मित्रों।
अचानक घर में मेरे मित्र
शायर सगीर अशरफ आ गये।
और समय भी गुजरता गया।
सिर्फ रवायत के तौर पर
शनिवार की चर्चा में
मेरी पसंद के लिंक देखिए।
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कितना दुःख होता है
कितना दुःख होता है
जब मन का मान नहीं होता
जरा सी बात होती है
पर अनुमान नहीं होता...
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मुद्दतों हुए माँ से मिले
मुद्दतों पहले एक शाम बिन बताये घर पहुँचा था
माँ आज भी शाम को चार रोटी अधिक बनाती है!
मुद्दतों पहले मजाक़ में ही माँ से कहा था,
कि तेरे आज के उपवास ने
मुझे एक दुर्घटना से बचा लिया
माँ आज भी हर रविवार को उपवास रखती है...
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माँ कैसे जान लेती है दिल की हर बात
Anju (Anu) Chaudhary
--हमारी माँ
करुणामयी-ममतामयी सेवामयी कहलाती माँ
आशामयी-श्रद्धामयी शुभतामयी बन जाती माँ...
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" कलयुग में होता तो ये है कि जो दिन ,
बीत गया वो अच्छा था ,
लेकिन कहा ये जा रहा है क़ि
अच्छे दिन आने वाले हैं " !!
खुदा - खैर करे !! आमीन !!-
पीताम्बर दत्त शर्मा
( राजनितिक - विश्लेषक -समीक्षक )
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रोशनी है कि धुआँ..... (8 )
मध्यम वर्ग में पली बढ़ी तेजस्वी अपने तेज के दम पर ही आगे बढती आयी है , कार्यालय की मुसीबतों से लड़ कर विजयी होते इस बार उसने लडाई लड़ी अपनी सखी के लिए , साथ ही उस स्त्री के लिएभी , जिसने बेटी के रूप में लड़कियों को ताना या निपटा दी जाने वाली जिम्मेदारी ही समझा था . * अब आगे ...
ज्ञानवाणीपर वाणी गीत
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वो फिज़ाएँ रौनकें, वो बहारें
आज फिर लगता वो पुकारें
उनके पहलू में एक एक पल जो बिता है
उस एक पल में सदियों को हमने जिया है
वो जज़्बात एहसास वो उनका अपनापन
कानों में धुन रह रह के आती आरे आरे
वो फिज़ाएँ रौनकें, वो बहारें
आज फिर लगता वो पुकारें...
हालात-ए-बयाँ पर अभिषेक कुमार अभी
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"खरबूजे का मौसम आया"
लो मैं पेटी में भर लाया!
खरबूजों का मौसम आया!!
जम करके खरबूजे खाये!
शाम हुई घर वापिस आये!!
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...तेरी गंध बसी जो तन -मन
बोलो !कैसे भूल उसे मैं जाऊँ
होठ तुम्हारे छू न सकी मैं
बन तितली कैसे उड़ जाऊँ ...
बोलो !कैसे भूल उसे मैं जाऊँ
होठ तुम्हारे छू न सकी मैं
बन तितली कैसे उड़ जाऊँ ...
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....लो. यह सब तुम कर सकते हो क्योंकि यह तुम्हारे वश में है पर ‘पावर’ वाली सास कहां से लाओगे? यह तो किस्मत की बात है, और यह गाना तो सुना ही होगा कि किस्मत के खेल निराले मेरे भइया!’
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सुप्रभात
जवाब देंहटाएंरुचिकर लिंक्स |मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार |
आपकि बहुत अच्छी सोच है, और बहुत हि अच्छी जानकारी।
जवाब देंहटाएंजरुर पधारे HCT- पर नई प्रस्तुती- 3D टेक्नोलॉजी का अहसास
सुंदर सूत्र सुंदर शनिवारीय संस्करण । 'उलूक' आभारी है 'सँभाल के रखना है सपनों को
जवाब देंहटाएंमुट्ठी के अंदर फना होने तक ' को स्थान दिया ।
AAPKO KITNI MEHNAT KARNI PADTI HOGI JI ITNI BADHIYAA RACHNAAON KO DHOONDHNE MAIN OR FIR USE SAJANE MAIN , SOOCHIT KARNE MAIN !! DHANYWAAD KE PAATR HAIN AAP !! HAM AAPKE KARZDAAR BHI HO GAYE HAIN JO AAP HAMARI RACHNAON KO DEKHNE PADHNE KE KAABIL BNAATE HAIN !! BHAGWAAN AAPKO LAMBI UMAR DE !! OR SWSTH BHI RAKHKHE !!
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा / लाज़वाब लिंक्स
जवाब देंहटाएंआदरणीय सर आभार मेरी अभिव्यक्ति को शामिल करने हेतु।
बढ़िया लिंक्स व प्रस्तुतीकरण , आ. शास्त्री जी व मंच को धन्यवाद !
I.A.S.I.H - ब्लॉग ( हिंदी में समस्त प्रकार की जानकारियाँ )
सुन्दर संकलन में मेरी रचना को शामिल करने के लिए ढेरों आभार
जवाब देंहटाएंSunder sootr sunder charcha.
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा
जवाब देंहटाएंसुन्दर लिंक संचयन में अपना लिखा देखना अच्छा लगा .
जवाब देंहटाएंआभार !
bahut achchhi charcha .meri rachna ko yahan sthan pradan karne hetu aabhar
जवाब देंहटाएंshuqriya aadab!
जवाब देंहटाएंहिंदी ब्लॉग सम्बंधित आपकी बताई गई जानकारी हमे बहुत पसंद आई, शेयर करने के लिए आपका धन्यवादComputer language in hindi
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