मन के किस कोने में जाने घर का भेदी रहता है पांव उखड़ जाते हैं अच्छे-अच्छों के तू बेचे क्या मेरा हाथ पकड़ ले यह दरिया तेजी से बहता है कितनी ईटें लगी हैं, उसको इतना भी मालूम नहीं कहने को वो इस मकान में कई सालों से रहता है जादू है आवाज में उसकी टोना उसकी बातों में वैसा-वैसा लोग करें,वह जैसा-जैसा कहता है कितनी सदियाँ लग जाती हैं उसको हीरा होने में पेड़ दफ़न होकर मिटटी में जाने क्या-क्या सहता है
(साभार : सुरेश कुमार)
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मैं, राजीव कुमार झा,
चर्चामंच : चर्चा अंक : 1545 में, कुछ चुनिंदा लिंक्स के साथ, आप सबों का स्वागत करता हूँ. --
एक नजर डालें इन चुनिंदा लिंकों पर...
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जलाते ही दीया, तेज़ हवा होना क्या मुनासिब ये हर मर्तबा होना ? |
अल्पना वर्मा
ब्लॉग पर छाई एक लम्बी खामोशी को तोड़ते हुए एक पुराना गीत --
दो पल रुका यादों का कारवाँ |
राजेंद्र कुमार
आ समन्दर के किनारे पथिक प्यासा रह गया,
था गरल से जल भरा होकर रुआंसा रह गया।
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वीरेन्द्र कुमार शर्मा
हरा धनिया (Coriander )फोलिक एसिड ,विटामिन -A,बीटा -कैरोटीन
एवं विटामिन C का बेहतरीन स्रोत है। आवश्यक हैं ये सभी हमारी सेहत के लिए। |
मनीषा शर्मा
हमारे पड़ोसी मुल्क में पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में हिंगोल नदी किनारे अघोर पर्वत पर मां हिंगलाज भवानी मंदिर है। यह क्षेत्र पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बॉर्डर पर है।
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खुशदीप सहगल
हर हाल में खुशदीप हूं, इसलिए आज आप से खुश रहने का मंत्र साझा करना चाहता हूं...ये सच है कि ज़िंदगी हर कदम इक नई जंग है...अब ये हम पर निर्भर करता है कि हम इस जंग के लिए किस तरह अपने को हमेशा तैयार रखते हैं...
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स्वप्न सुनहरे
चमक उठे हैं
नयनों की
इस झील में
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सुरेश स्वप्निल
फूल-सा नर्म दिल सनम का है
ये: करिश्मा किसी करम का है |
Here you will find
the elusive peace
your mind wanders
your spirit is restful
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एक अरब से ऊपर के उल्लू हों चार पाँच सौ की हर जगह दीवाली हो
सुशील कुमार जोशी
कहाँ जायेगा
कहाँ तक जायेगा वही होना है यहाँ भी तेरे बारे में |
बरसों बीते, बिछुड़े तुमसे
जाने कब से देख न पाया बार बार जाकर बस्ती में भी दरवाजे पंहुच न पाया |
तुम जाने किस युग के साथी, साथ मेरे क्यूं आए हो,
सर का भेद नहीं समझे, दाढ़ी-चोटी चिपकाए हो।
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Reenu Talwar
उसने शंख को लगाया अपने कान से:
वह सुनना चाहती थी वो सब
जो 'उसने' उस से कभी नहीं कहा.
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जयश्री वर्मा
उजड़ते हुए घर क्यूँ बन रहे बंजर,
बिखरते हुए लोग,बुझी हुई सी सहर, धीरज तो धर बहेगी,शान्ति की लहर, थम ही जाएगा ये,आखिर तूफ़ान ही तो है। |
ज़मीरों का अक्स स्याह क्यों हो,
ज़िंदगी दर्द की पनाह क्यों हो?
