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मंगलवार, दिसंबर 30, 2014

"रात बीता हुआ सवेरा है" (चर्चा अंक-1843)

मित्रों।
मंगलवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए कुछ लिंक।
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रात बीता हुआ सवेरा है 

जब जागो तभी सवेरा है
रौशनी आती मिटता अँधेरा है
दरख्तों से छन कर आती रही 
हर तरफ खुशबुओं का डेरा है... 
यूं ही कभी पर राजीव कुमार झा 
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"कैसे मन को सुमन करूँ मैं?" 

(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक) 

सब कुछ वही पुराना सा है!
कैसे नूतन सृजन करूँ मैं?

कभी चाँदनी-कभी अँधेरा,
लगा रहे सब अपना फेरा,
जग झंझावातों का डेरा,
असुरों ने मन्दिर को घेरा,
देवालय में भीतर जाकर,
कैसे अपना भजन करूँ मैं?
कैसे नूतन सृजन करूँ मैं?
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गहरा कुहासा ... 

यूं ज़ुबां फिसली तमाशा हो गया 
हर हक़ीक़त का ख़ुलासा हो गया 
बाम पर आकर खड़े वो क्या हुए 
चांद का चेहरा ज़रा-सा हो गया... 
Suresh Swapnil 
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एक पत्रकार का अपहरण- 

आपबीती)-1 

पुरानी यादें / नए मित्रों के लिए ... 

पुरानी यादें 30 दिसम्बर 2005 की वह काली शाम जब भी याद आती है मन सिहर जाता है। उस रात बार बार मौत ऐसे मुलाकात करके गई मानों रूठी हुई प्रेमिका को आगोश में लेने का प्रयास कोई करे और वह बार बार रूठ जाए... 
चौथाखंभापरARUN SATHI 
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"गीत-फिर से चमकेगा गगन-भाल" 

(डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक') 

फिर से चमकेगा गगन-भाल।
आने वाला है नया साल।।

आशाएँ सरसती हैं मन में,
खुशियाँ बरसेंगी आँगन में,
सुधरेंगें बिगड़े हुए हाल।
आने वाला है नया साल।।
होंगी सब दूर विफलताएँ,
आयेंगी नई सफलताएँ,
जन्मेंगे फिर से पाल-बाल।
आने वाला है नया साल... 
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''क्योंकि वो एक लड़की है '' 

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भारतीय नारी पर shikha kaushik 
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घर याद आता है मुझे 

मेरा फोटो
वंदे मातरम् पर abhishek shukla
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फिसलते हुऐ पुराने साल का 

हाथ छोड़ा जाता नहीं है 

उलूक टाइम्सपरसुशील कुमार जोशी 
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कभी कभी यूं ही बहते जाते शब्द 

१.
मन सा आकाश
उड़ान परिंदों की उदास
सघन तारों के बीच 
चाँद फिर भी तन्हा
एकांकी से भरा  
असंख्य प्रकाश वर्ष की दूरी पर
जिन्दगी पानी पर बहती जाती !
२.... 
हमसफ़र शब्द पर संध्या आर्य 
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कुछ फेसबुकिया पोस्ट 

माँ...
बदल दिये मैंने घर के पुराने फर्नीचर
सिर्फ रख लिया है वह ड्रेसिंग टेबल
जहाँ तुम अपनी बिंदियाँ चिपका दिया करती थी
ऋता*
मधुर गुंजन पर ऋता शेखर मधु
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ओ दिसम्बर! 

...अभी नहीं आया नववर्ष! 
ओ दिसम्बर! 
तू उदास मत हो 
तू ही तो है जिसके आने पर 
धरती के मन में 
नई जनवरी खिलने लगती है।
बेचैन आत्मा पर देवेन्द्र पाण्डेय 
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बूँद बन नैनो से मैने 

गिरा दिया अब तुम्हे

खो गई दूर कहीं कल्पनायें मेरी 
धुंधला गई अब यादें तेरी... 
Rekha Joshi
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हायकू 

गांव की बाला
नहीं है  मज़बूर
थामे पुस्तक... 
नयी उड़ान + पर Upasna Siag
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Deewan 47 Nazm 

Junbishen पर Munkir
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चलो! सुलह कर लेते हैं !! 

लौटता नहीं वक़्त जाने के बाद कभी
जो अपने पास है वो लम्हा संवार लेते हैं
कसमे-वादो की गर्म हवा से
सपनो की वादियों में 
फिर से फूल खिला देते हैं  
चलो! सुलह कर लेते हैं !!
Lekhika 'Pari M Shlok' 
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प्रशासन 

सर्दियों की कुनकुनी धूप का आनन्द लेने मैं छत पर पहुंची तो पास की छतों पर बच्चे पतंग उड़ाने में व्यस्त थे कुछ दूर से किसी चुनावी सभा की धीमी-धीमी सी आवाज आ रही थी वहीँ चटाई पर अपने क़ागज फैलाये बिटिया मिनी नशा-मुक्ति सम्बन्धी पोस्टर तैयार करने में लगी थी | पोस्टर कुछ इस तरह उभर रहा था –सिगरेट के चित्र के पास मानव कंकाल ... सिगरेट रूप में बनी अर्थी ..शराब की बोतल के पास स्वास्थ्य सम्बन्धी चेतावनी और आस-पास कुछ समाचारपत्रों की कतरनें .. 
My Photo
Vandana Ramasingh 
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डॉ. दिनेश चन्‍द्र वाचस्‍पति का जन्‍म 

29 दिसम्‍बर को हुआ था 

29 दिसम्‍बर 1929 को जन्‍मे मेरे पिताश्री डॉ. दिनेश चन्‍द्र वाचस्‍पति जी का जन्‍म हुआ था। 6 मई 1970 को उनका साया मेरे से उठ गया। वह विद्धान हिंदी लेखक, शिक्षाविद अौर सैन्‍ट्रल बोर्ड ऑफ हॉयर एजूकेशन तथा हिन्‍दी विद्यापीठ के संस्‍थापक एवं कुलपति थे। एक स्‍कूटर दुर्घटना में उनका निधन हुआ था। अंतिम समय पर उन्‍होंने मुझे मिलने पर स्‍मृति लोप एवं संज्ञा शून्‍य होने पर तेताला नाम से संबोधित किया था... 
पिताजी पर नुक्‍कड़ 

10 टिप्‍पणियां:

  1. जाते हुए साल में उम्दा लिंक्स |
    आशा

    जवाब देंहटाएं
  2. चर्चा मंच में स्थान देने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत सुंदर चर्चा.
    'यूँ ही कभी' से मेरे पोस्ट को शामिल करने और शीर्षक पोस्ट बनाने के लिए आभार ! आ. शास्त्री जी,एवं आ. रविकर जी.

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत बढ़िया चर्चा प्रस्तुति
    आभार!

    जवाब देंहटाएं
  5. सुन्दर चर्चा, मेरी रचना को शामिल करने हेतु आभार।
    नव वर्ष की अग्रिम शुभकामनायें।

    जवाब देंहटाएं
  6. मेरी रचना को शामिल करने के लिए तहे दिल से शुक्रिया और आभार ! नव वर्ष के आगमन पर आपको और आपके पूरे परिवार को हार्दिक शुभकामनाये !

    जवाब देंहटाएं

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