फ़ॉलोअर



यह ब्लॉग खोजें

शुक्रवार, सितंबर 26, 2014

"नवरात महिमा" (चर्चा मंच 1748)

नमस्कार मित्रों, आज के चर्चा अंक में आपका हार्दिक स्वागत है। 
नवरात्र आरम्भ हो चुका है। नवरात्र हिन्दू धर्म ग्रंथ पुराणों के अनुसार माता भगवती की आराधना का श्रेष्ठ समय होता है। भारत में नवरात्र का पर्व, एक ऐसा पर्व है जो हमारी संस्कृति में महिलाओं के गरिमामय स्थान को दर्शाता है। वर्ष में चार नवरात्र चैत्र, आषाढ़, आश्विन और माघ महीने की शुक्ल प्रतिपदा से नवमी तक नौ दिन के होते हैं, परंतु प्रसिद्धि में चैत्र और आश्विन के नवरात्र ही मुख्य माने जाते हैं। इनमें भी देवीभक्त आश्विन के नवरात्र अधिक करते हैं। इनको यथाक्रम वासन्ती और शारदीय नवरात्र भी कहते हैं। इनका आरम्भ चैत्र और आश्विन शुक्ल प्रतिपदा से होता है। अतः यह प्रतिपदा ’सम्मुखी’ शुभ होती है। शारदीय नवरात्र आश्विन शुक्ल पक्ष की प्रतिप्रदा से शुरू होता है। आश्विन मास में आने वाले नवरात्र का अधिक महत्त्व माना गया है। इसी नवरात्र में जगह-जगह गरबों की धूम रहती है। आज के भागमभाग के युग में अधिकाँश लोग अपने कुल देवी-देवताओं को भूलते जा रहे हैं। कुछ लोग समयाभाव के कारण भी पूजा-पाठ में कम ध्यान दे पाते हैं। जबकि इस ओर ध्यान देकर आने वाली अनजान मुसीबतों से बचा जा सकता है। ये कोई अन्धविश्वास नहीं बल्कि शाश्वत सत्य है।
*******************************************
रेखा जोशी 
जग की महाशक्ति हो तुम माँ अम्बे 
वरदान शक्ति का दो तुम माँ अम्बे 
नाम तेरा ले ध्याय हम सब यहाँ 
मेरी परम भक्ति हो तुम माँ अम्बे
*******************************************
वन्दना गुप्ता 
प्रथम दिवस प्रथम रूप का दर्शन 
कर बने सम्पूर्ण जगत खुशहाल 

शक्ति औ दृढता करो माँ प्रदान 
जो दे जीवन को स्थिरता का आधार
*******************************************
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
दर्दे-दिल अपना छुपाना चाहिए
महफिलों में मुस्कराना चाहिए

ज़िन्दग़ी तो एक प्यारा गीत है
ज़िन्दग़ी को गुनगुनाना चाहिए

फूल के ही साथ रहते शूल हैं
ख़ार से दामन बचाना चाहिए
साधना वैद 
दिल्ली के चिड़ियाघर में दो दिन पूर्व सफ़ेद शेर ने एक युवक को मार दिया ! आजकल मीडिया में और कई घरों में भी सारी कवायद इस बात पर हो रही है कि इस अत्यंत लोमहर्षक दुर्घटना के लिये किसे ज़िम्मेदार माना जाए,
प्रवीण चोपडा 
कल मेरे पास एक ४५-५० वर्ष की उम्र का आदमी आया...उसने कहा कि उसने कोई दवा खाई थी दो तीन दिन पहले जिस से उस के सारे शरीर में खुजली होने लगी और मुंह में बहुत बड़ा घाव हो गया।
*******************************************
पूर्वा भारद्वाज 
प्रीति न अरुण साँझ के घन सखि !
पल-भर चमक बिखर जाते जो 
मना कनक-गोधूलि-लगन सखि !
प्रीति न अरुण साँझ के घन सखि !
*******************************************
अनीता जी 
परमात्मा को पाकर हमें आनंद मिलता है, यह नया आनन्द है पर इस पर रुकना नहीं है. हमें आगे जाना है जहाँ आनन्द का सागर है. परमात्मा हीरा है, उसे केवल आनन्द का स्रोत समझा तो हम वहीं रुक जायेंगे. इस आनन्द को अपना आधार बनाकर आगे बढना है. इसे असीम तक ले जाना है. वही तो हमारा स्वभाव है. जैसे ही हमारी दुःख की पकड़ छूटी, भीतर सुख का झरना बहने लगता है.
*******************************************
दिगम्बर नासवा 
समय की ताकत को पहचानने वाले पल, बस कुछ ही आते हैं जीवन में ... आज की तारीख के बारे में सोचता हूँ तो कुछ ऐसा ही महसूस होता है ... बीतते बीतते आज माँ से बिछड़े दो साल हो ही गए ... हालांकि उस दीवार पर आज भी उनकी फोटो नहीं लगा पाया ... स्वर्गीय, श्रधांजलि जैसे शब्द  ……… 
मुझे पाता है
तु कहीं नहीं जाओगी

