मित्रों।
रविवार की चर्चा में आप सबका स्वागत है।
देखिए मेरी पसंद के कुछ लिंक।
--
पेड़.....
सुधीर कुमार सोनी
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgob4rI9M6eHq8rtGsCiZvjxBCnKJQk86RmTC-ubDjLj_RcTYXO9UPmR5W3fBkye06rik4_xTKKDSw2KTL_K4RkUFaXgMjHGbnadQJW-NKWOqLs59UAjvl1OxmGUO_ZFH3DUpBapxXGy9M/s320/%25E0%25A4%25AA%25E0%25A5%2587%25E0%25A5%259C.jpg&container=blogger&gadget=a&rewriteMime=image)
कागज पर लकीरें खिचीं
डाल बनाई
पत्ते बनाए
अब कागज पर
चित्र लिखित सा पेड़ खड़ा है
पेड़ ने कहा
यह मैं हूं
मुझ पर काले अक्षरों की दुनिया रचकर
किसे बदलना चाहते हो...
डाल बनाई
पत्ते बनाए
अब कागज पर
चित्र लिखित सा पेड़ खड़ा है
पेड़ ने कहा
यह मैं हूं
मुझ पर काले अक्षरों की दुनिया रचकर
किसे बदलना चाहते हो...
--
![](https://lh6.googleusercontent.com/-DzhFfl_0tAE/AAAAAAAAAAI/AAAAAAAABBs/SpqYF8fMfkM/w120-h120/photo.jpg)
--
![](https://lh6.googleusercontent.com/-DzhFfl_0tAE/AAAAAAAAAAI/AAAAAAAABBs/SpqYF8fMfkM/w120-h120/photo.jpg)
--
--
इत्तेफ़ाक से
वो लम्हा
याद है तुम्हे
इत्तेफ़ाक से
हम तुम मिले थे जब
लब थे खामोश
और
निगाहों से हुई बाते...
याद है तुम्हे
इत्तेफ़ाक से
हम तुम मिले थे जब
लब थे खामोश
और
निगाहों से हुई बाते...
Rekha Joshi
--
जरा कम बोलती हैं -
दरकती पलों में ,न जुबा खोलती हैं
दिल की दीवारें जरा कम बोलती हैं
उन्नयन पर udaya veer singh
--
--
--
--
--
--
--
जुगनू पकड़े हाथ में, ‘मलिन’ हुआ ‘स्पर्श’ !
लालच-‘मैली चमक’ से, ‘उन्हें’ हुआ है ‘हर्ष’...
--
हिंदी दिवस विशेष :
क्या हिंदी संचार माध्यमों द्वारा प्रयुक्त
हिंदी में अंग्रेजी की मिलावट जायज़ है?
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgPRlj5shfvE3U0J-g_ly8WVvIdPsZqZpPUSHk3HsnRlN3w1elPZdw3th55EQ9m8GzfOheWzFu4KPFeWNq1IzoEaiV8uWjYeljaZzy715kt1CwOxgJDDUwGT6fbKLQF4dyjc8HeZYjSMekX/s320/navbharat+times.JPG)
एक शाम मेरे नाम
क्या हिंदी संचार माध्यमों द्वारा प्रयुक्त
हिंदी में अंग्रेजी की मिलावट जायज़ है?
एक शाम मेरे नाम
--
न्यायालय से हुए समाचार घर
![](//4.bp.blogspot.com/-C6eqQFqWTBk/VBxODSdwdVI/AAAAAAAAtw0/oo1gZPULUJ0/s320/Led-tv.jpg)
![](http://4.bp.blogspot.com/-C6eqQFqWTBk/VBxODSdwdVI/AAAAAAAAtw0/oo1gZPULUJ0/s320/Led-tv.jpg)
मन चिकित्सक बना देखता ही रहा,
दर्द ने देह पर हस्ताक्षर किये...!
आस्था की दवा गिर गई हाथ से
और रिश्ते कई फ़िर उजागर हुए...!!
