मेरी गुड़िया चिड़िया हुई है
जब से
तब से
कोई नहीं छेड़ता
अलमारी में रखे काग़ज़
कोई नहीं गिराता
मेज़ पर रखे
अधखुले क़लम
कोई नहीं बनाता
अखबार पर चीट-मकौड़े
और कोई नहीं लिखता दीवार पर
‘भैय्या पगला मैं
अच्छी’
मेरी गुड़िया चिड़िया हुई है
जब से
हाँ पिछले कुछ हफ़्तों से
मेरी खिड़की के ऊपर
दीवार पर लगी तस्वीर के पीछे
पंखे के कटोरों पर
कुछ तिनके करीने से रखे मिलते हैं
जब से
मेरी गुडिया चिड़िया हुई है…..
तब से
(साभार : अनिल)
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मैं, राजीव कुमार झा,
चर्चामंच : चर्चा अंक : 1601 में, कुछ चुनिंदा लिंक्स के साथ, आप सबों का स्वागत करता हूँ. --
एक नजर डालें इन चुनिंदा लिंकों पर...
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डॉ. जेन्नी शबनम
इतनी क्रूरता
कैसे उपजती है तुममें ?
कैसे रच देते हो
इतनी आसानी से चक्रव्यूह
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नीरज पाल
यह दौर भी है,
वह दौर भी था, जब शेर शिकार करता था, आज शिकार बना बैठा है, |
उपासना सियाग
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कुदरती क्षमताओं को पंगु बनाते मोबाइल ऐप
डॉ मुकुल श्रीवास्तव
मोबाइल ऐप (ऐप्लीकेशन) विश्लेषक कंपनी फ्लरी के मुताबिक, हम मोबाइल ऐप लत की ओर बढ़ रहे हैं। स्मार्टफोन हमारे जीवन को आसान बनाते हैं, मगर स्थिति तब खतरनाक हो जाती है,
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महान दिग्दर्शक सत्यजित रे के कुछ कथन-
“ऐसी आयु में जब बंगाल का युवा अवश्यम्भावी रूप से कविता लिखता है, मैं पाश्चात्य शास्त्रीय संगीत सुन रहा था.”
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वंदना गुप्ता
मैं तो भयी रे बावरिया
बनी रे जोगनिया श्याम तेरे नाम की श्याम तेरे नाम की |
रवीश कुमार
सोचा आपको एक ख़त लिखूँ । मैं आपकी मज़ार पर गया था । सहयोगी अजय सिंह की वजह से । अजय ने कहा कि वो मुझे कुछ याद दिलाना चाहते हैं । थोड़ी देर के लिए बिस्मिल्लाह ख़ान की मज़ार पर ले चलते हैं । दिलों दिमाग़ पर स्मृतियों की इतनी परतें हो गई हैं कि उनकी तह तक पहुँचने के लिए किसी पुरातत्ववेत्ता की ज़रूरत पड़ती है ।
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मनु त्यागी
सिलवासा दादरा हवेली की राजधानी है । वर्तमान में जो ये जगह है एक समय मे 72 गांवो का समूह थी । 1779 तक तो यहां पर मराठा शासन था ।
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सत्यजित राय (बंगाली: সত্যজিৎ রায়) (२ मई १९२१–२३ अप्रैल १९९२) एक भारतीय फ़िल्म निर्देशक थे, जिन्हें २०वीं शताब्दी के सर्वोत्तम फ़िल्म निर्देशकों में गिना जाता है। इनका जन्म कला और साहित्य के जगत में जाने-माने कोलकाता (तब कलकत्ता) के एक बंगाली परिवार में हुआ था। |
अपना शौक पूरा कर उसके शौक से तेरा क्या नाता है
सुशील कुमार जोशी
इन दिनों
कई दिन से एक के बाद एक सारे जानवर याद आ जा रहे हैं |
धनक ओले
टिकुली टेलकम
अम्ब ललाट।
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गया बसंत, अब पसीना बहाया जाए,
दो वक्त की रोटी, अब कमाया जाए।
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आज फेसबुक पर शिखा का चिंतन जारी है कि फेसबुक परदेस की धरती से अपने देशवासियों से जुड़े होने का एक अच्छा उपयोगी माध्यम है , कुछ बुराइयां होने के बावजूद भी . अभिव्यक्ति के अनेकानेक माध्यमों में यह बहस चलती ही रहती है कि सोशल साईट्स उपयोगी है या जंजाल . मनन चिंतन और विमर्श के प्रत्येक दौर के बाद निष्कर्ष यही निकलता है कि यह अभिव्यक्ति एक सरल सहज माध्यम है .