हालांकि जो कुछ भी तुम्हारे बस में था
उससे कहीं ज्यादा कर चुकी हो हम सब के लिए
*******************************************
फ़िरदौस ख़ान
लड़की छत पर टहल रही थी. मौसम ख़ुशगवार था. आसमान में काली घटायें छाई हुई थीं. ठंडी हवा चल रही थी. लगता था, कहीं दूर बारिश हो रही है. लड़की बेचैन थी. वह क्यों बेचैन थी, इसका जवाब वह ख़ुद भी नहीं जानती थी. बस वो भीगना चाहती थी. वह चाहती थी कि सारी घटा यहीं बरस जाए और उसका रोम-रोम बारिश में भीग जाए. बूंदों की ठंडक उसके जिस्म में समा जाए, उसकी रूह में उतर जाए. लेकिन किसी के चाहने से घटायें कहां बरसने वाली थीं. उन्हें जब और जहां बरसना होता है, वहीं बरसा करती हैं.
*******************************************
यशोदा अग्रवाल 
विचित्र है..
और सत्य भी तो है, 
कि हजारों वर्ष के 
इतिहास नें कभी भी, 
किसी ने भी 
नारी की आर्थिक स्थिति की 
ओर ध्यान ही नहीं दिया
*******************************************
कुलदीप ठाकुर 
हे ईश्वर,
तुम्हारे मंदिर में,
आते हैं वो,
जिन के पास
होता है सब कुछ,
और पाने की इच्छा लिये
तुम्हे प्रसन्न करने के लिये,
*******************************************
मनजीत ठाकुर 
बड़ी अच्छी ख़बर मिली, भारत का मंगलयान मंगल की कक्षा तक पहुंच गया। प्रधानमंत्री ने कहा, मंगल को मॉम मिल गई। देश के प्रधानमंत्री खुश थे, साइंसदान खुश थे। हमारे चैनल के एंकर ने कहा, बीमींग स्माइल। अर्थात् चौड़ी चकली मुस्कान। सही है।
उपासना जी 
गीत जो तुम ,
मेरे लिए
गुनगुनाते हो
हवाएं मुझ तक
पहुंचा देती है ......
*******************************************
रंजना भाटिया 
यह सर्द रातो में
सिमटी हुई सी कोई नाज़ुकी
दिल में जैसे कोई पिघल के शमा जले
कोई शोला सा भड़के जैसे बदन में
आज फिर से
कोई इश्क़ का जाम नज़रो में ढले
*******************************************
श्याम कोरी 'उदय'
खुदा' जाने, किस राह पर, किस मोड़ पर हैं 
मंजिलों से अब कोई वास्ता नहीं है हमारा ? 
… 
कभी कभी ही सही, मिल लिया करो यारो 
कुछ ख्याल अच्छे-बुरे तो होते हैं सभी के ?
*******************************************
कविता रावत 
हमारे भारतीय चिन्तन में शरीर को धर्म का पहला साधन माना गया है। महाकवि कालिदास की सूक्ति "शरीरमाद्यं खलु धर्मसाधनम्" और इस हेतु सदैव स्वस्थ रहने को कर्तव्य निरूपित किया है। "धर्मार्थ काममोक्षाणाम् आरोग्यम् मूल मुत्तमम्।" इसीलिए अच्छा स्वास्थ्य महा-वरदान है। इसकी रक्षा करना प्रत्येक मनुष्य का दायित्व है। शरीर का स्वस्थ रहना परम आवश्यक है। यदि शरीर स्वस्थ नहीं हो, तो मन स्वस्थ नहीं रह सकता, मन स्वस्थ नहीं तो विचार स्वस्थ नहीं होते। उर्दू में एक सूक्ति है- 'तन्दुरूस्ती हजार न्यामत' अर्थात स्वास्थ्य हजार अन्य अच्छे भोगों से बढ़कर है। अंग्रेजी में भी कहावत है- 'Health is Wealth' अर्थात् स्वास्थ्य ही धन है।
*******************************************

