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बुधवार, सितंबर 24, 2014

रामधारी सिंह ‘दिनकर’ की 106वीं जयंती पर; चर्चा मंच 3746

मनोज कुमार


Vivek Rastogi 





प्रतिभा सक्सेना 


yashoda agrawal 


 
Shalini Kaushik

सुशील कुमार जोशी 


 


सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी 

  

Akhileshwar Pandey 


चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’ 


अरुण चन्द्र रॉय 


रूपचन्द्र शास्त्री मयंक


*भाव अपनी ग़ज़ल में कैसे भरूँ* 
*शब्द में अपने गरल कैसे करूँ* 

*फँस गया अपने बुने ही जाल में* 
*रास्ता अपना सरल कैसे करूँ* 

IRFAN 


 


पी.सी.गोदियाल "परचेत" 


11 टिप्‍पणियां:

  1. रविकर जी ,विविध विषयों पर चुनी हुई रचनाएं पढ़ने को मिलीं ,आपका आभार -लालित्यम् से लेने के लिए भी !

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  2. पठनीय लिंकों के साथ सुन्दर चर्चा।
    आपका आभार आदरणीय रविकर जी।

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत ही अच्छे लिंक मिले, आभार हमारी पोस्ट को सम्मिलित करने के लिये

    जवाब देंहटाएं
  4. सुंदर बुधवारीय चर्चा रविकर जी । 'उलूक' का आभार सूत्र 'सब कुछ नीचे का ही क्यों कहा जाये जब कभी ऊपर का भी होना होता है' को स्थान देने के लिये ।

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत बढ़िया चर्चा प्रस्तुति ....आभार!

    जवाब देंहटाएं
  6. शुभ प्रभात रविकर भाई

    अच्छी रचनाएं पढ़वाई आपने

    आभार

    सादर

    जवाब देंहटाएं
  7. सुन्दर संकलन, आभार हमारी पोस्ट को सम्मिलित करने के लिये.

    जवाब देंहटाएं

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