आज के इस चर्चा मंच पर मैं राजेन्द्र कुमार आपका हार्दिक स्वागत करता हूँ, समयाभाव के चलते थोड़ी जल्दबाजी में किये हुए चर्चा की तरफ बढ़ते हैं।
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नागेश्वर सिंह
सदियों से भारत और भारत के बाहर के लोग भारत और उसकी अमूल्य धरोहर यानी इसकी संस्कृति के बारे में जानने की कोशिश करते रहे हैं। इसी क्रम में कुछ जान पायें और कुछ बिना जाने ही स्वर्ग सिधार गये।
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डॉ. मोनिका शर्मा
शब्द जिसके मुख से उच्चारित होते हैं उस व्यक्ति विशेष के लिए हमारे मन में गरिमा और विश्वसनीयता के मापदंड तय करते हैं । इस विषय में एक यह भी मान्यता होती है कि कही गयी बात बोलने वाले व्यक्ति ने विचार करने के बाद ही अपनी बात कही होगी । चर्चित चेहरों के विषय में बात ज्यादा लागू होती है क्योंकि ......
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आशा शर्मा
वो तेरी लहराती ओढ़नी ,तेरा चेहरे को चूमती लटों को हटाना
घटाओं से चाँद झांक रहा हो जैस तेरा यूँ मुस्कुराना
वो अलबेली सी अठखेलियाँतेरी ,
जैसे अपनी ही दुनियाँ में होना
वो निश्छल हंसी ज्यूँ कलियाँ मुस्करा रही हों कहीं
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राजीव कुमार झा
कालबेलियों के आदि पुरुष माननाथ ने विष को पचाकर अपनी योग शक्ति की परीक्षा दी.यायावरी की जिंदगी बिताने वाले ये कालबेलिये सांप दिखाकर,जड़ी-बूटी बेचकर उदर-पूर्ति करते हैं.लेकिन जीवन के अभाव इनकी परंपरागत मस्ती और नृत्य-संगीत के प्रति दिलचस्पी को रंचमात्र भी कम नहीं कर पाए हैं.
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प्रतिभा कटियार
उसे जाने दिया क्योंकि यकीन था कि
वो जायेगा नहीं
या यूँ कहें कि
जा पायेगा ही नहीं
इस जाने देने में अहंकार था
जिसे प्रेम का नाम दिया
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निखिल श्रीवास्तव
एक किसान था...
खेत बेचा था एक
सींचना था बड़ा सा दूसरा खेत
दाम कम मिले थे
पर उम्मीद थी एक दिन
वो फसल लहलहाएगी।
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रेखा जोशी
है हरा भरा इनका संसार
रंग चुराने फूलो का
उड़ती है यह
डाली डाली
है खेल अजब
प्रकृति का
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(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
हो गया मौसम गरम,
सूरज अनल बरसा रहा।
गुलमोहर के पादपों का,
“रूप” सबको भा रहा।।
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बसंत खिलेरी
प्राइवेट ब्राउजिँग इन्टरनेट ब्राउजर सुरक्षा को ध्यान मेँ रखकर उपयोगकर्ता को एक एसी सेवा प्रदान करता है जिसका उपयोग कर उपयोगकर्ता अपने डाटा और सुचनाओँ को गोपनीय रख सकता है। कभी-कभी वर्कप्लेस या सायबर कैफे जैसे पब्लिक प्लेस पर इंटरनेट सर्फिँग करते समय अपने डेटा और सूचनाओँ की गोपनीयता बनाए रखना काफी मुश्किल होता है।
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अनीता सिंह
अक्सर तन्हाइयां मुझसे पूछती है
क्या मिला तुझको वफा करके
हो पूरी हर ख्वाहिश ये है जनून
उसने पाई हर खुशी और सकून
क्या मिला उसको मुझसे जफा करके
अक्सर तन्हाइयां ........................
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शालिनी कौशिक
''मेरी जाति नीची लेकिन राजनीति नहीं .''कहकर मोदी ने भले ही राजनीति में एक और नयी चाल खेली हो किन्तु इस वक्तव्य के उच्चारण से उन्होंने जिस जाति से वे आते हैं उस जाति से जुड़े लोगो का सिर शर्म से नीचे किया है .
मोदी जिस जाति से जुड़े हैं उसके बारे में बार बार मायावती जी के द्वारा पूछे जाने पर भी वे उल्लेख नहीं करते किन्तु प्रियंका गांधी के ''नीच राजनीति ''कथन में से …
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साधना वैध
गहरा सागर, दूर किनारा, तूफां के आसार
नाव पुरानी, दिशा अजानी, जाना है उस पार
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झरना....बहती रहना...कभी मेरे आंखों के आगे....कभी मेरे घर के सामने से लहराकर निकलना...कभी मेरे घर के पिछवाड़े में बहना....अपनी कलकल ध्वनि के साथ...
