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सोमवार, मई 19, 2014

"मिलेगा सम्मान देख लेना" (चर्चा मंच-1617)

मित्रों!
सोमवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
आज देखिए मेरी पसंद के कुछ लिंक।

(डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')

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दिव्या की आ गयी सरकार 

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मैया मोरी ,मोदी बहुत सतायो 

घोटू के पद  
मैया मोरी , 
मोदी बहुत सतायो 
मोसे कहत ,अभी बालक हूँ, 
मैं इटली को जायो ...
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माँ (हाईकू ) 

प्रथम गुरू 
सुबह मेरी माँ 
तुझसे शुरू |...
Akankshaपर Asha Saxena
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 वेणु   -  बंध   में  जुगनू  सजाकर 
 मैं    बन   स्फुलिंग   उड़  जाऊँगी 
 सपनों    का     संसार    बसाकर 
 जी  भर ,  मचलूँगी   मुस्काऊँगी...
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"बालकविता-सूअर का बच्चा" 

गोरा-चिट्टा कितना अच्छा।
लेकिन हूँ सूअर का बच्चा।।
लोग स्वयं को साफ समझते।
लेकिन मुझको गन्दा कहते...
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चूजे 

Fulbagiya पर डा. हेमंत कुमार
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स्मृतियों के भोजपत्रों पर  

मातृत्व के फूल 

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नीतीश बाबू के पाप और पुण्य 

नीतीश बाबू के कार्यकाल बिहार के लिए स्वर्णिम युग के रूप में जाना जाएगा। बिहारी होना अपने ही देश में कलंक की तरह थी। लालू प्रसाद के राज में बिहार को अन्य प्रदेशों के लोग आफगानिस्तान की तरह समझते थे। बात भी सच थी पर नीतीश कुमार ने बिहार को वहां से निकाल कर एक बार देश के अन्य राज्यों के साथ प्रतिस्पर्धा में लाकर खड़ा कर दिया। पर यह से एक झटके में नहीं हो गया। इसके लिए नीतीश कुमार ने काफी मशक्त की पर एकबारगी आज वह खलनायकों के कठघरे में खड़े हो गए, ऐसा क्यों?...
चौथाखंभा पर ARUN SATHI 
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जब हम रात के अंधेरे मे 

सुनसान सड़क पर फंस गए थे --- 

एक संस्मरण ! 

सन १९८१ की बात है. हम नए नए डॉक्टर बने थे . तभी कुछ मित्रों ने वैष्णों देवी जाने का प्रोग्राम बना लिया . एक चार्टर्ड बस कर मित्र समूह और कुछ अन्य परिवारों से बस भरी और रात के समय हम रवाना हो गए कटरा की ओर...
अंतर्मंथन पर डॉ टी एस दराल
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उनका और इनका … 

उन्हें - हार मिले इन्हें - हार मिली । 
उन्हें - जनादेश हुआ इन्हें - जाने का आदेश हुआ । 
उन्होंने - भारी मत पाए इन्होने - भारी मन पाए...
कुमाउँनी चेलीपर शेफाली पाण्डे
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नदी 

बहुत बह चुकी मैं हरे-भरे मैदानों में, 
खेल चुकी छोटे-सपाट पत्थरों से, 
देख चुकी हँसते-मुस्कराते चेहरे, 
पिला चुकी तृप्त होंठों को पानी. 
अब कोई भागीरथ आए, 
मुझे रेगिस्तान में ले जाए...
कविताएँ पर Onkar
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देश और समाज के खिलाफ प्रेम 

उफ्फ्फ्फ़ ये झरझर झरती बेसबब मुस्कुराहटें 
जब देखो खिलखिल खिलखिल 
न इन्हें चिलचिलाती धूप की फिकर 
न किसी तूफान का डर....
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रिस्ते ! 

रिस्तों का पौधा बड़ा नाजुक होता है 
प्यार-खाद,स्नेह-पानी से सींचना पड़ता है...
मेरे विचार मेरी अनुभूतिपर कालीपद प्रसाद
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मिलेगा सम्मान देख लेना ... 

चतुष्पदी रचनाएँ 

१.

आइने को पोंछ दूँ या खुद को सँवार लूँ
वक्त के धुँधलके में मैं रब को पुकार लूँ
हे प्रभु निखार दो मेरे अंतस का दर्पण
तुम्हारा दिव्य रूप मैं उसमे निहार लूँ|
मधुर गुंजनपर ऋता शेखर मधु
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कथा, ध्वज लोमड़ उर्फ़ Flag Fox की 

flag fox geotool
वेबसाईट की सारी प्राथमिक जानकारियों के लिए मैंने फायर फॉक्स का एक ऐड-ऑन -Flag Fox स्थापित कर रखा है. इससे, किसी भी वेबसाईट को देखे जाते समय एड्रेस बार में, दुनिया के किसी एक देश का झंडा/ ध्वज दिखाई देता है. यदि उस पर माउस कर्सर ले जाए जाए तो वेबसाईट का आईपी पता व सर्वर की भौगोलिक स्थिति की जानकारी देखेगी. यदि उसी ध्वज पर क्लिक किया जाए तो, जो पृष्ठ खुलेगा उसमें उस वेबसाईट के होस्ट की अन्य कई जानकारियां दिखेंगी....
ज़िंदगी के मेलेपर बी एस पाबला 
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दहेज़ : 

इकलौती पुत्री की आग की सेज 

! कौशल !पर Shalini Kaushik
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कौन हो तुम प्रेयसी ? 
कल्पना, ख़ुशी या गम
सोचता हूँ मुस्काता हूँ,
हँसता हूँ, गाता हूँ ,
गुनगुनाता हूँ
मन के 'पर' लग जाते हैं...
SURENDRA SHUKLA BHRAMAR5
BHRAMAR KA DARD AUR DARPAN
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नेता जी 
जनता की सेवा में अर्पण नेता जी,
ईश्वर जैसा रखते लक्षण नेता जी,
मधुर रसीले शब्द सजाये अधरों पर,
मक्खन मिश्री का हैं मिश्रण नेता जी...

