नमस्कार मित्रों,
आज की चर्चा में आपका हार्दिक स्वागत है।
हमारी भलाई चाहने वाला पराया भी हो तो भी वह अपना हो जाता है जबकि हानि करने वाला अपना भी अपना नहीं होता बल्कि शत्रु होता है। देखिये न रोग और विकार आखिर तो अपने शरीर में ही पैदा होते हैं, इसी में रहते और पनपते हैं, फिर भी शरीर को कष्ट देते हैं और नष्ट करते हैं जबकि दूर जंगल में पैदा हुई जड़ी बूटी शरीर के कष्ट मिटाती हैं और प्राण रक्षा करती है।
समयाभाव के चलते सीधे चलते है आज की चर्चा पर।
प्रतिभा वर्मा
न जाने कहाँ से आ गए
दरमियाँ हमारे फ़ासले।
न दिल की सुनी तुमने कभी
न जुबाँ से कहा हमने कभी।
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पूर्णिमा दुबे
एक बार जब ठाकुर जयसिंह घोड़े पर सवार होकर जोधपुर से रठासी गांव (रठासी गांव यह जोधपुर से लगभग 90 किलोमीटर की दूरी पर स्थित एक ऐतिहासिक गांव है) की ओर जा रहे थे तब रास्ते में ठाकुर साहब का घोड़ा उनके साथ-साथ चलने वाले सेवकों से पीछे छूट गया और इतने में रात हो गई।
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आशा सक्सेना
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कुलदीप ठाकुर
देशी हमने दूर भगाए,
अपने नियम, कानून बनाए,
अपनों को ही सत्ता दी,
पीड़ित है फिर भी भारत मां...
हिंदू मुस्लिम के झगड़े सुलझाए,
भाषा जाति के विवाद मिटाए,
दुश्मनों को भी हमने मात दी,
पीड़ित है फिर भी भारत मां...
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दिगम्बर नासवा
पत्थर मिलेंगे टूटे, तन्हाइयां मिलेंगी
मासूम खंडहरों में, परछाइयां मिलेंगी
इंसान की गली से, इंसानियत नदारद
मासूम अधखिली से, अमराइयां मिलेंगी
कुछ चूड़ियों की किरचें, कुछ आंसुओं के धब्बे
जालों से कुछ लटकती, रुस्वाइयां मिलेंगी
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तन का मन से सीधा सम्बंध होता है ! यदि इच्छाशक्ति मज़बूत हो तो मनुष्य अपनी सामर्थ्य से ज्यादा बड़े से बड़ा काम भी कर सकता है ! संसार मे सबसे मुश्किल काम होता है किसी आदत को छोड़ना ! इंसान के जीवन मे कई लत ऐसी हैं जो अनचाहे ही गले पड़ जाती हैं ! फिर इनसे छुटकारा पाने की समस्या आ खड़ी होती है ! अक्सर हम इन्हे छोड़ने मे सफल भी होते हैं लेकिन
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विवेक रस्तोगी
एटीएम कार्ड के बिना एटीएम से पैसे निकालना अविश्वसनीय सी बात लगती है, परंतु तकनीकी युग में नई तकनीक विस्तार से अब बहुत कुछ संभव हो गया है, और हम इस सुविधा का उपयोग भारत में बहुत ही अच्छी तरह से कर सकते हैं, क्योंकि भारत में अभी भी पैसे एक जगह से दूसरी जगह भेजना
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योगी सारस्वत
राजनीति में न कोई दोस्त
न कोई दुश्मन होता है |
जिस पार्टी से मिल जायें
एम.एल.ए, एम.पी
उसी से संगम होता है ||
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(अनुवादक-डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
मेरे साथ सदा अच्छा हो,
यही कामना करते हो।
नहीं लड़ूँ मैं कभी किसी से,
यही भावना भरते हो।।
उन्नति के सोपान चढ़ूँ मैं,
नीचे कभी न गिर जाऊँ।
आप यही इच्छा रखते हो,
विजय हमेशा मैं पाऊँ।।
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श्याम कोरी 'उदय'
सच ! जब तक मिले नहीं थे उनके औ मेरे मिजाज
कुछ वो भी अजनबी थे, कुछ हम भी थे अजनबी ?
…
'उदय' क्या बताएगा ये तुम हम से पूछों यारो
इश्क में, बड़े बड़े 'शेर' भी 'चूहे' नजर आते हैं ?
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फ़िरदौस ख़ान
Firdaus Diary... दरअसल हमारी डायरी है... इसमें हमारे गीत हैं, ग़ज़लें हैं, नज़्में हैं, उन किताबों का ज़िक्र है, जो हमने पढ़ी हैं... इसमें मुख़्तलिफ़ मौज़ूं पर भी तब्सिरे हैं... और इस सबसे बढ़कर इसमें हमारी ज़िन्दगी की किताब के कई वर्क़ दर्ज हैं... हमें डायरी लिखने की आदत है... स्कूल के वक़्त से ही डायरी लिख रहे हैं... कुछ साल पहले अंतर्जाल पर भी बलॊग लिखना शुरू किया...
