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बुधवार, सितंबर 17, 2014

दिखा रहे सद्मार्ग, कुटिल कवि रविकर भाई- ; चर्चा मंच 1739


सच्चाई दम-भर लड़ी, लेकिन *चाँई जीत |
रही हार हरदम बड़ी, क्यों ना हो भयभीत ?

क्यों ना हो भयभीत, बोलबाला दुनिया में |
अब अपनाय अनीत, ध्वजा हाथो में थामे |

दिखा रहे सद्मार्ग, कुटिल कवि रविकर भाई |
जियो मित्र बिंदास, छोड़ कर के सच्चाई ||
*ठग, कपटी, छली
Anita 

noreply@blogger.com (पुरुषोत्तम पाण्डेय)

Kunwar Kusumesh 


 
yashoda agrawal
Saleem akhter Siddiqui 

noreply@blogger.com (विष्णु बैरागी)

सुशील कुमार जोशी 



aprna tripathi 


 
Saleem akhter Siddiqui 

संजय भास्‍कर 

त्रिवेणी 


राजीव कुमार झा 

 
Virendra Kumar Sharma
Bamulahija dot Com 

11 टिप्‍पणियां:

  1. शुभ प्रभात रविकर भैय्या
    सच में आपकी पसंद को दाद देती हूँ
    अच्छी रचनाएं पढ़वा रहे हैं आप आज
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  2. उम्दा लिंक्स |दोहे बहुत बढ़िया |

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत सुंदर सूत्रों के साथ पेश की है रविकर जी ने आज की चर्चा ।'उलूक' के सूत्र 'बात एक नहीं है अलग है वो इधर से उधर जाता है और ये उधर से इधर आता है' को जगह देने के लिये आभार।

    जवाब देंहटाएं
  4. सुन्दर चर्चा।
    मुझे शामिल किया,आभार आपका।

    जवाब देंहटाएं
  5. विविध रंगी चर्चा आभार रविकर जी !

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत सुंदर चर्चा.मेरे पोस्ट को शामिल करने के लिए आभार.

    जवाब देंहटाएं
  7. बहुत सुन्दर चर्चा ………आभार

    जवाब देंहटाएं
  8. बहुत बढ़िया चर्चा प्रस्तुति ...आभार!

    जवाब देंहटाएं
  9. सुंदर चर्चा। बढिया लिंक्स।

    जवाब देंहटाएं
  10. बहुत सुन्दर बहुरंगी चर्चा।
    आपका आभार आदरणीय रविकर जी।

    जवाब देंहटाएं

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