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सोमवार, मार्च 31, 2014

''बोलते शब्द'' (चर्चा मंच-1568)

माँ सरस्वती को प्रणाम करते हुए, आप सभी को प्रणाम 
आज चर्चा मंच के ''बोलते शब्द'' में बिना किसी भूमिका रखते हुए, सीधे मित्रों की अभिव्यक्ति से जोड़ता हूँ 
आज कुछ ऐसे ब्लॉग्स को मैंने चुना है जो कि मेरी नज़र में पहली बार आए हैं, (लेकिन इसका मतलब ये कतई नहीं कि वो ब्लॉगर की दुनिया में नए हैं)
और कुछ वही जाने पहचाने ब्लॉग्स पर नई अभिव्यक्ति 

सबसे पहले आदरणीय ''कल्पना रामानी'' जी द्वारा ये गीत 


आदरणीय अल.अस.बिष्ट जी द्वारा 

--२--
आदरणीय ''प्रमोद जोशी'' जी द्वारा 

राजनीति माने यू-टर्न और भगदड़

--३--
आदरणीय ''गायत्री शर्मा'' जी द्वारा 

कैसी हठ पर अड़े हो दोस्त?

--४--
आदरणीय ''वंदना गुप्ता'' जी द्वारा 

इश्क कटोरा पीत्ता भर भर

--५--
आदरणीय ''सुशील यादव'' जी का व्यंग्य  

--७--
आदरणीय ''राजीव शर्मा'' जी द्वारा 
--८--
सम्मानित ''विजय कुमार'' जी द्वारा 
--९--
सम्मानिता ''मनीषा वर्मा'' जी द्वारा 

--१०--
आदरणीय ''सिया सचदेव'' जी द्वारा 
--११--
आदरणीय ''वसुंधरा पाण्डेय'' जी द्वारा 
--१२--
सम्मानिता ''प्रियंका पाण्डेय'' जी द्वारा
--१३--
आदरणीय ''आशा सक्सेना'' जी द्वारा 
--१४--
आदरणीय ''उपासना जी'' द्वारा 
--१५--
आदरणीय ''रूपचन्द्र शास्त्री ''मयंक'' जी द्वारा 
--१६--
आदरणीय ''राजीव कुमार झा'' जी द्वारा 

हमेशा की तरह मैं ''अभिषेक कुमार ''अभी'' अपनी इस अभिव्यक्ति से चर्चा को विराम देता हूँ कि 
--
मैं भी जवाब दे सकता हूँ, मगर तहज़ीब से मज़बूर हूँ
वो वक़्त, मेरा भी आएगा, अभी मंज़िल से थोड़ा दूर हूँ

मत देख यूँ हिकारत की नज़रों से, तू हम सभी मज़लूम को
जो खूँ जला के, अपना घर हैं चलाते, हाँ वही मज़दूर हूँ
पागल 

जी लेने कि चाहत  
उसे आवारा करार दे गयी... 
कागज मेरा मीत है, कलम मेरी सहेली......
पर Vandana Singh
--
घुटने न टेके चुनाव आयोग . 

आयोग नहीं लगाएगा बैन, 
बेरोकटोक जारी रहेंगे चुनाव पूर्व सर्वेक्षण..
भारतीय नारी पर shikha kaushik 
--
मन को बहुत लुभाने वाली,
तितली रानी कितनी सुन्दर।
भरा हुआ इसके पंखों में,
रंगों का है एक समन्दर...

18 टिप्‍पणियां:

  1. नवसँवत्सर प्लवंग की सबको शुभकामनाऐं । बहुत सुंदर सूत्र ढूँढ कर लाये हैं आज अभिषेक । सुंदर चर्चा सुंदर संयोजन । उलूक का सूत्र "‘स्व. श्रीमति मंजू तिवारी स्मृति व्याख्यान' ‘हृदय रोग–समस्या एवं निदान’ वक्ता- डा ओ. पी. यादव" को जगह देने के लिये आभार ।

    जवाब देंहटाएं
  2. सुंदर चर्चा एवं सूत्र ! अभी जी.
    मेरे पोस्ट को शामिल करने के लिए आभार.