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उदय वीर सिंह
पीड़ा के कातर पंछी को
अभिव्यक्ति का पर देना -
न्यून हो धरती का आलय
उसे निखिल अम्बर देना-
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कौशल लाल
खुली आँखों से
जो न दिखी हो अब तक किया हूँ बंद पलक बस तुझे निहारने के लिए |
ऐसी दुनिया में कैसे चलिये
आदमी ठगा है हुआ औरों को ठगने निकला है एक ही लाठी से हाँक रहा सबको |
ये धूप, और इसकी, तपिश मौला
ये मुफ़्लिसी, इसकी, ख़लिश मौला
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धन्यवाद !
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सुप्रभात
जवाब देंहटाएंउम्दा लिंक्स |
आशा
बहुत बढ़िया लिंक्स
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर चर्चा । उल्लूक का सूत्र "एक अरब से ऊपर के उल्लू हों चार पाँच सौ की हर जगह दीवाली हो"शामिल करने पर आभार राजीव ।
जवाब देंहटाएंसुन्दर मंच-
जवाब देंहटाएंसार्थक चर्चा-
आभार आदरणीय-
अच्छे लिंक्स और इनकी प्रस्तुति भी हमेशा की तरह बेहद आकर्षक है .
जवाब देंहटाएंयकीनन आप सभी पोस्ट्स के इन लिंक्स की प्रस्तुति बड़ी मेहनत से तैयार करते हैं ,
शुभकामनाएँ .
चर्चामंच नवोदित लेखकोँ को वृहद मंच प्रदान करता है, उनका उत्साहवर्धन करता है।
जवाब देंहटाएंबहुत दिनोँ से मन मेँ एक विचार कौँध रहा है कि हम सब मिलकर एक ब्लागर पत्रिका निकालेँ, आखिर यहाँ तो एक से बढ़कर एक अच्छे लेखक हैँ। सफल पत्रिका के लिए और क्या चाहिए...आभार
राजीव भाई...
जवाब देंहटाएंमनमोहक रचनाओं से अवगत करवाया आपने....
आभार....
सादर..
बड़े ही रोचक व पठनीय सूत्र।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर सूत्र चयन...!
जवाब देंहटाएंRECENT POST - पुरानी होली.
बहुत उपयोगी और सार्थक चर्चा।
जवाब देंहटाएंआभार।
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आज तीन दिनों के देहरादून प्रवास के बाद घर लौटा हूँ।
राजीव झा साहब बड़ी मेहनत और करीने से सजाया है मंच चर्चा एक से बढ़कर एक सेतु आप लाएं हैं। आभार हमारे सेतु को शामिल करने के लिए। उत्कृष्ट चर्चा मंच साजसज्जा के लिए।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर भेंट नारी दिवस पर :
जवाब देंहटाएंनारायण से भी बड़ी, नारी की है जात।
सृजन कर रही सृष्टि का, इसीलिए है मात।।
उच्चारण
धन्यवाद !
बहुत सुन्दर है सर धारदार व्यंग्य।
जवाब देंहटाएंकुछ होश खोता है
दूसरे देश में
होने से ही बस
गजब होता है
इसलिये होता है
कि वहाँ का
कुछ कानून
भी होता है
यहाँ होता है तो
कानून उसकी
जेब में होता है हकीकत है
यहाँ क़ानून तोड़ने के लिए बनता है वहाँ क़ानून का टूटना नियम नहीं अपवाद है।
एक अरब से ऊपर के उल्लू हों चार पाँच सौ की हर जगह दीवाली हो
सुशील कुमार जोशी
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कहाँ जायेगा
कहाँ तक जायेगा
वही होना है
यहाँ भी
तेरे बारे में
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जवाब देंहटाएंदोस्त बहुत सुंदर सूत्र चयन.
जवाब देंहटाएं....................................
दोस्तों मेरा भी एक ब्लॉग है जीस पर आपको आपके काम की लगभग वेबसाइट मिल जाएगी.. मेने सुरु किये हुवे 20-22 दिन हो गये मगर इतने दिन मेरे एग्जाम थे तो, मै आज से लिख रहा हु.. में एक महीनें में बहुत ही बढ़िया ब्नादुंगा......... तो प्लीज इस ब्लॉग को जरुर जॉइन करना
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