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सदा
कई बार
कुछ स्नेहिल थपकियां
मासूमियत का माथा चूमकर
आ बैठती तन्हां ही
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पंकज गोयल
रहस्यमयी, विचित्र और भयानक प्राणीयों कि लिस्ट मे पहला नाम है अमेरिका का 'लिजार्डमैन' । साउथ कैरोलिना की ली काउंटी के स्वाम्पलैंड क्षेत्र में इसे 29 जून 1988 को देखा गया। हरी त्वचा वाले इस विचित्र प्राणी की लंबाई 7 फीट 2 इंच लंबी थी। रिपोर्ट्स के अनुसार लिजार्डमैन हर पैर में तीन अंगूठे और हर हाथ में तीन उंगलियां थीं। वह दीवारों और सीलिंग पर चढ़ जाता था।
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ब्लॉ. ललित शर्मा
मुंबई की चाल ही निराली है, दिन रात बस चलती ही रहती है। 27 तारीख का दिन फ़ुरसत का था और हमारे पास कोई काम भी नहीं था। आज मुझे वसई फ़ोर्ट देखने जाना था। सिसोदिया साहब भी तैयार हो गए साथ चलने के लिए। मुझे खंडहरों में ही आनंद का अनुभव होता है।
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"अमलतास के पीले झूमर" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)
तपती हुई दुपहरी में, झूमर जैसे लहराते हैं।
कंचन जैसा रूप दिखाते, अमलतास भा जाते हैं।।
धन्यवाद !
(डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’) अखबारों से :नरेंद्र मोदी और बराक ओबामा के बीच 1 1 समानताएं
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आपका ब्लॉग परVirendra Kumar Sharmaटूटते भ्रमों का सच
महाकुम्भ में एकत्रित
कोटिश: अनजान अपरिचित लोगों की भीड़ में
एक बार फिर तुम्हारी उँगली
मेरे हाथ से छूट गयी है !
कोई दिशा, कोई राह सूझती ही नहीं...
Sudhinama पर sadhana vaid
मत ,मतदाता [कुण्डलिया]
मतदाता बन तो गए किया ना मत प्रयोग
मत की महिमा जान लो चुनावी बना योग...
गुज़ारिश पर सरिता भाटियाकजरारी अँखियाँ करें ......
डॉ.ज्योत्स्ना शर्मा बस चित्र के भाव पर .....
एक प्रस्तुति ......
कजरारी अँखियाँ करें ,आज वार पर वार |
हमसे जीतोगे पिया ,पाओगे तुम हार...
पत्थर के शरीर में क्याआत्मा भी पत्थर की ही ....
कभी बुत देखा है क्या ...
चुप -खामोश रुका -ठहरा सा
चुप सा दिखता है।
न जाने क्या सोचता रहता है
पत्थर का शरीर है
तो क्या मन भी पत्थर का ही होगा...
नयी उड़ान +पर Upasna Siag
आवाज़............दीप्ति शर्मा
आवाज़ जो धरती से आकाश तक सुनी नहीं जाती
वो अंतहीन मौन आवाज़ हवा के साथ
पत्तियों की सरसराहट में बस महसूस होती है...
मेरी धरोहरपर yashoda agrawal
" मियाँ-बीवी राज़ी ,तो क्या करेगा काज़ी "?????
PITAMBER DUTT SHARMA
"खरगोश" |
शुभ प्रभात...
जवाब देंहटाएंराजीव भाई..
सुन्दर रचनाएं चुनी है आज आपने
आभारी हूँ
सादर
good morning .Nice links .
जवाब देंहटाएंसुप्रभात मित्रों।
जवाब देंहटाएंपठनीय लिंकों के साथ बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
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आदरणीय राजीव कुमार झा जी आपको आभार।
सुंदर शनिवारीय चर्चा राजेंद्र जी । ;उलूक' का सूत्र 'अपना शौक पूरा कर उसके शौक से तेरा क्या नाता है' शामिल किया आभार ।
जवाब देंहटाएंअच्छे रोचक पठनीय उपयोगी लिंक
जवाब देंहटाएंचर्चा मंच में पोस्ट सम्मिलित करने का बहुत आभार !
रोचक एवं सुंदर संयोजन.
जवाब देंहटाएंसार्थक एवं सराहनीय संकलन
जवाब देंहटाएंसुंदर सार्थक पठनीय सूत्र ! मेरी रचना को सम्मिलित करने के लिये ह्रदय से आभार !
जवाब देंहटाएंबढ़िया लिंक्स
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा प्रस्तुति
आभार!
एक से बढ़ कर एक लिंक्स ..... साथ में मेरे लिखे को मान देने के लिए आभारी हूँ ..... बहुत बहुत धन्यवाद आपका ..
जवाब देंहटाएंबढ़िया लिंक्स आभार!
जवाब देंहटाएंबढ़िया प्रस्तुति व बढ़िया लिंक्स , राजीव भाई व मंच को धन्यवाद !
जवाब देंहटाएंनवीन प्रकाशन - ~ रसाहार के चमत्कार दिलाए १० प्रमुख रोगों के उपचार ~ { Magic Juices and Benefits }
bahut aabhaari hoon ji !! baaki sabhi prvishtiyaan jyada badhiya hain , kuch seekhne ko mila mujhe dhanywaad !!
जवाब देंहटाएंबढ़िया लिंक्स ………सुन्दर चर्चा
जवाब देंहटाएंरोचक संयोजन.
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर और पठनीय लिंक्स, मेरी रचना को भी शामिल करने के लये हार्दिक आभार. देर से आने के लिए सभी मित्रों से क्षमा प्रार्थी.
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