हमसे जो बन पड़ा वो किया था मग़र
कुछ कमी थी हमारे प्रयासों में भी
हमसे ये न हुआ, हमने वो न किया,
कुछ नुस्खे लिये न किताबों से ही
लोग समझा रहे थे हमें रोक कर ,
हम थे खुद के लिये खुद प्रभाकर हुए
मन चिकित्सक बना देखता ही रहा,
दर्द ने देह पर हस्ताक्षर किये...!
मिसफिट:सीधीबात
--
यों तो ‘आंसू’ मन पखारते, ‘ गंगाजल' से होते हैं !
पर मन में ‘सन्ताप’-ताप हो, ‘बड़वानल’ से होते हैं !!
‘रेगिस्तानों’ में, यों तो बस, ‘तपती बालू’ मिलती है-
पर इनमें जो ‘प्यास’ बुझा दें, वे ‘छागल’ से होते हैं...
--
सीएनएन चैनल पर शो करने वाले फरीद जकारिया ने उनका साक्षात्कार लिया और उस साक्षात्कार के बाद वो कह रहे हैं कि नरेंद्र मोदी विश्व नेता बनने की क्षमता रखते हैं, मैंने उन्हें कम करके आंका। अब भले ही जकारिया के पुराने विश्लेषणों के आधार पर इसकी विश्वसनीयता को कसौटी पर खरा न माना जाए लेकिन, मोदी के व्यक्तित्व और उसके तथ्यों के आधार पर ये तय है कि दुनिया में भारत की ताकत देखने का नजरिया बदल रहा है। बाकी बातें अमेरिका दौरे के बाद ...
--
मैं बहुत खुश हूँ ये अफ़वाह उड़ा दी जाये
मुझ पे हँसने की ज़माने को सज़ा दी जाये
मैं बहुत खुश हूँ ये अफ़वाह उड़ा दी जाये
शोर शहरों में बहुत है सुने कोई भी तो क्या
जाके सन्नाटों को सहरा में सदा दी जाये...
Siya Sachdev - A Writer & Musician
मुझ पे हँसने की ज़माने को सज़ा दी जाये
मैं बहुत खुश हूँ ये अफ़वाह उड़ा दी जाये
शोर शहरों में बहुत है सुने कोई भी तो क्या
जाके सन्नाटों को सहरा में सदा दी जाये...
Siya Sachdev - A Writer & Musician
--
--
कैक्टस के फूल
![](https://lh3.googleusercontent.com/blogger_img_proxy/AEn0k_velJPswphk7xBNbAIwqwOgkcJ5tpTliHwcG8rCiEKh4HEEOEL3RDsCZ29u55AJqsYK6MXWIUKuZ0Lbv3MVb_6xS5dfmPu48QBz9pXDRu3nAPkEkjE0qXu5UEPKJZh_ReZkEva5F88wxG27Sx4VQNgn=s0-d)
मैंने तुम्हे चाहा
और तुमने
मुझे चुभन दी
मैंने सोचा
तुम काँटों में घिरे हो
तुम्हे नर्म अहसास दूँ
तुमने मेरे जज़्बातों को
काँटों से भेद दिया...
हृदयानुभूति
मैंने तुम्हे चाहा
और तुमने
मुझे चुभन दी
मैंने सोचा
तुम काँटों में घिरे हो
तुम्हे नर्म अहसास दूँ
तुमने मेरे जज़्बातों को
काँटों से भेद दिया...
हृदयानुभूति
--
--
जीवन गाथा
उदित हुआ जीवन,
नूतन मन, उद्वेगित,
उत्साह भरा तन ।
भावनायें परिशुद्ध हृदय की,
आस भरी जीवन की गगरी ।।१।।...
प्रवीण पाण्डेय
--
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhayTj8EQp4ggZN9_YVJTabIFvTBf8EBK5JdbdbDiUhZFQDtbnEgZgPQazyGMd-q3MHPUsTliGLvXmXXnMPuROuGfsanTaVhn5jku-CXqKnOhBryOM1lHIapd_1Raz01F7DWZ5NFuZx80w/s320/index.jpg&container=blogger&gadget=a&rewriteMime=image)
वो जो तुम कहते रहते हो न मुझसे बार-बार--
"अपने अंदर में झाँकूँ,
करूँ अंतर्यात्रा और खोजूँ अपने आप को--
देखूं-जानूँ कौन हूँ मैं,
हूँ मैं, क्यों यहां हूँ मैं...?"
