आज के इस शुक्रवारीय चर्चा मंच पर मैं राजेन्द्र कुमार आप सभी का हार्दिक अभिनन्दन करता हूँ।
अक्सर लोग छोटी-छोटी बातों को नज़र अंदाज कर जाते है. यह समझ कर की इससे उनका कोई नुकसान नहीं, लेकिन शायद उनको ये नहीं पता कि एक छोटा छेद बड़े से बड़े जहाज को डूबो देता है। बारिश की नन्ही बूंदें ही विशालकाय समुद्र की रचना करती हैं। उसी तरह रेत के छोटे - छोटे कणोंसे मिलकर इस खूबसूरत धरती का निर्माण होता है। साफ है ,छोटी - छोटी चीजों से ही बड़ी चीजें बनती हैं। जिंदगी भी छोटी - छोटी बातों से बेहतर और जीने लायकबनती है। और कई बार दुख और तकलीफ की वजह भी यही छोटी - छोटी चीजें होती हैं। इसके लिए कोई भी जिम्मेदार हो सकता है। परिवार का कोई सदस्य या आपका कोई दोस्त।कोई समूह या सरकार। अगर ये सभी कुछ छोटी - छोटी बातों का ध्यान रखें तो लोगों की जिंदगी खुशहाल हो सकती है।
अब चलते हैं आज की चर्चा की तरफ ……
जयश्री वर्मा
अपना बनाने की कला,जो तुमने है सीखी,
एम.बी.ए. की डिग्री भी,फेल मैंने है देखी,
आँखों के फंदे में ऐसा,तुमने मुझे फंसाया,
हाय ! ख़ुदा भी मेरा,न मुझे सम्हाल पाया,
सारे अस्त्र-शस्त्र प्रेम के,मारे हैं तुमने ऐसे,
ताउम्र का बांड निभाने को जानम मैं हूँ न !
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वाणी गीत
तथाकथित बुद्धिजीवियों के लिए इन दिनों अपना ज्ञान बघारने और कोसने हेतु भारतीय सभ्यता और संस्कृति एक रोचक , सुलभ और असीमित संभावनाओं वाला विषय बना हुआ है। आये दिन तीज त्योहारों पर फतवे प्रायोजित किये जाते हैं जैसे कि - परम्पराएँ मानसिक गुलामी का प्रतीक हैं , तीज-चौथ-छठ के बहाने स्त्रियों का शोषण किया जाता है। समाज के दुर्बल अथवा पिछड़े माने जाने वाले वर्गों पर अत्याचार है आदि- आदि !
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प्रीति स्नेह
आज जब फिर जिंदगी मुझसे मिलने आई
मैं भी उठ कर आगे बढ़ गई, बाहें फैलाई
उसने नर्म, मजबूत हाथों से थामा मुझे
कहा- चल उठ, पोंछ अश्रु, अब आगे चलें
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पूर्णिमा दूबे
रामचंद्र मौर्य मूलत: किसान हैं। उन्होंने डीएवी कालेज से वर्ष 1986 में पीएमसी गु्रप में बीएससी की डिग्री ली। उसके बाद खेती बाड़ी कर परिवार का जीवन यापन करते हैं। उन्होंने बताया कि वायुमंडल में तमाम तरह की ऊर्जा हैं जिनका सदुपयोग किया जा सकता है। वह पिछले 12-13 साल से वातावरण की ऊर्जा से नए-नए प्रयोग कर रहे हैं।
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विजयलक्ष्मी
" इक गुनाह तो मेरा था ,,
उससे बड़ा कोई गुनाह क्या
सिर्फ यही "एक लडकी थी "
मेरे मन में उगे कुछ सपने थे
लगता था सब यहाँ मेरे अपने थे
मुझको अकेली डगर पर देखकर ललचाता हर मुसाफिर
कभी तन्जकशी कभी राह डसी
कभी दूरतक मापना डगर ,,
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प्रतिभा सक्सेना
विवाह जैसे पारिवारिक समारोहों में सम्मिलित होने का अवसर ,वसु को पहली बार मिल रहा था.आगत संबंधियों की समवयस्का लड़कियों में घुलने -मिलने का रोमांच उसके ...
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1.
कोमल मन
खुद रह के प्यासा
प्याऊ चलाए।
2.
पेट की भूख
समझे नादान भी
करुणा बाँटे।
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श्याम कोरी 'उदय'
दिल भी तुम्हारा है औ हम भी तुम्हारे हैं
जी चाहे जितना चाहे तोड लो मरोड़ लो ?
…
या तो, अभी-अभी
या फिर, … वर्ना, … कोई बात नहीं !!!