प्रणय - प्रेम - पथ
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स्वागत 

इक शख्श फर्श से यों अर्श तक है तन गया।
सूरमा थे जितने अर्श के बौना वो कर गया।।
कविता मंचपर Rajesh Tripathi
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खूनी समर 

रचे जाते है 
आज चहुँ ओर
कहीं ना कहीं
किसी दस्यु के हाथो
दुष्काण्ड ..
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गीत के नवगीत के 

संधान से विज्ञान तक विस्तृत जो सारी धरा है।

पुलक औ ललक समेटे यह जो वसुन्धरा है॥
तनिक तो विश्वास कर लो,
तनिक उसका ध्यान धर लो।
ममता त्रिपाठी
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एक गीत - 

भोरकिरण बन आनेवाले मेरे ओ‘दिनमाना',
बदरी में छुप बैठे फिर भी हो तुम भीतरघामा।
घाम तुम्हारा महसूसता है,बेशक,पूरा ज़माना ,
पर,अरुणाई कैसे गाएँ,जाए नहीं बखाना।
घर पे तेरे लटक रहा है नीला-श्याम विताना,
छुप करके बैठे हो क्योंकर?मेरे ओ सुखधामा!
डेढ़ पहर दिन बीत चुका है,क्या गाना,क्या ध्याना,
नभ पे ऐसे आना,जैसे नाम चले‘दिनमाना'।
धरती की लाली बन आना,आना सेज,सिर्हाना,
धरती के होंठों पे रक्तिम लाली से सज जाना।
एक कूप में ढेरों जल,औ'बाकी जग तरसाना,
ऐसे जल को खींच किरण से घरघर में बरसाना।
नाज़ुक से कई ओर खड़े हैं,उनको ना मुरझाना,
तन की कटीफटी तो देखो,ना उनको झुलसाना।
सूरजमुखी औ'दुपहरिया से,चाहे,खुब,बतियाना,
पर औरों को,खिलने ख़ातिर,थोड़ी ताप दिखाना।
थक जाने पे,महासिन्धु में,डुबकी बड़ी लगाना,
पर,अँधियारा हरने ख़ातिर,नहा-नहा के आना।
प्रेम-पुलक-मन कहता तुझको‘मेरे ओ दिनमाना',
धुँध-धूम को तरके आजा,सुन लो अरज सुजाना।
कोटि-कोटि किरणों को तेरे रोके कौन जहाना,
एक किरण तो दे दो जल्दी,होवे ‘सहज विहाना'।

कवि अमरनाथ उपाध्याय

जयकृष्ण राय तुषार

"गाना तो मजबूरी है"

जीवन के कवि सम्मेलन मेंगाना तो मजबूरी है।
आये हैं तो कुछ कह-सुनकरजाना बहुत जरूरी है।।

जाने कितने स्वप्न संजोए,
जाने कितने रंग भरे।
ख्वाब अधूरेहुए न पूरे,
ठाठ-बाट रह गये धरे।
सरदी-गरमीधूप-छाँव कोपाना तो मजबूरी है।
आये हैं तो कुछ कह-सुनकरजाना बहुत जरूरी है।

17 टिप्‍पणियां:

  1. सुप्रभात
    पर्याप्त सूत्र पढ़ने हेतु |मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार सर |

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  2. सुन्दर चर्चा -
    आभार गुरु जी-

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत सुंदर चर्चा । आमीर दुबई के हंसगुल्ले जरूर पढ़ियेगा । हंसगुल्ले ही नहीं आईना भी हैं ।

    जवाब देंहटाएं
  4. हमेशा की तरह बढ़िया चर्चा व सूत्र , आदरणीय शास्त्री जी व मंच को धन्यवाद !
    I.A.S.I.H - ब्लॉग ( हिंदी में समस्त प्रकार की जानकारियाँ )

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  5. बहुत सुन्दर संकलन सदा की तरह

    जवाब देंहटाएं
  6. मेरी रचना भी सम्मिलित करने हेतु हार्द्धिक आभार सर जी.

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  7. बहुत बढ़िया चर्चा प्रस्तुति...... आभार !

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  8. Thanks Shastri ji ,bahut bahut Aabhar ,kafi samay baad aaj charcha me shamil hone ka sobhagy mila.

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  9. आदरणीय शास्त्री जी मेहनत भरा कार्य ..बहुत ही प्यारे और सराहनीय लिंक्स ...मेरी रचना कौन हो तुम प्रेयसी? को आप ने चर्चा मंच पर स्थान दिया ख़ुशी हुयी
    भ्रमर ५

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  10. बहुत बढ़िया चर्चा ...सदा की तरह
    आभार

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  11. बहुत सुंदर पठनीय सूत्र ....हमेशा की ततरह...
    सादर...
    कुलदीप ठाकुर[मन का मंथन]

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