अरुणा जी 

24 सितम्बर २०१४ भारत के लिए सुनहरा दिन बन गया एक अनोखा इतिहास लिख डाला हमारे वैज्ञानिकों ने -----
सभी वैज्ञानिक बने बधाई के पात्र उन्ही के प्रयासों से भारत के इतिहास में आज का दिन 
'स्वर्णाक्षरों' में लिखा गया , एक अनोखा इतिहास लिखा गया सभी वैज्ञानिकों को इस अभियान से जुड़े हर व्यक्ति को दिल से बधाई उन्होंने विश्व में भारत का नाम उंचा किया 
*******************************************

14 टिप्‍पणियां:

  1. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

    जवाब देंहटाएं
  2. शुभ प्रभात भाई राजेन्द्र जी
    समयानुकूल और सटीक लिंक्स
    मुझे भी शामिल किया आपने इस चर्चा में
    आभार

    सादर

    जवाब देंहटाएं
  3. आप सब को नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनायें

    सर्वप्रथम आपने अपनी चर्चा में सभी प्रकार के नवरात्रि की विस्तारित जानकारी दी। सभी रचनाएंएक से बढ़कर एक थी।

    सादर।

    जवाब देंहटाएं
  4. सुन्दर और सामयिक लिंक्स |उम्दा आज का अंक |

    जवाब देंहटाएं
  5. सुंदर सूत्रों के संयोजन के साथ सजी सुंदर चर्चा राजेंद्र जी ।

    जवाब देंहटाएं
  6. नवरात्र की सभी को शुभकामनायें..बहुत बहुत बधाई राजेन्द्र जी आज की चर्चा के लिए, आभार !

    जवाब देंहटाएं
  7. बहुत सुन्दर चर्चा प्रस्तुति में मेरी ब्लॉग पोस्ट शामिल करने हेतु आभार!

    जवाब देंहटाएं
  8. आज की चर्चा भी दिलचस्प रही...
    सभी लिंक शानदार हैं... हमारे बलॊग को शामिल करने के लिए शुक्रिया...
    नवरात्र की हार्दिक मंगलकामनाएं...

    जवाब देंहटाएं
  9. बेहतरीन लिंक्स का संकलन ! आज के मंच पर मेरी प्रस्तुति को भी सम्मिलित किया आभार आपका राजेन्द्र जी ! सभी मित्रों व पाठकों को नवरात्रि के पावन पर्व की हार्दिक शुभकामनायें !

    जवाब देंहटाएं
  10. बहुत ही सुन्दर सूत्र नवरात्री की शुभकामनायें

    जवाब देंहटाएं
  11. बहुत सुन्दर चर्चा प्रस्तुति।
    आपका आभार आदरणीय राजेन्द्र कुमार जी।
    --
    चर्चा मंच के सभी पाठकों को
    शारदेय नवरात्रों की
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

    जवाब देंहटाएं
  12. शान्त और गम्भीर विषयों का बेजोड़ समागम !

    जवाब देंहटाएं
  13. सुन्दर सूरत, विभिन्न विषयों को समेट कर संजोये सूत्र ...
    आभार मेरी रचना को शामिल करने का ...

    जवाब देंहटाएं

"चर्चामंच - हिंदी चिट्ठों का सूत्रधार" पर

केवल संयत और शालीन टिप्पणी ही प्रकाशित की जा सकेंगी! यदि आपकी टिप्पणी प्रकाशित न हो तो निराश न हों। कुछ टिप्पणियाँ स्पैम भी हो जाती है, जिन्हें यथा सम्भव प्रकाशित कर दिया जाता है।