नमस्कार मित्रों।
श्रीमती जी का ऑपरेशन हुआ है,
वो अभी हास्पीटल में ही हैं।
इसलिए आजकल बहुत व्यस्त चल रहा हूँ।
मात्र औपचारिकता के लिए
मंगलवार की चर्चा में
मेरी पसंद के लिंक देखिए।
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युगपुरुष पंडित जवाहरलाल नेहरू को
शत-शत नमन
! कौशल !परShalini Kaushik
--ग्रहण करूँगा मैं भी शपथ
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhWUFx5NM5qN5cBPB562VLHasCfqwjUzK_r7k96xzGT7aG0hzeDwJlZc8TjemjxlDDMUkUz6RpTzIzH9V6Gp206mRXoERYd8KrJbSPjMZ8oK3qr_xlx44wjPoBtW_11aQN_PfNkjxJITnuK/s320/IMG-20140519-WA0005.jpg&container=blogger&gadget=a&rewriteMime=image)
॥ दर्शन-प्राशन ॥पर प्रतुल वशिष्ठ
--आशा भरी पहल
इतिहास गतिमान है।
बिलकुल समय की धार की तरह।
हर वक्त पल-पल का लेखा जोखा
कही न कही रखा जा रहा है।
अंतर बस इतना है कि
कुछ पल स्वर्ण अक्षरो में दर्ज होते है
और कुछ के लिए
बस नीली स्याही उकेड़ दी जाती है...
--![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEh1Wzzdt1SrhDGn9_nN3ypWkXoLnfcKXv0a9KPl3rLFhJyJ2P-UjAXByd9vdZAkOWWCuBb7fbt9Et7LztjQXilpyNCv6E4MQO8OoFzhfWZAQu-Hr0yeEERPdKysKhc_xMWpY39XVh8MltU/s320/arjuna-shooting-250x250.jpg)
बहुत कठिन था
मछली की आँख में
अस्थिर प्रतिबिम्ब देख
लक्ष्य कर पाना
उससे भी कठिन था
इस रणभूमि में
अथाह
सैन्य
कोटि कोटि वीरों का
पार पाना...
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आत्मसंतुष्टि या विचलन ?
मैं रहूँ न रहूँ क्या फ़र्क पडता है
दुनिया न रुकी है न रुकेगी
फिर पहचान चिन्हित करने भर से क्या होगा
क्या मिलेगी मुझे आत्मसंतुष्टि
क्या देख पाऊँगी मैं अक्स आईने में...
एक प्रयास पर vandana gupta
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युग नया
युग नया जो आया संदेश दे रहा है।
दुख के दिन बीते, देश बढ़ रहा है।।
अच्छे दिन तो जैसे आ ही गये हैं।
मोदी युग-नायक से छा ही गये हैं...
कविता मंच पर Rajesh Tripathi
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सत्य आधार जी सभा अध्यक्ष की कुर्सी पर
पूरे ठसके के साथ विराजमान थे।
कुछ लोग कभी रिटायर नहीं होत्ते।
वे अपने कार्यकाल में
इतने महान कार्य सम्पादित कर चुके होते हैं कि
उनका जाना एक...
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कामरूप छंद
आहत हुआ ज्यों , देश अपने , का है स्वाभिमान
टूटे हैं ख़्वाब , संग आँसूं , बह गए अरमान...
गुज़ारिशपर सरिता भाटिया
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शैक्षिक गुणवत्ता, मुनाफा
और विदक्षता का दुष्चक्र।
वर्तमान शिक्षा व्यवस्था "विदक्षता" (Deskilling) के दुष्चक्र में फंस गयी है। शैक्षिक प्रसार के नाम पर पूरी व्यवस्था को निजी संस्थाओं के हवाले किया जा रहा है। ऐसे में शैक्षिक गुणवत्ता का स्थान मुनाफे ने ले लिया है। येन केन प्रकरेण मुनाफा प्राप्त करना ही संस्थाओं का अंतिम उद्देश्य बन चुका है...
हरी धरती पर Dr. Pawan Vijay
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केवल समय गवाया हमने,
पत्थर को इनसान समझकर,
मन मंदिर में बसाया हमने...
याद करके अब तक उन को,
केवल समय गवाया हमने...
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तुम आजकल की लडकियों को क्या हो गया है?
बहु, कब तक बिस्तर पर...
![My Photo](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhKvjvyW6egKcgXhZ2-c5M2tPeRiE0eXUFE4X_Yep_I45-YfHJ72I_DyPXQsWqFMVjOVcbEN-PidgT1OWKjthRLpeFFzx935tmmhaVgp7AUfuVDzrL9bmtxTvd2-1NH__bje9wCstUQXh0/s220/taau-photo.jpg)
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मुस्कराते तो हैं, खिलखिलाते नहीं,
टिमटिमाते तो हैं, जगमगाते नहीं,
स्वप्न जाते नहीं, याद आते हैं जब।
भाव आते नहीं, गीत गाते हैं जब।।
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सपने हमने देखे हैं
![चित्र प्रदर्शित नहीं किया गया](https://blogger.googleusercontent.com/img/proxy/AVvXsEiKzp418YwvKn31e9E57LyDzchNm3H-M5DddtjwnRD9YU52rhW6kJg99Qtsk30j3TTUeT7xj73_IQ5-VDrZmpOVPZSrv8VZQBKSWWkog3gLG2wmgP61CFBeALNOGs2jB3g9L7nNQsA7Gv4Of324HsgSnjn1qIh7ivGRDSXj2uhlGoG0Xa9Lv8kojBOR-Vl2GpIoDc4fjpJnYPoM-UDPeUd7BOq_pg=w120-h120)
सपने हमने देखे हैं
रंग बिरंगे सपने हमने देखे हैं
कुछ अपने जो बने बेगाने
कुछ बेगाने बने जो अपने देखे हैं
रंग बिरंगे सपने हमने देखे हैं...
