबूबा यहाँ सबकी 
बस कुर्सी सियासत की , 

फुरसत में तुम्हारा ही दीदार करते हैं ,
खुद से भी ज्यादा तुमको हम प्यार करते हैं... 
! कौशल !परShalini Kaushik
--
सेहतनामा : 
(१) 
खजूर और ताड़ से तैयार शक्कर (palm sugar ) 
लौह तत्व (Iron )और केल्शियम से भरपूर रहती है। 
अक्सर शाकाहारी महिलाओं में 
खून की कमी देखी जाती है केल्शियम की भी , 
ये शक्कर दोनों की भरपाई कर सकती है। आपका ब्लॉग पर 
Virendra Kumar Sharma
--
गीत 

वक्त के पन्नों में, मैं गीत लिखरही हूँ 
जो दर्द तुमनें दिए वही बिन रही हूँ….
अभिव्यंजना पर Maheshwari kaneri
--
"ग़ज़ल-शासन चलाना जानते हैं" 

उच्चारण

14 टिप्‍पणियां:

  1. श्रम से सजायी गयी सुन्दर चर्चा।
    आपका आभार भाई राजेन्द्र कुमार जी।

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत सुंदर चर्चा.
    मेरे पोस्ट को शामिल करने के लिए आभार.

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत सुंदर चर्चा ।सुंदर सूत्र । हर लिंक पर नहीं भी जाया जाता है पर इतना समय तो ब्लागर निकाल ही सकता है कि अपनी पोस्ट को पोस्ट करने के साथ दूसरे ब्लागर्स की थोड़ी हौसला आफजाई कर सके । ब्लागिंग में बहुत कुछ है बस एक यही कमी नजर आती है । बहुत से लोग बहुत अच्छा लिख रहे हैं पर थोड़ा सा समय दूसरे के ब्लाग पर जा कर दो शब्द कह देने में इतनी कंजूसी किस लिये? बहुत बार इस बात पर बात उठती है । एक चर्चा इस बात पर भी क्यों नही :)

    आभार उलूक का उसका सूत्र "आर आई पी डा. जे सी पंत" को स्थान दिया आज की चर्चा में ।

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  4. बहुत सुन्दर, ज्यादातर आज के लिंक्स को पहले पढ़ चूका हूँ। मैं सोच रहा था की मैं अपनी चर्चा में शामिल करूँगा पर भाई साहब आपने पहले ही सेंध लगा दी। बहुत बधाई
    जितनी सुन्दर आज आपने चर्चा सजाई है भाई साहब राजेंद्र जी,
    उतनी ही वज़नदार बात सर जी ने भी कही है।
    सर जोशी जी, मैं आपसे सहमत हूँ और इस दिशा में आज ६ दिन से कोशिश भी। सुझाव उत्कृष्ट है।
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  5. लिंक्स अच्छे लगे ...मेरी पोस्ट को शामिल करने का शुक्रिया भी ...

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  6. बढ़िया सूत्रों के साथ बढ़िया चर्चा , राजेन्द्र भाई व मंच को धन्यवाद !
    Information and solutions in Hindi ( हिंदी में समस्त प्रकार की जानकारियाँ )

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  7. बहुत सुंदर चर्चा ।मेरी पोस्ट को शामिल करने का शुक्रिया ..आभार

    जवाब देंहटाएं
  8. बहुत अच्छे और सुधारपरक विषयों पर चर्चा !

    जवाब देंहटाएं
  9. सर्पों के बारे में विज्ञान सम्मत एवं प्रचलित गल्प का बड़ा सटीक आलोचनातमक विवरण कोई आप जैसा विज्ञपाठक ही

    मुहैया करवा करवा सकता है। आभार आपकी निरंतर प्रेरक टिप्पणियों का।


    सिनेमा,सांप और भ्रांतियां
    राजीव कुमार झा

    सांप को लेकर कई भ्रांतियां और मिथक लोगों में है.सांप को देखते ही भय इस कदर व्याप्त हो जाता है कि इसे मारना ही श्रेयस्कर समझते हैं.इसका कारण अतीत में सर्पदंश से हुई मौतें और जनमानस के जेहन में समाया हुआ डर भी है.यह धारणा भी लोगों में बनी हुई है कि सांप बदला लेते हैं.इस कारण न केवल गाँव,देहातों में बल्कि शहरों में भी लोग सांप को मारने के बाद उसके फन को कुचलते और आँख फोड़ देते हैं क्योंकि यह भ्रांतियां फैली हुई हैं कि सांप की आँखों में मारने वाले की छवि अंकित हो जाती है.

    जवाब देंहटाएं
  10. राजनीति के शातिरों पे व्यंग्य बाण ,

    खुलके चलाना जानते हैं ,

    हम गधे हैं देश के ,खुद को लुटाना जानते हैं शास्त्री जी आज पूरे रंग में हैं :चुनावी बाण लिए हैं


    "ग़ज़ल-शासन चलाना जानते हैं"

    उच्चारण

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  11. मार्मिक व्यंग्य विडम्बन

    आर आई पी डा. जे सी पंत
    सुशील कुमार जोशी
    बहुत बार समझाया
    दिखा कर उदाहरण
    कई बार बातों बातों
    में सब कुछ बताया
    अभी समय है
    बना ले किसी

    जवाब देंहटाएं
  12. bahut khushi hui ki mujhe bhi liye.......links bahut achche lage.....

    जवाब देंहटाएं

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