आज के इस शुक्रवारीय चर्चा में मैं राजेंद्र कुमार आपका हार्दिक अभिनन्दन करता हूँ। प्रस्तुत है आपके ब्लॉग्स से कुछ चुने हुए लिंक्स। शुरुआत करते हैं एक अनमोल वचन से ……
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मीना पाठक
प्यासी धरती आस लगाये देख रही अम्बर को
दहक रही हूँ सूर्य ताप से शीतल कर दो मुझको
पात-पात सब सूख गये हैं, सूख गया है सब जलकल
मेरी गोदी जो खेल रहे थे नदियाँ जलाशय, पेड़ पल्लव
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प्रबोध कुमार गोविल
"देश की पहली महिला आई पी एस" अधिकारी होना कोई ऐसी घटना नहीं है, जिसे इतिहास चुपचाप दर्ज़ कर ले। फिर महिला भी ऐसी कि जिसने अपनी हर पोस्टिंग पर छाप छोड़ी हो। मुझे हमेशा ऐसा लगता था कि किरण बेदी अपने कैरियर में अभी पूरी नहीं हो गई हैं।
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अनिता
संशय रूपी पक्षी के दो पंख होते हैं, पहला दुष्ट तर्क दूसरा क्लिष्ट तर्क. पहले तर्क से दूसरों को कष्ट होता है, तो दूसरे प्रकार के तर्क से हम स्वयं ही फंस जाते हैं. निर्दोष चित्त का प्रसाद है अतर्क, भक्ति पूर्ण हो तो तर्क के लिए कोई जगह ही नहीं.
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श्यामल सुमन
आयी इक नयी बयार संघम् शरणम् गच्छामि
चुन ली हमने सरकार संघम् शरणम् गच्छामि
पहले जो शासक आए हालात बदल ना पाए
क्या होगा अभी सुधार संघम् शरणम् गच्छामि
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आशा सक्सेना
जल में घुली चीनी की तरह
कभी एक रस ना हो पाए
साथ साथ न चल पाए
तब कैसे देदूं नाम कोई
ऐसे अनाम रिश्ते को |
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गौतम राजरिशी
दिन उदास है तनिक कि आज नहाना है | नहीं, हफ्ते का कोई एक दिन तय नहीं होता है...जिस रोज़ धूप मेहरबान होती है उसी रोज़ बस | उसी रोज़ ठंढ से ऐंठे पड़े इस जिस्म की सफाई के लिए बर्फ़ को उबाल कर भरी गई पानी की एक बाल्टी हाँफती …।
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पुण्य प्रसून वाजपेयी
जब कोई सत्ता से लड़ता है तो उसके चेहरे पर चमक आ जाती है। सत्ता अगर लड़ते लड़ते बदल दी जाये तो लड़ने वाले की धमक कहीं ज्यादा तेजी से फैलती है । लेकिन सत्ता के ढहने के बाद अगर कोई ऐसी सत्ता वहीं लडने वाली जनता खड़ी कर दे, जहा सवाल करना भी मुश्किल लगने लगे तो फिर कवि-लेखक ठिठक कर खामोश रहते हुये भाव-शून्य हो जाता है।
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बसंत खिलेरी
आज 22/05/2014 को सायः 5:00pm बजे राजस्थान बोर्ड के 12वीँ क्लास का रिजल्ट आने वाला है। विज्ञान और वाणिज्य वर्ग का रिजल्ट पहले आ चुका है। रिजल्ट देखने के लिए सबसे पहले बोर्ड कि वेबसाइट rajeduboard.rajasthan.gov.in पर जाये।
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मोनिका शर्मा
बेटियो
तुम पढ़ो-लिखो
पढ़ोगी नहीं तो आगे बढ़ोगी कैसे
जीवन को समझोगी कैसे
समझीं नहीं तो जियोगी कैसे
पर स्मरण रहे
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कमला सिंह "जीनत"