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत ही सुन्दर व्यवस्थित चर्चा, आभार।

    जवाब देंहटाएं
  4. सुन्दर सूत्र संयोजन
    मेरी रचना शामिल करने के लिए धन्यवाद |

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत बढ़िया चर्चा भाई अभिषेक कुमार अभी जी।
    आभार आपका।

    जवाब देंहटाएं
  6. बंधू अपने ब्लॉग से आप तक नहीं पहुँच पाता हूँ इसीलिए कैन और से आता हूँ कुछ तकनीकी अड़चन है आपके यहाँ से ?

    जवाब देंहटाएं
  7. बढ़िया सेतु लेकर आप आयें हैं मिलवाये हैं शुक्रिया इस बेहतरीन चयन के लिए।

    जवाब देंहटाएं
  8. सुन्दर बाल कविता तितली बढ़िया पैरहन में :

    मन को बहुत लुभाने वाली,
    तितली रानी कितनी सुन्दर।
    भरा हुआ इसके पंखों में,
    रंगों का है एक समन्दर।।

    जवाब देंहटाएं
  9. दिल से दिलतक राष्ट्र के सुन्दर पैरहन की रचना :

    देश के दिल पर
    होने वाले अटैक पर
    क्यों ना आजकल
    विशेष ध्यान देने की
    बात को कान में
    अब हर किसी के
    फूँका जाये ।

    जवाब देंहटाएं
  10. वाह इतिहास और संस्कृति के आईने से देखा तूने हैं संवत्सर

    --
    नवसंवत्सरनवसंवत्सर


    बेचैन आत्मापरदेवेन्द्र पाण्डेय

    जवाब देंहटाएं
  11. ज़वाब नहीं काजल के चित्र व्यंग्य का :


    काजल कुमार के कार्टून

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  12. गफलत बनी रह गाफिल :

    असमंजस में है ग़ाफ़िल


    ग़ाफ़िल की अमानतपरचन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’

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  13. नूतन भावों को लाया है देखो संवत्सर आया है ,

    सबके मन को हर्षाया है :

    --१५--
    आदरणीय ''रूपचन्द्र शास्त्री ''मयंक'' जी द्वारा

    "नवसम्वत्सर आया है" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')

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  14. बढ़िया शब्द चित्र चुनावी वेला का

    सम्मानिता ''मनीषा वर्मा'' जी द्वारा


    आया है चुनाव भैया आया है चुनाव

    जवाब देंहटाएं
  15. बहुत सुन्दर है अर्थ और भाव दोनों :

    मत उम्मीद रख जहां में लोगों से वफाओं की
    मत उम्मीद रख जहां में लोगों से वफाओं की
    सियासी फैसले दिलों के जाने कितने मोड लेते हैं
    नवाकिफ भी नहीं लोग रंजोगम से किसी के
    पलकों के पर्दे में बस आंसू बेसहारा छोड देते हैं
    सितारा हो जब तलक चमकोगे उनकी निगाहों में
    फीकी चमक वालों से सुना है वो नाता तोड लेते हैं
    मुखौटे ही मुखौटे हैं जहां में अजब ये दौर है देखो
    सादगी को भी साजिश में चालों से जोड देते है
    दूरियां बढती गईं फासले बस दो कदम ही थे
    सच को बिना जाने अब लोग रिश्ते तोड देते हैं
    पत्थरों की तानाशाही में घुट-घुट के हैं मर जाते
    आइने थक हार कर आइना बनना छोड देते हैं
    ------प्रियंका

    जवाब देंहटाएं
  16. अच्छा काम है निर्दलीय बोले तो निष्ठाहीन होना

    जवाब देंहटाएं

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