न बोली चुप रही क्यों तू सत्य अपना बोल दे
कल्पना -खग पर संवर कर वक्ष अपना खोल देजब दृष्टि मेरी पड़ गई तब चाँद शोभित हो गया
निष्फल न होगी कामना तू चक्षु अपना खोल दे ...
![चित्र प्रदर्शित नहीं किया गया](https://lh6.googleusercontent.com/-DzhFfl_0tAE/AAAAAAAAAAI/AAAAAAAAA5g/BSJgQobBSnA/w120-h120/photo.jpg)
सुप्रभात
जवाब देंहटाएंसुन्दर सूत्र और संयोजन उनका |
आशा
माता सम 'कवि-वनिता' को शीघ्र स्वास्थ्य लाभ हो - कामना है। 'जीवन में सुख-दुःख को समभाव से, धैर्यपूर्वक वहन करने वाले दृष्टांत' बहुत कम देखने को मिलते हैं। जब कहीं वह दिखता है आदर-वृक्ष की डालियाँ श्रद्धा-सुमनों से लदकर और अधिक लोचदार हो जाती हैं।
जवाब देंहटाएंअतिव्यस्तता में भी आपने सूत्र-संग्रहित करके न केवल स्वयं से धारण किया 'कर्तव्य' निभाया अपितु ब्लॉग-जगत में सौहार्द वातावरण बनाये रखने की सामाजिकता भी निभायी। साधु !
माता सम 'कवि-वनिता' को शीघ्र स्वास्थ्य लाभ हो - कामना है। 'जीवन में सुख-दुःख को समभाव से, धैर्यपूर्वक वहन करने वाले दृष्टांत' बहुत कम देखने को मिलते हैं। जब कहीं वह दिखता है आदर-वृक्ष की डालियाँ श्रद्धा-सुमनों से लदकर और अधिक लोचदार हो जाती हैं।
जवाब देंहटाएंअतिव्यस्तता में भी आपने सूत्र-संग्रहित करके न केवल स्वयं से धारण किया 'कर्तव्य' निभाया अपितु ब्लॉग-जगत में सौहार्द वातावरण बनाये रखने की सामाजिकता भी निभायी। साधु !
आपकि बहुत अच्छी सोच है, और बहुत हि अच्छी जानकारी।
जवाब देंहटाएंजरुर पधारे HCT- एडिट किजिए ऑडियो।
अस्पताल की व्यस्तता के बावजूद समय निकाल कर चर्चा प्रस्तुत कर रहे हैं साधुवाद । 'उलूक' की तीन तीन रचनाओं को स्थान दिया आभार ।
जवाब देंहटाएंबढ़िया चर्चा-
जवाब देंहटाएंशुभकामनाएं गुरुवर
गुरुवर सेवा में लगे, गुरुमाता बीमार।
हटाएंपरेशान हम सब सगे, शुभकामना अपार ।
शुभकामना अपार, निरोगी होवे काया।
शल्यक्रिया हो सफल, दूर दुष्टों का साया ।
सुखी होय संसार, निवेदन करता रविकर ।
ईश्वर का आभार, रहें खुश माता-गुरुवर ॥
बढ़िया प्रस्तुति व लिंक्स , आदरणीय शास्त्री जी व मंच को धन्यवाद !
जवाब देंहटाएंI.A.S.I.H - ब्लॉग ( हिंदी में समस्त प्रकार की जानकारियाँ )
उत्कृष्ट प्रस्तुति.
जवाब देंहटाएंआदरणीय,
जवाब देंहटाएंमाता जी के स्वास्थ्य के लिए शुभकामनाये , हमारे लायक सेवा हो तो अवश्य आदेश करे
जय श्री कृष्ण !
बढियाँ सूत्र प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंVery nice....
जवाब देंहटाएंise bhi dekhe - Free Gyan 4 All
अस्पताल की व्यस्तता के बावजूद समय निकाल कर
जवाब देंहटाएंचर्चा लगाना बहुत मुश्किल काम है लेकिन यह काम जिस तरह से बखूबी निभाते हैं यह समर्पित भाव देख नतमस्तक हैं .... माता जी के शीघ्र स्वस्थ होने की शुभकामना सहित सादर
शीघ्र स्वस्थ होने की मंगल कामना
जवाब देंहटाएंखूबसूरत संकलन...जीनोटाइप को शामिल करने के लिए धन्यवाद...
जवाब देंहटाएं