ज़ख्म पे ज़ख्म लगा देता है सिलता भी नहीं
वो मसीहा कि तरह मुझसे तो मिलता भी नहीं
मैं चली जाती हूँ दामन में बहाराँ लेकर
इतना जिद्दी है वो गुल्शन में कि खिलता भी नही
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(डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)
दर्पण में उभरकर नयी तस्बीर आ गयी
किस्मत के हाथ में नयी लकीर आ गयी
अच्छे दिनों का ख़्वाब हक़ीक़त बनेगा अब
बूटी में अब फ़क़ीर की तासीर आ गयी
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आनंद मूर्थी
दिन के ढलते ही माँ की इक फरियाद होती है|
जल्दी घर आ जा तूँ तेरी अब याद होती है||
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विजयलक्ष्मी
आज तक भी खुद को ढूंढा किये हम
तन्हाई घर अपने ही लेकर गयी जो
चैन खोया किस गली इस दिल का
बेचैनी पता अपना बताकर गयी जो
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रचना त्रिपाठी
अपार्टमेन्ट में रात को करीब बारह बजे एक पुरुष दूसरी महिला के साथ अपने फ्लैट में घुसता है… अंदर से चीखने चिल्लाने; घर के दरवाजों की धड़-धड़ और बर्तन पटकने की आवाज आती है… कुछ देर बाद खिड़की में लगे पल्ले का शीशा टूटकर ग्राउंड फ्लोर पर गिर जाता है… आधे घंटे तक घर के अंदर शोर-शराबे के बाद अचानक सन्नाटा छा जाता है…
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पूर्ण हो उनकी सब कामनाएँ
रेखा जोशी
बहुत बड़ा वृक्ष हूँ मै
खड़ा सदियों से यहाँ
बन द्रष्टा देख रहा
हर आते जाते
मुसाफिर को
करते विश्राम
पूर्ण हो उनकी सब कामनाएँ
रेखा जोशी
बहुत बड़ा वृक्ष हूँ मै
खड़ा सदियों से यहाँ
बन द्रष्टा देख रहा
हर आते जाते
मुसाफिर को
करते विश्राम
उपयोगी लिंकों के साथ बढ़िया चर्चा।
जवाब देंहटाएंव्यस्तता के कारण कुछ दिनों तक
अद्यतन लिंक्स नहीं दे पाऊँगा।
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आपका आभार आदरणीय राजेन्द्र कुमार जी।
बढ़िया लिंक्स ...शामिल करने का आभार
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा-
जवाब देंहटाएंआभार भाई जी-
बढ़िया चर्चा |मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार सर |
जवाब देंहटाएंआदरणीय राजेंद्र कुमार जी,
जवाब देंहटाएंआप की चर्चा हमेशा की तरह लाजवाब है।
सादर।
सुन्दर..!
जवाब देंहटाएंमेरा लेख शामिल करने के लिए आभार
बहुत ही सुन्दर और बेहतरीन चर्चा।
जवाब देंहटाएंबढ़िया प्रस्तुति के साथ उम्दा लिंक्स , राजेंद्र भाई व मंच को धन्यवाद !
जवाब देंहटाएंI.A.S.I.H - ब्लॉग ( हिंदी में समस्त प्रकार की जानकारियाँ )
सुंदर विचार,तथास्तु
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर और व्यवस्थित चर्चा, आना सुखद रहा।
जवाब देंहटाएंविद्यार्थियोँ के समाजिकता का अंत परिक्षाएँ कर देती हैँ पिछले कुछ दिनोँ से मैँ भी दीन-दुनिया से कटा हुआ हूँ। नियमित दिनचर्या मेँ शामिल चर्चामंच कुछ दिनोँ से छूटा हुआ है। आज समय मिला तो आ गया....थकान के बाद राहत मिली...बेहतरी प्रस्तुति, आभार।
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