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बुधवार, अप्रैल 22, 2015

मुखरित अब अधिकार हो गये; चर्चा मंच 1953


डा. मेराज अहमद 



ब्लॉ.ललित शर्मा 



rohitash kumar 



Shalini Kaushik 



सुशील कुमार जोशी



udaya veer singh 



ज्योति-कलश 



Virendra Kumar Sharma



अभिषेक मिश्र 

3 टिप्‍पणियां:

  1. सुंदर बुधवारीय अंक रविकर जी। चर्चा 1853 की जगह 1953 कर लें । आभारी है 'उलूक' सूत्र 'कभी तो लिख यहाँ नहीं तो और कहीं दो शब्द प्यार पर भी झूठ ही सही' को आपकी आज की चर्चा में स्थान मिला ।

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  2. बढ़िया चर्चा प्रस्तुति।
    आदरणीय रविकर जी आपका आभार।
    --
    आदरणीय सुशील कुमार जोशी
    चर्चा 1853 की जगह 1953 कर दी गयी है।
    याद दिलाने के लिए आभार।

    जवाब देंहटाएं

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