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कमला सिंह
ए ग़ज़ल बैठ मेरे सामने तू
मैं सवारुंगी तुझे
मैं निहारूंगी तुझे
मैं उभारुंगी तुझे
ए ग़ज़ल मेरी ग़ज़ल
ए मेरी शान ए ग़ज़ल
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सुशील कुमार जोशी
अरे जमूरे सुन
हुकुम मालिक
आ गया
बजा के ड्यूटी
बजा ली मालिक
कहाँ बजाई
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बब्बन पाण्डेय
नभ से टपकता पानी है
मौसम आज रूमानी है...
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"अद्यतन लिंक"
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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"अद्यतन लिंक"
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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बरगद पीपल नीम से ,
तेज़ धूप में बाबूजी !!
बरगद पीपल नीम सरीखे, तेज़ धूप में बाबूजी
माँ के बाद नज़र आते हैं ,मातृ रूप में बाबूजी ..!!
रोज़ देखता मुझसे पहले , जागे होते बाबूजी-
दूज़े माले वाली बगिया में अक्सर जाते बाबूजी
मिसफिट Misfit पर Girish Billore
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यहाँ के रहे न वहाँ के !!
तिश्नगी पर आशीष नैथाऩी 'सलिल
--शीर्षकहीन
जीवन का सबसे नायाब तोहफा
पाप पुण्य से परे
मेरी भावनायें...पर रश्मि प्रभा...
--कार्टून :- रे ये खूँटा यहीं गड़ेगा ...
कहाँ गई - कविता
Smart Indian *(अनुराग शर्मा)*
आपने मेरी प्रस्तुती को चर्चा मंच पर दर्शाया इसके लिए धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंआपकि बहुत अच्छी सोच है, और बहुत हि अच्छी जानकारी।
जरुर पधारे HCT- पर नई प्रस्तुती- मेसेज भेजे और फोन भी रिचार्ज करे
बहुत दिनों के बाद चर्चा मंच पर आना हुआ. बहुत अच्छा लगा. यह ब्लॉग लेखकों, पाठकों और जन-साधारण सभी के लिए बहुत ही उपयोगी है. इतने अच्छे प्रयास के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद. चर्चा मंच हिंदी लेखको. और ब्लॉगर के लिए चर्चा और अपने विचार एक दूसरे के साथ साझा करने के लिए एक नवाचारी मंच है. मेरी बधाइयाँ स्वीकार करें.
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर सूत्र ! मेरी प्रस्तुति को सम्मिलित किया आपका बहुत-बहुत धन्यवाद !
जवाब देंहटाएंवाह बहुत खूबसूरत लग रही है आज की चर्चा । राजेंद्र जी की मेहनत को नमन और आभार 'उलूक' का सूत्र 'इतने में ही क्यों पगला रहा है जमूरे हिम्मत कर वो आ रहा है जमूरे' को जगह देने के लिये ।
जवाब देंहटाएंउत्तम चर्चा
जवाब देंहटाएंयुँ तो चर्चामँच की हर कड़ी बेमिसाल होती है पर आज तो गजब हो गया। शुरुआत से लेकर अँत तक एक से बढ़ कर एक रचनाएँ। आनन्द आ गया...आभार!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर लिंक्स मिले ...शामिल करने का आभार ..
जवाब देंहटाएंबढ़िया लिंक्स व हर बार की तरह बेहतरीन प्रस्तुति , आ. राजेंद्र भाई व मंच को धन्यवाद !
जवाब देंहटाएंI.A.S.I.H - ब्लॉग ( हिंदी में समस्त प्रकार की जानकारियाँ )
शास्त्री जी
जवाब देंहटाएंआपका स्नेह बना रहे
साधु साधु
बढ़िया चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंआभार!
बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंbahut sundar charcha .meri post ko sthan dene ke liye aabhar
जवाब देंहटाएंबहुुत सुंदर रचनाओं से सजी चर्चा।
जवाब देंहटाएंलाजवाब लिंक्स...बहुत बहुत बधाई...
जवाब देंहटाएंनयी पोस्ट@आप की जब थी जरुरत आपने धोखा दिया
बड़े लंबे अंतराल के बाद आज मैने अपना ब्लॉग खोला एहसास हुआ की काफी कुछ पीछे छूट गया,मेरी रचना को अपने ब्लॉग मे मंच देने के लिए धन्यवाद और क्षमा कीजिये देर से आने के लिए
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