मित्रों।
रविवार की चर्चा में मेरी पसन्द के लिंक देखिए।
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कुछ तो भरम रहेगा
जिस्म के टाँके उधडने से पहले
आओ उँडेल दूँ थोडा सा मोम
कुछ तो भरम रहेगा..
आओ उँडेल दूँ थोडा सा मोम
कुछ तो भरम रहेगा..
vandana gupta
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स्थिरता तो प्राप्य नहीं अब,
मन अशान्ति को स्वतः सुलभ है ।
धरो हाथ पर हाथ नहीं अब,
शान्ति प्रयत्नों का प्रतिफल है ।।१...
प्रवीण पाण्डेय
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सोचें जरा (तांका)
1.
शरम हया
लड़की का श्रृंगार
लड़को का क्या
लोक मर्यादा नोचे
इसको कौन सोचे ...
लड़की का श्रृंगार
लड़को का क्या
लोक मर्यादा नोचे
इसको कौन सोचे ...
आपका ब्लॉग पर
रमेशकुमार सिंह चौहान
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"राजीव उपाध्याय का गीत"
राही हूँ मैं, चलना मेरा काम
चलते जाना, है मेरा अन्जाम।
राही हूँ मैं, चलना मेरा काम॥
दौड़ लगाना, फिर हाँफ जाना
रुकना नहीं, है मेरा ईनाम।
दरिया और मरु, सब बेगाने
ज़ोर लगाना, मेरा इन्तज़ाम।
राही हूँ मैं, चलना मेरा काम॥
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झूठे शब्दों की विवशता ....
तुम्हारे शब्दों में
जब प्रतिध्वनित होता है झूठ
तुम्हारे ही शब्दों की ओट में !
सच्चे दिखते शब्दों के झूठ को पढ़कर
सोचने लगती हूँ मैं
तुम्हारे झूठे शब्दों की विवशता ...
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‘‘आशा के दीप जलाओ’’
जलने को परवाने आतुर,
आशा के दीप जलाओ तो।
कब से बैठे प्यासे चातुर,
कब से बैठे प्यासे चातुर,
गगरी से जल छलकाओ तो।।
मधुवन में महक समाई है,
मधुवन में महक समाई है,
कलियों में यौवन सा छाया,
मस्ती में दीवाना होकर,
मस्ती में दीवाना होकर,
भँवरा उपवन में मँडराया,
वह झूम रहा होकर व्याकुल,
वह झूम रहा होकर व्याकुल,
तुम पंखुरिया फैलाओ तो।
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करेगा कोई करे कुछ भी
बता देगा वो उसी को
एक साँस में और
एक ही बार में
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नेशनल दुनिया में मेरी बालकविता-
गुब्बारे
नई दिल्ली से प्रकाशित होने वाले
दैनिक समाचार पत्र "नेशनल दुनिया"
में मेरी बाल कविता
दैनिक समाचार पत्र "नेशनल दुनिया"
में मेरी बाल कविता
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सुनो, सारे
बच्चे
सारे माने, ऑल,
कम हियर,
यहाँ आओ,
यह बताओ, वाई,
आल ऑफ यू
आर टाकिंग इन इंग्लिश,
डोंट यू नो,
दिस ईज हिंदी पखवाड़ा,
आई मीन हिंदी
फोर्टनाईट.
ड्यूरिग दिस फोर्टनाईट,
आल आर टू स्पीक इन
हिंदी.
ओ के...अंडर्स्टेंड,
इफ यू चिल्ड्रेन डोंट
स्पीक इन हिंदी,
हाउ यू थिंक हिंदी विल
ग्रो,
टु बिकम अवर नेशनल
लेंग्वेज.
स्टार्ट स्पीकिंग
हिंदी,
राईट नाऊ,
फ्रम दिस इन्स्टेंट.
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एम. आर अयंगर
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मित्रता का फल (काव्य-कथा)
बच्चों का कोना पर Kailash Sharma
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"मैं तुमको समझाऊँ कैसे"
पागल हो तुम मेरी प्रेयसी,
मैं तुमको समझाऊँ कैसे?
सुलग-सुलगकर मैं जलता हूँ,
यह तुमको बतलाऊँ कैसे?...
सुन्दर लिंक्स, सार्थक चर्चा, उत्कृष्ट प्रस्तुति ! मेरी पिक्चर पोस्ट को आज की चर्चा में सम्मिलित किया आपका बहुत-बहुत धन्यवाद एवं आभार शास्त्री जी !
जवाब देंहटाएंसुंदर रविवारीय चर्चा सुंदर सूत्र संयोजन। उलूक के सूत्र 'करेगा कोई करे कुछ भी बता देगा वो उसी को एक साँस में और एक ही बार में' और 'छोटी चोरी करने के फायदों का पता आज जरूर हो रहा है' को जगह देने के लिये आभार ।
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंआभार!
बहुत विस्तृत और रोचक चर्चा...आभार
जवाब देंहटाएंसुन्दर लिंक्स।।। मेरी रचना को शामिल करने के लिए आभार
जवाब देंहटाएंSunder linkss....
जवाब देंहटाएंबेहतरीन लिंक्स संयोजन एवं प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंअत्बयंत सुन्दर समायोजन और बहुत ही बेहतरीन समाग्री। आपको बहुत बहुत सादर धन्यवाद कि आपने चर्चा मंच पर स्थान दिया।
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