आज दोपहर के बाद से हमारे यहाँ
बी.एस.एन.एल.की सेवा बाधित रही।
लेकिन अभी 8 बजे से
फिर से कनेक्टिविटी आ गयी।
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देखिए शनिवार की चर्चा में मेरी पसंद के कुछ लिंक
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"13 सितम्बर-मेरे ज्येष्ठ पुत्र का जन्मदिन"
आज मेरे पुत्र का है जन्मदिन।
खूब फूलो और फलो बेटा नितिन।।
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आज ही
पाँच साल पहले शुरु किया था
यहाँ आ कर कबूतर उड़ाना
उलूक टाइम्स पर सुशील कुमार जोशी
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उलूक टाइम्स पर सुशील कुमार जोशी
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सिर्फ पीसा की मीनार ही झुकी हुई नहीं है
कुछ अलग सा पर गगन शर्मा
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व्यंग्य
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मौत मग़रिब तलक...
वक़्त रहते संभल जाए गर ज़िंदगी
क्यूं बने हादसों का सफ़र ज़िंदगी...
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चलो आज मैं तुम्हें
माँ की कहानी सुनाती हूँ :)
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मैं अकेला
Sudhinama पर sadhana vaid
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साभार लिया गया
आप भी पढ़िए !
प्रसिद्ध लेखिका
श्रीमती सदफ नाज़ जी का लिखा हुआ
PITAMBER DUTT SHARMA
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सपनों में जी कर क्या होगा
नन्हीं बूँदें वर्षा की
कुछ कानों में गुनगुना गईं
वही बातें सोच सोच
तन मन भीगा वर्षा में |
घनघोर घटाएं छाईं
मौसम ने ली अंगडाई
घोर गर्जना आसमाँ में
हड़कम्प मचाने आई...
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किस कदर गिर गया इनसान देखिए
किस कदर गिर गया है अब इनसान देखिए।
रिश्तों की कद्र नहीं, पैसे की पहचान देखिए...
कविता मंच पर Rajesh Tripathi
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बड़भागी होकर आया हूँ।
धुली धूप और खिली जुन्हाई गाँव से लेकर आया हूँ,
अम्बर भर आशीष लिए मैं माँ से मिलकर आया हूँ।
कच्ची मिट्टी कच्चे पानी से ही फसलें पकती हैं,
बाबा की यह बात पुरानी गाँठ बाँध कर लाया हूँ...
PAWAN VIJAY
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सुनाओगे न हीरामन ?
बोलो --
Divya Shukla
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वैदिक शब्दावली (१)
आपका ब्लॉग पर
Virendra Kumar Sharma
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आपका ब्लॉग पर
Virendra Kumar Sharma
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अब भगतसिंह की बारी है?
आज का भारत, निश्चय ही न तो गाँधी के सपनों का भारत है न ही शहीद-ए-आजम भगतसिंह के सपनों का। उन्हीं भगतसिंह के साथ हो रहे व्यवहार से मैं आज दो सवालों के बीच फँस गया। तय नहीं कर पा रहा कि कौन सा सवाल सही है...
एकोऽहम् पर विष्णु बैरागी
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नशेमन से धुआँ उठता है
तुम कहते हो बादल है
Randhir Singh Suman
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वर्ष दो वर्ष की ही तो बात है
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Hindi Blogger Award
by ABP News
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दिव्य -दृष्टि में घोर अंधरे ....
उन्नयन पर udaya veer singh
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"नदी प्यासी थी" - अब न रहेगी...
मेरे मन की पर Archana
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मां की आँखें नम हो गई.....
थानू निषाद "अकेला"
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दिल बगावत पे उतर आया हुश्न दिख जानें के बाद
फ़तवा जेहाद का जारी हुआ इश्क टकराने के बाद
फ़तवा जेहाद का जारी हुआ इश्क टकराने के बाद
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कुछ यूँ जला मैं मोम सा राख़ बन कुछ यूँ उड़ा
आशिकी की आग़ में हर ख्वाब जल जाने बाद ...
आशिकी की आग़ में हर ख्वाब जल जाने बाद ...
बेनक़ाब पर मधु "मुस्कान"
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आशीष खण्डेलवाल
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दिल की बातें !
रिस्ते तो टूट गए थे अरसों पहले
रीतिरिवाज़ का बोझ ढोए जा रहा हूँ |
वे ज़ख्म देते हैं ,मैं मुस्कुराता हूँ
वे खुश होते हैं ,मैं रिश्ता निभा रहा हूँ |
मुसीबत में लोग गधे को बाप कहते है
इसी उम्मीद से गधे की जिंदगी जी रहा हूँ...