मैं अंतर की गहराइयों से ही तो
निकाल लाता हूँ कविताएँ, कथाएं और गल्प,
अंतर में झांकता-डूबता-खोजता नहीं
तो लिखता कैसे हूँ भाई...
मुक्ताकाश....पर आनन्द वर्धन ओझा
--
"गजल और गीत"
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhr3kQ-BfDXLJLSQkPM_gklfF5UoXQCcpXnBERNLDqnNfukNFLvBcmyfHXvX3EAg22Qx3kdbxRk0lMQV5YoRfhKAF3AHx_Es510jVii_i3H_8uTkY2PzqagxwLbBawtPtR5x2zQs0VGBYhh/s320/untitled.bmp)
--
कविता -"टुकड़ा-एमी लोवेल"
♥ काव्यानुवाद ♥
कविता रंग-बिरंगे, मोहक पाषाणों सी होती है क्या?
जिसे सँवारा गया मनोरम, रंग-रूप में नया-नया!!
हर हालत में निज सुन्दरता से, सबके मन को भरना!
ऐसा लगता है शीशे को, सिखा दिया हो श्रम करना!!
इन्द्रधनुष ने सूर्यरश्मियों को जैसे अपनाया है!
क्या होता है अर्थ, धर्म का? यह रहस्य बतलाया है!!
जिसे सँवारा गया मनोरम, रंग-रूप में नया-नया!!
हर हालत में निज सुन्दरता से, सबके मन को भरना!
ऐसा लगता है शीशे को, सिखा दिया हो श्रम करना!!
इन्द्रधनुष ने सूर्यरश्मियों को जैसे अपनाया है!
क्या होता है अर्थ, धर्म का? यह रहस्य बतलाया है!!
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgjYllE4wWEYvin9KqDDZvHnR48lltg2VcEwnzHEa1Oet_PzV2pHiBqAcfhr4bKBfjRrcRKTTDYuCYig6oIVpsFGcewG_3b-sJTEjZNh48u_Bi-99qr3MhWHof3g18Stebbs5MlkLxAJ88/s320/%25E0%25A4%258F%25E0%25A4%25AE%25E0%25A5%2580+%25E0%25A4%25B2%25E0%25A5%258B%25E0%25A4%25B5%25E0%25A5%2587%25E0%25A4%25B2.jpg)
सार्थक संकलन...आभार.
जवाब देंहटाएंउम्दा संकलन सूत्रों का |
जवाब देंहटाएंमेरी रचना शामिल करने के लिए धन्यवाद सर |
Aabhar Sashtri ji.
जवाब देंहटाएंसुंदर रविवारीय चर्चा । 'उलूक' का आभार सूत्र 'कुर्सियों में बैठ लेने का मतलब बातें करना ही नहीं होता है हमेशा' को स्थान देने के लिये ।
जवाब देंहटाएंशुभ प्रभात भाई मयंक जी
जवाब देंहटाएंबेहतरीन....
अच्छी रचनाएँ
आभार शीर्ष स्थान हेतु
सादर
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
हटाएंहार्दिक आभार मेरे विचारों को चर्चा मंच तक पहुँचाने के लिए !
जवाब देंहटाएंआज का चर्चामंच बहुत ही परख के बाद चुनी रचनाओं को प्रस्तुत करता है ! हर प्रकार के विचारों का समागम है इस में ! मेरी दोनों रचनाओं के माध्यम से मेरे संदेश को सब तक पहुँचाने के लिए धन्यवाद !
जवाब देंहटाएंसुन्दर एवं सराहनीय प्रस्तुति.... साथ ही मेरी रचना को चयनित करने हेतु हृदय से आभार !!!
जवाब देंहटाएं