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रविवार, अक्तूबर 05, 2014

"प्रतिबिंब रूठता है” : चर्चा मंच:1757

बिंब नहीं साथी,प्रतिबिंब रूठता है
अब धरा नहीं धसती,आकाश टूटता है

कहते थे लोग तिल का, है ताड़ बना करता
अब उसके बिना लोगो,पहाड़ सूझता है

क्यों कोई चाँद तारों की बात नहीं करता
माधुर्य के नगर में,ये कैसी मूकता है  

कबिरा के ढाई आखर,बेमानी हो गये हैं
जग आज पोथी वाले पंडित को पूजता है

ये कौन-सा नगर है,हम कौन हैं यहाँ पर
क्यों आजकल ये सूरज,सुबहों को डूबता है

मीरा की भाव मुद्रा कमरे में टंग गई है
गीता का हरेक पन्ना,अर्जुन को ढूंढ़ता है

आदर्श और नैतिक शब्दों की तह बना दो
सब भूलने लगे इन्हें,कोई न पूछता है

(साभार : डॉ. लक्ष्मी कमल)
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नमस्कार !
रविवारीय चर्चामंच में,
मैं राजीव कुमार झा 
आप सबों का स्वागत करता हूं.
आज की चर्चा में शामिल लिंक्स हैं....
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प्रतिभा सक्सेना 
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मंजू मिश्रा  
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प्रीति टेलर 
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मिश्रा राहुल 
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राकेश श्रीवास्तव 
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प्रभात रंजन 
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वीरेन्द्र कुमार शर्मा 
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"बस पूछो न.....जिंदगी
परी ऍम श्लोक 
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अब मैंने जीना सीख लिया
कैलाश शर्मा 

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यह कैसा लेख था ...
उपासना सियाग 
My Photo
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मैं तुम्हारा ही अंश हूँ, माँ !
साधना वैद 

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गहरी खाइयों पर पुल नहीं बनाये जाते.............
वंदना गुप्ता 

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समय
प्रवीण पाण्डेय

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स्वच्छता अभियान- बैताल कथा
अनूप शुक्ल 

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भीड़.......!! 

भीड़
जब कभी पंडाल में होती है 
मैदान में होती है...उत्सव में होती है 
बस ज़रा सी 
अफवाह की हवा चलती है 
ज़ोर का शोर होता है 
गिर जाती हैं कोमल शाखाएं 
कुचलते हुए बढ़ जाती है.... 
कवर फ़ोटो
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बाड़े की कील 

बहुत समय पहले की बात है, एक गाँव में एक लड़का रहता था. वह बहुत ही गुस्सैल था, छोटी-छोटी बात पर अपना आप खो बैठता और लोगों को भला-बुरा कह देता. उसकी इस आदत से परेशान होकर एक दिन उसके पिता ने उसे कीलों से भरा हुआ एक थैला दिया और कहा कि , ” अब जब भी तुम्हे गुस्सा आये तो तुम इस थैले में से एक कील निकालना और बाड़े में ठोक देना...
Patali पर Patali-The-Village 
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"कुछ कणिकाएँ" 

-१-
नेट के सम्बन्ध 
एक क्लिक में शुरू 
एक क्लिक में बन्द
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क्यों नहीं लिखूँगा 

गंदगी हो जाने से अच्छा 

गंदगी बताना भी जरूरी है 

उलूक टाइम्स पर सुशील कुमार जोशी
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जीने की लतजीने की लतजो हमने है पालीआज वही मारे जाती हैजीने की लत……….
© राजीव उपाध्याय
स्वयं शून्य
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एक था रेडियो
कीर्तिश भट्ट 
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धन्यवाद !

10 टिप्‍पणियां:

  1. वाह राजीव जी,बढ़िया रहीं प्रस्तुतियाँ - मुझे सम्मिलित करने का आभार !

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत दिनों बाद आपका आगमन हुआ चर्चा पर
    आदरणीय राजीव कुमार झा जी।
    --
    आपने श्रम के साथ बढ़िया लिंकों का चयन किया है।
    आभार।

    जवाब देंहटाएं
  3. सुंदर लिंक्स के साथ सुंदर प्रस्तुति ..मेरी रचना शामिल करने के लिए आपका आभार.
    आप सब गुणी जनों का सहयोग आगे भी अपेक्षित रहेगा. धन्यवाद.
    http://iwillrocknow.blogspot.in/

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत बढ़िया चर्चा प्रस्तुति
    आभार!

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत सुंदर प्रस्तुति राजीव । 'उलूक' के सूत्र 'क्यों नहीं लिखूँगा गंदगी हो जाने से अच्छा गंदगी बताना भी जरूरी है' को भी जगह देने के लिये आभार ।

    जवाब देंहटाएं
  6. Bahut sunder Sutr... Padh kar man harshit hua..meri rachna shamil karne ke liye aapka haardik aabhaar .... Itane sunderlinks ko sanjha karne ke liye bhi aapka aabhaaar ....

    जवाब देंहटाएं
  7. बहुत सुन्दर लिंक्स...रोचक चर्चा...आभार

    जवाब देंहटाएं
  8. सुन्दर सार्थक सशक्त सूत्रों से सुसज्जित आज का चर्चामंच ! मेरी रचना को भी इस मंच पर स्थान दिया आपका हृदय से धन्यवाद एवं आभार राजीव जी !

    जवाब देंहटाएं
  9. बहुत ही अच्छी प्रस्तुति। आपको मेरी रचना को सम्मिलित करने लिए सादर आभार राजीव जी।

    जवाब देंहटाएं

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