कालीपद "प्रसाद
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मन पे ‘लालचों’ की ऐसी लग गयी है ‘जंग' |
किसी के ‘प्यार’ का न इस पे चढ़ रहा है ‘रंग’ ||
सुधारकों के यत्न क्यों हैं हो रहे विफल ?
क्योंकि उनकी ज़िंदगी के दोहरे हैं ‘ढंग’ ||
तड़फ़ कर के हो गयी है ‘चेतना’ अचेत-
इसको डस गया है कोई ‘स्वार्थ का भुजंग’
ग़ज़ल कुञ्ज पर देवदत्त प्रसून
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दूरदर्शिता जिसमें हो वह काल-प्रणेता हमें चाहिये !
जन-जन का अनुरागी हो जो ऐसा नेता हमें चाहिये !!
गाँव-गाँव में, नगर-नगर में घूमे, गिरता देश सँवारे !
पाखण्डों का खण्डन करके, इस समाज की दशा सुधारे !!
जो विवेक का दीप जलाकर, चमका हुआ उजाला कर दे-
समाज का उद्धारक बन कर,सब के आगे ज्ञान उचारे !!
केवल अपने हित से हट कर, परमार्थ की नीति निभाये-
सब के हित की बात करे जो, वह शुभचिंतक हमें चाहिये...
प्रसून पर देवदत्त प्रसून
सुप्रभात
जवाब देंहटाएंचर्चा मंच पर इतना मटीरियल पढ़ने को मिल जाता है की दोपहर कहाँ निकल् जाती है पता ही नहीं चलता |मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार सर |
शुभ प्रभात भाई मयंक जी
जवाब देंहटाएंढेर सारी रचनाएं
और सब के सब उत्कृष्ट
साधुवाद अच्छे चयन हेतु
सादर
बहुत सुंदर सूत्र सुंदर चर्चा । नितिन के जन्मदिन पर उन्हें ढेरों शुभकामनाऐं । 'उलूक' के सूत्र 'बीमार था आदतन भरे पेट रोटियों पर झपट रहा था' और 'आज ही पाँच साल पहले शुरु किया था यहाँ आ कर कबूतर उड़ाना' को स्थान देने के लिये आभार ।
जवाब देंहटाएंआभार
जवाब देंहटाएंपिता के निस्स्वार्थ प्रेम से संसिक्त रचना जन्मदिन का बेहतरीन तोहफा मुबारक मुबारक मुबारक।
जवाब देंहटाएंएक दम से नै जानकारी ,सुखद आश्चर्य बेहतरीन प्रस्तुति। बढ़िया चर्चा मंच उत्कृष्ट रचना चयन।
आज मेरे पुत्र का है जन्मदिन।
खूब फूलो और फलो बेटा नितिन।।
उच्चारण
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सिर्फ पीसा की मीनार ही झुकी हुई नहीं है
कुछ अलग सा पर गगन शर्मा
अति-उत्कृष्ट रचना इतिहास के झरोखे से कलियुग में सतयुग तलाशती सी।
जवाब देंहटाएंजून 2014 के बाद की गज़लें/
गीत
(4)
काल-प्रणेता हमें चाहिये !
गांधी जी के लिए चित्र परिणाम
दूरदर्शिता जिसमें हो वह काल-प्रणेता हमें चाहिये !
जन-जन का अनुरागी हो जो ऐसा नेता हमें चाहिये !!
गाँव-गाँव में, नगर-नगर में घूमे, गिरता देश सँवारे !
पाखण्डों का खण्डन करके, इस समाज की दशा सुधारे !!
जो विवेक का दीप जलाकर, चमका हुआ उजाला कर दे-
समाज का उद्धारक बन कर,सब के आगे ज्ञान उचारे !!
केवल अपने हित से हट कर, परमार्थ की नीति निभाये-
सब के हित की बात करे जो, वह शुभचिंतक हमें चाहिये...
प्रसून पर देवदत्त प्रसून
one stop shop...great...
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया चर्चा प्रस्तुति ..
जवाब देंहटाएंआभार!
बढ़िया प्रस्तुति व लिंक्स , आ. शास्त्री जी व मंच को धन्यवाद !
जवाब देंहटाएंज्येष्ठ ब्रदर को शुभकामनाएं !
Information and solutions in Hindi ( हिंदी में समस्त प्रकार की जानकारियाँ )
बहुत सुन्दर चर्चा !
जवाब देंहटाएंआभार
waah
जवाब देंहटाएंसुन्दर सूत्र सार्थक चर्चा ! आज के इस मंच पर मेरी पिक्चर पोस्ट को सम्मिलित करने के लिए आपका आभार एवं धन्यवाद शास्त्री जी !
जवाब देंहटाएंaabhaar aapke pyaar kaa !!
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया सूत्र
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