मित्रों।
आप सबको शारदेय नवरात्रों की शुभकामनाएँ।
शनिवार की चर्चा में मेरी पसन्द के कुछ लिंक देखिए।
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आई माता शेरावाली
शरद ऋतू की सुन्दर वेला
मनभावन मौसम अनुकूला
प्रकृति की ये छटा निखरती
मीठी मीठी हवा बिखरती
खुशियाँ हरपल छाई रहती
उमंग तरंग समायी रहती
नौ दिनों तक पूजन होता
माँ दुर्गे की अर्चन होता
आई माता शेरावाली
बाधा व्यथा मिटानेवाली...
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हिन्दी मे गुण बहुत है, सम्यक देती अर्थ।
भाव प्रवण अति शुद्ध यह, संस्कृति सहित समर्थ।।
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वैयाकरणिक रूप में, जानी गयी है सिद्ध।
जिसका व्यापक कोश है, है सर्वज्ञ प्रसिद्ध।।...
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तेरे बगैर....
उम्रेदराज़ काट रहा हूँ तेरे बगैर
गुलों से खार छांट रहा हूँ तेरे बगैर
हँसने को जी करे है न, रोने को जी करे
मुर्दा शबाब काट रहा हूँ तेरे बगैर...
निकेत मलिक
मेरी धरोहर पर yashoda agrawa
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दिलनवाज़ी के लिए...
ख़ुल्द में क्या-क्या मिलेगा, साथ चल कर देख लें
अस्लियत क्या है ख़ुदा की, आंख मल कर देख लें...
साझा आसमान पर
Suresh Swapnil
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सार संकल्प संसार
...हमारे लिए कामनाओं के बदले संकल्प का दामन थामना ही श्रेयस्कर है जिसकी पूर्णताहेतु पूरा का पूरा निसर्ग हमारा सहयोगी होता है, उसकी दिशा में जब हम एक कदमबढ़ाते हैं तब प्रकृति हमारे लिए हज़ार कदमों के मार्ग को स्वयं प्रशस्त करती दीखतीहै।
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भीगे शब्द -- शिवनाथ कुमार
भीगे गीले शब्द
जिन्हें मैं छोड़ चुका था
हर रिश्ते नाते
जिनसे मैं तोड़ चुका था...
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तेरे इंतज़ार में....मेरा चौका
आज भी मेरा चौका तेरी बांट जोह रहा है
चूल्हे में अब तक सूखी लकड़ियां बचा रखी है
हंडिया आज भी वहीं है
बस बदला है तो केवल खाने का...
चूल्हे में अब तक सूखी लकड़ियां बचा रखी है
हंडिया आज भी वहीं है
बस बदला है तो केवल खाने का...
swatikisoch पर swati jain
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"ग़ज़ल-रूप की बुनियाद"
लोग जब जुट जायेंगे,
तो काफिला हो जायेगा
आम देगा तब मज़ा,
जब पिलपिला हो जायेगा
पास में आकर कभी,
कुछ वार्ता तो कीजिए
बात करने से रफू,
शिकवा-गिला हो जायेगा...
सुंदर शनिवारीय चर्चा । 'उलूक' का आभार सूत्र 'लिखा होता है कुछ और ही और इशारे कुछ और जैसे दे रहा होता है' को जगह देने के लिये आभार।
जवाब देंहटाएंबढ़िया प्रस्तुति, आभार आपका शास्त्री जी !
जवाब देंहटाएंसुन्दर लिंक्स से सुसज्जित बढिया चर्चा
जवाब देंहटाएंसुन्दर सज्जा आज की |मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार सर |
जवाब देंहटाएंआदरणीय सर आपको आभार ,मेरी रचना को स्थान देने के लिए
जवाब देंहटाएंसुंदर सूत्रों से सजी चर्चा।
जवाब देंहटाएंअच्छे -अच्छे लिंक्स पढ़ने को मिले ।
सादर आभार
सर जी।
भोजन-भजन-हास्य का संयोजन सराहनीय !
जवाब देंहटाएं“रूप” की बुनियाद पर तो, प्यार है टिकता नहीं
जवाब देंहटाएंअच्छा-भला इन्सान इससे मुब्तिला हो जायेगा
(मुब्तिला=पीडित)
सशक्त अभिव्यक्ति की ग़ज़ल अर्थ अन्विति में समस्वरता लिए।
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"ग़ज़ल-रूप की बुनियाद"
लोग जब जुट जायेंगे,
तो काफिला हो जायेगा
आम देगा तब मज़ा,
जब पिलपिला हो जायेगा
पास में आकर कभी,
कुछ वार्ता तो कीजिए
बात करने से रफू,
शिकवा-गिला हो जायेगा...