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सदा
कुछ रिश्ते
बस प्रेम की छड़ी होते हैं,
चोट नहीं लगती
इनके पड़ने से कभी
अच्छे और बुरे का
ज्ञान जरूर हो जाता है !
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साधना वैद
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ले गया दिल में दबाकर राज़ कोई,
पानियों पर लिख गया आवाज़ कोई.
बांधकर मेरे परों में मुश्किलों को,
हौसलों को दे गया परवाज़ कोई.
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वन्दना गुप्ता
किससे करूँ जिद
कोई हो पूरी करने वाला तो करूँ भी
और तुम , तुमसे उम्मीद नहीं
क्योंकि बहुत जिद्दी हो तुम
मुझसे भी ज्यादा
और मुझसे क्या
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रेवा टिबड़ेवाल
आज भी बचपन याद आता है
मस्ती भरे दिन
अल्हड़ हर पल छीन........
बारिश मे भीगना
कीचड़ मे खेलना
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अनीता जी
दो तरह का प्रेम होता है एक साधक का, एक सिद्ध का. पहला हमें करना है दूसरा अपने आप होता है. हमारी साधना लौकिक है और यह दूसरा प्रेम दिव्य है, इसे पाने के लिए कीर्तन, स्मरण तथा श्रवण साधनों से भक्ति के द्वारा अंत करण की शुद्धि करनी होगी. ==========================
रीना मौर्या
मैंने कहा प्रेम और
उसने मेरा नाम लिख दिया ....
अश्को के मोतियों से
मेरे काँधे को भिगो दिया ....
हाथ थाम मेरा
बड़ी शिद्दत से जो उसने कहा ,,,
चलोगी साथ मेरे
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सुशील कुमार जोशी
बिना सोचे समझे
कुछ पर कुछ भी
लिख देने की आदत
लिख भी दिया
जाता है कुछ भी
बात अलग है
कुछ दिनों बाद
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सुप्रभात
जवाब देंहटाएंउम्दा चर्चा आज की |
मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार और धन्यवाद |
आशा
सुन्दर लिंक्स से सजी बढिया चर्चा ………आभार
जवाब देंहटाएंआप का भारत और हिंदी से प्रेम आप की चर्चा में हमेशा झलकता है।
जवाब देंहटाएंसादर।
धन्यबाद कुलदीप जी, हिन्दी प्रेम ही चर्चा मंच मंच से जुड़ने का मुख्य मुख्य कारण रहा है अपने देश से दूर रहते हुए भी।
हटाएंआज की चर्चा में कई पठनीय सूत्रों से परिचय करवाने के लिए शुक्रिया...आभार भी राजेन्द्र जी.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर सूत्र और पठनीय सामग्री ! मेरी प्रस्तुति को भी सम्मिलित किया, धन्यवाद एवं आभार आपका राजेन्द्र कुमार जी !
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को यहाँ स्थान देने के लिए धन्यवाद राजेंद्र जी....
जवाब देंहटाएं:-)
बहुत सुंदर शुक्रवारीय चर्चा राजेंद्र जी । आभार 'उलूक के सूत्र '“जीवन कैसा होता है” अभी कुछ भी नहीं पता है सोचते ही ऐसा कुछ आभास हो जाता है' को स्थान देने के लिये ।
जवाब देंहटाएंउपयोगी लिंकों के साथ परिश्रम के साथ की गयी चर्चा।
जवाब देंहटाएं--
आपका आभार आदरणीय राजेन्द्र कुमार जी।
आज के लिंक्स के सादर आभार.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर सूत्र और पठनीय लिंक्स, सादर आभार.
जवाब देंहटाएंसुन्दर लिंक्स से सजी बढिया चर्चा
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया लिंक्स-सह-चर्चा प्रस्तुति ..आभार!
जवाब देंहटाएंहम आपके तहे-दिल से शुक्रगुज़ार है...
जवाब देंहटाएंसभी लिंक बहुत अच्छे हैं... अच्छी तहरीरें पढ़वाने के लिए बहुत-बहुत शुक्रिया...
सभी लिंक बहुत अच्छे .... आभार मुझे शामिल करने का ...
जवाब देंहटाएंsundar ... atisundar ...
जवाब देंहटाएंवक्त बदल रहा है...लोग बदल रहें है...अब लोगों को इमानदारी, सच्चाई और भरोसे से लेना देना नहीं उन्हे बस अपने से मतलब है अपने से। पर यह अपने भी भरोसे, सच्चाई और इमानदारी से मिलते हैं कौन बताएं इन्हे।
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