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शनिवार, मई 24, 2014

"सुरभित सुमन खिलाते हैं" (चर्चा मंच-1622)

मित्रों।
शनिवार के चर्चाकार 
आदरणीय राजीव कुमार झा
15 जून तक अवकाश पर हैं।
देखिए मेरी पसंद के कुछ लिंक।
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पिता 

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ये तस्वीर कब बदलेगी

चौड़ी सड़क पर आकर खत्म होती गली के मुहाने पर चाय की गुमटी थी। वो बच्चा यहां उदास सा बैठा था। खिन्न था। बारह-तेरह साल की उम्र में ही उसके कंधों पर नई ज़िम्मेदारी आ गई थी। दादा के साथ काम में हाथ बंटाने की। चाय देना, गिलास साफ करना, ...
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एक और महिला मुख्यमंत्री : 

आनंदी बेन पटेल 

शब्द-शिखरपरAkanksha Yadav
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**~बाकी रहा .. तेरा निशाँ !~** 

1.
प्रेम की बेड़ियाँ... 
फूलों का हार,
विरह के अश्रु...
गंगा की धार,
समझे जो वेदना
प्रिय के मन की... 
योग यही जीवन का...
है यही सार !...
Anita Lalit (अनिता ललित )
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जिंदगी के पन्ने 

Mukesh Kumar Sinha
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सही व्यक्ति को ही श्रेय मिलना चाहिए 

राष्ट्रगान 'जन गण मन' की मौलिक धुन सुभाष चन्द्र बोस जी द्वारा लिखित कविता से ली गयी हैं जो उन्होंने 'आजाद हिन्द फ़ौज की स्थापना के बाद लिखी थीं और उनकी धुन बनायी थी कैप्टन राम सिंह' ने अतः इसका श्रेय उसके सही हकदारों को ही मिलना चाहिए...
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मजूदर औरत 

उड़ानपरAnusha
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याद है …? 

मेरी भावनायें...पर रश्मि प्रभा...
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ड्राइवर 

पिछली बार जब मुम्बई आई तो ड्राइवर बीमार था। उसके बदले एक अन्य बदली (टेम्परेरी) ड्राइवर था। मुझे पति के दफ्तर के पास ही डॉक्टर के पास जाना था। सो उनके साथ ही चली गई। काम होने पर लौटते समय ड्राइवर के साथ अकेली वापिस दफ्तर के सामने पति की प्रतीक्षा की। इस समय में ड्राइवर के साथ काफी बातें हुईं। शुरू यूँ हुईं... उसने पूछा, मैडम आप लिखती हैं क्या?...
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संत हृदय नवनीत समाना .... 

सद्जनों की संगति आचार /विचार और व्यवहार में परिवर्तन लाती ही है , ऐसे लोग संख्या में कम होते हैं जिन पर इसका विशेष प्रभाव नहीं होता ! माँ के पूज्य फूफाजी विद्वान शिक्षक थे। जब कभी छुट्टियों में घर आते , फुर्सत मिलते ही किताबें मंगवा कर प्रश्न पूछते , और न आने पर विस्तार से समझा भी देते हालाँकि ये स्मृतियाँ उन दिनों की है जब ऐसा होता नहीं था कि हमसे कोई प्रश्न पूछा जाए....
ज्ञानवाणीपर वाणी गीत
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"कठिन बुढ़ापा"

बचपन बीता गयी जवानी, कठिन बुढ़ापा आया।
कितना है नादान मनुज, यह चक्र समझ नही पाया।
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''विजय ''..आयोजन अथवा यत्न 

मेरा फोटो
abhishek shukla
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सावधान! आ गया गूगल पांडा 4.0 मैदान में 

Vinay Prajapati 
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वर्तिका और स्नेह 

अभिनव रचना पर ममता त्रिपाठी
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स्वर्ग में धरना 

नारद पर 
कमल कुमार सिंह (नारद )
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सम्‍बंधों का सेतु ! 

अपनी अडिगता पर
कई बार होता है अचंभित
जब वो कई बार चाहकर भी
अपने दायित्‍वों से
विमुख नहीं हो पाता..
SADA पर  सदा 
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"लागा चुनरी में दाग छिपाऊं कैसे , 

घर जाऊँ कैसे , 

बाबुल से नज़रें मिलाऊँ कैसे " ??-   

पीताम्बर दत्त शर्मा ( राजनितिक-समीक्षक )

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बुलबुलों के आशियाने 

उन्नयन पर udaya veer singh
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कार्टून :-  

नवाज़श्री आ ही जाओ, देक्‍खी जाएगी ... 

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ऐ हवा क्या बिगड़ जाता तेरा 

चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’
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"कम्प्यूटर बन गई जिन्दगी" 

ग़ाफ़िलरविकरभ्रमरयहाँ पर सुरभित सुमन खिलाते हैं,
उल्लू और मयंक निशा मेंविचरण करने आते हैं,
पंकहीन से कमल सुशोभितकरते बगिया और चमन।
जालजगत के बिना कहीं भीलगता नहीं हमारा मन।।

ताऊ कभी-कभी दिख जाताउड़नतश्तरी दूर हुई,
आज फेसबुक के आगेब्लॉगिंग बिल्कुल मज़बूर हुई,
अदा-सदावन्दना-कनेरीमहकाती जातीं उपवन।
जालजगत के बिना कहीं भीलगता नहीं हमारा मन।।

10 टिप्‍पणियां:

  1. शुभ प्रभात
    उम्दा लिंक्स
    सूत्र विविध |

    जवाब देंहटाएं
  2. बढ़िया लिंक्स के साथ बढ़िया प्रस्तुति , आदरणीय शास्त्री जी व मंच को धन्यवाद !
    I.A.S.I.H - ब्लॉग ( हिंदी में समस्त प्रकार की जानकारियाँ )

    जवाब देंहटाएं
  3. मरी रचना "स्वर्ग में धरना " को स्थान देने के लिए आभार, सुन्दर चर्चा, हमेशा की तरह.

    आभार .

    सादर

    कमल

    जवाब देंहटाएं
  4. सभी लिंक्स अच्छे हैं !
    मेरी रचना को स्थान देने का आभार

    ~सादर

    जवाब देंहटाएं
  5. कार्टून को भी चर्चा में सम्‍मि‍लि‍त करने के लि‍ए आपका आभार जी

    जवाब देंहटाएं
  6. कितने फूल खिले उपवन में , ब्लॉग आँगन के !
    शुक्रिया इन सबसे मिलवाने के लिए और इसमें हमारा ब्लॉग शामिल करने के लिए अनेक धन्यवाद !

    जवाब देंहटाएं
  7. आदरणीय गुरु जी, सदर अभिवादन.
    बहुत से ब्लोग्स से परिचय करने और इसमें मेंरा ब्लॉग शामिल करने के लिए हार्द्धिक धन्यवाद !

    जवाब देंहटाएं

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