उच्चारण
"हिन्दी महिमा" (डॉ.महेन्द्र प्रताप पाण्डेय 'नन्द')
जवाब देंहटाएंहिन्दी मे गुण बहुत है, सम्यक देती अर्थ।
भाव प्रवण अति शुद्ध यह, संस्कृति सहित समर्थ।।1।।
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वैयाकरणिक रूप में, जानी गयी है सिद्ध।
जिसका व्यापक कोश है, है सर्वज्ञ प्रसिद्ध।।2।।
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निज भाषा के ज्ञान से, भाव भरे मन मोद।
एका लाये राष्ट्र में, दे बहु मन आमोद।।3।।
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बिन हिन्दी के ज्ञान से, लगें लोग अल्पज्ञ।
भाव व्यक्त नहि कर सकें, लगे नही मर्मज्ञ।।4।।
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शाखा हिन्दी की महत्, व्यापक रूचिर महान।
हिन्दी भाषा जन दिखें, सबका सबल सुजान।।5।।
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हिन्दी संस्कृति रक्षिणी, जिसमे बहु विज्ञान।
जन-जन गण मन की बनी, सदियों से है प्राण।।6।।
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हिन्दी के प्रति राखिये, सदा ही मन में मोह।
त्यागे परभाषा सभी, मन से करें विछोह।।7।।
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निज भाषा निज धर्म पर, अर्पित मन का सार।
हर जन भाषा का करे, सम्यक सबल प्रसार।।8।।
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देश प्रेम अनुरक्ति का, हिन्दी सबल आधार।
हिन्दी तन मन में बसे, आओ करें प्रचार।।9।।
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हिन्दी हिन्दी सब जपैं, हिन्दी मय आकाश।
हिन्दी ही नाशक तिमिर, करती दिव्य प्रकाश।।10।।
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हिन्दी ने हमको दिया, स्वतन्त्रता का दान।
हिन्दी साधक बन गये, अद्भुत दिव्य प्रकाश।।11।।
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नही मिटा सकता कोई, हिन्दी का साम्राज्य।
सुखी समृद्धिरत रहें, हिन्दी भाषी राज्य।।12।।
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हिन्दी में ही सब करें, नित प्रति अपने कर्म।
हिन्दी हिन्दुस्थान हित, जानेंगे यह मर्म।।13।।
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ज्ञान भले लें और भी, पर हिन्दी हो मूल।
हिन्दी से ही मिटेगी, दुविधाओं का शूल।।14।।
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हिन्दी में ही लिखी है, सुखद शुभद बहु नीति।
सत्य सिद्ध संकल्प की, होती है परतीति।।15।।
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आकाशवाणी अल्मोड़ा (4.9.10),
रचनाकार, शबनम साहित्य परिषद् (20.10.10)
सार्थक हिंदी वंदना ,सशक्त भाव संसिक्त प्रस्तुति। एक प्रतिक्रिया ब्लॉग पोस्ट :http://mppandeynand.blogspot.in/2014/09/blog-post.html
निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल ,
बिन निज भाषा ज्ञान के, मिटे न हिय को शूल।
विविध कला शिक्षा अमित ,ज्ञान अनेक प्रकार ,
सब देसन से ले करहु ,भासा महि प्रचार।
बहुत बढ़िया चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंआभार
श्रेष्ठ सूत्र । भाई अरुण साथी, सुश्री वंदना गुप्ता, सुश्री शालिनी कौशिक आदि की रचनाएं अच्छी लगीं। पं. रूपचन्द्र शास्त्री जी की मज़ाहिया ग़ज़ल और भाई काजल कुमार के कार्टून मज़ेदार हैं।
जवाब देंहटाएंसभी रचनाकारों को बधाई।
sarthak links .merirachna ko yahan sthan pradan karne hetu aabhar
जवाब देंहटाएंSabhi links bahut sunder ..... Meri rachna
जवाब देंहटाएं"हाँ ! जी की नौकरी ना जी का घर " shamil karne ke liye aaapka hardik aabhaar !!