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विवेक रस्तोगी
शनिवार को ह्रदय के लिये हेल्थी हार्ट पैकेज के लिये हमने 2 सप्ताह पहले से ही अस्पताल से बुकिंग करवा रखी थी, 12-14 घंटे खाली पेट आने के लिये कहा गया था और जिस दिन न खाना हो उसी दिन खूब खाने पीने की इच्छा होती है। इस पैकेज में लिपिड प्रोफाइल, ईसीजी, टीएमटी एवं डॉक्टर का परामर्श शामिल था। यह पैकेज गुङगाँव शहर के तथाकथित अच्छे अस्पतालों में शुमार पारस अस्पताल मे था, इसके पहले यही चैकअप 1 वर्ष पहले बैंगलोर में वहाँ के जानेमाने क्लीनिक वीटालाईफ में करवाया था,
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ज्योति खरे
गांव के
इकलौते तालाब के किनारे बैठकर
जब तुम मेरा नाम लेकर
फेंकते थे कंकड़
पानी की हिलोरों के संग
डूब जाया करती थी मैं
बहुत गहरे तक
तुम्हारे साथ ----
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सुशील कुमार जोशी
सैलाब में बहुत
कुछ बह गया
उसके आने की
खबर हुई भी नहीं
सुना है उसके
अखबार में ही
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दिलवाग वर्क
किसी भी भाषा के साहित्य से जुड़ा हुआ प्रथम प्रश्न होता है कि पहला कवि कौन-सा था और भाषा विशेष में साहित्य सृजन कब से हुआ | हिंदी भी इस प्रश्न से अछूती नहीं |
(डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
गद्य अगर कविता होगी तो,
कविता का क्या नाम धरोगे?
सूर-कबीर और तुलसी को,
किस श्रेणी में आप धरोगे?
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धीरेन्द्र अस्थाना
तुमने लिखा
पानी,
कहीं जलजला था,
पर
आदमी की आँखों का
पानी मर चुका था।
कैलाश शर्मा
अठारहवाँ अध्याय
(मोक्षसन्यास-योग-१८.७०-७८) (अंतिम कड़ी)
धर्ममयी इस चर्चा का
जो भी स्वाध्याय करेगा.
ज्ञानयज्ञ के द्वारा मेरी ही
निश्चय वह अर्चना करेगा. (१८.७०)
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फ़िरदौस ख़ान
गुज़श्ता दिनों हमने अपनी पढ़ी हुई अंग्रेज़ी की दस किताबों की पहली फ़ेहरिस्त लिखी थी... आज दूसरी फ़ेहरिस्त की बारी है... आज हम सिर्फ़ एक ही किताब का ज़िक्र करेंगे... वह किताब हमारे दिल के बेहद क़रीब है... और उस पाक किताब का नाम है पवित्र बाइबल...
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कमला सिंह
तुझे और लिखने की जुस्तजू
तुझे और पढ़ने की आरजू़
तू तमाम लहजे में ज़ब्त है
तेरी आशिकी़ का कमाल है
तुझे देखने की हैं हसरतें
तू क़रीब तर ही बसा करे
यही दिल परिशाँ दुआ करे
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अर्पणा खरे
थाम कर हाथों मे हाथ..जिन्हे आँखो ने क़ैद किया
ये डायरी नही ..खजाना हैं बीते पलों का..जो गुज़रे थे साथ साथ...
लफ़जो ने ज़ुबान दी...चल कर बेधड़क आ गये हमारे पास....
सच यादें ना होती तो ....ये जीवन भी ना होता
अगर होता भी तो कितना सूना सा...जैसे सुर बिना संगीत............
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शिखा कौशिक 'नूतन '
''.आइये थानेदार साब गिरफ्तार कर लीजिये इस हरामी आदमी को ...ये ही बहला-फुसलाकर लाया है मेरी औरत को और वो भी हरामज़ादी सारे ज़ेवर ,पैसा मेरे पीछे घर से चोरी कर इसके गैल हो ली ....पूछो इससे कहाँ है वो ?'' शहर की मज़दूरों की बस्ती में गुस्से से आगबबूला होते सोमनाथ ने ये कहते हुए ज्यूँ ही उसके घर से थोड़ी दूर ही रहने वाले बब्बी की गर्दन पकड़ने के लिए हाथ बढ़ाया तो थानेदार साब रौबीले अंदाज़ में बोले -'' तू ही सब कुछ कर लेगा तो हमें क्यों बुलाया यहाँ ! चल पीछे हट और एक तरफ चुपचाप खड़ा रह ... वरना एक झापड़ तेरी कनपटी पर भी लगेगा .'' थानेदार साब के घुड़की देते ही सोमनाथ गुस्से की पूंछ दबाकर चुपचाप थोड़ा पीछे हट लिया
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कविता रावत
हम सबके प्यारे गूगल बाबा
सारे जग से न्यारे गूगल बाबा
सबको राह दिखाते गूगल बाबा
दुनिया एक सिखाते गूगल बाबा
सबकी खबर लेते गूगल बाबा
सबको खबर देते गूगल बाबा
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योगेश्वर श्री कृष्ण जहां हैं
जवाब देंहटाएंऔर जहां धनुर्धर अर्जुन.
