मित्रों।
मंगलवार की चर्चा में देखिए
मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
--
--
--
सिल्वट ने जो कहा कभी नहीं ...
मजबूर वो रहा कभी नहीं
गमले में जो उगा कभी नहीं
मुश्किल यहाँ है खोजना उसे
इंसान जो बिका कभी नहीं...
गमले में जो उगा कभी नहीं
मुश्किल यहाँ है खोजना उसे
इंसान जो बिका कभी नहीं...
--
महज अपनी आजादी को जीते ,
करते हैं परिवारों की बाते !
मेरे घर में नहीं है -
सिर्फ मेरी किताबों से भरी बड़ी आलमारियां ! -
मेरी आलमारी भरी है मेरी कुछ ही किताबोँ से -
कुछ में सजी है पति और बच्चों की क़िताबें भीं ! -
कुछ आलमारियों मे गृहस्थी के जरुरी सामान -
राशन बर्तन भांडे कपड़े लत्ते -
कैंची सुई धागा मशीन भी ...
गीत मेरे ........पर वाणी गीत
--
--
--
--
--
"काँटों की पहरेदारी"
आशा और निराशा के क्षण,
पग-पग पर मिलते हैं।
काँटों की पहरेदारी में,
ही गुलाब खिलते हैं।
--
गंगा तेरी शरण में
तन-मन-धनसे तुझको ध्याया
माँ सुन लो मन की पुकार
बन जाऊँ पी.एम.एक बार....
तेरे शीतल निर्मल जल से
पाप-कलंक मैं धोया मन से
रखता हूँ मैं स्वच्छ विचार
बन जाऊँ पी.एम.एक बार ....
--
सेहतनामा :
चैरीज़ में एक स्टेबिल एंटीऑक्सीडेंट
मिलेटोनिन पाया जाता है।
दिमागी इकाई न्यूरॉन को ,चित्त को यह
विटामिनों और खनिजों का ख़ास मिश्रण शांत करता है।
आपका ब्लॉग पर Virendra Kumar Sharma
--
कुण्डलिया छंद -- प्यारी गुड़िया
प्यारी गुड़िया चंचला ,खेले दौड़े धूप ।
नन्हे नन्हे पाँव हैं ,मनभावन है रूप ॥
मनभावन है रूप , तोतली बातें करती ।
बात बात मुस्कात ,सभी के मन को हरती॥
करे जतन से प्यार ,हमारी मुन्नी न्यारी ।
सभी लड़ाते लाड़, मोहिनी गुड़िया प्यारी ।।
नन्हे नन्हे पाँव हैं ,मनभावन है रूप ॥
मनभावन है रूप , तोतली बातें करती ।
बात बात मुस्कात ,सभी के मन को हरती॥
करे जतन से प्यार ,हमारी मुन्नी न्यारी ।
सभी लड़ाते लाड़, मोहिनी गुड़िया प्यारी ।।
Annapurna Bajpai
--
--
--
--
--
--
महानगर की नव्ज़ :
गर्भपात के लिए शल्य चिकित्सा का
सहारा ले रहीं हैं अल्प वयस्क किशोरियां
Virendra Kumar Sharma
--
--
"हक़ीक़त से अपना न दामन बचाना"
कलम के मुसाफिर, कहीं सो न जाना!
जलाना पड़ेगा तुझे, दीप जगमग,
दिखाना पड़ेगा जगत को सही मग,
तुझे सभ्यता की, अलख है जगाना!!
कलम के मुसाफिर...................!!
अच्छे लिंक्स लिए चर्चा .....आभार
जवाब देंहटाएंसुंदर मंगलवारीय चर्चा सुंदर सूत्र ।
जवाब देंहटाएंपर्याप्त सूत्र पढाने के लिए |
जवाब देंहटाएंमेरी रचना शामिल करने के लिए आभार सर |
बढ़िया सूत्रीय चर्चा , आ. शास्त्री जी व मंच को धन्यवाद !
जवाब देंहटाएंI.A.S.I.H - ब्लॉग ( हिंदी में समस्त प्रकार की जानकारियाँ )
सभी शानदार सूत्रों के साथ अपनी रचना को चर्चामंच पर देखना हमेशा सुखद रहा है आ० शास्त्री जो को हार्दिक धन्यवाद प्रेषित करती हूँ तथा सुन्दर चर्चा हेतु बहुत -बहुत बधाई
जवाब देंहटाएंस्वस्थ चर्चा
जवाब देंहटाएंआभार
प्रणाम गुरुदेव
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को सम्मान देने के लिए शुक्रिया
सुंदर चर्चा
जवाब देंहटाएंआपका संकलन बेहद सुन्दर होता है ,साथ में मेरी रचना को भी सम्मान देते है आपको खूब आभार
जवाब देंहटाएंcharcha ki charcha chahu oore....khoobsurat
जवाब देंहटाएंविस्तृत चर्चा सूत्र ...
जवाब देंहटाएंआभार मुझे शामिल करने का ...
अति उपयोगी लिंक्स का चयन हुआ है । मुझे भी सम्मिलित करने के लिए शुक्रिया ।
जवाब देंहटाएंsundar charcha....meri rachna ko bhi sthan diya apne shukriya
जवाब देंहटाएंसुन्दर लिंक-संयोजन शास्त्री सर ! मेरी रचना को स्थान देने का आभार....
जवाब देंहटाएं~सादर
अनिता ललित
सुन्दर लिंक-संयोजन
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर लिंकों को स्थान दिया गया है. "काँटों की पहरेदारी" में दी गयी पंक्तियाँ ह्रदय को छू गईं.
जवाब देंहटाएं"आशा और निराशा के क्षण,
पग-पग पर मिलते हैं।
काँटों की पहरेदारी में,
ही गुलाब खिलते हैं।"
जीवन की कल्पना गुलाब के फूल से की गयी है जो अति सुन्दर है. आशा और निराश दोनों के बिना जीवन की कल्पना अधूरी है.
धन्यवाद.