आया वापस घूमकर, देशाटन का दौर ।
लोकतंत्र के पर्व है, मतदाता सिरमौर ।
मतदाता सिरमौर, गौर से दुनिया देखी ।
|
1.
पैसे ने छीने रिश्ते नए पुराने पैसा बेदिल । 2. पैसा गरजा ग़ैर बने अपने रिश्ता बरसा ।... लम्हों का सफ़रपर डॉ. जेन्नी शबनम |
ओ इंसानियत के दुश्मनोंसुना है दे दिया उन्होनेतालिबानी हुक्मकरो धर्मान्तरणवरना कर दिये जाओगे कत्लऔर कर दिया धर्म परिवर्तनक्या वास्तव मेंइस तरह होता है धर्म परिवर्तन ? |
ज़िन्दगी…एक खामोश सफ़रपरvandana gupta |
तस्वीरें....
तस्वीरें
जो लटकी हैं यूं ही दीवारों पर याद दिलाने को बीता कल... जो मेरा मन कहे परYashwant Yash |
प्यार इसी को कहते हैं
मातृ दिवस पर बेटे सुयश से
ये पीला कुर्ता उपहार मिला है
और बेटी अदिति ने
माचिस की डिब्बी से बनाकर
ये ड्रेसिंग टेबिल उपहार दिया है !
पहली बार मैंने कुछ सीखा अपने बच्चों से...
ZEAL |
भूल गए ऋतुराज मुझे क्यों
अधर बन गए प्यासे गागर
स्वप्न बीच जो भी सुन्दर था
बन न सका प्रीति का सागर...
--
आप के इस हुस्न को हथियार होना चाहिए
नजर जब भी उठे ज़िगर के पार होना चाहिए समझा दे अपनी यादों को रोज़ छुट्टी न मांगें इश्क के तकवीम* में न इतवार होना चाहिए |
बहुत सुन्दर और इन्द्रधनुषी चर्चा।
ReplyDelete--
आपका आभार रविकर जी।
मेरे ब्लॉग को शामिल करे- hindi-pc.blogspot.com
ReplyDeleteबहुत बढ़िया चर्चा प्रस्तुति ..आभार!
ReplyDelete"प्यार इसी को कहते हैं" में बच्चों की अपने माता-पिता के प्रति स्नेह की भावनाओं का बहुत ही सुन्दर चित्रण किया गया है. आज की चर्चा अच्छी लगी.
ReplyDeleteशानदार सूत्रों का अनुपम संकलन.. सुन्दर चर्चा ... आभार.
ReplyDeleteचर्चा के खुलते ही पता चल गया था 'रविकर' लौट आया है :) सुस्वागतम । आपकी कमी चर्चा मंच पर खल रही थी । 'उलूक' का आभार सूत्र 'बहुत कुछ ऐसे वैसे भी कह दिया जाता है बाद में पता चल ही जाता है' को आज की चर्चा में स्थान देने के लिये ।
ReplyDeleteaapke is sankalan ko sabhi tarah ke rasaswadan se bhara huaa kah sakte hain !! meri rachna lagaane par aabhaar !!
ReplyDeleteबहुत ही बढ़िया ब्लॉग सूत्र संकलन..... आभार |
ReplyDeleteबेहतरीन बुधवारीय चर्चा , बेहतरीन लिंकों के साथ मेरे लिंक को भी स्थान देने हेतु , आ. रविकर सर व मंच को सदः ही धन्यवाद !
ReplyDeleteInformation and solutions in Hindi ( हिंदी में समस्त प्रकार की जानकारियाँ )
बहुत बढ़िया चर्चा
ReplyDeleteबढिया चर्चा रविकर जी।
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद सर !
ReplyDeleteसादर
"माँ तुझे सलाम " को स्थान देकर बहुत अच्छा किया क्योंकि सबके सँस्मरण अपने आप में एक अलग महत्व रखते हैं। धन्यवाद
ReplyDelete