वहाँ विजय, श्री, वैभव है
ऐसा मेरा मत है राजन. (१८.७८)
सहज भावपूर्ण सटीक विवरण जो पात्रों को जस का तस खड़ा कर देता है भगवान की गीता के अनुरूप।
पूरा जहां लिए फिरते हैं ,मेरे प्यारे गूगल बाबा
जवाब देंहटाएंGOOGLE BABA गूगल बाबा
कविता रावत
हम सबके प्यारे गूगल बाबा
सारे जग से न्यारे गूगल बाबा
सबको राह दिखाते गूगल बाबा
दुनिया एक सिखाते गूगल बाबा
सबकी खबर लेते गूगल बाबा
सबको खबर देते गूगल बाबा
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हर प्रश्न का हल है गूगल बाबा
खट्टा-मीठा फल है गूगल बाबा
पूरा जहां लिए फिरते हैं ,मेरे प्यारे गूगल बाबा
लाज़वाब प्रस्तुति।
सुप्रभात
जवाब देंहटाएंउम्दा लिंक्स आज की
दींआपने उपहार में |
लोग डूबे रहें
गूगल बाबा के प्यार में |
गूगल बाबा का धन्यवाद।
जवाब देंहटाएं--
उपयोगी लिंकों के साथ शानदार चर्चा।
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आपके श्रम को नमन।
आभार भाई राजेन्द्र कुमार जी।
बहुत सुंदर प्रस्तुति आज की गुरुवारीय चर्चा राजेंद्र जी और 'उलूक' का आभार 'सुबह की सोच कुछ हरी होती है शाम लौटने के बाद पर लाल ही लिखा जाता है' को चर्चा में शामिल करने के लिये ।
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंआभार
बहुत आभार आपका!
जवाब देंहटाएंराजेन्द्र जी ,
जवाब देंहटाएंमेरी पोस्ट के उल्लेख में मेरा सरनेम ग़लत है ,कृपया 'प्रतिभा शर्मा' के स्थान पर 'प्रतिभा सक्सेना' कर दें .
सुन्दर प्रस्तुति-
जवाब देंहटाएंआभार भाई जी-
आपका नाम ठीक करदिया है प्रतिभा सक्सेना जी।
जवाब देंहटाएं--
क्षमा के साथ त्रुटि की ओर ध्यान दिलाने के लिए शुक्रिया।
इंग्लिश में हाथ तंग है लेकिन आये दिन बच्चों के स्कूल से प्रोजेक्ट वर्क मिलता है तो बड़ी भरी मशक्कत करनी पड़ती हैं हैरान परेशान देख बच्चे चुटकी लेते हैं कि अपने गूगल बाबा से पूछ लो वह तो सब जानता है ...... सच भी है गूगल बाबा होमवर्क के साथ साथ बच्चों का प्रोजेक्ट वर्क पूरा कराने में अपना योगदान देते हैं तो बच्चे भी खुश और अच्छे नंबर आने पर हम भी खुश ....इसी ख़ुशी में गूगल बाबा की जय जयकार का मन हुआ और कर दी जय गूगल बाबा की!
जवाब देंहटाएं..सुन्दर चर्चा प्रस्तुति में "गूगल बाबा" को स्थान देने हेतु बहुत आभार!
sach kaha aapne chhoti-chhoti baaton ko andekha karte hain ham kari baar, aur yahi til ek din taad ban jate hain.
जवाब देंहटाएंachhe links ke sankalan mein meri panktiyon ko sthan dene ke liye abhaar.
shubhkamnayen
सुन्दर लिंक्स..रोचक चर्चा..आभार
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुति व लिंक्स , राजेन्द्र सर , आ. शास्त्री जी व मंच को धन्यवाद !
जवाब देंहटाएंInformation and solutions in Hindi ( हिंदी में समस्त प्रकार की जानकारियाँ )
डॉ रमा द्विवेदी ......
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर एवं बहुत उपयोगी लिंक्स प्रस्तुत करने के लिए बहुत -बहुत हार्दिक आभार आदरणीय राजेंद्र कुमार जी। मुझे भी इस शानदार चर्चा में स्थान देने के लिए सादर धन्यवाद
अच्छा संयोजन है !
जवाब देंहटाएंआज की चर्चा में एक से बढ़कर एक मणके थे लेकिन जो सबसे बेहतरीन पोस्ट लगी या यूँ कहें की वास्तव में चर्चा मंच के लायक थी वो है की
जवाब देंहटाएं" इक गुनाह तो मेरा था ,,"
एक लड़की ऐसा सोचती है की लड़की होना ही सबसे बड़ा गुनाह है तो हम इंसान भी कहलायें और शर्म से भी ना मरें ऐसा हो ही नहीं सकता। लिखावट में सादगी और गंभीर बात कह देना कोई विजयलक्ष्मी जी से सीख सकता है.
बहुत सुन्दर...
जवाब देंहटाएंatisundar ...
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