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मंगलवार, मई 13, 2014

"मिल-जुलकर हम देश सँवारें" (चर्चा मंच-1611)

मित्रों।
मंगलवार की चर्चा में देखिए
मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
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सिल्वट ने जो कहा कभी नहीं ... 

मजबूर वो रहा कभी नहीं
गमले में जो उगा कभी नहीं

मुश्किल यहाँ है खोजना उसे
इंसान जो बिका कभी नहीं...
स्वप्न मेरे.. पर Digamber Naswa -
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महज अपनी आजादी को जीते ,  

करते हैं परिवारों की बाते ! 

मेरे घर में नहीं है - 
सिर्फ मेरी किताबों से भरी बड़ी आलमारियां ! -  
मेरी आलमारी भरी है मेरी कुछ ही किताबोँ से -  
कुछ में सजी है पति और बच्चों की क़िताबें भीं ! -  
कुछ आलमारियों मे गृहस्थी के जरुरी सामान -  
राशन बर्तन भांडे कपड़े लत्ते - 
कैंची सुई धागा मशीन भी ...
गीत मेरे ........पर वाणी गीत
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अस्तित्व 

My Photo
Love पर Rewa tibrewal
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"काँटों की पहरेदारी"

आशा और निराशा के क्षण,
पग-पग पर मिलते हैं।
काँटों की पहरेदारी में,
ही गुलाब खिलते हैं।
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गंगा तेरी शरण में 

तन-मन-धनसे तुझको ध्याया
माँ सुन लो मन की पुकार
बन जाऊँ पी.एम.एक बार....
तेरे शीतल निर्मल जल से
पाप-कलंक मैं धोया मन से
रखता हूँ मैं स्वच्छ विचार
बन जाऊँ पी.एम.एक बार ....
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कुण्डलिया छंद -- प्यारी गुड़िया 

प्यारी गुड़िया चंचला ,खेले दौड़े धूप । 
नन्हे नन्हे पाँव हैं ,मनभावन है रूप ॥
मनभावन है रूप , तोतली बातें करती । 
बात बात मुस्कात ,सभी के मन को हरती॥
करे जतन से प्यार ,हमारी मुन्नी न्यारी । 
सभी लड़ाते लाड़, मोहिनी गुड़िया प्यारी ।।
Annapurna Bajpai
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रिश्ते 

Akanksha पर Asha Saxena 
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"हक़ीक़त से अपना न दामन बचाना" 


चमक और दमक मेंकहीं खो न जाना!
कलम के मुसाफिरकहीं सो न  जाना!

जलाना पड़ेगा तुझेदीप जगमग,
दिखाना पड़ेगा जगत को सही मग,
तुझे सभ्यता कीअलख है जगाना!!
कलम के मुसाफिर...................!!

16 टिप्‍पणियां:

  1. सुंदर मंगलवारीय चर्चा सुंदर सूत्र ।

    जवाब देंहटाएं
  2. पर्याप्त सूत्र पढाने के लिए |
    मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार सर |

    जवाब देंहटाएं
  3. सभी शानदार सूत्रों के साथ अपनी रचना को चर्चामंच पर देखना हमेशा सुखद रहा है आ० शास्त्री जो को हार्दिक धन्यवाद प्रेषित करती हूँ तथा सुन्दर चर्चा हेतु बहुत -बहुत बधाई

    जवाब देंहटाएं
  4. प्रणाम गुरुदेव
    मेरी रचना को सम्मान देने के लिए शुक्रिया

    जवाब देंहटाएं
  5. आपका संकलन बेहद सुन्दर होता है ,साथ में मेरी रचना को भी सम्मान देते है आपको खूब आभार

    जवाब देंहटाएं
  6. विस्तृत चर्चा सूत्र ...
    आभार मुझे शामिल करने का ...

    जवाब देंहटाएं
  7. अति उपयोगी लिंक्स का चयन हुआ है । मुझे भी सम्मिलित करने के लिए शुक्रिया ।

    जवाब देंहटाएं
  8. sundar charcha....meri rachna ko bhi sthan diya apne shukriya

    जवाब देंहटाएं
  9. सुन्दर लिंक-संयोजन शास्त्री सर ! मेरी रचना को स्थान देने का आभार....

    ~सादर
    अनिता ललित

    जवाब देंहटाएं
  10. बहुत सुन्दर लिंकों को स्थान दिया गया है. "काँटों की पहरेदारी" में दी गयी पंक्तियाँ ह्रदय को छू गईं.
    "आशा और निराशा के क्षण,
    पग-पग पर मिलते हैं।
    काँटों की पहरेदारी में,
    ही गुलाब खिलते हैं।"
    जीवन की कल्पना गुलाब के फूल से की गयी है जो अति सुन्दर है. आशा और निराश दोनों के बिना जीवन की कल्पना अधूरी है.
    धन्यवाद.

    जवाब देंहटाएं

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